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केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट)

02.04.2024

 

केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट)

 

प्रारंभिक परीक्षा के लिए:केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) के बारे में, केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण की शक्तियां

 

खबरों में क्यों ?                                                                        

            इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने माना है कि अवमानना ​​कार्यवाही में केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) के आदेश के खिलाफ अपील उच्चतम न्यायालय में की जा सकती है।

 

महत्वपूर्ण बिन्दु :

  • इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने माना है कि प्रशासनिक न्यायाधिकरण अधिनियम 1985 की धारा 17 के तहत अपने अवमानना ​​क्षेत्राधिकार का प्रयोग करते हुए केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण के एक आदेश के खिलाफ अपील अदालत की अवमानना ​​अधिनियम, 1971 की धारा 19 के तहत सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष की जा सकती है।
  • यह माना गया कि ऐसे किसी भी आदेश को अनुच्छेद 226 के तहत उच्च न्यायालय के समक्ष चुनौती नहीं दी जा सकती हैं।

 

केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) के बारे में:

  • केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण की स्थापना संविधान के अनुच्छेद 323-ए के तहत की गई थी।
  • इसका प्रमुख उद्देश्य संघ या सरकार के नियंत्रण में अन्य प्राधिकरणों के मामलों के संबंध में सार्वजनिक सेवाओं और पदों पर नियुक्त व्यक्तियों की भर्ती और सेवा की शर्तों के संबंध में विवादों और शिकायतों का निपटारा करना।
  • केंद्र सरकार के मंत्रालयों और विभागों के अलावा , सरकार ने समय-समय पर कैट के अधिकार क्षेत्र के तहत लगभग 214 संगठनों को अधिसूचित किया है।
  • इसमे एक पीठ में एक न्यायिक सदस्य  और एक प्रशासनिक सदस्य होता है।  पूरे भारत में कैट में 17 बेंच और 21 सर्किट बेंच हैं।
  • कैट के अध्यक्ष और सदस्यों की सेवा शर्तें उच्च  न्यायालय के न्यायाधीश के समान ही हैं।
  • ट्रिब्यूनल के अधिकारियों और अन्य कर्मचारियों के वेतन, भत्ते और सेवा की शर्तें  केंद्र सरकार द्वारा निर्दिष्ट की जाती हैं।

 

केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण की शक्तियां :

  • यह  केवल प्रशासनिक न्यायाधिकरण अधिनियम 1985 के अंतर्गत आने वाले पक्षों के सेवा मामलों के संबंध में क्षेत्राधिकार का प्रयोग करता है।
  • ट्रिब्यूनल  मामलों का निर्णय लेने में प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों द्वारा निर्देशित होता है और सिविल प्रक्रिया संहिता द्वारा निर्धारित प्रक्रिया से बंधा नहीं होता है।
  • इसे प्रक्रिया और अभ्यास के अपने नियम बनाने का अधिकार है।
  • इसे उच्च न्यायालय के रूप में स्वयं की अवमानना ​​के संबंध में समान क्षेत्राधिकार  और अधिकार का  प्रयोग करने की शक्ति प्रदान की गई है।

 

                                       स्रोतः इंडियन एक्सप्रेस