वैश्विक विकास

वैश्विक विकास

संदर्भ:

केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग, उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण और कपड़ा मंत्री श्री पीयूष गोयल के अनुसार भारत 2047 तक वैश्विक विकास को प्रेरित करने वाला एक महाशक्ति बनने की राह पर है। लेकिन आपूर्ति पक्ष की बाधाएं, वित्तीय अपर्याप्तता, व्यापक आर्थिक अस्थिरता और पर्यावरणीय प्रभाव   जैसी चुनौतियां भारत के इस वैश्विक विकास में बाधाएं खड़ी कर सकती हैं।

वैश्विक विकास:

  • वैश्विक विकास एक जटिल और बहुआयामी प्रक्रिया है, जिसे किसी एक देश द्वारा अकेले पूरा नहीं किया जा सकता। इसमें विभिन्न देशों और क्षेत्रों की भागीदारी तथा सहयोग की आवश्यकता होती है।
  • वैश्विक विकास का सबसे महत्‍वपूर्ण लक्ष्य गरीबी और असमानता को दूर करना है।

वैश्विक विकास का महत्त्व:

  • इससे देशों के बीच सहयोग से संसाधनों का साझाकरण किया जा सकता है। इससे विकास संबंधी गतिविधियों को बढ़ावा देने और अधिक लोगों को लाभान्वित करने में मदद मिलती है।
  • विकास को बढ़ावा देने और लोगों के जीवन को बेहतर बनाने में सूचना प्रौद्योगिकी काफी मददगार साबित हो सकती है।
  • इसका उपयोग शिक्षा को अधिक सुलभ और प्रभावी बनाने के लिए किया जा सकता है। यह छात्रों को दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रमों में भाग लेने, आनलाइन पाठ्यक्रमों तक पहुंच बढ़ाने तथा अन्य छात्रों और शिक्षकों के साथ संवाद करने में मदद कर सकती है। इससे शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार हो सकता है।
  • सूचना और संचार प्रौद्योगिकी का उपयोग स्वास्थ्य देखभाल को अधिक सुलभ और प्रभावी बनाने के लिए भी किया जा सकता है।
  • इनके जरिए डाक्टर रोगियों को दूरस्थ परामर्श और आनलाइन स्वास्थ्य जानकारी प्रदान कर स्वास्थ्य देखभाल को बेहतर ढंग से प्रबंधित करने में मदद कर सकते हैं। इससे स्वास्थ्य सेवा की लागत कम होगी। इसका उपयोग व्यवसायों को अधिक कुशल और उत्पादक बनाने के लिए किया जा सकता है।
  • यह ग्राहकों के साथ संवाद के नए तरीके प्रदान कर व्यवसायों को नए बाजारों तक पहुंचने में मदद कर सकती है। इससे आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
  • इसका उपयोग सरकारी सेवाओं को अधिक सुलभ और पारदर्शी बनाने के लिए भी किया जा सकता है। इस प्रकार सूचना और संचार प्रौद्योगिकियां विकास को बढ़ावा देने के लिए एक शक्तिशाली उपकरण साबित हो सकती हैं।

विकास का नकारात्मक प्रभाव:

  • अत्यधिक विकास से पर्यावरण और जैव विविधता को नुकसान एवं क्षति पहुंचती है।
  • इससे जल, वायु और भूमि प्रदूषित होती होती है, पौधों और जानवरों की प्रजातियां विलुप्त हो सकती हैं।
  • प्राकृतिक संसाधनों के दोहन से जलवायु परिवर्तन होता है।

समाधान:

  • विकास गतिविधियों में प्राकृतिक संसाधनों के दुरुपयोग तथा अत्यधिक दोहन से बचना जरूरी है।
  • विकास के नकारात्मक प्रभाव से बचने के लिए पहले पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (ईआइए) किया जाना चाहिए।
  • पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (ईआइए) में विकासात्मक गतिविधियों का पर्यावरण पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभावों का आकलन किया जाता है। 
  • विकास की गतिविधियां सतत विकास सिद्धांतों के अनुरूप होनी चाहिए।
  • सतत विकास का अर्थ है ऐसी विकास गतिविधियां, जो वर्तमान पीढ़ी की आवश्यकताओं को पूरा करते हुए भावी पीढ़ियों के लिए भी संसाधनों को संरक्षित करें।
  • पर्यावरण अनुकूल प्रौद्योगिकियों के उपयोग से पर्यावरण पर दबाव कम किया जा सकता है।
  • इसके लिए सरकार, व्यवसाय, नागरिक और समाज सभी को मिलकर काम करने की जरूरत है, ताकि विकास को पर्यावरण के अनुकूल बनाया जा सके।
  • वैश्विक विकास के लिए देशों के बीच शांति बहुत आवश्यक है। शांतिपूर्ण वातावरण में ही विकास की गतिविधियों को सुचारु रूप से चलाया जा सकता है।

विकास में बाधा पहुंचाने वाले कारक:

  • युद्ध और संघर्ष: युद्ध और संघर्ष से विकास में लगे लोगों और संसाधनों का नुकसान होता और विकास में बाधा उत्पन्न होती है। युद्ध और संघर्ष से अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचता है, जिससे विकास के लिए आवश्यक निवेश और व्यापार प्रभावित होता है।
  • असमानता: आज भी दुनिया में लाखों लोग गरीबी में जी रहे हैं और असमानता एक गंभीर समस्या है। उन लोगों के लिए अवसर पैदा करने की जरूरत है, जो सबसे पीछे हैं। पर्यावरणीय चुनौतियां, जैसे कि जलवायु परिवर्तन, वैश्विक विकास में बड़ी बाधा हैं। ये चुनौतियां विकासशील देशों को सबसे अधिक प्रभावित करती हैं।
  • तकनीकी चुनौतियां: तकनीकी चुनौतियां भी वैश्विक विकास में बाधा डाल सकती हैं। विकास के लिए, नवाचार और अनुसंधान के लिए धन की कमी एक समस्या हो सकती है।

निष्कर्ष:

वैश्विक विकास के लिए मानव जाति को अपने संकीर्ण स्वार्थों से ऊपर उठकर यह समझना चाहिए कि हम सब एक ही ग्रह पर रहते हैं और हमारे हित एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। इसलिए हमें सार्वभौमिक मूल्यों और सिद्धांतों को अपनाना चाहिए, जैसे कि शांति, न्याय, समानता और पर्यावरण संरक्षण। वैश्विक विकास के लिए, विभिन्न देशों के बीच शांति और सहयोग आवश्यक है।

इस बार के जी20 की विषय-वस्तु ‘एक पृथ्वी, एक परिवार और एक भविष्य’ रखी गई थी। यह प्राचीन भारतीय दर्शन से प्रेरित है, जिसमें वसुधैव कुटुम्बकम की अवधारणा शामिल है। इसका अर्थ है कि पूरी दुनिया एक परिवार है। ‘एक पृथ्वी, एक परिवार और एक भविष्य’ का नारा इस विचार को आगे बढ़ाता है कि हम सभी एक ही पृथ्वी पर रहते हैं और हमें एक साथ मिलकर काम करना चाहिए, ताकि यह ग्रह स्वस्थ और टिकाऊ बना रहे।

                                                    -------------------------

मुख्य परीक्षा प्रश्न

मानव जाति वैश्विक विकास की चुनौतियों का समाधान करने और एक बेहतर भविष्य बनाने के लिए एक साथ मिलकर काम कर सकती है। विवेचना कीजिए।