
ई-वाहन नीति, 2024
ई-वाहन नीति, 2024
GS-2: भारत सरकार की नीतियां
(यूपीएससी/राज्य पीएससी)
प्रिलिम्स के लिए महत्वपूर्ण:
FAME योजना, राष्ट्रीय इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन योजना (NEMMP), प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना, वाहन स्क्रैपेज नीति, गो इलेक्ट्रिक अभियान, EV30@30 अभियान।
मेन्स के लिए महत्वपूर्ण:
ई-वाहन नीति-2024: प्रमुख प्रावधान, इस नीति के संभावित प्रभाव एवं महत्त्व, ईवी को बढ़ावा देने के लिए सरकारी पहल, आगे की राह, निष्कर्ष।
21/03/2024
न्यूज़ में क्यों:
हाल ही में, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने भारत को इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण का एक वैश्विक केंद्र बनाने के लिए ई-वाहन नीति, 2024 को मंजूरी दी है।
ई-वाहन नीति, 2024:
प्रमुख बिंदु:
- 15 मार्च 2024 को लांच, यह नीति भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के विकास और अपनाने को बढ़ावा देने के लिए डिज़ाइन की गई है।
उद्देश्य:
- वैश्विक ईवी निर्माताओं द्वारा ई-वाहन क्षेत्र में भारी मात्रा निवेश को आकर्षित करना है।
- इच्छुक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कंपनियों को भारत में अपना विनिर्माण केंद्र स्थापित करने के लिए प्रेरित करना।
नीति से संबंधित प्रमुख प्रावधान:
- निवेश की सीमा: इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता कंपनी को न्यूनतम ₹ 4150 करोड़ का निवेश करना होगा, जबकि अधिकतम निवेश की कोई सीमा नहीं है।
- विनिर्माण केंद्र स्थापित करने की समय-सीमा: कंपनियों को तीन वर्ष के अंदर भारत में अपने विनिर्माण केंद्र स्थापित करने होंगे।
- स्वदेशी उपकरणों के उपयोग की बाध्यता: ईवी निर्माता कंपनियों को वाहन बनाने के लिए स्वदेशी बाजारों से 35% कल-पूर्जों का उपयोग करना अनिवार्य होगा।
- घरेलू मूल्य वर्धन (DVA) को बढ़ाने की अनिवार्यता: इन निर्माताओं को पांच वर्षों के भीतर घरेलू मूल्य वर्धन (DVA) के 50% तक पहुंचना होगा।
- नई नीति पूरी तरह विदेशों में तैयार ई-वाहन को भी भारत में आयात की अनुमति देती है।
- एक वर्ष में अधिकतम 8,000 ई- वाहनों का ही आयात किया जा सकता है।
- आयात शुल्क: ई-वाहनों पर आयात शुल्क घटाकर 15 प्रतिशत कर दिया जाएगा, यदि उनकी कीमत 35,000 डॉलर (लगभग 29 लाख रुपये) से अधिक नहीं है तो।
- वर्तमान में भारत सरकार भारत में लाए जाने वाले ई-वाहन पर 70 से 100% तक आयात कर लगाती है।
- ई-वाहन के कलपुर्जों (CKD) को देश में लाकर वाहन के असेंबल करने पर भी इतना ही आयात कर लगता था।
- कुल आयात किए गए वाहन पर आयात शुल्क की छूट उस कंपनी द्वारा भारत में की गई निवेश राशि या PLI योजना के तहत प्रदत्त प्रोत्साहन राशि में से जो भी कम हो, तक सीमित होगा।
नई EV नीति के संभावित प्रभाव:
- इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमतों में कमी: सब्सिडी बढ़ाने और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर का विस्तार करने से इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमतों में कमी आ सकती है। इससे इलेक्ट्रिक वाहन अधिक किफायती और सुलभ हो जाएंगे।
- इलेक्ट्रिक वाहनों पर सब्सिडी बढ़ाना: वर्तमान में, भारत सरकार इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों पर 20,000 रुपये और चार पहिया वाहनों पर 1.5 लाख रुपये तक की सब्सिडी प्रदान करती है। नई नीति में इन वाहनों की खरीद के लिए सब्सिडी को बढ़ाने की संभावना है जिससे सरकार पर अतिरिक्त आर्थिक भार बढ़ेगा।
- इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग में वृद्धि: इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमतों में कमी से इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग में वृद्धि हो सकती है। इससे भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के बाजार का विस्तार होगा।
- पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव: इलेक्ट्रिक वाहनों के बढ़ते उपयोग से वायु प्रदूषण में कमी आएगी। इससे भारत के पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
