राज्य ऊर्जा दक्षता सूचकांक 2021-22

राज्य ऊर्जा दक्षता सूचकांक 2021-22

ख़बरों में क्यों :

  • हाल ही में, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने राज्य ऊर्जा दक्षता सूचकांक (एसईईआई)2021-22 रिपोर्ट जारी की।

रिपोर्ट से संबंधित प्रमुख बिंदु :

राज्य ऊर्जा दक्षता सूचकांक :

  • यहसूचकांक ऊर्जा-कुशल अर्थव्यवस्था गठबंधन (ईईई) और ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (बीईई) के सहयोग से विकसित किया गया।
  • यह सूचकांक वर्ष2021-22 में राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के अनुरूप 50 संकेतकों का एक समसामयिकफ्रेमवर्क है। 
  • राज्य स्तरीय ऊर्जा दक्षता पहलों के परिणामों और प्रभावों की निगरानी के लिए इस वर्ष कार्यक्रम-विशिष्ट संकेतक शामिल किए गए हैं। 
  • इस सूचकांक में 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की उनकी ऊर्जा दक्षता प्रगति का आकलन किया गया है।
  • राज्यों को उनके प्रयासों और उपलब्धियों के आधार पर, 'फ्रंट रनर', 'अचीवर', 'कंटेंडर' और 'एस्पिरेंट' के रूप में वर्गीकृत किया गया है।

उद्देश्य:  

  • यह राज्यों को सुधार के लिए क्षेत्रों की पहचान करने, सर्वोत्तम तौर-तरीकों से सीखने और ऊर्जा दक्षता कार्यान्वयन के लिए अर्थव्यवस्था अनुरूप दृष्टिकोण अपनाने में सहायता करना।
  • ऊर्जा दक्षता को प्राथमिकता देकर, इसका उद्देश्य कार्बनीकरण में कमी लाने के प्रयासों का संचालन करना और अधिक स्थायी भविष्य हासिल करना है।
  • सूचकांक को ऊर्जा बचत और उत्सर्जन में कमी लाने से जुड़े राज्य के लक्ष्यों की दिशा में प्रगति की निगरानी में मदद करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

राज्यऊर्जा दक्षता सूचकांक2021-22 की मुख्य विशेषताएं :

  • राज्‍य ऊर्जा दक्षता सूचकांक-एसईईआई में शीर्ष स्थान पाने वाले राज्यों में आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल, राजस्थान और तेलंगाना हैं। 
  • चार राज्य असम, हरियाणा, महाराष्ट्र और पंजाब 50 और 60 के बीच स्कोर के साथ अचीवर श्रेणी में हैं। 
  • इसके अलावा, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, असम और चंडीगढ़ अपने-अपने राज्य समूहों में शीर्ष प्रदर्शन करने वाले राज्य हैं। 
  • इसके अलावा, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, असम और चंडीगढ़ अपने-अपने राज्य-समूहों में शीर्ष प्रदर्शन करने वाले राज्य हैं।
  • तेलंगाना और आंध्र प्रदेश ने पिछले सूचकांक के बाद से सबसे अधिक सुधार दर्ज किये हैं।

इससूचकांक का महत्व: 

  • यह सूचकांक डेटा संग्रह में सुधार करता है, राज्यों के आपसी सहयोग को सक्षम बनाता है और ऊर्जा दक्षता कार्यक्रम के विचारों को विकसित करता है। 
  • यह राज्यों को सुधार के लिए क्षेत्रों की पहचान करने, सर्वोत्तम तौर-तरीकों से सीखने और ऊर्जा दक्षता कार्यान्वयन के लिए अर्थव्यवस्था अनुरूप दृष्टिकोण अपनाने में मदद करता है।
  • ऊर्जा दक्षता को प्राथमिकता देकर, इसका उद्देश्य कार्बनीकरण में कमी लाने के प्रयासों का संचालन करना और अधिक स्थायी भविष्य हासिल करना है।

रिपोर्ट की प्रमुख सिफारिशें :

  • यह सूचकांक ऊर्जा बचत और उत्सर्जन में कमी लाने से जुड़े राज्य के लक्ष्यों की दिशा में प्रगति की निगरानी में मदद करने के लिए डिज़ाइन किया गया है । 
  • इस सूचकांक में राज्यों को उर्जा दक्षता में परिवर्तन करने में मदद करने के लिए निम्नलिखित अनुशंसाओं की रूपरेखा तैयार की गई है, जो सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) और राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) के लक्ष्यों को पूरा करने में योगदान देंगी
  • विशेष ध्यान वाले क्षेत्रों में ऊर्जा दक्षता के लिए वित्तीय सहायता को सक्षम करना। 
  • ऊर्जा दक्षता कार्यान्वयन में उभरती जरूरतों और चुनौतियों का समाधान करने के लिए राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में संस्थागत क्षमता विकसित करना। 
  • राज्यों में बड़े पैमाने पर ऊर्जा दक्षता कार्यान्वयन में वित्तीय संस्थानों, ऊर्जा सेवा कंपनियों और ऊर्जा पेशेवरों में आपसी सहयोग को बढ़ाना। 
  • सभी क्षेत्रों के लिए ऊर्जा डेटा रिपोर्टिंग और निगरानी को मुख्यधारा में लाना। 

ऊर्जा दक्षता ब्यूरो के बारे में :

  • भारत सरकार द्वाराऊर्जा संरक्षण अधिनियम, 2001के प्रावधानों के तहत 1 मार्च 2002को ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (बीईई) की स्थापना की गयीथी।
  • इसका उद्देश्य ऊर्जा संरक्षण अधिनियम, 2001 के प्रावधानों के अंतर्गत स्व-नियमन और बाजार सिद्धांतों पर जोर देने के साथ नीतियों और रणनीतियों को विकसित करने में सहायता करना है।
  • ऊर्जा संरक्षण अधिनियम के तहत सौंपे गए कार्यों को पूरा करने के लिए,ऊर्जा दक्षता ब्यूरो नामित उपभोक्ताओं, नामित एजेंसियों और अन्य संगठनों के साथ समन्वय करता है और मौजूदा संसाधनों और अवसंरचनाओं की पहचान करता है, उन्हें मान्यता देता है और उनका उपयोग करता है। 
  • ऊर्जा संरक्षण अधिनियम, 2001 के अंतर्गत यहविनियामक और प्रचार कार्य भी करता है।

निष्कर्ष :

  • चूँकिभारत ने राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी)केलक्ष्यों को प्राप्त करने और 2070 तक शुद्ध-शून्यअर्थव्यवस्था की दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रतिबद्धतानिर्धारित की है। इसलिए केंद्र और राज्य सरकारों के बीच सहयोग, विवेकपूर्ण संसाधन आवंटन, नीति संरेखण और प्रगति की नियमित निगरानी करनेकी विशेषआवश्यकता है। 
  • राज्य ऊर्जा दक्षता सूचकांक, राज्यों और भारत के ऊर्जा फुटप्रिंट के प्रबंधन तथा राज्य और स्थानीय स्तर पर ऊर्जा दक्षता नीतियों और कार्यक्रमों के संचालन की प्रगति की निगरानी करता है।

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