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केरल ब्लास्ट

केरल ब्लास्ट

01-11-2023

Daily Current Affairs, RACE IAS : Best IAS Coaching in Lucknow 

प्रीलिम्स के लिए: इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस, आईईडी की सामग्री, भारत में आईईडी का उपयोग

मुख्य परीक्षा के लिए: आईईडी के घटक, यहोवा के साक्षी, उनका विश्वास, विवाद

 

खबरों में क्यों?

हाल ही में केरल में हुए कोच्चि के कलामासेरी इलाके में एक कन्वेंशन सेंटर में कम तीव्रता वाला विस्फोट, जिसमें यहोवा के साक्षियों की एक मंडली को निशाना बनाया गया था, एक इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (IED) विस्फोट होने आशंका जताई जा रही है।

 

महत्वपूर्ण बिन्दु:

  • 29 अक्टूबर 2023 को केरल के कोच्चि कन्वेंशन सेंटर में यहोवा साक्षियों की प्रार्थना सभा में क्रमिक ब्लास्ट किए गए थे।
  • अभी तक इस विस्फोट से तीन लोगों की मौत ( 1 महिला ) और 45 लोगो के घायल होने का अनुमान हैं।
  • विस्फोट के वक्त घटनास्थल पर 2000 लोग मौजूद थे, जिनमें से दो की मौत हो गई थी।
  • यहोवा साक्षियों की प्रार्थना सभा में हुए ब्लास्ट की शुरुआती जांच के अनुसार क्रमिक धमाके को अंजाम देने के लिए इनसेंनडायरी (Incendiary) डिवाइस  का इस्तेमाल हुआ है।
  • इनसेंनडायरी,आईईडी की तरह ही होता है, इससे एक छोटा धमाका होता है, जिससे आग लग जाती है।

 

इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (IED) के बारे में :

  • IED भी एक तरह का बम ही होता है, लेकिन यह मिलिट्री के बमों से कुछ अलग होता है।
  • आतंकी IED का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर नुकसान के लिए करता है।
  • IED ब्लास्ट होते ही मौके पर अक्सर आग लग जाती है, क्योंकि इसमें घातक और आग लगाने वाले केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है।
  • IED को ट्रिगर करने के लिए आतंकी रिमोट कंट्रोल, इंफ्रारेड या मैग्नेटिक ट्रिगर्स, प्रेशर-सेंसिटिव बार्स या ट्रिप वायर जैसे तरीकों का इस्तेमाल करता है।
  • खासकर आतंकी सड़क के किनारे IED को लगाते हैं, ताकि इसके पांव पड़ते या गाड़ी का पहिया चढ़ते ब्लास्ट हो जाता है।
  •  IED ब्लास्ट में धुआं भी बड़ी तेजी से निकलता है।

 

आईईडी की सामग्री :

  • सस्ते और निर्माण में अपेक्षाकृत आसान, आईईडी को विभिन्न प्रकार की सामग्रियों से कहीं भी बनाया जा सकता है - रोजमर्रा के उपकरणों से लेकर निर्माण और खनन में उपयोग किए जाने वाले वाणिज्यिक विस्फोटक तक

आईईडी के घटक :

एक IED में आम तौर पर पांच घटक होते हैं- शक्ति स्रोत, आरंभकर्ता, विस्फोटक, स्विच और विखंडन। इन घटकों को संक्षिप्त रूप में PIESF भी कहा जाता है।

