
ईरान-इज़राइल संघर्ष पर भारत का रुख
ईरान-इज़राइल संघर्ष पर भारत का रुख
GS-2: अंतरराष्ट्रीय संबंध
(IAS/UPPCS)
प्रीलिम्स के लिए प्रासंगिक:
इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान, ऑपरेशन ऑनेस्ट प्रॉमिस, तेहरान घोषणापत्र, भारत के ईरान और इजरायल से संबंध।
मेंस के लिए प्रासंगिक:
भारत के ईरान और इजरायल से संबंध, महत्त्व, ईरान-इजरायल संघर्ष का भारत का रुख, आगे की राह, निष्कर्ष।
16/04/2024
स्रोत: IE
न्यूज़ में क्यों:
ईरान और इजरायल के मध्य युद्ध से उपजी अशांति और बढ़ती शत्रुता पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए हाल ही में भारत ने एक बयान जारी कर दोनों देशों से "तत्काल तनाव कम करने" का आह्वान किया है।
- गौरतलब है कि इजराइल द्वारा दमिश्क स्थित ईरानी दूतावास पर हमले की जवाबी कार्यवाही में ईरान ने हाल ही में ऑपरेशन ट्रू प्रॉमिस (जिसे "ऑपरेशन ऑनेस्ट प्रॉमिस" भी कहा जाता है) के तहत इज़राइल के खिलाफ ड्रोन और क्रूज़ मिसाइलें लॉन्च कीं थीं।
- यह ईरानी हमला संदिग्ध इजरायली हमले के जवाब में था जिसमें 12 लोग मारे जा चुके हैं।
ईरान-इजरायल संघर्ष पर भारत का रुख:
भारतीय समुदाय को ख़तरा:
- इज़राइल में लगभग 18,000 भारतीय और ईरान में लगभग 5,000-10,000 भारतीय हैं, लगभग 90 लाख लोग खाड़ी और पश्चिम एशिया क्षेत्र में रह रहे हैं और काम कर रहे हैं।
- कोई भी संघर्ष जो फैलता है वह इस क्षेत्र में रहने वाले भारतीय समुदाय के लिए खतरा पैदा कर देगा।
ऊर्जा सुरक्षा:
- पश्चिम एशिया क्षेत्र भारत की 80 प्रतिशत तेल आपूर्ति में योगदान देता है, जिस पर संभावित संघर्ष का प्रभाव पड़ेगा।
- भारत रियायती कीमतों पर रूसी तेल खरीदकर रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण तेल की कीमतों पर पड़ने वाले प्रभाव को कम करने में सक्षम है, लेकिन इस संघर्ष का ऊर्जा कीमतों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
निवेश और सामरिक महत्व:
- भारत ने प्रमुख अरब देशों, ईरान और इज़राइल के साथ रणनीतिक संबंधों में निवेश किया है।
- भारत इस क्षेत्र को अपने विस्तारित पड़ोस के रूप में देखता है, और यह भारत-मध्य-पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे पर जोर दे रहा है, जिसके रणनीतिक और आर्थिक लाभ भी हैं।
- ईरान में चाबहार एक और रणनीतिक आर्थिक परियोजना है, जो अफगानिस्तान और मध्य एशिया के प्रवेश द्वार के रूप में कार्य करती है - क्योंकि पाकिस्तान भारतीय वस्तुओं के लिए भूमि पारगमन से इनकार करता है।
इजराइल के साथ रक्षा संबंध:
- भारत के इजराइल के साथ बहुत गहरे रणनीतिक संबंध हैं, खासकर रक्षा और सुरक्षा साझेदारी के संदर्भ में।
संतुलित रुख बनाए रखना:
- इज़राइल और ईरान दोनों के साथ द्विपक्षीय संबंधों में भारत का दांव बहुत बड़ा है, भारत को उम्मीद होगी कि इज़राइल नई सैन्य कार्रवाइयों से बचेगा जो क्षेत्र में एक खतरनाक और व्यापक युद्ध को जन्म देगा।
- पहले भारत को "इजरायल का पक्ष" लेने वाले के रूप में देखा जाता था, लेकिन आज संयम बरतने का आग्रह करने वाली उसकी स्थिति को "संतुलित" और क्षेत्रीय शांति के पक्ष में देखा जाएगा।
जटिल क्षेत्रीय राजनीति पर आधारित:
- मध्य पूर्व में अंतर-राज्य संघर्ष गहरे और व्यापक हैं, और भारत को प्रमुख क्षेत्रीय अभिनेताओं - मिस्र, ईरान, इज़राइल, कतर, तुर्की, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात के साथ अपने जुड़ाव को हमेशा संतुलित करना होगा- जिनके रुझान और हित अलग-अलग हैं और अक्सर संघर्ष में रहते हैं।
- इज़राइल और ईरान के बीच तनाव कम करने का भारत का आह्वान क्षेत्र की राजनीति की जटिलता को पहचानने के बारे में है।
गैर-वैचारिक जुड़ाव:
- क्षेत्र के साथ गैर-वैचारिक जुड़ाव मध्य पूर्व में भारत के बढ़ते हितों के लिए एक आवश्यक पूरक है।
- इस क्षेत्र में भारत के हित अब तेल आयात और श्रम निर्यात तक सीमित नहीं हैं।
- खाड़ी अरब देश - विशेष रूप से सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात - भारत के लिए प्रमुख आर्थिक और राजनीतिक भागीदार बनकर उभरे हैं।
