
दक्षिण एशिया में भूजल संकट
दक्षिण एशिया में भूजल संकट
प्रिलिम्स के लिए महत्वपूर्ण :
संयुक्त राष्ट्र, सतत् विकास लक्ष्य, जल सम्मेलन, जल क्रांति अभियान, राष्ट्रीय जल मिशन, राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम, नीति आयोग समग्र जल प्रबंधन सूचकांक, जल जीवन मिशन, जल शक्ति अभियान, अटल भूजल योजना।
मेन्स के लिए महत्वपूर्ण:
वैश्विक जल की कमी और उठाए गए कदम, जल संसाधन, संसाधनों का संरक्षण।
16 नवंबर, 2023
सन्दर्भ:
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, भूजल संकट के मामले में दक्षिण एशिया वर्तमान में वैश्विक स्तर पर सबसे अधिक प्रभावित है।
दक्षिण एशिया में भूजल संकट:
जल की कमी हेतु उत्तरदायी कारक:
- यूनिसेफ की रिपोर्ट मे, दक्षिण एशिया में पानी की कमी हेतु निम्नलिखित कारकों को उत्तरदायी माना गया है: खराब पानी की गुणवत्ता, अपर्याप्त जल आपूर्ति, जलभृतों की अत्यधिक पंपिंग तथा जलवायु परिवर्तन
- संयुक्त राष्ट्र ने दक्षिण एशिया में गहराए भूजल संकट के पीछे के कारणों में प्रमुख रूप से जलवायु परिवर्तन को माना है।
- जलवायु परिवर्तन से जल स्रोतों की पुनःपूर्ति कम हो जाती है, जिससे समस्या और बढ़ जाती है।
- जलवायु परिवर्तन मौसम के पैटर्न और वर्षा को बाधित कर रहा है, जिसके कारण मध्य पूर्व एवं उत्तरी अफ्रीका और दक्षिण एशिया के देशों में जल संकट बढ़ रहा है।
समुदायों पर प्रभाव:
- संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, इस भूजल की कमी का सर्वाधिक प्रभाव दुनियाभर की तुलना में दक्षिण एशिया में रह रहे बच्चों पर पड़ा है।
- वर्तमान में दक्षिण एशिया, आठ देशों वाला क्षेत्र, दुनिया के एक-चौथाई से अधिक बच्चों का घर है।
- भौगोलिक दृष्टि से दक्षिण एशिया में अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, भारत, नेपाल, मालदीव, पाकिस्तान और श्रीलंका देश शामिल हैं।
- 2022 तक, 739 मिलियन बच्चे उच्च या अत्यधिक उच्च पानी की कमी से प्रभावित थे, जिनमें से 436 मिलियन बच्चे निम्न और मध्यम आय वाले देशों से थे।
- दक्षिण एशिया में 18 वर्ष से कम उम्र के 347 मिलियन बच्चे उच्च या अत्यंत उच्च पानी की कमी का सामना कर रहे हैं, जो दुनिया के किसी भी अन्य क्षेत्र से अधिक है।
- यूनिसेफ की रिपोर्ट के अनुसार, 5 साल से कम उम्र के बच्चों की गंभीर बीमारियों से होने वाली मौतों में अत्यधिक जल भेद्यता प्रमुख कारणों में से एक है।
- संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के कारण, 2050 तक 35 मिलियन से अधिक बच्चे पानी की कमी की चपेट में आ जाएंगे और उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर असर पड़ेगा।
- जलवायु परिवर्तन की बढ़ती अप्रत्याशितता से दक्षिण एशिया में बच्चों के लिए स्थिति और खराब होने की आशंका है।
जल सेवाओं के विस्तार हेतु प्रयास:
यूनिसेफ द्वारा दक्षिण एशिया में जल सेवाओं के विस्तार हेतु कई कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं:
- संयुक्त राष्ट्र के लक्ष्यों में 2030 तक सभी के लिए सुरक्षित और किफायती पेयजल तक पहुंच प्राप्त करना शामिल है।
- जल सेवाओं में स्थिरता एवं जल गुणवत्ता हेतु 2008 में यूनिसेफ हैंडबुक।
- आर्सेनिक प्राइमर: आर्सेनिक संदूषण की जांच और शमन पर मार्गदर्शन।
- जलवायु परिवर्तन और बच्चों की पानी और स्वच्छता तक पहुंच हेतु यूनिसेफ रणनीति 2016-2030
- यूनिसेफ की जल खेल योजना (वाटर गेम प्लान)
- वाटर गेम प्लान को यूनिसेफ की ग्लोबल वॉश रणनीति 2016-2030 और एसडीजी एजेंडा के प्रमुख सिद्धांतों को शामिल करते हुए विकसित किया गया है।
