
केरल में “West Nile Fever” का प्रकोप
केरल में “West Nile Fever” का प्रकोप
GS-3: स्वास्थ्य
(IAS/UPPCS)
08/05/2024
स्रोत: TH
न्यूज़ में क्यों:
हाल ही में, केरल में वेस्ट नाइल बुखार को लेकर राज्य सरकार ने अलर्ट जारी किया है।
- मलप्पुरम, कोझिकोड और त्रिशूर जिलों में चिकित्सा परीक्षण के दौरान वेस्ट नाइल फ़ीवर की पुष्टि की गयी है।
West Nile Fever के बारे में:
- वेस्ट नाइल फीवर आमतौर पर पक्षियों में पाई जाने वाली एक जानलेवा बीमारी है।
- पक्षियों की डेड बॉडी से यह बीमारी मच्छरों तक पहुंचती है। और संक्रमित मच्छरों के काटने के कारण यह बीमारी एक मानव से दूसरे मानव में फैलने लगती है।
- यह विभिन्न प्रजातियों द्वारा फैलने वाली बीमारी है, जिसे प्राथमिक प्रजाति क्यूलेक्स पिपियन्स के रूप में जाना जाता है।
- वेस्ट नाइल वायरस कुछ दिनों से कई हफ्तों तक व्यक्ति के शरीर में रह सकता है। इस वायरस से संक्रमित 80 फीसद लोगों में कोई लक्षण नजर नहीं आते हैं।
- इसमें कुछ फ्लू जैसे लक्षण होते हैं और दुर्लभ मामलों में स्थायी रूप से न्यूरोलॉजिकल डैमेज भी हो सकता है।
- कुछ मामलों में वेस्ट नाइल फीवर से एन्सेफलाइटिस यानी मस्तिष्क में सूजन और मेनिनजाइटिस यानी रीढ़ की हड्डी में सूजन जैसी न्यूरोलॉजिकल समस्याएं देखने को मिल सकती हैं, जो मौत तक का कारण बन सकती हैं।
वेस्ट नाइल फीवर के लक्षण
- US सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक, इस फीवर के निम्नलिखित लक्षण हैं:
- बुखार आना
- उल्टी आना,
- दस्त आना
- अत्यधिक पसीना,
- सिरदर्द होना,
- मांसपेशियों में दर्द होना,
- चक्कर आना,
- याददाश्त कमजोर होना,
- मतली आना,
- शरीर पर लाल दाने आना।
इस बीमारी की पृष्ठभूमि:
- वेस्ट नाइल फीवर पहली बार 1937 में युगांडा में क्यूलेक्स जीनस प्रजाति के मच्छर के काटने से फैला था।
- 2019 में इस बीमारी से मलप्पुरम के एक छह वर्षीय लड़के की मौत हो गई थी।
- वहीं, 2022 में त्रिशूर जिले के एक 47 वर्षीय व्यक्ति की वेस्ट नाइल फीवर से मौत हुई थी।
रोकथाम और उपचार:
- वेस्ट नाइल वायरस के खिलाफ कोई दवा या टीका उपलब्ध नहीं है। उपचार में लक्षणों का प्रबंधन और सहायक देखभाल शामिल है।
- मच्छरों के काटने से बचना ही बचाव का सबसे अच्छा तरीका है। शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनना, मच्छरदानी का उपयोग करना, मच्छररोधी मलहम लगाना, मच्छरदानी और बिजली के मच्छररोधी उपकरणों का उपयोग करना प्रभावी है। मच्छर स्रोत को नष्ट करने से संक्रमण को रोका जा सकता है। स्वयं-चिकित्सा न करें क्योंकि इससे रोग जटिल हो सकता है।
- यदि शीघ्र उपचार किया जाए तो वेस्ट नाइल बुखार का इलाज संभव है।
मच्छर जनित बीमारियाँ:
- मच्छर जनित बीमारियाँ मच्छरों द्वारा प्रसारित बैक्टीरिया, वायरस या परजीवियों के कारण होने वाली बीमारियाँ हैं।
- प्रत्येक वर्ष लगभग 700 मिलियन लोगों को मच्छर जनित बीमारी होती है, जिसके परिणामस्वरूप दस मिलियन से अधिक मौतें होती हैं।
