30.08.2025
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ)
प्रसंग
- भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर उर्जित पटेल को आईएमएफ में
भारत का कार्यकारी निदेशक चुना गया है ।
- वह इस पद पर
के.वी. सुब्रमण्यन का स्थान लेंगे।
आईएमएफ क्या है?
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) एक वैश्विक वित्तीय संस्था है जो आर्थिक असंतुलन या संकट का सामना कर रहे देशों को नीतिगत मार्गदर्शन और वित्तीय सहायता प्रदान करके स्थिरता सुनिश्चित करने में मदद करती है।
गठन और उत्पत्ति
- आईएमएफ की औपचारिक स्थापना 1944 में संयुक्त राज्य अमेरिका में
ब्रेटन वुड्स सम्मेलन में की गई थी।
- विश्व बैंक के साथ-साथ इसे “ब्रेटन वुड्स ट्विन” के नाम से भी जाना जाने लगा।
सदस्यता
- आज आईएमएफ में 190 से अधिक देश सदस्य हैं ।
- भारत अपनी स्वतंत्रता से पहले ही
27 दिसंबर 1945 को इसका संस्थापक सदस्य बन गया था ।
मुख्य उद्देश्य
- वैश्विक मौद्रिक और वित्तीय प्रणालियों में स्थिरता को बढ़ावा देना।
- संकटग्रस्त सदस्यों को समय पर नीतिगत सलाह और वित्तीय सहायता प्रदान करना।
- संघर्षरत अर्थव्यवस्थाओं को विश्वास पुनः स्थापित करने, विकास को बनाए रखने और संक्रमण को रोकने में सहायता करना।
आईएमएफ की प्रमुख रिपोर्टें
- विश्व आर्थिक परिदृश्य (WEO): वैश्विक आर्थिक विकास और चुनौतियों का विश्लेषण और पूर्वानुमान प्रस्तुत करता है।
- वैश्विक वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (जीएफएसआर): अंतर्राष्ट्रीय पूंजी बाजारों और बैंकिंग प्रणालियों में जोखिमों पर प्रकाश डालती है।
- राजकोषीय मॉनिटर: दुनिया भर में राजकोषीय स्वास्थ्य, सार्वजनिक ऋण और सरकारी वित्त की समीक्षा करता है।
भारत और आईएमएफ
- भारत आईएमएफ का एक महत्वपूर्ण सदस्य है , जिसके पास मतदान का अधिकार है तथा आईएमएफ के निर्णय लेने में सक्रिय भागीदारी है।
- विकास कार्यक्रमों के लिए धन प्राप्त किया है और वैश्विक वित्तीय नीतियों को आकार देने में योगदान दिया है।
निष्कर्ष:
आईएमएफ वैश्विक वित्तीय प्रणाली की आधारशिला बना हुआ है, जो स्थिरता, मार्गदर्शन और वित्तपोषण प्रदान करता है। संस्थापक सदस्य होने से लेकर कार्यकारी पदों पर आसीन होने तक, भारत की सक्रिय भूमिका, अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक नीतियों और सहयोग को आकार देने में इसके बढ़ते महत्व को दर्शाती है।