ज़पोरिज़िया परमाणु ऊर्जा संयंत्र

ज़पोरिज़िया परमाणु ऊर्जा संयंत्र

GS-3: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

 (IAS/UPPCS)

प्रीलिम्स के लिए प्रासंगिक:

ज़पोरिज़िया परमाणु ऊर्जा संयंत्र, कुडानकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र, भवनी’ (Bhavni) संयंत्र, प्रेशराइज़्ड हैवी वाटर रिएक्‍टर और लाइट वाटर रिएक्टर में अंतर, चेर्नोबिल आपदा।

मेंस के लिए प्रासंगिक:

ज़पोरिज़िया परमाणु ऊर्जा संयंत्र के बारे में, रुस-यूक्रेन युद्ध, भारत में परमाणु ऊर्जा संयंत्र, परमाणु ऊर्जा संयंत्रों से संबंधित चिंताएँ , निष्कर्ष।

10/04/2024

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

न्यूज़ में क्यों:

हाल ही में, रूस-नियंत्रित ज़पोरीज़िया परमाणु ऊर्जा संयंत्र(Nuclear Power Plant - NPP) के छह परमाणु रिएक्टर में से एक पर किए गए ड्रोन हमले के कारण ‘‘बड़ी परमाणु दुर्घटना होने का खतरा काफी बढ़ गया है।

  • यह परमाणु हमला यूक्रेन और रूस के बीच चल रहे संघर्ष का परिणाम है। संयुक्त राष्ट्र की परमाणु निगरानी एजेंसी- अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के प्रमुख राफेल मारियानो ग्रोसी के अनुसार नवंबर 2022 में रेडियोलॉजी संबंधी गंभीर परमाणु दुर्घटना से बचने के लिए पांच बुनियादी सिद्धांत निर्धारित के बाद यह पहला ऐसा हमला है, जिसके गंभीर परिणाम हो सकते थे।
  • इस घटनाक्रम के बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की एक आपातकालीन बैठक की गई।

 ज़पोरिज़िया परमाणु ऊर्जा संयंत्र के बारे में:

प्रमुख बिंदु:

  • यह यूरोप में सबसे बड़े परमाणु ऊर्जा संयंत्र के रूप में स्थापित है।
  • ज़पोरिज़िया परमाणु ऊर्जा संयंत्र यूक्रेन में स्थित चार ऑपरेटिंग परमाणु ऊर्जा संयत्रों में से एक है और वर्ष 1984 से कार्यरत है।

अनुप्रयुक्त रिएक्टर:

  • इस परमाणु संयंत्र में लाइट वाटर रिएक्टर (Light Water Reactor) प्रयुक्त किया गया है जिसमें साधारण जल का  मॉडरेटर और शीतलक के रूप में उपयोग किया जाता है।

विद्युत उत्पादन क्षमता:

  •  ज़पोरिज़िया एनपीपी (Zaporizhzhya NPP) में वर्ष 1984 से वर्ष 1995 के मध्य कमीशन की गई छह प्रेशराइज़्ड वाटर रिएक्टर (Pressurised Water Reactor- PWR) इकाइयाँ शामिल हैं, जिनमें से प्रत्येक की कुल विद्युत क्षमता 1,000 MW है।
  • यह यूक्रेन के सभी एनपीपी द्वारा उत्पादित कुल विद्युत का लगभग 40% और यूक्रेन के वार्षिक विद्युत उत्पादन के पांचवें हिस्से का योगदान करता है।

अवस्थिति:

  • ज़पोरीज़िया दक्षिण-पूर्वी यूक्रेन में एनर्जोदर के पास स्थित है। यह नीपर नदी के तट पर स्थित है जो विवादित डोनबास क्षेत्र (Donbas Region) से केवल 200 किलोमीटर दूर है जहां रूस समर्थित अलगाववादी और यूक्रेनी सेना के बीच युद्ध जारी है।

 स्वामित्व:

