भारत-नेपाल संबंध: सीमा विवाद

भारत-नेपाल संबंध: सीमा विवाद 

GS-2: अंतर्राष्ट्रीय संबंध

(IAS/UPPCS)

10/05/2024

स्रोत: IE

न्यूज़ में क्यों:

हाल ही में, नेपाल ने अपने 100 रुपये के नोट पर एक नक्शा शामिल करने का फैसला किया, जिसमें उत्तराखंड में भारत द्वारा प्रशासित कुछ क्षेत्रों को अपने क्षेत्र के हिस्से के रूप में दर्शाया जाएगा ।

  • गौरतलब है कि इस नक्शे को वर्ष 2020 में नेपाल की संसद में सर्वसम्मति से अपनाया गया था

भारत की प्रतिक्रिया:

  • भारत ने जोर देकर कहा कि नेपाल के ऐसे "एकतरफा उपायों" से जमीनी हकीकत नहीं बदलेगी। भारत ने कहा कि सीमा मामलों के संबंध में एक स्थापित मंच के माध्यम से चर्चा जारी है।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:

  • भारत और नेपाल के बीच संबंध शाक्य वंश और गौतम बुद्ध के शासन के समय के हैं। प्रारंभ में, नेपाल आदिवासी शासन के अधीन था और इसका सामंती युग वास्तव में नेपाल में लिच्छवी शासन के आगमन के साथ शुरू हुआ था।
  • नेपाल, भारत का एक महत्वपूर्ण पड़ोसी देश है और दशकों से चले आ रहे भौगोलिक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आर्थिक संबंधों के कारण नेपाल, भारत की विदेश नीति में विशेष महत्व रखता है, 1950 की शांति और मित्रता की भारत-नेपाल संधि भारत और नेपाल के बीच मौजूद विशेष संबंधों का आधार है। भारत और नेपाल दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संघ (सार्क) के भी सदस्य हैं।
  • भारत और नेपाल हिंदू धर्म एवं बौद्ध धर्म के संदर्भ में भी एक आत्मीय संबंध रखते हैं, 750 से 1750 ईस्वी की अवधि में नेपाल में बौद्ध धर्म से हिंदू धर्म में बदलाव देखा गया और व्यापक सांस्कृतिक प्रसार देखा गया, नेपाल की 80 प्रतिशत आबादी हिंदू धर्म का पालन करती है और साथ ही बुद्ध का जन्मस्थान लुंबिनी वर्तमान नेपाल में स्थित है।

सीमा विवाद के प्रमुख कारण:

दोनों देशों के मध्य विवाद के निम्नलिखित कारण हैं:

