
ख़बरों में “भारतीय मसाले”
ख़बरों में “भारतीय मसाले”
GS-3: भारतीय अर्थव्यवस्था
(IAS/UPPCS)
प्रीलिम्स के लिए प्रासंगिक:
भारतीय मसाला बोर्ड, एथिलीन ऑक्साइड, कैंसर, साल्मोनेला (Salmonella), टाइफाइड (Typhoid)और डायरिया।
मेंस के लिए प्रासंगिक:
भारतीय मसाले, मुद्दा, भारतीय मसाला परिदृश्य, चुनौतियां , आगे की राह, निष्कर्ष।
07/05/2024
स्रोत: TH
ख़बरों में क्यों:
भारतीय मसाले हाल ही में कैंसर पैदा करने वाले कारकों की पुष्टि और प्रभावित गुणवत्ता के कारण ख़बरों में बने हुए हैं।
मुद्दा क्या है?
- हांगकांग और सिंगापुर ने अपने उत्पादों में कार्सिनोजेनिक रसायन एथिलीन ऑक्साइड का पता लगाने के बाद भारतीय लोकप्रिय ब्रांड एमडीएच और एवरेस्ट मसालों की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया।
- प्रतिबंध के बाद अमेरिका समेत कम से कम पांच देश भारतीय मसालों की जांच कर रहे हैं।
जहरीले रसायनों की पुष्टि:
एथिलीन ऑक्साइड:
- आरोप है कि भारतीय मसालों में जहरीले केमिल एथिलीन ऑक्साइड की मात्रा तय सीमा से अधिक है।
- एथिलीन ऑक्साइड का इस्तेमाल मसालों में फूड स्टेबलाइजर के रूप में होता है। लेकिन, इसका लंबे वक्त तक तय सीमा से अधिक सेवन करने पर कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है।
साल्मोनेला (Salmonella):
- अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) के मुताबिक़ भारत के कम से कम 30 मसाला उत्पाद में साल्मोनेला (Salmonella) मौजूद है।
- साल्मोनेला एक बैक्टीरिया है जो मानव की आंतों पर हमला करके टाइफाइड (Typhoid)और डायरिया जैसी गंभीर बीमारी के लिए उत्तरदायी हो सकता है।
- साल्मोनेला बैक्टीरिया अमूमन अंडा, बीफ और कच्चे मुर्गों में मिलता है। लेकिन, कई बार यह फल-सब्जियों और मनुष्यों के आंतों को भी अपना ठिकाना बना लेता है। ये बैक्टीरिया सांप, कछुए और छिपकली से भी फैलता है।
प्रतिबंध का प्रभाव:
- इस विवाद से अन्य उत्पाद जैसे प्रोटीन पेय, फलों के रस, स्वास्थ्य पेय और आयातित नेस्ले बेबी आदि आइटम भी शक के दायरे में आने की आशंका है।
- इस विवाद ने न केवल उत्पाद कंपनियों की खामियों की ओर दुनियाभर का ध्यान आकर्षित किया है, बल्कि इससे उपभोक्ताओं में स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं भी बढ़ गई हैं।
भारतीय मसाला बोर्ड की प्रतिक्रिया:
- प्रतिक्रिया स्वरुप, भारतीय मसाला बोर्ड ने विदेशों में भेजे जाने वाले उत्पादों का गंभीरता के साथ अनिवार्य परीक्षण शुरू कर दिया है ताकि विदेशी बाजारों में भारतीय मसाला संबंधी उत्पादों की मांग बनी रहे।
- गौरतलब है कि भारत में फूड आइटम्स में एथिलीन ऑक्साइड के उपयोग पर प्रतिबंध है। MDH और एवरेस्ट कंपनियों द्वारा किए गए दावा के मुताबिक़ किसी भी प्रोडक्ट्स में कोई भी हानिकारक तत्व नहीं है। और उनके उत्पाद सरकार से सभी जरूरी मंजूरी मिलने के बाद ही निर्यात किए जाते हैं।
