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वामपंथी उग्रवाद (Left-Wing Extremism - LWE) / नक्सलवाद

24.06.2025

 

वामपंथी उग्रवाद (Left-Wing Extremism - LWE) / नक्सलवाद

 

प्रसंग
 केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मार्च 2026 तक भारत को पूरी तरह से नक्सलवाद मुक्त बनाने के सरकार के लक्ष्य को दोहराया, जिससे शांति और विकास सुनिश्चित किया जा सके।

समाचार के बारे में

  •  गृह मंत्री ने कहा कि नक्सलवाद के खिलाफ युद्ध अब अपने अंतिम चरण में है।
  • यह केंद्र सरकार की एक रणनीतिक और समयबद्ध प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
  •  पिछले 35 वर्षों में नक्सली हिंसा के कारण 40,000 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है।
  •  यह संघर्ष की मानवीय और सामाजिक लागत को उजागर करता है।
  • आदिवासी समुदायों को लंबे समय तक संघर्षग्रस्त क्षेत्रों में बुनियादी सेवाओं से वंचित रहना पड़ा।
  • इस उग्रवाद ने विकास को पीछे धकेला और लोगों को मुख्यधारा से अलग-थलग कर दिया।

नक्सलवाद
 

  •  नक्सलवाद एक माओवादी प्रेरित उग्रवाद है जिसका उद्देश्य हिंसा और गुरिल्ला युद्ध के माध्यम से राज्य को उखाड़ फेंकना है।
  •  इस शब्द की उत्पत्ति पश्चिम बंगाल के नक्सलबाड़ी गांव से हुई, जहाँ 1967 में किसानों ने एक विद्रोह किया था।
  •  यह आंदोलन भूमि अधिकारों की माँग से शुरू हुआ लेकिन बाद में भारत के कई हिस्सों में फैल गया।
  •  नक्सली मुख्य रूप से आदिवासी और वन क्षेत्रों में सक्रिय रहते हैं और स्थानीय असंतोष का लाभ उठाते हैं।
  •  यह आज भी भारत के कई राज्यों में एक गंभीर आंतरिक सुरक्षा चुनौती बना हुआ है।

 

भारत में नक्सलवाद से निपटने के प्रयास और रणनीतियाँ

  1. राष्ट्रीय नीति एवं कार्य योजना (2015)
     यह एक समग्र रणनीति है जो सुरक्षा, विकास, आदिवासी समुदायों के अधिकारों और जनसंपर्क पर केंद्रित है।
  2. सामधान (SAMADHAN) सिद्धांत
     एक बहुआयामी रणनीति जिसमें हर अक्षर का विशेष महत्व है:
     S – स्मार्ट नेतृत्व (Smart Leadership)
     A – आक्रामक रणनीति (Aggressive Strategy)
     M – प्रेरणा और प्रशिक्षण (Motivation and Training)
     A – व्यावहारिक खुफिया जानकारी (Actionable Intelligence)
     D – निगरानी हेतु डैशबोर्ड (Dashboard for Monitoring)
     H – तकनीकी का उपयोग (Harnessing Technology)
     A – कार्य योजना (Action Plan)
     N – वित्तीय पहुँच समाप्त (No Access to Financing)

 

  1. ऑपरेशन ग्रीन हंट
     यह एक व्यापक सैन्य अभियान था जिसका उद्देश्य अर्धसैनिक बलों के माध्यम से वनों में छिपे नक्सलियों को समाप्त करना था।

 

  1. विशेष बलों की तैनाती
  • ग्रेहाउंड्स: आंध्र प्रदेश की एक विशेष कमांडो इकाई जो जंगल युद्ध में विशेषज्ञ है।
  • बस्तरिया बटालियन: छत्तीसगढ़ के आदिवासी युवाओं को स्थानीय संघर्ष क्षेत्रों के लिए भर्ती किया गया।
     
  1. विशेष केंद्रीय सहायता (SCA)
     नक्सल प्रभावित जिलों को सड़क, स्वास्थ्य केंद्र, विद्यालय बनाने और आजीविका परियोजनाओं के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
  2. बंदोपाध्याय समिति की सिफारिशों का क्रियान्वयन
     भूमि अधिकार, वन संसाधनों तक पहुँच और विस्थापित आदिवासी समुदायों के पुनर्वास पर विशेष ध्यान दिया गया है ताकि अलगाव की भावना समाप्त हो।

सरकार ड्रोन, जीपीएस और सैटेलाइट निगरानी का उपयोग कर रही है, पुलिस बलों को बेहतर प्रशिक्षण और आधुनिक उपकरणों से लैस कर रही है, पीएम आवास, जल जीवन मिशन जैसी कल्याणकारी योजनाओं को बढ़ावा दे रही है, और जनजागरूकता कार्यक्रमों के ज़रिए आदिवासी समुदायों का विश्वास जीत रही है।

 

चुनौतियाँ
 

  •  खनन परियोजनाओं के कारण बड़े पैमाने पर आदिवासी विस्थापन हुआ, जिससे असंतोष बढ़ा।
  • उदाहरण: बस्तर क्षेत्र में खनन ने कई लोगों को बिना पुनर्वास के विस्थापित कर दिया।
     सड़क, पानी और स्कूल जैसी बुनियादी सेवाओं की कमी से स्थानीय लोग नाराज़ हुए।
     
  • राज्य की अनुपस्थिति के कारण आदिवासी युवाओं ने विद्रोही संगठनों का साथ दिया।
     वन संरक्षण अधिनियम 1980 जैसे कानूनों ने पारंपरिक संसाधनों तक पहुँच को रोका।
  • विकल्प न होने से आदिवासी विद्रोहियों की ओर चले गए।
     दुर्गम क्षेत्र में शासन और पुलिस की पहुँच कठिन बनी रही।
  • जैसे दंतेवाड़ा जैसे घने जंगल नक्सल गढ़ बन गए।
     

आगे की राह
 

  •  सिर्फ सैन्य कार्रवाई नहीं, विकास और समावेशन पर भी ज़ोर देना चाहिए।
  • पीएम आवास योजना जैसी योजनाएँ प्रभावित क्षेत्रों तक शीघ्र पहुँचनी चाहिए।
  • समन्वित खुफिया और कार्रवाई के लिए सामधान रणनीति को और मजबूत करना होगा।
  • ड्रोन और रियल टाइम डेटा का उपयोग घात लगाकर किए हमलों को रोक सकता है।
  • बंदोपाध्याय समिति द्वारा सुझाई गई जनजाति-सम्वेदनशील भूमि नीतियों को बढ़ावा देना चाहिए।
  • इससे भूमि अधिग्रहण के समय भविष्य में अशांति को रोका जा सकता है।
  • बस्तरिया बटालियन जैसे सफल मॉडल को अन्य क्षेत्रों में भी अपनाया जाना चाहिए।
  • स्थानीय युवाओं की भागीदारी से बेहतर ज़मीनी जानकारी और जनविश्वास प्राप्त होता है।
     

निष्कर्ष
 हालाँकि नक्सलवाद की ताक़त कमजोर हुई है, लेकिन इसे पूरी तरह समाप्त करने के लिए निरंतर विकास, आदिवासी सशक्तिकरण और न्यायपूर्ण शासन आवश्यक है, ताकि भारत के सबसे प्रभावित और वंचित समुदायों को सुरक्षा और गरिमा मिल सके।

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