
राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन
राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन
मुख्य परीक्षा: सामान्य अध्ययन-3
(पर्यावरण संरक्षण)
चर्चा में क्यों?
- हाल ही में जल शक्ति मंत्रालय के राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) ने 638 करोड़ रुपये की आठ परियोजनाओं को मंजूरी दी।
मुख्य तथ्य :
- इनपरियोजनाओं में यमुना की एक सहायक नदी हिंडन नदी का कायाकल्प शामिल है, जिसका विस्तार देश में सबसे प्रदूषित में से एक है।
- इस क्लीन-अप में उत्तर प्रदेश के शामली जिले में प्रदूषण कम करने के लिए स्वीकृत ₹407.39 करोड़ की चार परियोजनाएँ शामिल हैं।
- उत्तर प्रदेश में 2025 में होने वाले महाकुंभ की तैयारियों के तहत एनएमसीजी की कार्यकारी समिति द्वाराप्रयागराज में सात घाटों के विकास की एक परियोजना को भी मंजूरी दी गई। इन घाटों में दशाश्वमेध घाट, किला घाट, नौकायन घाट, सरस्वती घाट, महेवा घाट, रसूलाबाद घाट और ज्ञान गंगा आश्रम शामिल हैं। इन घाटों में नहाने के लिए जगह, चेंजिंग रूम, यूनिवर्सल एक्सेस रैंप, पीने के पानी के बिंदु, फ्लड लाइट्स, कियोस्क और लैंडस्केपिंग जैसी सुविधाएं होंगी।
- बिहार में₹77.39 करोड़ की अनुमानित लागत से गंगा की सहायक किउल नदी में प्रदूषित पानी को स्वच्छ बनाया जाएगा।मध्य प्रदेश में, 92.78 करोड़ रुपये की लागत से यमुना की सहायक नदी क्षिप्रा नदीके प्रदूषण को दूर किया जाएगा ।
- हरिद्वार, उत्तराखंड के लिए घाट विकास की एक अन्य परियोजना को मंजूरी दी गई, जहां कुल 2.12 करोड़ रुपये की लागत से अखंड परम धाम घाट का निर्माण किया जाएगा।
राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशनके बारे में :
- इसमिशन को गंगा नदी के कायाकल्प, संरक्षण और प्रबंधन के लिएराष्ट्रीय गंगा परिषद द्वारा कार्यान्वित किया गया था। इसलिए इस मिशन को राष्ट्रीय गंगा परिषद भी कहा जाता है
- यह मिशन 12 अगस्त 2011 को सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के तहत एक पंजीकृत सोसायटी के रूप में स्थापित किया गया था।
- राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल राज्य में राज्य स्तरीय कार्यक्रम प्रबंधन समूहों द्वारा समर्थित है। यह वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान करके गंगा नदी के प्रदूषण को खत्म करने के लिए भारत सरकार कीएक पहल है।
इस मिशन के उद्देश्य:
- मिशन में मौजूदा सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट को पूर्व अवस्था में लाना और बढ़ावा देना तथा सीवेज के प्रवाह की जाँच के लिये रिवरफ्रंट के निकास बिंदुओं पर प्रदूषण को रोकने हेतु तत्काल अल्पकालिक कदम उठाना शामिल हैं।
- प्राकृतिक मौसम परिवर्तन में बदलाव के बिना जल प्रवाह की निरंतरता बनाए रखना।
- सतही प्रवाह और भूजल को बढ़ाना तथा उसे बनाए रखना।
- क्षेत्र की प्राकृतिक वनस्पतियों के पुनर्जीवन और उनका रखरखाव करना।