भारतीय मसाला उद्योग परिदृश्य:
- भारत दुनिया का सबसे बड़ा मसाला उत्पादक है और यह मसालों का सबसे बड़ा उपभोक्ता और निर्यातक भी है।
उत्पादन:
- पिछले कुछ वर्षों में विभिन्न मसालों का उत्पादन तेजी से बढ़ रहा है।
- 2021-22 में 11.12 मिलियन टन की तुलना में 2022-23 में उत्पादन 11.14 मिलियन टन रहा।
- 2022-23 के दौरान, भारत से मसालों का निर्यात 2021-22 में 3.46 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 3.73 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया।
- भारत अंतर्राष्ट्रीय मानकीकरण संगठन (आईएसओ) द्वारा सूचीबद्ध 109 किस्मों में से लगभग 75 का उत्पादन करता है।
सर्वाधिक उत्पादित एवं निर्यातित मसाले :
- काली मिर्च, इलायची, मिर्च, अदरक, हल्दी, धनिया, जीरा, अजवाइन, सौंफ़, मेथी, लहसुन, जायफल और जावित्री, करी पाउडर, मसाला तेल और ओलियोरेसिन।
- इन मसालों में से मिर्च, जीरा, हल्दी, अदरक और धनिया कुल उत्पादन का लगभग 76% हिस्सा बनाते हैं।
मसाला उत्पादक राज्य:
- मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, महाराष्ट्र, असम, उड़ीसा, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और केरल।
निर्यात:
- 2023-24 में, भारत का मसाला निर्यात कुल $4.25 बिलियन था, जो वैश्विक मसाला निर्यात का 12% हिस्सा था।
- भारत ने 2023-24 (फरवरी 2024 तक) तक दुनिया भर में 159 गंतव्यों पर मसालों और मसाला उत्पादों का निर्यात किया।
- उनमें से शीर्ष गंतव्य चीन, अमेरिका, बांग्लादेश, संयुक्त अरब अमीरात, थाईलैंड, मलेशिया, इंडोनेशिया, यूके और श्रीलंका थे। इन नौ गंतव्यों में 2023-24 (फरवरी 2024 तक) की कुल निर्यात आय का 70% से अधिक हिस्सा शामिल था।
भारतीय मसाला बोर्ड के बारे में:
- यह भारतीय मसालों के विकास और विश्वव्यापी प्रचार के लिए प्रमुख संगठन है। इसकी स्थापना मसाला बोर्ड अधिनियम, 1986 द्वारा की गई थी।
- यह भारतीय निर्यातकों और विदेशों में आयातकों के बीच एक कड़ी के रूप में कार्य करता है।
मसालों का निर्यात विकास एवं संवर्धन:
- इसका उद्देश्य निर्यातक को उच्च तकनीक प्रसंस्करण प्रौद्योगिकियों को अपनाने और उद्योग के विकास के लिए प्रौद्योगिकी के मौजूदा स्तर को उन्नत करने और आयातक देशों के बदलते खाद्य सुरक्षा मानकों को पूरा करने में सहायता करना है।
मसाला प्रसंस्करण पार्क की स्थापना और रखरखाव:
- मसाला बोर्ड ने किसानों को उनकी उपज के लिए बेहतर मूल्य प्राप्ति और व्यापक पहुंच की सुविधा प्रदान करने के उद्देश्य से प्रमुख उत्पादन/बाजार केंद्रों में आठ फसल-विशिष्ट मसाला पार्क शुरू किए हैं।
भारतीय मसाला उद्योग के समक्ष चुनौतियां:
- भारतीय मसाला व्यापारियों और उत्पादकों को खाद्य सुरक्षा, स्थिरता और ट्रेसेबिलिटी जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
परिचालन:
