02.06.2025
सेंट्रल सोलिनॉइड और ITER परियोजना
प्रसंग:
हाल ही में अमेरिका ने "मॉन्स्टर मैग्नेट" कहे जाने वाले सेंट्रल सोलिनॉइड को फ्रांस में स्थित ITER परियोजना के लिए भेजा है। यह एक वैश्विक परमाणु संलयन (न्यूक्लियर फ्यूजन) परियोजना है, जिसका उद्देश्य पृथ्वी पर सूर्य की ऊर्जा प्रक्रिया को दोहराना है।
समाचार से जुड़ी जानकारी:
- अमेरिका ने सेंट्रल सोलिनॉइड का निर्माण किया और उसे फ्रांस भेजा।
- ITER को दक्षिण फ्रांस के काडाराश (Cadarache) क्षेत्र में बनाया जा रहा है।
- इसका लक्ष्य 2040 तक 500 मेगावाट फ्यूजन ऊर्जा पैदा करना है।
- भारत इसमें एक महत्वपूर्ण भागीदार है, जो विशाल क्रायोस्टैट ढांचे में योगदान दे रहा है।
विशेषताएँ:
- सेंट्रल सोलिनॉइड एक सुपरलोडक्टिंग मैग्नेट है, जिसकी ऊंचाई 60 फीट है।
- इसमें छह शक्तिशाली मैग्नेटिक मॉड्यूल होते हैं।
- यह टोकामक के अंदर एक मजबूत चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करता है।
- यह क्षेत्र उच्च तापमान वाले प्लाज्मा को पकड़कर दीवारों को नुकसान से बचाता है।
- यह ऐसे पदार्थों से बना है जो बिना प्रतिरोध के विद्युत प्रवाहित करते हैं।
- भारत, चीन और यूरोपीय संघ समेत 35 देश इस परियोजना में सहयोग कर रहे हैं।
भारत का योगदान:
- भारत 2005 में ITER में शामिल हुआ था ताकि वह अपने फ्यूजन ऊर्जा अनुसंधान को आगे बढ़ा सके।
- परमाणु ऊर्जा विभाग के अधीन प्लाज्मा अनुसंधान संस्थान (IPR) इस प्रयास का नेतृत्व करता है।
- ADITYA-U और SST-1 नामक टोकामक इसके प्रमुख प्रोजेक्ट हैं।
- ITER-India एक विशेष परियोजना है जो क्रायोस्टैट, शील्डिंग सिस्टम, कूलिंग सिस्टम, RF हीटिंग, डायग्नोस्टिक टूल्स और पावर सप्लाई जैसे प्रमुख घटकों की आपूर्ति करता है।
- भारत कुल लागत का लगभग 9% योगदान देता है।
ITER क्यों महत्वपूर्ण है:
- यह दुनिया का सबसे उन्नत फ्यूजन प्रयोग है।
- इसका उद्देश्य बिना ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के स्वच्छ और सुरक्षित ऊर्जा उत्पन्न करना है।
- वैज्ञानिक पहली बार "बर्निंग प्लाज्मा" प्राप्त करने की कोशिश कर रहे हैं, जिसमें 400–600 सेकंड तक सतत प्रतिक्रिया चलती है।
यह परियोजना प्रदूषण या विकिरण जोखिम के बिना ऊर्जा का भविष्य बदल सकती है।