  • वर्ष 2020 में कालापानी-लिंपियाधुरा-लिपुलेख ट्राय-जंक्शन क्षेत्र को लेकर दोनों देशों के बीच क्षेत्रीय विवाद।
  • नेपाल के घरेलू मामलों में भारत का कथित तौर पर हस्तक्षेप के आरोप सामने आते रहते हैं।
  • चीन के साथ नेपाल के बढ़ते संबंधों ने दोनों देशों के बीच तनाव को और बढ़ा दिया है।
  • दोनों देशों के बीच खुली सीमा के कारण अवैध प्रवास और तस्करी के मामले भी बढ़ रहे हैं।
  • कालापानी-लिम्पियाधुरा-लिपुलेख ट्राय जंक्शन को लेकर नेपाल ने भारत पर सीमा संबंधी नक्शे को लेकर विवाद।
  • भारत का तर्क है कि यह क्षेत्र उसके इलाके का हिस्सा है और 1960 के दशक से ही भारत ने वहां सैन्य उपस्थिति बनाए रखी है। पूर्व में नेपाल के नवलपरासी जिले के दक्षिणी इलाके में स्थित सुस्ता क्षेत्र को लेकर भी विवाद है। इस इलाके पर भारत और नेपाल दोनों दावा करते हैं।
  • पानी का बंटवारा नेपाल और भारत के बीच विवादों का एक प्रमुख कारण रहा है। दोनों देश कई नदियों को साझा करते हैं जिनमें कोशी, गंडकी और महाकाली शामिल हैं और इन जल संसाधनों को साझा करने को लेकर कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए हैं। नेपाल भारत पर शुष्क मौसम के दौरान पानी रोके रखने का आरोप लगाता रहा है जबकि भारत, नेपाल की पनबिजली परियोजनाओं के चलते निचली आबादी पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर चिंता जताता रहा है।
  • कई बार नेपाल ने भारत पर नेपाल के क्षेत्रों का अतिक्रमण करने का आरोप लगाया है। खास तौर पर सीमावर्ती क्षेत्रों में जहां सीमा की परिभाषा अस्पष्ट है। नतीजतन, दोनों देशों की सीमा बलों के बीच कभी-कभी झड़पें होती रहती हैं। नेपाल के विश्लेषकों का यह भी कहना है कि लक्ष्मणपुर, रसियावल-खुरलोटन, महालीसागर, कोहलावास और कुनौली जैसे विभिन्न स्थानों पर भारत निर्मित बांधों और तटबंधों के कारण हर साल यह क्षेत्र मानसून के मौसम में भारी बाढ़ आती है। हालांकि, बाढ़ से भारत में भी खूब तबाही होती है।
  • 2015 में भारत और नेपाल के संबंधों में दरार आ गई, जब भारत को पहली बार नेपाल में संविधान के मसौदे में हस्तक्षेप करने के लिए दोषी ठहराया गया।
  • मधेसियों के मुद्दे में "अनौपचारिक नाकेबंदी" के लिए भारत को भी दोषी ठहराया गया था, इससे देश के खिलाफ व्यापक आक्रोश पैदा हुआ और भारत नेपाल संबंधों में और गिरावट आयी।
  • नेपाल में राजनेताओं ने नेपाली राष्ट्रवाद और भारतीय विरोधीवाद का सफलतापूर्वक शोषण किया।

सीमा विवाद:

  • नेपाल और भारत के बीच की सीमा 1,700 किलोमीटर से अधिक लंबी है। नेपाल, भारत के 5 राज्यों सिक्किम, पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के साथ सीमा साझा करता है। 
  • दोनों देशों की सीमा मुख्य रूप से ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी और नेपाल साम्राज्य के बीच हुई 1816 की सुगौली संधि पर आधारित है। इस संधि ने दोनों देशों के बीच की सीमा को परिभाषित किया है और इसके बाद की संधियों और समझौतों ने सीमा को और अधिक वर्णित किया है।
  • सुगौली संधि के अनुच्छेद पांच में पश्चिमी सीमा के रूप में महाकाली नदी (या संधि में वर्णित काली नदी) का उल्लेख है। यह संधि महाकाली नदी की उत्पत्ति के बारे में तो कुछ नहीं बताती है, लेकिन हाइड्रोग्राफिक अध्ययन से पता चलता है कि लिम्पियाधुरा इसकी उत्पत्ति का केंद्र है, जिससे यह भारत, नेपाल और चीन के बीच ट्राय-जंक्शन बन जाता है।

भारत-नेपाल संबंध:

भारत-नेपाल शांति और मित्रता संधि:

  • 1950 में हस्ताक्षरित इस संधि के प्रावधानों के अनुसार, लगभग 8 मिलियन नेपाली नागरिक भारत में रहकर भारतीय नागरिकों के समान सुविधाओं और अवसरों का लाभ उठाते हैं।

रक्षा सहयोग:

  • भारत उपकरण की आपूर्ति और प्रशिक्षण प्रदान करके नेपाल सेना (एनए) को उसके आधुनिकीकरण में सहायता कर रहा है।
  • 'भारत-नेपाल बटालियन-स्तरीय संयुक्त सैन्य अभ्यास सूर्य किरण' भारत और नेपाल में बारी-बारी से आयोजित किया जाता है।

कनेक्टिविटी और विकास साझेदारी:

  • भूमि से घिरा नेपाल वस्तुओं और सेवाओं के परिवहन के लिए भारत पर बहुत अधिक निर्भर है और समुद्र तक पहुंच भारत के माध्यम से होती है।
  • भारत तराई क्षेत्र में 10 सड़कों के उन्नयन के माध्यम से सीमा बुनियादी ढांचे के विकास में नेपाल की सहायता कर रहा है; जोगबनी-विराटनगर, जयनगर-बरदीबास में सीमा पार रेल संपर्क का विकास; और बीरगंज, विराटनगर, भैरहवा और नेपालगंज में एकीकृत जांच चौकियों की स्थापना।