- गंगा नदी बेसिन की जलीय जैव विविधता के साथ-साथ तटवर्ती जैव विविधता को संरक्षित और पुनर्जीवित करना।
- नदी के संरक्षण, कायाकल्प और प्रबंधन की प्रक्रिया में जनता की भागीदारी की अनुमति देना।
एनएमसीजी के समक्ष चुनौतियां :
- खराब शासन: उचित निगरानी और पर्यवेक्षण की कमी के कारण कार्यक्रमों के तहत आवंटित धन का कम उपयोग होता है।
- ई-फ्लो नॉर्म्स का उल्लंघन: केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) के अनुसार, गंगा नदी की सहायक नदियों के ऊपरी इलाकों में 11 में से 4 जलविद्युत परियोजनाएं गंगा पारिस्थितिक प्रवाह (ई-फ्लो) मानदंडों का उल्लंघन कर रही हैं, जो प्राकृतिक प्रवाह को और बाधित कर रही हैं। नदी का।
- प्रदूषण:नदी की मुख्य धारा पर पाँच राज्यों (उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, झारखंड, बिहार और पश्चिम बंगाल) की उपस्थिति के कारण गंगा का अधिकांश भाग प्रदूषित है।कानपुर में टेनरियों से औद्योगिक प्रदूषण, कोसी, रामगंगा और काली नदी के जलग्रहण क्षेत्र में डिस्टिलरी, कागज और चीनी मिलों का प्रमुख योगदान है।
- अवैध निर्माण : नदी की तलहटी के पास अवैध और धड़ल्ले से हो रहे निर्माण की समस्या नदी की सफाई में एक बड़ी बाधा बन गई है।
नदियों के कायाकल्प से संबंधित पहलें:
- नमामि गंगे कार्यक्रम: नमामि गंगे कार्यक्रम एक एकीकृत संरक्षण मिशन है जिसे जून 2014 में केंद्र सरकार द्वारा 'फ्लैगशिप कार्यक्रम'के रूप में अनुमोदित किया गया था ताकि प्रदूषण के प्रभावी उन्मूलन और राष्ट्रीय नदी गंगा के संरक्षण एवं कायाकल्प को पूरा किया जा सके।
- गंगा एक्शन प्लान: यह पहली नदी कार्ययोजना थी जो वर्ष1985 में पर्यावरण और वन मंत्रालय द्वारा लांचकीगयीथी। इसका उद्देश्य जल अवरोधन, डायवर्ज़न व घरेलू सीवेज के उपचार द्वारा पानी की गुणवत्ता में सुधार करना तथा विषाक्त एवं औद्योगिक रासायनिक कचरे को नदी में प्रवेश करने से रोकना था।
- राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना: यह गंगा एक्शन प्लान का ही विस्तार है। इसका उद्देश्य गंगा एक्शन प्लान के द्वितीय चरण के तहत गंगा नदी की सफाई करना है।
- राष्ट्रीय नदी गंगा बेसिन प्राधिकरण: इसका गठन भारत सरकार द्वारा वर्ष 2009 में पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 की धारा-3 के तहत किया गया था।
- गंगा नदी को वर्ष2008 में भारत की 'राष्ट्रीय नदी' घोषित किया गया।
- स्वच्छ गंगा कोष: वर्ष 2014 में इसका गठन गंगा की सफाई, अपशिष्ट उपचार संयंत्रों की स्थापना तथा नदी की जैव विविधता के संरक्षण के लिए किया गया था।
- भुवन-गंगा वेब एप: यह गंगा नदी में होने वाले प्रदूषण को दूर करने में जनता की भागीदारी सुनिश्चित करता है।
- अपशिष्ट निपटान पर प्रतिबंध: वर्ष 2017 में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा गंगा नदी में किसी भी प्रकार के कचरे के निपटान पर प्रतिबंध लगा दिया गया।
गंगा नदी:
- यह नदीउत्तराखंड में गोमुख (3,900 मीटर) के पास गंगोत्री ग्लेशियर से निकलती है।
