15.12.2025
यूनियन कैबिनेट ने इंश्योरेंस कंपनियों में फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट (FDI) लिमिट को 74% से बढ़ाकर 100% करने के प्रस्ताव को मंज़ूरी दे दी है। यह बदलाव इंश्योरेंस लॉज़ (अमेंडमेंट) बिल, 2025 के ज़रिए लागू किया जाएगा ।
फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट (FDI) तब होता है जब कोई नॉन-रेसिडेंट इन्वेस्टर किसी इंडियन कंपनी में इक्विटी स्टेक ( 10% या उससे ज़्यादा ) लेता है। यह इन्वेस्टमेंट एक लंबे समय तक चलने वाला इंटरेस्ट दिखाता है और नॉन-रेसिडेंट इन्वेस्टर को कुछ हद तक कंट्रोल या मैनेजमेंट पर असर देता है।
इंश्योरेंस सेक्टर के मामले में, 100% FDI का मतलब है कि एक विदेशी इंश्योरेंस कंपनी अब भारतीय रेगुलेटरी शर्तों के तहत, किसी भारतीय इंश्योरेंस कंपनी में पूरी ओनरशिप रख सकती है।
भारत में FDI कैसे काम करता है?
विदेशी निवेशक अलग-अलग तरीकों से भारतीय कंपनियों में पैसा लगाते हैं:
FDI को FEMA , सेक्टोरल कैप, प्राइसिंग गाइडलाइंस, एंट्री रूट्स और सरकार/RBI द्वारा तय शर्तों के तहत रेगुलेट किया जाता है।
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एफडीआई मार्ग |
पूर्व अनुमोदन |
स्थितियाँ |
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स्वचालित मार्ग |
इसके लिए सरकार या RBI से पहले कोई मंज़ूरी ज़रूरी नहीं है। |
इन्वेस्टमेंट को सेक्टोरल कैप, FEMA नियम, SEBI/RBI के नियम वगैरह के हिसाब से होना चाहिए। इन्वेस्टर को सिर्फ़ बताए गए फ़ॉर्म भरने और रिपोर्ट करने की ज़रूरत है। |
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सरकारी मार्ग |
पहले से सरकारी मंज़ूरी ज़रूरी है। |
एप्लीकेशन फॉरेन इन्वेस्टमेंट फैसिलिटेशन पोर्टल (FIFP) के ज़रिए किया जाता है । अप्रूवल में कुछ खास शर्तें (लॉक-इन, रिपोर्टिंग, सिक्योरिटी शर्तें, वगैरह) हो सकती हैं। |
FDI के तहत प्रतिबंधित क्षेत्र:
कई सेक्टर में FDI की सख्त मनाही है, जिनमें शामिल हैं:
इंश्योरेंस सेक्टर में FDI लिमिट को पिछले कुछ सालों में धीरे-धीरे लिबरलाइज़ किया गया है:
इंश्योरेंस सेक्टर में 100% FDI का कदम एक दशक से चल रहे लिबरलाइज़ेशन प्रोसेस का नतीजा है। इस बड़े फैसले का मकसद बड़ी ग्लोबल कैपिटल को अट्रैक्ट करना, कॉम्पिटिशन बढ़ाना और पूरे भारत में इंश्योरेंस की पहुंच बढ़ाना है।