  • इस परमाणु ऊर्जा संयंत्र का स्वामित्व और संचालन एनर्जोएटम यूक्रेन की राज्य के स्वामित्व वाली परमाणु ऊर्जा उत्पादन कंपनी के पास था।
  • रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान रूसी सेना द्वारा ज़पोरिज़िया परमाणु ऊर्जा संयंत्र (Zaporizhzhia Nuclear Power Plant) को अपने नियंत्रण में ले लिया गया है।

निगरानी:

  • अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA), वैश्विक परमाणु निगरानी संस्था, संयंत्र को तकनीकी सहायता प्रदान करती है और अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा मानकों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिये निरीक्षण करती है।

 

प्रेशराइज़्ड हैवी वाटर रिएक्‍टर और लाइट वाटर रिएक्टर में अंतर:

  • लाइट वाटर रिएक्टर (Light Water Reactor) में साधारण जल का  मॉडरेटर और शीतलक के रूप में उपयोग किया जाता है।
  • PWR प्लांट विश्व में सबसे सामान्य प्रकार का परमाणु ऊर्जा रिएक्टर है।
  • प्रेशराइज़्ड हैवी वाटर रिएक्‍टर  (PHWRs) प्राकृतिक यूरेनियम द्वारा संचालित होते हैं, जबकि लाइट वाटर रिएक्टर (LWR) कम समृद्ध यूरेनियम द्वारा संचालित होते हैं।
  • एक PWR  में दो जल प्रणालियाँ शामिल होती हैं। एक को रिएक्टर (प्राथमिक) प्रणाली कहा जाता है जो रिएक्टर में उत्पन्न ऊष्मा को पुनः प्राप्त करता है और दूसरे को टर्बाइन (द्वितीयक) प्रणाली कहा जाता है जिसमें रिएक्टर की ऊष्मा से उत्पन्न भाप द्वारा  विद्युत शक्ति उत्पन्न की जाती है।

परमाणु ऊर्जा संयंत्रों से संबंधित चिंताएँ:

  • परमाणु ऊर्जा संयंत्रों पर हमले अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून, विशेष रूप से जिनेवा कन्वेंशन के अतिरिक्त प्रोटोकॉल I के अनुच्छेद 56 के विपरीत हैं।
  • कन्वेंशन का अतिरिक्त प्रोटोकॉल I: खतरनाक कार्यों और प्रतिष्ठानों की सुरक्षा।
  • 1986 में चेर्नोबिल आपदा भी इस बात की याद दिलाती है कि सभी परमाणु ऊर्जा संयंत्रों में सुरक्षा और सुरक्षा के उच्चतम मानकों को सुनिश्चित करना क्यों महत्त्वपूर्ण है।

चेर्नोबिल आपदा:

  • 1986 में चेर्नोबिल दुर्घटना एक दोषपूर्ण रिएक्टर का परिणाम थी जिसे अपर्याप्त प्रशिक्षित कर्मियों के साथ संचालित किया जा रहा था।
  • परिणामस्वरूप विस्फोट की वाष्प और आग से रिएक्टर के विनाश ने यूरोप के कई हिस्सों में रेडियोधर्मी सामग्री के जमाव के साथ, कम-से-कम 5% रेडियोधर्मी रिएक्टर सामग्री पर्यावरण में मिल गई थी।
  • यह आपदा वाणिज्यिक परमाणु ऊर्जा के इतिहास में एकमात्र दुर्घटना थी जहाँ विकिरण के कारण मौतें हुई थीं।
  • दुर्घटना की रात विस्फोट के कारण चेर्नोबिल संयंत्र के दो श्रमिकों की मृत्यु हो गई तथा तीव्र विकिरण सिंड्रोम के परिणामस्वरूप कुछ हफ्तों के भीतर 28 और लोगों की मृत्यु हो गई।
  • दुर्घटना के परिणामस्वरूप इस क्षेत्र से लगभग 3,50,000 लोगों को वहाँ से निकाला गया था, लेकिन जिन क्षेत्रों के लोगों को स्थानांतरित किया गया था, उनका पुनर्वास जारी है।

