संयुक्त राष्ट्र महासभा: अंतर्राष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष 2023

संयुक्त राष्ट्र महासभा: अंतर्राष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष 2023

संदर्भ:

  •  हाल ही के दिनों में, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने भारत सरकार द्वारा प्रस्तावित अंतर्राष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष 2023 को स्वीकार कर लिया है। 
  • इसने भारत सरकार को अंतर्राष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष 2023 का जश्न मनाने और भारत को बाजरा के वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करने का अवसर दिया है। 
  •  भारत के प्रधानमंत्री ने संपूर्ण भारत में अंतर्राष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष 2023 को “जन आंदोलन” के रूप में मनाने का आह्वान किया है।

मोटा अनाज क्या है:

  •  मोटे अनाज छोटे बीज वाली घास हैं जिन्हें प्रायः “पोषक अनाज” कहा जाता है। मोटा अनाज को पोषक तत्वों का भंडार माना जाता है।
  •  बीटा-कैरोटीन, नाइयासिन, विटामिन-बी6, फोलिक एसिड, पोटेशियम, मैग्नीशियम, जस्ता आदि से भरपूर इन अनाजों को सुपरफूड भी कहा जाता है।
  •  ज्वार, बाजरा, रागी (मडुआ), मक्का, जौ, कोदो, सामा, बाजरा, सांवा, लघु धान्य या कुटकी, कांगनी और चीना जैसे अनाज मिलेट्स यानी मोटा अनाज होते हैं।

मोटे अनाज का महत्व और लाभ:

 

  •  मोटे अनाज उच्च प्रोटीन स्तर और अधिक संतुलित अमीनो एसिड प्रोफाइल के कारण गेहूं और चावल से अधिक पौष्टिक होते हैं।
  •  इनमें विभिन्न फाइटोकेमिकल्स भी होते हैं जिनमें एंटी-ऑक्सीडेटिव गुणों के कारण चिकित्सीय गुण होते हैं।
  •  जलवायु के अनुकूल होने के अलावा, बाजरे के दाने कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, आहार फाइबर और अच्छी गुणवत्ता वाले वसा जैसे पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं।
  •  मोटे अनाज अफ्रीका और एशिया में शुष्क भूमि वाले लाखों छोटे किसानों के लिए एक मुख्य अनाज की फसल के तरह उपयोग में लाए जाते हैं क्योंकि ये किसानों के लिए पोषण, आय और आजीविका जैसे कई प्रकार के लाभ प्रदान करते हैं। 
  •  मोटे अनाजों का उपयोग भोजन, फ़ीड, चारा, जैव ईंधन और शराब बनाने के लिए भी किया जाता है।
  •  ज्वार और बाजरा के रूप में चारे की खेती  मुख्य रूप से हरियाणा, पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में की जाती है।
  •  मोटे अनाज कम वर्षा वाले क्षेत्रों में लोगों के लिए रोज़गार देने में सहायता करते हैं।
  •  मोटे अनाजों पर अन्य फसलों की अपेक्षा जलवायु परिवर्तन का प्रभाव बहुत ही कम पड़ता है।
  •  मोटे अनाज खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में निर्यात की जाने वाली वस्तुओं के निर्माण हेतु अति महत्वपूर्ण होते हैं।

मोटे अनाज के लिए भारत की प्राथमिकता:

  •  वर्ष 2018 में, भारत ने मोटे अनाज को “पोषक अनाज” के रूप में ट्रेडमार्क किया था।
  •  भारत सरकार ने मोटे अनाजों की मांग को बढ़ाने के लिए वर्ष 2018 को मोटे अनाज का राष्ट्रीय वर्ष घोषित किया था।
  •  वैश्विक स्तर पर मोटे अनाज की बाजार में 2021 और 2026 के बीच 4.5% की वृद्धि होने की संभावना है।
  •  भारत सरकार ने मोटे अनाज के महत्व को पहचाना है और साथ ही संयुक्त राष्ट्र के कई सतत विकास लक्ष्यों को पूरा करने के लिए मोटे अनाज को प्राथमिकता भी दी है।
  •  भारत सरकार ने मोटे अनाज की मांग को बढाने हेतु बाजरा को सार्वजनिक वितरण प्रणाली में शामिल किया है।

मोटे अनाज उत्पादक राज्य:

 

  •  उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, राजस्थान, पुद्दुचेरी, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश आदि।
  •  वर्तमान में भारत में लगभग 50 मिलियन टन मोटे अनाज का उत्पादन किया जाता है।
  •  वर्तमान मक्का और बाजरा की सबसे अधिक खेती की जाती है।

----------------------------------------------------------------------

RACE IAS : Best ias coaching in lucknow has  covered this current affair topic.

 For more details please subscribe our youtube channel and see the video  by checking this URL :-Millet