- जल और स्वच्छता के मानवाधिकारों को साकार करना।
- आगामी COP28 शिखर सम्मेलन में, बच्चों की सुरक्षा हेतु यूनिसेफ ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से महत्वपूर्ण कदम उठाने का आह्वान किया है, जिसमें शामिल हैं:
- ग्लोबल स्टॉकटेक (जीएसटी) में बच्चों और अंतर-पीढ़ी इक्विटी को शामिल करना।
- अनुकूलन के वैश्विक लक्ष्य (जीजीए) पर अंतिम निर्णय में बच्चों और जलवायु के अनुकूल आवश्यक सेवाओं को शामिल करना।
जल सम्मेलन,2023
- सतत् विकास लक्ष्य संख्या 6 को प्राप्त करने के उद्देश्य से संयुक्त राष्ट्र द्वारा न्यूयॉर्क में 22-24 मार्च, 2023 तक पहला जल सम्मेलन आयोजित किया।
- इस सम्मेलन की थीम "अवर वाटरशेड मोमेंट: जल के लिए विश्व को एकजुट करना” (Our watershed moment: uniting the world for water) है।
जल संरक्षण हेतु भारत सरकार की योजनाएं:
राष्ट्रीय जल नीति:
- पहली नीति का साल 1987, दूसरी नीति का 2002 और तीसरी नीति का निर्माण 2012 में किया गया।
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना:
- प्रधान मंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) को 2015-16 में शुरू किया गया था, जिसका उद्देश्य खेत पर पानी की भौतिक पहुंच को बढ़ाना और सुनिश्चित सिंचाई के तहत खेती योग्य क्षेत्र का विस्तार करना था।
जल शक्ति अभियान, ‘कैच द रेन’ अभियान:
- जल शक्ति मंत्रालय द्वारा इस अभियान के तहत, “बारिश के पानी के संरक्षण हेतु पूरे देश में, ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाए गए हैं।
अटल भूजल योजना:
- इस योजना का उद्देश्य चिन्हित राज्यों गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और उत्तर प्रदेश जैसे चुनिंदा जल संकट वाले क्षेत्रों में भूजल संसाधनों के प्रबंधन में सुधार लाना है।
- स्वच्छ भारत मिशन
- जल जीवन मिशन
- जल क्रांति अभियान
- राष्ट्रीय जल मिशन
- राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम
- नीति आयोग समग्र जल प्रबंधन सूचकांक
- जल शक्ति अभियान
यूनिसेफ के बारे में
- संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (United Nations Children's Fund-UNICEF) की स्थापना संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 11 दिसंबर, 1946 को की गयी थी।
- शुरुआती दौर में इसे संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय बाल आपातकालीन कोष (United Nations International Children's Emergency Fund) कहा जाता था।
- यूनिसेफ के गठन में पोलैंड के चिकित्सक लुडविक रॉश्मन ने प्रमुख भूमिका निभाई थी।
- इस संगठन का प्रमुख उद्देश्य द्वितीय विश्वयुद्ध में तबाह हुए देशों में बच्चों और माताओं को आपातकालीन स्थिति में भोजन और स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराना था।
- 1953 में यह संयुक्त राष्ट्र का एक स्थायी हिस्सा बन गया और इस संगठन के नाम में से ‘अंतर्राष्ट्रीय’ एवं ‘आपातकालीन’ शब्दों को हटा दिया गया।
- यूनिसेफ का वित्त पोषण सरकारों और निजी संगठनों द्वारा किया जाता है।
निष्कर्ष:
- जल संकट की परिस्थितियों में, बच्चों को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से बचाने के लिए सुरक्षित पेयजल और स्वच्छता सेवाओं में वृद्धि हेतु बाह्य निवेश को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
मुख्य परीक्षा प्रश्न
"सुरक्षित पानी एक बुनियादी मानव अधिकार है।" इस संदर्भ में भूजल संकट के समाधान हेतु उपयुक्त उपायों पर चर्चा कीजिए।