- गंगा उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल से होकर बहती है।
- यमुना और सोन दाहिने किनारे की प्रमुख सहायक नदियाँ हैं और बाएँ किनारे की महत्वपूर्णसहायक नदियाँ रामगंगा, गोमती, घाघरा, गंडक, कोसी और महानंदा हैं।
- यमुना गंगा की सबसे लंबी सहायक नदी है जोयमुनोत्री ग्लेशियर से निकलती है।
- गंगा सागर द्वीप के पास बंगाल की खाड़ी में गिरती है।
हिंडन नदी :
- हिण्डन नदी उत्तरी भारत में यमुना नदी की एक सहायक नदी है। इसका पुरानानाम हरनदी या हरनंदी है।इसका उद्गम सहारनपुर जिले में निचले हिमालय क्षेत्र के ऊपरी शिवालिक पर्वतमाला में स्थित शाकंभरी देवी की पहाडियों मे है। यह पूर्णत: वर्षा-आश्रित नदी है और इसका बेसिन क्षेत्र 7083 वर्ग किमी है। यह गंगा और यमुना नदियों के बीच लगभग 400 किमी की लम्बाई में मुज़फ्फरनगर जिला, मेरठ जिला, बागपत जिला, गाजियाबाद, नोएडा, ग्रेटर नोएडा से गुजरते हुए दिल्ली से कुछ दूरी पर यमुना से मिल जाती है।
किउल नदी :
- किऊल नदी का उद्गम स्थल उत्तरी छोटा नागपुर का पहाड़ है। झारखंड के गिरिडीह जिले में स्थित तीसरी हिल रेंज से यह नदी पहाड़ों से गिरकर जमुई के रास्ते लखीसराय पहुंचती है और यहां हरूहर नदी में मिलकर फिर मुंगेर जिले में गंगा में मिल जाती है। इस नदी की कुल लंबाई लगभग 111 किमी है। इस दूरी में दर्जन भर पहाड़ी नदियां इसमें मिलती है और अलग भी होती है। पहाड़ी नदी के कारण ही इस नदी का बालू लाल होता है।लखीसराय की लाइफ लाइन मानी जाने वाली किउल नदी का अस्तित्व अब खतरे में है।
क्षिप्रा नदी :
- क्षिप्रा नदी इंदौर जिले की काकरी बरडी नामक पहाड़ी से निकलती है और चंबल नदी में जाकर मिल जाती है। इसकी कुल लंबाई लगभग 560 किलोमीटर है। इसके किनारे उज्जैन का विख्यात महाकालेश्वर मंदिर है, जहां प्रति 12वें वर्ष कुंभ मेला लगता है। उज्जैन नगर इसके किनारे बसा प्रमुख नगर है।
आगे की राह :
- भारत सरकार के नमामि गंगे कार्यक्रम की मदद से गंगा कायाकल्प में भारत के प्रयासों को पुनर्जीवित किया गया है।
- मौजूदा परियोजनाओं की वित्तीय आवंटन से गंगा की सहायक नदियों की सफाई में मदद मिलेगी। भारत में नदियों के कायाकल्प हेतु विश्व बैंक 20 प्रदूषण वाले क्षेत्रों में महत्वपूर्ण सीवेज बुनियादी ढांचे के निर्माण में मदद कर रहा है।
- इस फंडिंग से सरकार को गंगा बेसिन जितनी बड़ी नदी बेसिन के प्रबंधन के लिए आवश्यक संस्थानों को मजबूत करने में मदद मिलेगी।
- इस मिशन को सफलतापूर्वक लागू करने के लिए एक रणनीतिक खाका की आवश्यकता है जिसमें कड़ी निगरानी, जन जागरूकता अभियान, डिजिटल मीडिया का उपयोग और गंगा में जैव विविधता का संरक्षण आदि को शामिल किया जा सकता है।
स्रोत: द हिंदू
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मुख्य परीक्षा प्रश्न:
राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के उद्देश्य तथा इसके समक्ष चुनौतियों को स्पष्ट करते हुए नदियों के कायाकल्प हेतु विभिन्न पहलों को रेखांकित कीजिए।