ईरान-इजरायल से भारत के संबंध
भारत-इजरायल संबंध:
- राजनयिक संबंध(Diplomatic relations): भारत ने वर्ष 1950 में इज़रायल को आधिकारिक रूप से मान्यता दी थी, लेकिन दोनों देशों के बीच पूर्ण राजनयिक संबंध 29 जनवरी, 1992 को स्थापित हुए।
- व्यापारिक भागीदार(Trading Partners): भारत एशिया में इज़रायल का तीसरा सबसे बड़ा व्यापार भागीदार है और विश्व स्तर पर सातवाँ सबसे बड़ा व्यापार भागीदार है।
- निवेश(Investment): इज़रायली कंपनियों ने भारत में ऊर्जा, नवीकरणीय ऊर्जा, दूरसंचार, रियल एस्टेट, जल प्रौद्योगिकियों में निवेश किया है और भारत में अनुसंधान एवं विकास केंद्र या उत्पादन इकाइयाँ स्थापित करने पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं।
- रक्षा आयात (Defence Imports): भारत, इज़राइल से हथियारों के सबसे बड़े आयातकों में से एक है, जो इसके वार्षिक हथियारों के निर्यात में लगभग 40 प्रतिशत का योगदान देता है।
- अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (International Solar Alliance): भारत के नेतृत्व में इजराइल इस गठबंधन में शामिल।
भारत के लिए इजरायल का महत्त्व:
- इजरायल भारत का एक अच्छा मित्र देश है 1999 कार्गिल जंग के दौरान इजरायल खुलकर भारत के समर्थन में सामने आया था। रक्षा क्षेत्र में ईजरायल और भारत के बीच समझौते हुए हैं, जिसके तहत भारत के MSME (माइक्रो, लघु और मध्यम उद्यम) क्षेत्र में स्टार्टअप शुरू करने में इजरायल ने भारत की मदद की है।
भारत-ईरान संबंध:
- भारत एवं ईरान संबंध फारसी साम्राज्य के युग से ही कायम हैं।
- स्वतंत्रता तथा विभाजन से पूर्व भारत की सीमाएं ईरान से जुड़ी थीं।
- तेहरान घोषणापत्र: प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की ईरान यात्रा के दौरान हस्ताक्षरित’ इस घोषणा पत्र के जारिए दोनों देशों ने ‘‘समान, बहुलवादी और सहकारी अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था’’ के लिए साझा दृष्टिकोण की पुष्टि की थी। इसे तत्कालीन ईरानी राष्ट्रपति मोहम्मद खतामी ने दोनों देशों की सभ्यताओं के बीच संवाद के रूप में चिह्नित किया था।
- भारत, दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक और उपभोक्ता है और भारत अपनी पेट्रोलियम खरीद का एक बड़ा हिस्सा मध्य पूर्व से आयात करता है।
भारत के लिए ईरान का महत्त्व:
- मध्य पूर्व एशिया और यूरोप तक अपनी पहुंच बनाने के मकसद से ईरान भारत का महत्वपूर्ण पार्टनर है। ईरान में भारत चाबहार पोर्ट बना रहा है ताकि पाकिस्तान को नजरअंदाज करते हुए भारत अफगानिस्तान और मध्य एशिया के अन्य देशों तक पहुंच सके। ईरान भारत का एक बड़ा तेल आयातक देश भी है।
आगे की राह:
- भारत के ईरान और इज़राइल दोनों के साथ रणनीतिक संबंध हैं - और दशकों से, यह दोनों पक्षों के बीच संतुलन बनाने में सक्षम रहा है। लेकिन अगर टकराव बढ़ता है तो उसके लिए दुविधापूर्ण स्थिति बनाए रखना मुश्किल होगा। इसके लिए ठोस उपाय तलाशे जाने चाहिए।
- इज़राइल और ईरान दोनों के साथ इतने गहरे संबंधों के संदर्भ में, भारत को एक पक्ष चुनने में कठिनाई होगी। इसलिए, भारत का रुख "तत्काल तनाव कम होना चाहिए" और "हिंसा से पीछे हटना चाहिए" और "कूटनीति के रास्ते पर लौटना चाहिए" वाली नीति का होने चाहिए जो कि उसके राष्ट्रीय हित के लिए महत्वपूर्ण हैं।
निष्कर्ष:
ईरान और इजरायल दोनों ही भारत के मित्र देश हैं। ऐसे में इस युद्ध के बीच भारत की स्थिति एक दम न्यूट्रल नहीं होना चाहिए क्योंकि जहां ईरान के साथ भारत के भू-राजनीतिक हित जुड़े हुए हैं तो इजराइल के रक्षा संबंध। भारत सरकार को एक ऐसी रणनीतिक योजना पर काम करने की आवश्यकता है जिससे इसके सभी प्रकार के हित प्रभावित न हों।
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मुख्य परीक्षा प्रश्न
हालिया ईरान-इज़राइल संघर्ष पर भारत के रुख पर टिप्पणी कीजिए।
ईरान-इजरायल के साथ संबंध बनाए रखना भारत के लिए भविष्य में अति महत्वपूर्ण हो सकता है। विवेचना कीजिए।