भारत में तकनीकी विकास हेतु नए कीर्तमान

भारत में तकनीकी विकास हेतु नए कीर्तमान

मुख्य परीक्षा:सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3

(विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी: तकनीकी विकास)

भूमिका:

  • प्रधानमंत्री की जुलाई, 2022 की अमेरिका यात्रा ऐतिहासिक रही। इस दौरान प्रधानमंत्री और अमेरिकी राष्ट्रपति के बीच एक महत्त्वपूर्ण समझौता हुआ। दोनों देश भविष्य को आकार देने वाली अहम प्रौद्योगिकियों- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, सेमीकंडक्टर, क्वांटम कंप्यूटिंग, हाई-परफार्मेंस कंप्यूटिंग और स्पेस को विकसित करने में साझेदारी करने को सहमत हुए।

भारत में तकनीकी विकास

  • प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में दुनिया में अग्रणी अमेरिका प्रौद्योगिकी और सेमीकंडक्टर के अगले दशक के लिए भारत के साथ साझेदारी कर रहा है। यह बताता है कि भारत की प्रौद्योगिकी क्षमताएं कितनी बढ़ गई हैं, खासकर सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में, जहां दशकों से हमारी मौजूदगी अत्यल्प या बिल्कुल नहीं रही है। अवसर गंवाने, राजनीतिक और रणनीतिक दूरदर्शिता की कमी और अक्षमता के कारण इलेक्ट्रानिक्स और सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में भारत की दास्तान दशकों तक निराशाजनक रही। मसलन, 1960 के दशक में, भारत ने सेमीकंडक्टर पैकेजिंग इकाई स्थापित करने के लिए ‘फेयरचाइल्ड सेमीकंडक्टर्स’ (जिनके संस्थापकों ने ‘इंटेल’ बनाया) के एक प्रस्ताव को नजरअंदाज कर दिया, जो बाद में मलेशिया चला गया।
  • 2007 में, ‘इंटेल’ के तत्कालीन अध्यक्ष क्रेग बैरेट ने खुलासा किया कि कैसे सरकार की धीमी प्रतिक्रिया के कारण भारत ने इलेक्ट्रानिक बाजार यानी ‘फैब’ निवेश का अवसर गंवा दिया। देश की आजादी के पैंसठ साल के इतिहास में ऐसे अनेक दृष्टांत मिलते हैं, जब भारत ने सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रानिक्स के अवसर गंवाए।

तकनीकी विकास हेतु भारत सरकार के नीतिगत प्रयास: 

