
नई मलेरिया वैक्सीन
नई मलेरिया वैक्सीन
को WHO की मंजूरी
यह टॉपिक आईएएस/पीसीएस की प्रारंभिक परीक्षा के करेंट अफेयर और मुख्य परीक्षा के सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-3 के विज्ञान एवं प्राद्योगिकी से संबंधित है
04 अक्टूबर, 2023
चर्चा में क्यों:
- हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने मलेरिया की दूसरी वैक्सीन को मंजूरी दी है।
प्रमुख बिंदु:
- WHO इस वैक्सीन को पहले ही तीन अफ्रीकी देशों घाना, नाइजीरिया और बुर्किना फासो में उपयोग के लिए मंजूरी दे चुका है।
- बच्चों में मलेरिया की रोकथाम हेतु इस दूसरी वैक्सीन का नाम “R21/Matrix-M” है।
- यह बच्चों में मलेरिया की रोकथाम हेतु WHO द्वारा अनुशंसित विश्व का दूसरा टीका बन गया है।
- गौरतलब है कि WHO ने 2021 में मलेरिया के पहले टीके RTS,S/AS01 को मंजूरी दी थी।
- यह वैक्सीन ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा विकसित और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा निर्मित की गई है।
- इस वैक्सीन के विकास में नोवावैक्स कंपनी की सहायक तकनीक का उपयोग किया गया है।
- ग़ौरतलब है कि Matrix-M घटक नोवावैक्स का एक मालिकाना सैपोनिन-आधारित सहायक है, जिसे स्थानिक देशों में उपयोग के लिए सीरम इंस्टीट्यूट को लाइसेंस दिया गया है।
- सीरम इंस्टिट्यूट पुणे के अनुसार, यह वैक्सीन 2024 से मार्केट में उपलब्ध हो जाएगी।
- इस वैक्सीन के एक डोज की कीमत 166 रुपए से 332 रुपए के बीच होगी।
- दुनिया के सबसे बड़े वैक्सीन निर्माता- सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के साथ हर साल 10 करोड़ डोज बनाने का एग्रीमेंट हो चुका है।
- अगर किसी व्यक्ति को मलेरिया है तो उसे इस वैक्सीन के 4 डोज लेने होंगे।
- WHO के डायरेक्टर जनरल डॉ. टेड्रोस एडनोम घेब्येयियस के अनुसार, RTS,S/AS01 और R21 में ज्यादा फर्क नहीं है। ये दोनों ही इफेक्टिव हैं।
- यह वैक्सीन प्लाज्मोडियम फैल्सिपेरम के प्रभाव को समाप्त कर देती है। प्लाज्मोडियम फैल्सिपेरम मलेरिया फैलाने वाले 5 पैरासाइट्स में से एक है और सबसे खतरनाक होता है।
- WHO के मुताबिक वैक्सीन से मलेरिया के हर 10 में से 4 मामले रोके जा सकते हैं और गंभीर मामलों में 10 में से 3 लोग बचाए जा सकते हैं।
मलेरिया से संबंधित मामले:
- WHO के अनुसार, 2019 में दुनियाभर में मलेरिया से 4.09 लाख मौतें हुई थीं, इनमें 67% यानी 2.74 वे बच्चे थे, जिनकी उम्र 5 साल से कम थी।
- भारत में 2019 में मलेरिया के 3 लाख 38 हजार 494 केस आए थे और 77 लोगों की मौत हुई थी। सबसे ज्यादा 384 मौतें 2015 में हुई थीं।
- WHO के अनुसार, मलेरिया के 95% मरीज सिर्फ अफ्रीका में हैं।
मलेरिया के बारे में:
- मलेरिया एक मच्छर जनित रक्त रोग (Mosquito Borne Blood Disease) है।
- मलेरिया एनाफिलीज़ नामक संक्रमित मादा मच्छर के काटने से शरीर फैलता है। इस मच्छर में एक खास प्रकार का जीवाणु पाया जाता है, जिसे मेडिकल भाषा में प्लाज़्मोडियम परजीवी (Plasmodium Parasites) कहते हैं।
- मानव शरीर में प्रवेश करने के बाद यकृत कोशिकाओं के भीतर इन परजीवियों में गुणात्मक वृद्धि होती है। ये परजीवी लाल रक्त कोशिकाओं (Red Blood Cells- RBC) को नष्ट कर देते हैं, जिसके परिणामस्वरूप RBCs की क्षति होती है।
- यह परजीवी (Parasites) मुख्य रूप से अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका और एशिया के उष्णकटिबंधीय एवं उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाया जाता है।
- इस रोग की रोकथाम और उपचार दोनों ही संभव हैं।
मलेरिया के प्रकार:
प्लास्मोडियम फाल्सीपेरम (P falciparum)
- इसमें मरीज बेहोश हो जाता है। उसे सिर दर्द के साथ ठंड लगने लगती है और लगातार उल्टियां शुरू हो जाती है। बुखार आने की भी संभावना होती है।
प्लास्मोडियम मलेरिया (P. malariae)
- यह मलेरिया प्लास्मोडियम फाल्सीपेरम की तुलना ज्यादा खतरनाक नहीं होता है। इसमें मरीज को हर चौथे दिन बुखार आने लगता है और उसके यूरिन से प्रोटीन निकलने लगता है। इस मलेरिया से शरीर में प्रोटीन की कमी हो जाती है।
प्लास्मोडियम विवैक्स (P. vivax)
- मलेरिया के अधिकतर रोगियों में यह प्रकार पाया जाता है। इसमें रोगी को कमर दर्द, हाथ दर्द, पैर दर्द, तेज बुखार, भूख न लगने आदि समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
प्लास्मोडियम ओवले (P. ovale)
- इसके कारण शरीर में टरसियन मलेरिया होता है।
प्लास्मोडियम नोलेसी (P. knowlesi)
- इससे पीड़ित व्यक्ति को ठंड लगने के साथ बुखार आने लगता है। इसमें सिर दर्द, भूख न लगना जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
मलेरिया के लक्षण
- लगातार बुखार आना।
- हाथ-पैर में ऐंठन महसूस होना।
- सिरदर्द के साथ बुखार आना।
- बुखार के साथ ठंड लगना।
- आंखें लाल होना।
- मल में खून आना।
मलेरिया नियंत्रण के प्रयास:
वैश्विक स्तर पर:
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने अपनी 'ई-2025 पहल' के अंतर्गत वर्ष 2025 तक मलेरिया उन्मूलन क्षमता वाले 25 देशों की पहचान की है।
- मलेरिया के लिये WHO की वैश्विक तकनीकी रणनीति 2016-2030 का उद्देश्य वर्ष 2020 तक मलेरिया के मामलों और मृत्यु दर को कम से कम 40%, 2025 तक कम से कम 75% और वर्ष 2015 की बेसलाइन के मुकाबले वर्ष 2030 तक कम से कम 90% तक कम करना है।
भारत:
- भारत में मलेरिया उन्मूलन के प्रयास वर्ष 2015 में शुरू किये गए थे
- वर्ष 2016 में, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने मलेरिया की रोकथाम हेतु नेशनल फ्रेमवर्क फॉर मलेरिया एलिमिनेशन (NFME) को लांच किया था।
- वर्तमान में NFME, WHO की वैश्विक तकनीकी रणनीति 2016–2030 (GTS) के तहत पूरे देश में लागू है।
- मलेरिया उन्मूलन हेतु जुलाई 2017 में राष्ट्रीय रणनीतिक योजना (2017-22) को शुरू किया गया था।
- यह योजना मलेरिया की स्थानिकता के आधार पर देश के विभिन्न हिस्सों में वर्ष-वार उन्मूलन का लक्ष्य प्रदान करती है।
- मलेरिया उन्मूलन हेतु जुलाई 2019 में ‘हाई बर्डन टू हाई इम्पैक्ट’ (High Burden to High Impact-HBHI) पहल को देश के चार राज्यों पश्चिम बंगाल, झारखंड, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश) में शुरू किया गया था।
- इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने मलेरिया उन्मूलन अनुसंधान गठबंधन-भारत (MERA-India) की स्थापना की है।
- मलेरिया उन्मूलन अनुसंधान गठबंधन-भारत (MERA-India) मलेरिया नियंत्रण पर काम करने वाले भागीदारों का एक समूह है।
WHO के बारे में:
- स्वास्थ्य क्षेत्र के लिये संयुक्त राष्ट्र एक निकाय के तौर पर यह एक अंतर-सरकारी संगठन है।
- ‘विश्व स्वास्थ्य संगठन’ (World Health Organization-WHO) की स्थापना वर्ष 1948 हुई थी।
- वर्तमान में WHO के डायरेक्टर जनरल डॉ. टेड्रोस एडनोम घेब्येयियस हैं
- वर्तमान में इसका मुख्यालय जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड में स्थित है।
- वर्तमान में इस संगठन के 194 सदस्य हैं।
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मुख्य परीक्षा प्रश्न
मलेरिया एक वैश्विक बीमारी है। इसकी रोकथाम हेतु वैश्विक स्तर पर किए गए प्रयासों की विवेचना कीजिए।