23.06.2025
क्वांटम संचार
प्रसंग
आईआईटी दिल्ली और डीआरडीओ के वैज्ञानिकों ने भारत की क्वांटम संचार तकनीक को नई ऊँचाइयों पर पहुंचाया है। यह एक भविष्य की तकनीक है, जिसका उद्देश्य उपग्रह आधारित हैक-प्रूफ संचार नेटवर्क तैयार करना है। भारत अब 2030 तक अपना क्वांटम संचार उपग्रह लॉन्च करने की दिशा में अग्रसर है, जिससे वह इस क्षेत्र में वैश्विक अग्रणी देशों की कतार में शामिल हो सकेगा।
समाचार के बारे में
- भारत का लक्ष्य 2030 तक एक क्वांटम संचार उपग्रह लॉन्च करना है।
- आईआईटी दिल्ली और डीआरडीओ ने इस तकनीक के कई प्रमुख घटक विकसित किए हैं।
- वर्ष 2025 में भारत ने क्वांटम एंटैंगलमेंट के ज़रिए 1 किमी की वायरलेस संचार दूरी प्राप्त की – यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
- चीन इस क्षेत्र में वैश्विक अग्रणी है और पिछले दशक से क्वांटम उपग्रह संचालित कर रहा है।
प्रमुख विशेषताएँ / प्रावधान
- क्वांटम संचार में फोटॉनों (प्रकाश कणों) द्वारा सूचना भेजी जाती है, जिससे यह अत्यंत सुरक्षित बनता है।
- यह क्यों सुरक्षित है? क्योंकि यदि कोई सिग्नल को रोकने की कोशिश करता है, तो फोटॉन की स्थिति बदल जाती है, और दोनों पक्षों को तुरंत पता चल जाता है।
- Quantum Key Distribution (QKD) तकनीक यह सुनिश्चित करती है कि डेटा न तो पढ़ा जा सके, न ही कॉपी किया जा सके।
- यह पासवर्ड की जगह क्वांटम सिद्धांतों पर आधारित एन्क्रिप्शन कुंजियाँ बनाता है।
- भारत की प्रणाली दो तरीकों से काम करेगी:
- ऑप्टिकल फाइबर आधारित (वायर्ड) – शहरी क्षेत्रों के लिए लघु दूरी हेतु
- एंटैंगलमेंट आधारित (वायरलेस) – उपग्रह से धरती तक की लंबी दूरी हेतु
- क्वबिट (Qubit) क्लासिकल बिट का क्वांटम संस्करण है – जहाँ क्लासिकल बिट 0 या 1 होता है, वहीं क्वबिट एक साथ 0 और 1 दोनों हो सकता है।
- इससे क्वांटम कंप्यूटर में अधिक तेज़ और जटिल गणनाएँ संभव होती हैं।
- Quantum Entanglement वह स्थिति है जिसमें दो कण इस प्रकार जुड़े रहते हैं कि एक में बदलाव का असर दूसरे पर तुरंत पड़ता है, चाहे वे कितनी भी दूरी पर हों।
- यही लंबी दूरी के वायरलेस क्वांटम संचार की मूलभूत तकनीक है।
- भविष्य में इसके उपयोग सैन्य संचार, सुरक्षित सरकारी संदेश, बैंकिंग सुरक्षा, और क्वांटम इंटरनेट जैसे क्षेत्रों में होंगे।
राष्ट्रीय क्वांटम मिशन (NQM)
भारत का राष्ट्रीय क्वांटम मिशन विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) द्वारा संचालित एक रणनीतिक पहल है, जिसका उद्देश्य क्वांटम सिद्धांतों का उपयोग कर अगली पीढ़ी की तकनीकों को विकसित करना है — जैसे सुरक्षित संचार, सटीक संवेदना प्रणाली, और क्वांटम कंप्यूटिंग।
समयसीमा व बजट
- केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा अप्रैल 2023 में मंजूरी
- कुल अनुमानित बजट: ₹6,000 करोड़
- कार्यान्वयन अवधि: 2023 से 2031 (8 वर्ष)
प्रमुख फोकस क्षेत्र
- 50 से 1000 क्वबिट्स वाले क्वांटम कंप्यूटर का निर्माण
- राष्ट्रीय क्वांटम प्रयोगशालाएँ और प्रौद्योगिकी पार्क की स्थापना
- QKD प्रणाली का विकास
- नेविगेशन, स्वास्थ्य और रक्षा क्षेत्रों के लिए क्वांटम संवेदक तैयार करना
|
प्रमुख चुनौतियाँ
- अत्यधिक तकनीकी जटिलता और ढाँचागत लागत
- उदाहरण: सिंगल-फोटॉन डिटेक्टर व क्रायोजेनिक प्रणाली महँगी होती हैं।
- चीन की तकनीकी बढ़त से भारत पर दबाव
- उदाहरण: चीन का Micius उपग्रह पहले ही स्पेस-टू-ग्राउंड QKD हासिल कर चुका है।
- भारत में प्रयोगात्मक सुविधाओं की कमी
- उदाहरण: बहुत कम भारतीय प्रयोगशालाएँ व्यावहारिक क्वांटम शोध के योग्य हैं।
- प्रशिक्षित वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की कमी
- उदाहरण: अधिकांश विश्वविद्यालय अभी भी पारंपरिक भौतिकी ही पढ़ाते हैं।
आगे की राह
- सरकारी सहयोग से अनुसंधान में निवेश बढ़ाना
- उदाहरण: IITs और IISc जैसे संस्थानों में राष्ट्रीय क्वांटम प्रयोगशालाओं की स्थापना
- निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित करना
- उदाहरण: भारतीय टेक स्टार्टअप्स के साथ एन्क्रिप्शन और उपग्रह प्रणालियों में सहयोग
- रक्षा और वित्त जैसे क्षेत्रों में पायलट परियोजनाएँ शुरू करना
- उदाहरण: सैन्य ठिकानों और DRDO के बीच क्वांटम सुरक्षित मैसेजिंग
- शिक्षा पाठ्यक्रम में सुधार कर क्वांटम विज्ञान को शामिल करना
- उदाहरण: B.Tech व M.Sc. में क्वांटम मैकेनिक्स, ऑप्टिक्स, और कंप्यूटिंग को शामिल करना
निष्कर्ष
भारत का क्वांटम संचार उपग्रह मिशन देश की डिजिटल सुरक्षा को साइबर खतरों से बचाने की एक रणनीतिक पहल है। यह विज्ञान व प्रौद्योगिकी, अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा, और राष्ट्रीय सुरक्षा का संगम है। यदि भारत अनुसंधान, प्रशिक्षण और सहयोग पर लगातार ध्यान देता है, तो वह 2030 तक क्वांटम संचार में वैश्विक अग्रणी बन सकता है।