भारत में परमाणु ऊर्जा संयंत्र के विकास की दिशा में प्रमुख पहल:

  • परमाणु ऊर्जा भारत में विद्युत का पाँचवाँ सबसे बड़ा स्रोत है, जो देश के कुल बिजली उत्पादन में लगभग 2% का योगदान देता है।
  • भारत के पास वर्तमान में देश भर में 7 बिजली संयंत्रों में 22 से अधिक परमाणु रिएक्टर सक्रिय हैं, जो कुल मिलाकर 6,780 मेगावाट परमाणु ऊर्जा का उत्पादन करते हैं।
  • इन रिएक्टरों में से 18 दाबित भारी जल रिएक्टर (Pressurized Heavy Water Reactors- PHWRs) और 4 हल्के जल रिएक्टर (Light Water Reactors- LWRs) हैं।

कुडानकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र:

  • 26 दिसंबर, 2023 से भारत रूस की मदद से कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र के विकसित करने की योजना पर कार्य कर रहा है।
  • कुडानकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र का निर्माण मार्च 2002 में तमिलनाडु में शुरू किया गया था।
  • फरवरी 2016 से कुडनकुलम एनपीपी की पहली बिजली इकाई 1,000 मेगावाट की क्षमता से कार्य कर रही है। संयंत्र के वर्ष, 2027 तक पूरी क्षमता से काम शुरू करने की उम्मीद है।

काकरापार परमाणु ऊर्जा परियोजना (KAPP-3)

  • जनवरी 2021 में काकरापार परमाणु ऊर्जा परियोजना (KAPP-3) को ग्रिड से जोड़ दिया गया जो भारत की पहली 700 MWe की इकाई है और PHWR का सबसे बड़ा स्वदेशी रूप से विकसित संस्करण है।

NPCIL और NTPC का संयुक्त प्रयास

  • भारत सरकार ने भारत के परमाणु कार्यक्रम को आगे बढ़ाने के लिये न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (NPCIL) और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (PSUs) के बीच संयुक्त उद्यम की अनुमति प्रदान की है।
  • NPCIL नेशनल थर्मल पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (NTPC) और इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (IOCL) के साथ संयुक्त उद्यम क्रियान्वित कर रहा है।
  • सरकार देश के अन्य हिस्सों में भी परमाणु प्रतिष्ठानों के विस्तार को बढ़ावा दे रही है। उदाहरण के लिये, निकट भविष्य में हरियाणा के गोरखपुर शहर में एक परमाणु ऊर्जा संयंत्र का संचालन शुरू हो जाएगा।

भवनी’ (Bhavni) संयंत्र:

  • भारत एक पूरी तरह से स्वदेशी थोरियम-आधारित परमाणु संयंत्र ‘भवनी’ (Bhavni) पर भी कार्य कर रहा है, जो यूरेनियम-233 का उपयोग करने वाला अपनी तरह का पहला संयंत्र होगा। प्रायोगिक थोरियम संयंत्र ‘कामिनी’ पहले से ही कलपक्कम में मौजूद है।

निष्कर्ष:

ज़पोरिज़िया परमाणु संयंत्र पर बार-बार गोलाबारी से यूरोप के नागरिकों के जानमाल का एक बड़ा खतरा है और इसके लिए यूक्रेन और रूस दोनों को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। दोनों देशों द्वारा जेनेवा कन्वेंशन प्रोटोकाल का पालन किया जाना चाहिए जो पहले से दोनों देशों द्वारा हस्ताक्षरित है।

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मुख्य परीक्षा प्रश्न:

वर्तमान में ज़पोरिज़िया परमाणु ऊर्जा संयंत्र ड्रोन हमले के कारण चर्चा में है। टिप्पणी कीजिए।

भारत में परमाणु ऊर्जा संयंत्र के विकास की दिशा में प्रमुख पहलों पर चर्चा कीजिए