ई-वाहन नीति का महत्त्व:
- यह भारतीय उपभोक्ताओं को नवीनतम तकनीक तक पहुंचने में सहायता प्रदान करेगा।
- इससे उत्पादन की मात्रा में वृद्धि होगी।
- इससे उत्पादन लागत में कमी आएगी।
- कच्चे तेल के आयात में कमी आएगी।
- इससे मेक इन इंडिया कार्यक्रम को बढ़ावा मिलेगा।
- यह ईवी कंपनियों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देकर ईवी पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करेगा।
- इससे व्यापार घाटे में कमी आएगी।
- इससे महानगरों और शहरों में वायु प्रदूषण को कम किया जा सकेगा।
- इससे स्वास्थ्य और पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
इलेक्ट्रिक वाहन (EVs):
- परिभाषा: ईवी को एक वाहन है जिसे इंटरनल कंबस्शन इंजन के स्थान पर एक इलेक्ट्रिक मोटर द्वारा संचालित किया जा सकता है जो बैटरी से बिजली खींचता है और बाहरी स्रोत से चार्ज करने में सक्षम होता है। यह ईंधन और गैसों के मिश्रण को जलाकर विद्युत उत्पन्न करता है।
ईवी को बढ़ावा देने के लिए सरकारी पहल:
- FAME योजना: 1 अप्रैल, 2015 से लागू इस योजना का लक्ष्य इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रयोग करके प्रदूषण कम करना और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी लाना है।
- राष्ट्रीय इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन योजना (NEMMP): यह योजना वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान करके 2020 से साल दर साल हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक वाहनों की 6-7 मिलियन बिक्री हासिल करने का लक्ष्य निर्धारित करती है।
- प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना: यह योजना इलेक्ट्रिक वाहनों और घटकों के निर्माण के लिए प्रोत्साहन प्रदान करती है।
- वाहन स्क्रैपेज नीति: यह नीति पुराने वाहनों को स्क्रैप करने और नए इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद के लिए प्रोत्साहन प्रदान करती है।
- गो इलेक्ट्रिक अभियान: इस अभियान का उद्देश्य ईवी और ईवी चार्जिंग बुनियादी ढांचे के लाभों के बारे में जागरूकता पैदा करना है।
- EV30@30 अभियान: भारत वैश्विक EV30@30 अभियान का समर्थन करता है, जिसका लक्ष्य 2030 तक कम से कम 30% नए इलेक्ट्रिक वाहन की बिक्री करना है।
- चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर (एमओपी दिशानिर्देश): ऊर्जा मंत्रालय ने चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर (एमओपी दिशानिर्देश) के तहत कम से कम एक चार्जिंग स्टेशन 3 किमी के ग्रिड में और राजमार्गों के दोनों किनारों पर हर 25 किमी पर मौजूद होना चाहिए।
आगे की राह:
- इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर का विस्तार: सरकार देश भर में इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए चार्जिंग स्टेशनों के नेटवर्क का विस्तार करने के लिए प्रतिबद्ध है। नई नीति में इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए विशिष्ट उपाय शामिल होने की संभावना है।
- इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए मानदंडों को सख्त करना: सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों की दक्षता और सुरक्षा बढ़ाने के लिए मानदंडों को सख्त करने की योजना बना रही है। नई नीति में इन मानदंडों को शामिल करने की संभावना है।
निष्कर्ष:
भारत सरकार द्वारा 2024 में लॉन्च की गयी ‘नई इलेक्ट्रिक वाहन नीति’ भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के विकास और अपनाने को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। नीति के प्रभावी क्रियान्वयन से भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग में भारी वृद्धि हो सकती है और वायु प्रदूषण में कमी आ सकती है।
Source: Indian Express
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मुख्य परीक्षा प्रश्न:
ई-वाहन नीति, 2024 के प्रमुख प्रावधानों को स्पष्ट करते हुए इसके महत्त्व पर चर्चा कीजिए।