ऊर्जा सहयोग:

  • बिजली की जरूरतों को पूरा करने के लिए 1971 से पावर एक्सचेंज समझौता
  • 'इलेक्ट्रिक पावर ट्रेड, क्रॉस-बॉर्डर ट्रांसमिशन इंटरकनेक्शन और ग्रिड कनेक्टिविटी' पर एक समझौते पर 2014 में हस्ताक्षर।

व्यापार और आर्थिक:

  • वित्त वर्ष 2019-20 में द्विपक्षीय व्यापार 7 बिलियन अमेरिकी डॉलर को पार करने के साथ, भारत नेपाल का सबसे बड़ा व्यापार भागीदार बना हुआ है।
  • पिछले 10 वर्षों में नेपाल को भारत का निर्यात 8 गुना से अधिक बढ़ गया है जबकि नेपाल से निर्यात लगभग दोगुना हो गया है।
  • नेपाल भारत का 11वां सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य है, जो 2014 में 28वें स्थान पर था।
  • वित्त वर्ष 2021-22 में, यह भारत के निर्यात का 2.34% था। भारत से निर्यात नेपाल की जीडीपी का लगभग 22% है।

महाकाली नदी पुल:

  • हाल ही में, भारतीय अनुदान सहायता के तहत धारचूला (भारत) को दार्चुला (नेपाल) से जोड़ने वाली महाकाली नदी पर एक मोटर योग्य पुल के निर्माण के लिए भारत और नेपाल के बीच एक समझौता किया गया था।

ऑपरेशन मैत्री और भूकंप के बाद पुनर्निर्माण सहायता:

  • नेपाल में 2015 के भूकंप के मद्देनजर, भारत सरकार ने नेपाल में अपना सबसे बड़ा आपदा राहत अभियान (ऑपरेशन मैत्री) चलाया था।

आगे की राह:

  • विदेश मंत्रियों के स्तर पर एक निश्चित अंतराल के दोनों देशों के मध्य द्विपक्षीय वार्ताएं जारी रहनी चाहिए।
  • नेपाल की चीन के साथ बढ़ती नजदीकियों को रोकने के लिए भारत को नेपाल में विभिन्न परियोजनाओं को अविलंब पूरा करना चाहिए।
  • भारत को नेपाल के साथ व्यापारिक द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करना चाहिए।
  • भारत को सीमा विवाद और काली नदी जल विवाद का प्रभावी समाधान करने नेपाली व्यक्तियों का विश्वास जीतने का प्रयास करना चाहिए।
  • भारत को नेपाल के साथ अपने प्राचीन ऐतिहासिक संबंधों को तीर्थयात्रा और पर्यटन गतिविधियों के माध्यम से पुनर्जीवित करना चाहिए।

निष्कर्ष:

भारत और नेपाल ने अपने सीमा विवादों के स्वीकार्य समाधान तलाशने के लिए पिछले कई वर्षों में कई दौर की बातचीत की है लेकिन प्रगति धीमी और छिटपुट रही है। वर्ष 1981 में दोनों देशों ने एक ज्वाइंट टेक्निकल लेवल बाउंड्री कमेटी का गठन किया, जिसे सर्वेक्षण करने और सीमा के इलाके को तय करने के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों का नक्शा बनाने का जिम्मा सौंपा गया था। इसके बावजूद दोनों देशों के बीच संबंधों में अभी भी तनाव के कुछ घटक मौजूद हैं, जिनमें से चीन प्रमुख है।

भारत को अपनी ‘नेवरहुड फर्स्ट’ नीति के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए द्विपक्षीय संवाद, मज़बूत आर्थिक संबंध और नेपाल के लोगों के प्रति अधिक संवेदनशीलता रखने जैसी राहों पर आगे बढ़ने की आवश्यकता है।

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मुख्य परीक्षा प्रश्न

भारत-नेपाल संबंधों में विवाद के प्रमुख कारणों एवं उनके समाधानों की विवेचना कीजिए।