खुदरा मुद्रास्फीति दर में गिरावट

14-05-2024

खुदरा मुद्रास्फीति दर में गिरावट

 

GS-3: भारतीय अर्थव्यवस्था

(यूपीएससी/राज्य पीएससी)

14/05/2024

स्रोत: IE

न्यूज़ में क्यों:

हाल ही में ‘सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय’ (Ministry of Statistics & Programme Implementation- MoSPI) द्वारा जारी किये गए नवीनतम आँकड़ों के अनुसार, भारत की खुदरा मुद्रास्फीति अप्रैल के महीने में वार्षिक आधार पर मामूली रूप से कम होकर 11 महीने के निचले स्तर 4.83 प्रतिशत पर पहुंच गई, क्योंकि गैर-खाद्य वस्तुओं ने मूल्य वृद्धि को कम करने में मदद की, जबकि खाद्य वस्तुओं में उच्च मुद्रास्फीति दर दर्ज की गई। जबकि यह पिछले महीने में 4.85 प्रतिशत दर्ज की गयी थी

ग्रामीण खाद्य मुद्रास्फीति:

  • ग्रामीण खाद्य मुद्रास्फीति अप्रैल में बढ़कर 8.75 प्रतिशत हो गई, जो मार्च में 8.55 प्रतिशत और एक साल पहले की अवधि में 3.89 प्रतिशत थी।

शहरी खाद्य मुद्रास्फीति:

  • शहरी खाद्य मुद्रास्फीति मार्च में 8.41 प्रतिशत से बढ़कर अप्रैल 8.56 प्रतिशत और अप्रैल 2023 में 3.69 प्रतिशत हो गई।
  • RBI की मौद्रिक नीति और हीटवेव के बढ़ते जोखिमों के कारण खाद्य मुद्रास्फीति की दर में वृद्धि हुई है.

खुदरा मुद्रास्फीति दर में गिरावट का महत्त्व:

  • खुदरा मुद्रास्फीति में कमी आना अर्थव्यवस्था के लिये एक सकारात्मक पहलू है। यह उन उपभोक्ताओं को कुछ राहत प्रदान करता है जो आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं की बढ़ती कीमतों से प्रभावित हैं। इसके अलावा यह RBI को मौद्रिक नीति के निर्धारण में अधिक लचीलापन प्रदान करेगी।
  • हालाँकि यह देखा जाना बाकी है कि क्या यह प्रवृत्ति जारी रहेगी और क्या आरबीआई इसी अनुसार ब्याज दरों को समायोजित करेगी।

खुदरा मुद्रास्फीति दर के बारे में:

  • जब एक निश्चित अवधि में वस्तुओं या सेवाओं के मूल्य में वृद्धि के कारण मुद्रा के मूल्य में गिरावट दर्ज़ की जाती है तो उसे मुद्रास्फीति कहते हैं।
  • मुद्रास्फीति को जब प्रतिशत में व्यक्त करते हैं तो यह महंगाई दर या खुदरा मुद्रास्फीति दर कहलाती है।
  • सरल शब्दों में कहें तो यह कीमतों में उतार-चढ़ाव की रफ्तार को दर्शाती है।

खुदरा मुद्रास्फीति का मापन:

  • भारत में खुदरा मुद्रास्फीति दर को ‘उपभोक्ता मूल्य सूचकांक’ (Consumer Price Index-CPI) के आधार पर मापा जाता है। यह खरीदार के दृष्टिकोण से मूल्य परिवर्तन की माप करता है।
  • यह चयनित वस्तुओं एवं सेवाओं के खुदरा मूल्यों के स्तर में समय के साथ बदलाव को मापता है, जिस पर उपभोक्ता अपनी आय खर्च करते हैं।
  • खुदरा मुद्रास्फीति की दर से तात्पर्य अक्सर उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित मुद्रास्फीति की दर से होता है।
  • सीपीआई उन वस्तुओं और सेवाओं की खुदरा कीमतों में बदलाव को ट्रैक करता है जो परिवार अपने दैनिक उपभोग के लिए खरीदते हैं।
  • मुद्रास्फीति को मापने के लिए, अनुमान लगाया जाता है कि पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में प्रतिशत परिवर्तन के संदर्भ में सीपीआई में कितनी वृद्धि हुई है। यदि कीमतें गिर गई हैं, तो इसे अपस्फीति (नकारात्मक मुद्रास्फीति) के रूप में जाना जाता है। केंद्रीय बैंक (आरबीआई) अर्थव्यवस्था में मूल्य स्थिरता बनाए रखने की अपनी भूमिका में इस आंकड़े पर बहुत ध्यान देता है।
  • सीपीआई किसी विशेष वस्तु के लिए एक निश्चित स्तर पर खुदरा कीमतों की निगरानी करता है; ग्रामीण, शहरी और अखिल भारतीय स्तर पर वस्तुओं और सेवाओं की कीमत में उतार-चढ़ाव। किसी समयावधि में मूल्य सूचकांक में परिवर्तन को सीपीआई-आधारित मुद्रास्फीति या खुदरा मुद्रास्फीति कहा जाता है।
  • सीपीआई की गणना करने के लिए, वर्तमान अवधि और आधार अवधि के लागत मूल्य के अंश को 100 से गुणा किया जाता है।
  • सीपीआई फॉर्मूला: (वर्तमान अवधि में टोकरी की कीमत / आधार अवधि में टोकरी की कीमत) x 100
  • CPI के चार प्रकार निर्धारित किए गए हैं: 
  • औद्योगिक श्रमिकों के लिये CPI (IW)
  • कृषि मज़दूरों के लिये CPI (AL)
  • ग्रामीण मज़दूरों के लिये CPI (RL)
  • शहरी गैर-मैनुअल कर्मचारियों (UNME) के लिये CPI
  • इनमें से पहले तीन को श्रम और रोज़गार मंत्रालय के श्रम ब्यूरो द्वारा संकलित किया गया है। चौथा सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय में NSO द्वारा संकलित किया गया है।
  • वर्तमान में सीपीआई (CPI) का आधार वर्ष 2012 है।
  • सरकार द्वारा भारतीय रिज़र्व बैंक को मुद्रास्फीति (Inflation) की दर को 4% (2% ऊपर या नीचे) पर रखने का निश्चित किया गया है।

खुदरा मुद्रास्फीति दर में गिरावट के कारण:

  • खाद्य पदार्थों की कीमतों में गिरावट के कारण खुदरा मुद्रास्फीति दर में कमी देखी गई है।

अन्य संभावित कारण:

  • आरबीआई द्वारा सख्त मौद्रिक नीति अपनाना।
  • सरकार द्वारा संकुचित राजकोषीय नीति अपनाना।
  • लोगों की बचत करने की प्रवृत्ति में वृद्धि।
  • बैंक जमा पर मिलने वाला  अधिक ब्याज- सुकन्या समृद्धि योजना ।

खुदरा मुद्रास्फीति दर में गिरावट के लाभ:

  • गरीबों की क्रयशक्ति बढ़ेगी।
  • बैंक से ऋण आसानी से पाप्त हो सकेगा।
  • बाजार में तरलता का स्तर सामान्य बनाए रखने में मदद मिलेगी।
  • घरेलू बचत में वृद्धि होगी-घरेलू बचत में वृद्धि से बैंक जमा में वृद्धि से निवेश बढ़ेगा।  

खुदरा मुद्रास्फीति दर में गिरावट के दोष:

  • व्यापारी वर्ग को लाभ कम होगा और इससे उत्पादन प्रभावित हो सकता है
  • रोजगार सृजन कम हो सकता है( फ़िलिप वक्र के अनुसार)

खुदरा मुद्रास्फीति दर को नियंत्रित करने के संभावित उपाय:

अर्थव्यवस्था में मुद्रा के प्रवाह को कम करके, उत्पादन में वृद्धि दर को बढ़कर, उत्पादों का आयात करके तथा उत्पादन तकनीक में सुधार कर उत्पादों की लागत कम करके कुछ ऐसे प्रयास हैं जिनके माध्यम से खुदरा मुद्रास्फीति दर को नियंत्रित किया जा सकता है।

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मुख्य परीक्षा प्रश्न:

खुदरा मुद्रास्फीति दर क्या है? भारतीय अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभावों की विवेचना कीजिए।