  • ऊर्जा स्रोत : अधिकांश आईईडी में एक विद्युत आरंभकर्ता होता है और, इस प्रकार, एक विद्युत ऊर्जा स्रोत की आवश्यकता होती है। बैटरियां (एक सामान्य ऊर्जा स्रोत) कई आकारों और आकारों में निर्मित होती हैं।
  • आरंभकर्ता : लंबे समय तक फ्यूज को ब्लास्ट करने वाले कैप या फ़्यूज़ इग्नाइटर जैसे लौ पैदा करने वाले घटक।
  • कम विस्फोटकों या अत्यधिक संवेदनशील उच्च विस्फोटकों को विस्फोटित करने वाले तात्कालिक आरंभकर्ता आसानी से बनाए जा सकते हैं।
  • तात्कालिक आरंभकर्ताओं के उदाहरणों में एक संशोधित फ्लैश बल्ब, एक पर्कशन प्राइमर, या यहां तक कि तात्कालिक हॉबी फ़्यूज़ शामिल हैं जो केवल अनियंत्रित जलने की दर पर समय फ़्यूज़ के समान लौ प्रदान करते हैं।
  • विस्फोटक : जब किसी विस्फोटक को किसी उपकरण में शामिल किया जाता है, तो जरूरी नहीं कि वह अन्य सभी आईईडी घटकों के संपर्क में हो।
  • अक्सर, किसी उपकरण में विस्फोट होने के बाद ये घटक किसी न किसी रूप में जीवित रहेंगे।विस्फोट के बाद की घटना में हमेशा साक्ष्य संबंधी मलबा मौजूद होता है।
  • स्विच : एक उपकरण में आर्मिंग स्विच या फ़्यूज़ के रूप में शामिल किया गया। वे प्रकृति में सरल या जटिल हो सकते हैं। सिस्टम में अतिरेक पैदा करने के लिए एक से अधिक स्विच का उपयोग किया जा सकता है।
  • कई IED में आर्मिंग स्विच और फ़्यूज़िंग स्विच दोनों शामिल होते है। स्विच डिज़ाइन और निर्माण में लगभग असीमित हैं, इसलिए अपने इच्छित लक्ष्य या पहले उत्तरदाता द्वारा किसी भी दृष्टिकोण या कार्रवाई के परिणामस्वरूप विस्फोट होगा।
  • विखंडन और छर्रे : आईईडी का हिस्सा, जिसमें अधिकतम हताहत करने के लिए उपकरण में सामग्री जोड़ी जाती है। उदाहरणों में बॉल बेयरिंग, कील आदि शामिल हैं।

 

आईईडी का भारत में इस्तेमाल :

  • मुंबई हमले में भी आईईडी का इस्तेमाल किया गया था जिसमें 19 लोगों की जान गई थी और 130 लोग घायल हुए थे।
  • 21 फरवरी 2013 को हैदराबाद में हुए हमले में भी आईईडी के जरिये विस्फोट किया गया था।
  • 2016 में पठानकोट हमले में भी इसी तकनीक का प्रयोग आतंकियों द्वारा किया गया था।
  •  2019 में जम्मू कश्मीर के पुलवामा में हुई घातक आतंकी घटना में भी आईईडी का इस्तेमाल हुआ था।

यहोवा के साक्षी के बारे में :

  • यहोवा के साक्षी 1905 से भारत में मौजूद हैं ,और बंबई में उनका कानूनी रूप से अनुमति प्राप्त कार्यालय है।
  • यहोवा के साक्षी ईसाई धर्म का ही एक संप्रदाय है, हालांकि, इनकी धार्मिक मान्यताएं मुख्यधारा के ईसाईयत से अलग होती हैं।
  • यहोवा के साक्षियों की शुरुआत 1870 में हुई जब चार्ल्स टेज़ रसेल ने पिट्सबर्ग, पेंसिल्वेनिया में बाइबिल अध्ययन का नेतृत्व किया।
  • यहोवा के साक्षी आंदोलन बाइबिल छात्र आंदोलन से निकला, जिसकी स्थापना भी रसेल ने की थी। जब उन्होंने कुछ पारंपरिक ईसाई विचारों पर विवाद करना शुरू किया, तो यहोवा के साक्षियों का जन्म हुआ।
  • यहोवा के साक्षी पदानुक्रमित व्यवस्था में बटे होते हैं। सबसे निचले स्तर पर मंडली होती है जिसमें लगभग 100 सदस्य होते हैं।
  • प्रत्येक मंडली में बाइबल की "गहरी समझ" रखनेवाला तजुरबेकार पुरुष 'प्राचीन' के तौर पर कार्य करता है। प्राचीन अपनी मंडली की देखरेख करता है।
  • मंडलियों के ऊपर सर्किट होता है जो तकरीबन 20 मंडलियों से मिलकर बनता है। इसके ऊपर ज़िला होता है जिसमें करीब 10 सर्किट शामिल होते हैं।

इनका विश्वास :

  • ये यहोवा की पूजा करते हैं और यहोवा को इब्राहीम, मूसा और यीशु का भगवान मानते हैं और उनका विश्वास केवल बाइबिल के पाठ पर आधारित है

इनको लेके विवाद :

  • ये लोग वोट देने, सार्वजनिक पद के लिए दौड़ने, किसी भी सशस्त्र बल में सेवा करने, झंडे को सलामी देने, राष्ट्रगान के लिए खड़े होने या निष्ठा की शपथ लेने से इनकार करते हैं।
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