- भारत का विविध खाद्य परिदृश्य, मानकीकृत रिकॉर्डकीपिंग की कमी और जानबूझकर खाद्य धोखाधड़ी निर्माताओं को सामग्री का कुशलतापूर्वक पता लगाने और संभावित जोखिमों का आकलन करने से रोक सकती है, जिससे संपूर्ण खाद्य आपूर्ति श्रृंखला की सुरक्षा से समझौता हो सकता है।
उत्पाद परीक्षण हेतु लैब का अभाव:
- हजारों करोड़ की मसाला इंडस्ट्री की गुणवत्ता मापने के लिए देश में सिर्फ 9 लैब है। अगर अमेरिका के रद्द किए गए आयातित खाद्य पदार्थों में भारत की हिस्सेदारी करीब 23 फीसदी है, तो इसकी एक बड़ी वजह लैब की कमी भी है।
- कम से कम 10 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में सरकारी या निजी अधिसूचित खाद्य परीक्षण प्रयोगशालाओं का अभाव है, जैसा कि एफएसएस अधिनियम के तहत अनिवार्य है।
- ये प्रयोगशालाएँ विभिन्न क्षेत्रों में असमान रूप से वितरित हैं; खाद्य सुरक्षा अधिकारियों की अपर्याप्त संख्या है; और संसाधन की कमी के कारण अप्रभावी रूप से कार्य करते हुए पाए गए।
पारदर्शिता और जवाबदेही की कमी:
- अनुपस्थित जवाबदेही और परिणामों का अर्थ अक्सर यह होता है कि प्रवर्तन एजेंसियां बेईमान खाद्य ऑपरेटरों को दंडित करने में विफल रहती हैं
- एफएसएस अधिनियम की धारा 59 के तहत, घटिया खाद्य पदार्थों को बेचने, भंडारण या निर्माण करने का दोषी पाए जाने वाले खाद्य व्यवसायों पर ₹3 लाख का जुर्माना और तीन महीने की जेल की सजा हो सकती है।
- एफएसएसएआई के संचालन में अक्सर पारदर्शिता की कमी होती है, जो "सुरक्षा मानकों को पूरा करने के प्रयासों", जवाबदेही और विश्वास बनाने में बाधा उत्पन्न करती है
- दूध और गुड़ जैसे उत्पादों में संदूषण को चिह्नित करने वाले सर्वेक्षणों के परिणामस्वरूप मिलावट की व्यापक प्रथा को सकारात्मक रूप से संबोधित नहीं किया जा सका है।
आगे की राह:
- भारत को अपने मसाला निर्यात के संबंध में गुणवत्ता के मुद्दे को तत्काल और पारदर्शिता के साथ संबोधित करना चाहिए अन्यथा गुणवत्ता संबंधी चिंताएं देश के आधे से अधिक मसाला शिपमेंट को खतरे में डाल सकती हैं।
- खाद्य उत्पादन और सुरक्षा उद्योग मानकों में सख्त नियामक उपायों और पारदर्शिता की आवश्यकता है।
- भारतीय मसालों में वैश्विक विश्वास की बहाली हेतु त्वरित जांच और निष्कर्षों का प्रकाशन कराया जाना चाहिए है।
- व्यक्तिगत घटनाओं पर प्रतिक्रियात्मक प्रतिक्रिया के बजाय सक्रिय निगरानी और प्रवर्तन के प्रति प्रतिबद्धता होनी चाहिए।
निष्कर्ष:
भारत दुनियाभर में सदियों से एक 'मसाला किंग' के तौर पर जाना जाता रहा है ऐसे इसकी इस छवि को बनाए रखने के लिए भारतीय वाणिज्य मंत्रालय और मसाला बोर्ड को रणनीतिक कदम उठाने की आवश्यकता है। हालांकि मसालों के उत्पादन और निर्यात में भारत अभी भी शीर्ष स्थान पर बना हुआ है।
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मुख्य परीक्षा प्रश्न:
भारतीय मसाला उद्योग परिदृश्य के आलोक में भारतीय मसाला प्रसंस्करण और निर्यात से संबंधित चुनौतियों के समाधान हेतु आगे की राह पर चर्चा कीजिए।