- मच्छरों से फैलने वाली बीमारियों में मलेरिया, डेंगू , वेस्ट नाइल वायरस, चिकनगुनिया, पीला बुखार , फाइलेरिया, टुलारेमिया, डायरोफिलेरियासिस, जापानी एन्सेफलाइटिस, सेंट लुइस एन्सेफलाइटिस, वेस्टर्न इक्वाइन एन्सेफलाइटिस, ईस्टर्न इक्वाइन एन्सेफलाइटिस, वेनेज़ुएला इक्वाइन एन्सेफलाइटिस और जीका बुखार शामिल हैं।
- जनवरी 2024 में, एक ऑस्ट्रेलियाई शोध समूह ने साबित किया कि माइकोबैक्टीरियम अल्सरन्स, बुरुली अल्सर का प्रेरक रोगज़नक़ मच्छरों द्वारा फैलता है। यह बैक्टीरिया से होने वाली बीमारी का मच्छर जनित संचरण का पहला मामला है।
राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम (NVBDCP):
- यह एक व्यापक कार्यक्रम है जो भारत सरकार द्वारा 2003-04 में जापानी एन्सेफलाइटिस (जेई), डेंगू, काला-अजार, लसीका फाइलेरिया, मलेरिया और चिकनगुनिया जैसी वेक्टर जनित बीमारियों को रोकने और नियंत्रित करने के लिए शुरू किया गया था।
- यह कार्यक्रम राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा लागू किया जाता है, जिसे राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) छतरी योजना के तहत नकदी और वस्तुओं के रूप में तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान करता है।
आगे की राह:
बेहतर स्वच्छता और बुनियादी ढाँचा:
- कुशल अपशिष्ट संग्रहण और निपटान शहरी क्षेत्रों में प्रजनन स्थलों को ख़त्म कर सकता है।
- उचित जल निकासी प्रणालियाँ स्थिर जल संचय जो मच्छरों के प्रजनन का एक प्रमुख स्रोत होता है, को रोक सकती हैं।
- समुदायों को स्वच्छ जल भंडारण समाधान प्रदान करने से खुले कंटेनरों जो मच्छरों को आकर्षित करते हैं, पर निर्भरता कम हो सकती है।
एकीकृत वेक्टर प्रबंधन (Integrated Vector Management- IVM):
- वेक्टर जनित रोग नियंत्रण हेतु राष्ट्रीय कार्यक्रम के कार्यान्वयन को त्वरित कर मच्छर से संबंधित चुनौतियों का समाधान करने के लिये एक व्यापक दृष्टिकोण लागू करने की आवश्यकता है जो जैविक नियंत्रण, कीटनाशक उपयोग और पर्यावरण प्रबंधन जैसी विभिन्न रणनीतियों का समावेश है।
सामुदायिक जुड़ाव और शिक्षा:
- शैक्षिक अभियानों के माध्यम से मच्छर नियंत्रण में सार्वजनिक जागरूकता और भागीदारी को बढ़ावा देना, निवारक उपायों पर बल देना तथा सामुदायिक भागीदारी को प्रोत्साहित करना।
निष्कर्ष:
भारत में मच्छर जनित बीमारियों से बचाव का सबसे अच्छा तरीका बेहतर जांच एवं निगरानी करना हो सकता है, जो जटिलताओं को रोकने के लिए डॉक्टरों को मरीजों तक जल्दी पहुंचने में मदद करेगा।
बीमारियों के प्रसार की रोकथाम हेतु अन्य राज्यों को निगरानी बढ़ाने के केरल मॉडल को अपनाना चाहिए।
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मुख्य परीक्षा प्रश्न:
West Nile Fever क्या है? भारत में मच्छर जनित बीमारियों की रोकथाम हेतु आगे की राह पर चर्चा कीजिए।