  • भारत के तकनीकी विकास को बहुमुखी बनाने हेतु भारत सरकार द्वारा ‘इंडिया फर्स्ट’ की परिकल्पना की गयी।
  • भारत ने इलेक्ट्रानिक्स परिवेश का पुनर्निर्माण किया है, जिससे यह दुनिया भर में सबसे तेजी से उभरते ‘इकोसिस्टम’ में शुमार हो गया है।
  • भारत द्वारा अगले कुछ वर्षों में एक खरब डालर की डिजिटल अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य रखा है, जो देश की जीडीपी में डिजिटल अर्थव्यवस्था की बीस फीसद हिस्सेदारी होगी।
  • अमेरिका जैसे देश संवहनीयता और सुरक्षा से लेकर टीके, इलेक्ट्रानिक्स और सेमीकंडक्टर तक विविध वैश्विक चुनौतियों को लेकर भारत को अब एक भरोसेमंद भागीदार के रूप में मान रहे हैं।
  • दिसंबर 2021 में, प्रधानमंत्री ने दस अरब डालर के भारत सेमीकंडक्टर मिशन (आइएसएम) को मंजूरी दी थी, जो भारत के ‘सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम’ को प्रोत्साहन देने की दिशा में एक व्यापक दशकीय खाका है, जिसमें डिजाइन और अनुसंधान से लेकर प्रतिभा, एटीएमपी और ‘फैब्स’ तक पूरे परिदृश्य को शामिल किया गया है।
  • देश में डिजिटल और नवाचारी अर्थव्यवस्था के विस्तार में इस पहल का महत्त्वपूर्ण योगदान है और इससे वैश्विक सेमीकंडक्टर बाजार में भारत की पर्याप्त हिस्सेदारी हो गई है। इससे सेमीकंडक्टर डिजाइन स्टार्टअप के विकास को प्रोत्साहन और दुनिया की बड़ी कंपनियों के साथ भारत की वैश्विक साझेदारी को संबल मिला है।
  • गुजरात के गांधीनगर में 28-30 जुलाई को आयोजित ‘सेमीकान इंडिया 2023’ में भारतीय सेमीकान कौशल और चिप डिजाइन नवाचार का प्रदर्शन हो रहा है। बंगलुरु में इसके पहले संस्करण के महज पंद्रह महीने बाद यह आयोजन हो रहा है। ‘सेमीकान इंडिया’ के ‘फ्यूचर स्किल’ ने उद्योग और सरकार की साझेदारी में पचासी हजार इंजीनियरों के लिए एक व्यापक ‘वीएलएसआइ’ पाठ्यक्रम विकसित किया है, जिसे तीन सौ संस्थानों में इस शैक्षणिक वर्ष में लागू किया जा रहा है।
  • भारत पहले से ही दावा करता रहा है कि वैश्विक सेमीकंडक्टर डिजाइन प्रतिभा में उसका बीस फीसद योगदान है और अब ‘अप्लाइड मटीरियल्स’ और ‘लैम रिसर्च’ जैसी प्रमुख सेमीकंडक्टर निर्माता कंपनियां भारत को कौशल और प्रतिभा विकास के लिए अपना केंद्र बना रही हैं।
  • देश में ‘सेमीकंडक्टर इंडिया फ्यूचर डिजाइन’ के तहत तीस से अधिक सेमीकंडक्टर डिजाइन स्टार्टअप स्थापित किए गए हैं। इनमें से पांच स्टार्टअप को पहले ही वित्तीय सहायता मिल चुकी है और पच्चीस अन्य का मूल्यांकन किया जा रहा है। वहीं, समर्थित स्टार्टअप की संख्या बढ़ा कर दो सौ तक करने का लक्ष्य है।
  • यह जानते हुए कि दुनिया चिप्स के लिए नए आइएसए यानी ‘इंस्ट्रक्शन सेट आर्किटेक्टचर’ की तरफ जा रही है और ‘इंडिया स्टैक’ सहित हमारे ‘इनोवेशन इकोसिस्टम’ के लिए स्रोत खोलने की प्रधानमंत्री की अपनी प्रतिबद्धता है
  • सरकार ने डिजिटल इंडिया आरआइएससी-5 (डीआइआर-5) कार्यक्रम शुरू किया है, जिसका लक्ष्य अगली पीढ़ी के ‘प्रोसेसर्स’ विकसित करना है। भारतीय स्टार्टअप और उद्यम न सिर्फ आरआइएससी-5 प्रौद्योगिकी के लिए प्रतिभा केंद्र बनेंगे, बल्कि विविध अनुप्रयोगों के लिए आरआइएससी-5 एसओसी के वैश्विक आपूर्तिकर्ता भी बनेंगे।
  • सेमीकंडक्टर मेमोरी’ के क्षेत्र में विश्व की अग्रणी कंपनी माइक्रोन ने गुजरात में अपने पहले निवेश की घोषणा की है। उसका 2.75 अरब का निवेश एक बड़ा मील का पत्थर है और इससे आपूर्ति शृंखला, पैकेजिंग और ‘फैब्स’ विकसित करने में मदद मिलेगी। साथ ही, इससे करीब पांच हजार नई प्रत्यक्ष और पंद्रह हजार सामुदायिक नौकरियां पैदा होने की उम्मीद है।
  • इतने कम समय में इस निवेश से बेशक यह भरोसा कायम होता है कि दुनिया की बड़ी कंपनियों के सेमीकान निवेश के लिए भारत संभावित गंतव्य है। ‘इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन’ (आइएसएम) द्वारा असेंबली, टेस्टिंग, मार्किंग और पैकेजिंग (एटीएमपी) और ‘फैब्स’ के कई प्रस्तावों का मूल्यांकन किया जा रहा है, जिसमें चालीस ‘एनएम सीएमओएस फैब्स’ और ‘मल्टीपल कंपाउंड सेमीकान एटीएमपी एवं फैब’ के प्रस्ताव शामिल हैं।
  • सेमीकंडक्टर अनुसंधान सरकार की प्राथमिकता है। सेमीकंडक्टर लेबोरेटरी मोहाली में मौजूदा फैब को आधुनिक बनाया जा रहा है। इसके आधुनिकीकरण और ‘ग्लोबल इंडिया सेमीकंडक्टर रिसर्च सेंटर’ (आइएसआरसी) की स्थापना के लिए दस हजार करोड़ रुपए से अधिक की राशि निर्धारित की गई है। सेमीकंडक्टर क्षेत्र की दुनिया की शीर्ष कंपनियों के साथ इस प्रस्तावित आइएसआरसी योजना को अंतिम रूप दे दिया गया है।
  • आगामी महीनों में इसे अमलीजामा पहनाया जाएगा। इसका लक्ष्य एशिया का प्रमुख सेमीकंडक्टर अनुसंधान परिवेश बनाना है, जिसमें सामग्री से लेकर ट्रांजिस्टर, पैकेजिंग से लेकर प्रक्रियाओं तक का विस्तार करना और भारत और दुनिया के शीर्ष सेमीकंडक्टर कंपनियों के साथ साझेदारी करना है।

निष्कर्ष:

  • भारत को सेमीकंडक्टर राष्ट्र बनाने की दिशा में बीते पंद्रह महीनों में हुई प्रगति उल्लेखनीय है।
  • यह स्वतंत्र भारत के इतिहास का सबसे रोमांचक काल है, जब देश के युवाओं और छात्रों के लिए चाहे अंतरिक्ष का क्षेत्र हो या इलेक्ट्रानिक्स, इंटरनेट, एआइ या सेमीकंडक्टर, हर जगह जबर्दस्त अवसर हैं। भारतीय युवाओं के लिए अगला दशक प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अवसरों का दशक है, जिसे प्रधानमंत्री ने ‘इंडिया डेकेड’ का नाम दिया है। देश में प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अनुसंधान और नवाचार को प्रोत्साहन देने के लिए नीतियां बनाई और उन पर अमल किया जा रहा है, जिनके कारण युवाओं और छात्रों के लिए अवसर के नए दरवाजे खुल रहे हैं।
  • बीते पंद्रह महीनों के दौरान इस दिशा में जिस गति से प्रगति हुई है, अगर हम उसे आगे भी कायम रखते हैं तो निस्संदेह आगामी दशक में महत्त्वपूर्ण उपलब्धि हासिल कर पाएंगे। अगले दस सालों में हम उतना हासिल कर पाएंगे, जितना हमारा पड़ोसी देश चीन तीस साल और दो सौ अरब डालर खर्च करने के बाद भी नहीं कर पाया।

                                                    -------------------------

मुख्य परीक्षा प्रश्न

भारत को सेमीकंडक्टर राष्ट्र बनाने की दिशा में मौजूदा वर्ष में उल्लेखनीय प्रयास किए गए हैं। विवेचना कीजिए।