LATEST NEWS :
Mentorship Program For UPSC and UPPCS separate Batch in English & Hindi . Limited seats available . For more details kindly give us a call on 7388114444 , 7355556256.
asdas
Print Friendly and PDF

भारत में दहेज मृत्यु

21.07.2025

 

भारत में दहेज मृत्यु

 

संदर्भ:
उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु और चंडीगढ़ जैसे राज्यों में दहेज से संबंधित मौतों में चिंताजनक वृद्धि ने इस गहरी सामाजिक बुराई और समय पर न्याय प्रदान करने में कानूनी तंत्र की विफलता की ओर पुनः ध्यान आकर्षित किया है।

 

भारत में दहेज मृत्यु के बारे में

दहेज हत्याएँ क्या हैं?
दहेज हत्याएँ तब होती हैं जब दहेज की माँग को लेकर लगातार उत्पीड़न या हिंसा के कारण किसी महिला की हत्या कर दी जाती है या उसे आत्महत्या के लिए मजबूर किया जाता है। ये भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 304बी और दहेज निषेध अधिनियम, 1961 के तहत दंडनीय हैं।

 

प्रमुख आंकड़े और रुझान (2017–2022)

  • प्रतिवर्ष लगभग 7,000 मौतें दर्ज की जाती हैं (एनसीआरबी)।
     
  • 6,100 से अधिक हत्याएं सीधे दहेज से संबंधित कारणों से जुड़ी हुई हैं।
     
  • प्रत्येक वर्ष केवल 4,500 मामलों में आरोप पत्र दाखिल किया गया; 2022 में 3,000 से अधिक मामले जांच के अधीन रहे।
     
  • दोषसिद्धि दर: प्रतिवर्ष लगभग 6,500 मुकदमों में से मात्र 100 में दोषसिद्धि।
     
  • उच्च-घटना वाले राज्य: उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, ओडिशा, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, हरियाणा (लगभग 80% मामले)।
     
  • शहरी चिंता: प्रमुख शहरों में दहेज हत्याओं में दिल्ली का योगदान 30% है।
     

 

आगे बढ़ने का रास्ता

  • कानूनी सुदृढ़ीकरण: दहेज संबंधी मामलों के लिए फास्ट-ट्रैक अदालतें तथा एक वर्ष के भीतर मुकदमे का अनिवार्य रूप से पूरा होना।
     
  • गवाह संरक्षण: पीड़ितों के परिवारों और मुखबिरों को सामाजिक और कानूनी धमकी से बचाना।
     
  • पुलिस जवाबदेही: जांच और आरोप पत्र दाखिल करने में देरी या निष्क्रियता के लिए दंडित करें।
     
  • सामुदायिक हस्तक्षेप: प्रतिगामी दृष्टिकोण को बदलने के लिए जमीनी स्तर पर जागरूकता अभियान, जिसमें पंचायतों, गैर सरकारी संगठनों और स्वयं सहायता समूहों को शामिल किया जाता है।
     
  • आर्थिक सशक्तिकरण: लक्षित रोजगार योजनाओं और कानूनी साक्षरता अभियानों के माध्यम से महिलाओं की वित्तीय स्वतंत्रता को प्रोत्साहित करना।

 

निष्कर्ष

दशकों से चले आ रहे क़ानूनों के बावजूद, दहेज हत्याएँ भारत में व्याप्त लैंगिक पूर्वाग्रहों और व्यवस्थागत उदासीनता का एक भयावह प्रतिबिंब बनी हुई हैं। इस हिंसा को समाप्त करने और महिलाओं के सम्मान और जीवन के अधिकार को सुनिश्चित करने के लिए एक बहुआयामी प्रतिक्रिया - कानूनी, सामाजिक और प्रशासनिक - अत्यंत आवश्यक है।

Get a Callback