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भारत में आवारा कुत्तों का मुद्दा

भारत में आवारा कुत्तों का मुद्दा

• देश में आवारा कुत्तों की आबादी 35 मिलियन से ज़्यादा है, जबकि पालतू कुत्तों की संख्या कुत्तों की कुल आबादी का सिर्फ़ 10 मिलियन है।

• कुत्ते बहुत तेज़ी से प्रजनन करते हैं, जिससे ऐसे जानवरों की आबादी बढ़ती है।

• आधुनिक समय में इनकी निरंतर आबादी को बनाए रखना एक बड़ा काम है, लेकिन कुछ उपाय करके इनकी संख्या को कम किया जा सकता है।

आवारा कुत्ते और रेबीज

लोकसभा में दी गई एक रिपोर्ट के अनुसार - 2012 में भारत में कुत्तों की आबादी 1.71 करोड़ थी, जबकि आने वाले सालों यानी 2019 तक यह घटकर 1.53 करोड़ रह गई।

• अन्य लोगों का कहना है कि यह आबादी बहुत ज़्यादा है, क्योंकि सर्वेक्षणों के दौरान कई कुत्तों की संख्या का पता ही नहीं चलता।

• डब्ल्यूएचओ के अनुसार - रेबीज के कारण होने वाली वैश्विक मौतें - 59,000 प्रति वर्ष

- भारत में वैश्विक स्तर पर 36% और दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में 65% मौतें होती हैं।

- राष्ट्रीय रेबीज नियंत्रण कार्यक्रम (NRCP) द्वारा 2012-2022 तक रेबीज के लगभग 6500 मामले रिपोर्ट किए गए हैं, जिनमें से 96% मामले आवारा कुत्तों के हमलों के कारण होते हैं।

भारत में आवारा कुत्तों की संख्या में वृद्धि के कारण

1.) ABC कार्यक्रमों की कमी - ऐसे लक्षित जानवरों की आबादी को कम करने, काटने और हमलों को रोकने के साथ-साथ रेबीज को खत्म करने के लिए पशु जन्म नियंत्रण कार्यक्रम तैयार किए जाते हैं।

उदाहरण के लिए - हाल ही में केरल सरकार द्वारा कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण किया गया।

2.) टीकाकरण कार्यक्रम - कुत्तों को रेबीज जैसी बीमारियों से बचाने के लिए टीकाकरण को लक्षित करने वाले विशिष्ट कार्यक्रम। तमिलनाडु सरकार ने हाल ही में चेन्नई में लगभग 87000 कुत्तों को टीका लगाने पर ध्यान केंद्रित किया है।

3.) जागरूकता अभियान - लोगों को जिम्मेदार पालतू मालिक बनने के लिए शिक्षित करना। दिल्ली सरकार ने लोगों को आवारा कुत्तों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए "मानव बनें-जीवन बचाएं" नामक एक अभियान शुरू किया है।

4.) कानूनी प्रावधान - पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960, राज्य नगर पालिका अधिनियम (एसएमए) और पशु जन्म नियंत्रण नियम 2001 कुछ ऐसे प्रावधान हैं जिनका लक्ष्य कुत्तों की आबादी में प्रभावी कमी लाना और कुत्तों को अच्छा स्वामित्व प्रदान करना है।

 

आगे की राह

• नगर निकायों द्वारा एबीसी कार्यक्रम, 2023 के नए नियमों का कार्यान्वयन सुनिश्चित किया जाना चाहिए।

• भारतीय नस्लों को अपनाने को प्रोत्साहित करने से ऐसे जानवरों के लिए बेहतर रहने की स्थिति का मार्ग प्रशस्त होगा।

• बेहतर प्रतिरक्षा क्षमता वाले देशी कुत्तों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।

• कुत्तों को पर्याप्त भोजन और आश्रय प्रदान करके जिम्मेदार पालतू जानवरों की देखभाल को प्रोत्साहित करना जिससे कुत्तों को आवारा बनने से रोकने में मदद मिल सके।

• लोगों और सरकार दोनों द्वारा बड़े पैमाने पर नसबंदी और टीकाकरण को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।

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