
महिला आरक्षण बिल
27 साल के लंबे इंतजार के बाद संसद से पारित हुआ:
महिला आरक्षण बिल
यह टॉपिक आईएएस/पीसीएस की प्रारंभिक परीक्षा के करेंट अफेयर महिला आरक्षण बिल, 2023
और मुख्य परीक्षा के सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 भारतीय राजव्यवस्था से संबंधित है
22 सितंबर, 2023
चर्चा में:
- 27 साल के लंबे इंतजार के बाद, भारतीय संसद ने हाल ही में सर्वसहमति से महिला आरक्षण बिल पारित किया।
महिला आरक्षण बिल, 2023
संबंधित प्रमुख बिंदु:
- यह भारत सरकार द्वारा 19 सितंबर, 2023 को संसद में प्रस्तुत किया गया 128वां संविधान संशोधन विधेयक है।
- इस विधेयक में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33% सीटें आरक्षित करने का प्रस्ताव है।
- यह विधेयक लोकसभा में 20 सितंबर, 2023 को पारित हुआ।
- पक्ष में 454 वोट पड़े थे और सिर्फ दो AIMIM सांसदों ने उसका विरोध किया था।
- इस विधेयक के पक्ष में 454 वोट पड़े थे जबकि AIMIM पार्टी के दो सांसदों ने इसके विरोध में मतदान किया था।
- राज्यसभा में यह विधेयक को 21 सितंबर, 2023 को सर्वसहमति से पारित हुआ।
- राज्यसभा में इस बिल के पक्ष में कुल 215 वोट पड़े हैं, और इस सदन में बिना किसी विरोध के यह सर्वसहमति से पास हो गया।
- यह विधेयक संसद से पारित होने के बाद “नारी शक्ति वंदन अधिनियम” के नाम से जाना जाएगा।
- राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, यह बिल वर्ष 2029 के बाद, परिसीमन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही प्रभावी तौर पर लागू किया जा सकेगा।
इस बिल की विशेषताएं:
- देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की विधानसभाओं में महिलाओं को 33% आरक्षण मिलेगा।
- इस बिल का आरक्षण लाभ देश की महिलाओं को सिर्फ लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं में ही मिल सकेगा।
- राज्यसभा और राज्यों की विधान परिषद में महिलाओं को इस इस आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा।
- इस बिल में एससी-एसटी महिलाओं के लिए अलग से आरक्षण का कोई प्रावधान नहीं है।
- एससी-एसटी महिलाओं आरक्षण के अंदर ही आरक्षण मिलेगा यानी, लोकसभा और विधानसभाओं में जितनी सीटें एससी-एसटी वर्ग के लिए आरक्षित हैं, उन्हीं में से 33% सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी।
- इस समय लोकसभा में 84 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है और 47 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं।
- बिल के कानून बनने के बाद 84 एससी सीटों में से 28 सीटें एससी महिलाओं के लिए रिजर्व होंगी।
- इसी तरह 47 एसटी सीटों में से 16 एसटी महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी।
- इस बिल में ओबीसी वर्ग की महिलाओं के लिए आरक्षण का कोई भी प्रावधान नहीं है।
महिला आरक्षण से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य:
- 1957 में बलवंतराय मेहता समिति ने सरकारी विकास कार्यक्रमों को चलाने के लिए निर्वाचित स्थानीय निकायों की स्थापना की सिफारिश की, जबकि 1977 में अशोक मेहता समिति ने एक राजनीतिक संस्था के रूप में पंचायती राज की भूमिका को मजबूत करने का सुझाव दिया था
- इस सन्दर्भ में, साल 1989 में सबसे पहले प्रधानमंत्री राजीव गांधी सरकार ने महिला आरक्षण बिल प्रस्तुत किया था। उस समय ग्रामीण और शहरी स्थानीय निकाय चुनावों में एक तिहाई सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित करने का प्रावधान था। ये बिल लोकसभा में पास हुआ, लेकिन राज्यसभा में फेल हो गया था।
- इसके बाद 1992-93 में नरसिम्हा राव की सरकार ने ग्रामीण और शहरी स्थानीय निकाय चुनाव में महिलाओं के आरक्षण हेतु पेश किया गया था। जो वर्तमान में 73 वें और 74 वें संशोधन अधिनियम के तौर पर लागू हैं।
- 24 अप्रैल, 1993 से प्रभावी हुए, 73वें संवैधानिक संशोधन से ग्रामीण निकायों में महिलाओं को एक तिहाई आरक्षण अनिवार्य रूप से प्राप्त है।
- 1 जून, 1993 को प्रभावी हुए, 74वें संवैधानिक संशोधन ने शहरी स्थानीय निकायों में महिलाओं के लिए एक तिहाई आरक्षण अनिवार्य किया जा चुका।
- 1975 में इंदिरा गांधी प्रधानमंत्रित्व काल 'टूवर्ड्स इक्वैलिटी' नाम की एक रिपोर्ट में महिला आरक्षण पर बात की गई थी।
- महिला आरक्षण विधेयक को पहली बार 12 सितंबर 1996 को एचडी देवेगौड़ा की सरकार द्वारा 81वें संविधान संशोधन विधेयक के तौर पर पेश किया गया था।
- साल 1998 में 12वीं लोकसभा में अटल बिहारी वाजपेयी की एनडीए की सरकार में तत्कालीन क़ानून मंत्री एन थंबीदुरई ने इस विधेयक को पेश करने का प्रयास किया था, लेकिन यह बिल पास नहीं हो सका।
अन्य देशों में महिला जन प्रतिनिधियों की स्थिति:
पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च के अनुसार, निम्नलिखित देशों में, बिना किसी महिला आरक्षण के महिला जनप्रतिनिधि हैं: स्वीडन( में 46%), नार्वे(में 46%), दक्षिण अफ्रीका (में 45%), आस्ट्रेलिया (में 38%), फ़्रांस (में 35%) और जर्मनी (में 35%)।
संविधान (128वां संशोधन) विधेयक, 2023 का महत्व:
- यह विधेयक महत्वपूर्ण है क्योंकि इसका उद्देश्य राजनीतिक निर्णय लेने में लैंगिक असंतुलन को संबोधित करते हुए भारत की संसद और विधानसभाओं में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाना है।
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मुख्य परीक्षा प्रश्न
महिला आरक्षण बिल, 2023 की प्रमुख विशेषताओं पर चर्चा कीजिए।