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काशी तमिल संगमम, 2023

18.12.2023

काशी तमिल संगमम, 2023

   प्रीलिम्स के लिए:काशी तमिल संगमम, 2023 के बारे में, महत्वपूर्ण बिंदु, उद्देश्य महत्व, काशी और तमिलनाडु के बीच संबंधों का इतिहास

 

    खबरों में क्यों?

17 दिसंबर 2023 को प्रधान मंत्री ने काशी तमिल संगमम 2023 का उद्घाटन किया।

 

महत्वपूर्ण बिन्दु:

  • कन्याकुमारी-वाराणसी तमिल संगमम ट्रेन को भी हरी झंडी दी गई।
  • इसी अवसर पर तिरुक्कुरल, मणिमेकलाई और अन्य क्लासिक तमिल साहित्य के बहुभाषा और ब्रेल अनुवाद का भी शुभारंभ किया गया।
  • यह सरकार के 'एक भारत श्रेष्ठ भारत युवा संगम कार्यक्रम' का हिस्सा है।

 

काशी तमिल संगमम, 2023 के बारे में:

  • काशी तमिल संगमम का दूसरा चरण है।
  • काशी तमिल संगमम का दूसरा चरण 17 दिसंबर से 30 दिसंबर 2023 तक आयोजित किया जाएगा।
    • पिछले साल, काशी तमिल संगमम का पहला चरण 16 नवंबर से 16 दिसंबर 2022 तक आयोजित किया गया था।
  • इसमें लगभग 1400 (प्रत्येक 200 व्यक्तियों के 7 समूह) लोगों के शामिल होने की उम्मीद है।
  • छात्रों (गंगा), शिक्षकों (यमुना), पेशेवरों (गोदावरी), आध्यात्मिक (सरस्वती), किसानों और कारीगरों (नर्मदा), लेखकों (सिंधु) और व्यापारियों और व्यवसायियों (कावेरी) के 7 समूहों का नाम सात पवित्र नदियों के नाम पर रखा गया है।
  • आईआईटी मद्रास तमिलनाडु में कार्यान्वयन एजेंसी के रूप में कार्य करेगा बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU)उत्तर प्रदेश में।
  • भारत सरकार का शिक्षा मंत्रालय, संस्कृति, पर्यटन, रेलवे, कपड़ा, खाद्य प्रसंस्करण (ओडीओपी), एमएसएमई, सूचना और उद्योग मंत्रालयों की भागीदारी के साथ प्रसारण, कौशल विकास एवं उद्यमिता, आईआरसीटीसी और उत्तर प्रदेश सरकार के संबंधित विभाग इस आयोजन के लिए नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करेगी।

 

उद्देश्य:

  • इस उत्सव का उद्देश्य दो संस्कृतियों के बीच प्राचीन बौद्धिक, सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और कारीगरी संबंधों के बारे में फिर से जानकारी प्राप्‍त करना और इन्‍हें सशक्‍त बनाना है।

 

महत्त्व:

  • इस कार्यक्रम स्‍थल पर तमिलनाडु और काशी की कला व संस्कृति, हथकरघा, हस्तशिल्प, व्यंजन और अन्य विशेष उत्पादों को प्रदर्शित करने वाले स्टॉल लगाए गए हैं।
  • तमिलनाडु और काशी की संस्कृति से जुड़े सांस्कृतिक कार्यक्रम भी काशी के नमो घाट पर आयोजित किये जायेंगे।
  • इस कार्यक्रम की पूरी अवधि के दौरान ज्ञान के विभिन्न पहलुओं जैसे साहित्य, प्राचीन ग्रंथ, दर्शन, आध्यात्मिकता, संगीत, नृत्य, नाटक, योग, आयुर्वेद, हथकरघा, हस्तशिल्प के साथ-साथ आधुनिक नवाचार, व्‍यापार आदान-प्रदान, एडटेक और अगली पीढ़ी की अन्‍य प्रौद्योगिकियों पर सेमिनार, चर्चा, व्याख्यान आदि आयोजित किए जाएंगे।

 

काशी और तमिलनाडु के मध्य संबंधो का इतिहास:

  • काशी और तमिलनाडु के बीच संबंध भावनात्मक और रचनात्मक दोनों रूपों में हैं।
  • तमिलनाडु में कई परिवारों ने अपने बच्चों के नामकरण के लिए और काशीनाथ के नाम अपनाए, जैसे कि जो काशी और उत्तर प्रदेश में रह रहे हैं।
  • पंड्या राजवंश के राजा अधिवीर राम पांडियन ने काशी की तीर्थयात्रा के बाद तमिलनाडु के तेनकासी में एक शिव मंदिर समर्पित किया , जिनके पूर्वजों ने शिवकाशी की स्थापना की थी।
  • संत कुमारगुरुपारा ने "काशी कलांबकम" लिखा है जो काशी पर कविताओं की एक व्याकरणिक रचना है।

                   

                                                                                     स्रोत:पीआईबी

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