11.12.2024
मेली-एमिली
प्रारंभिक परीक्षा के लिए: मेली-एमिली के बारे में, शोध के मुख्य बिंदु
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खबरों में क्यों?
प्रतिष्ठित पत्रिका 'फूड फ्रंटियर्स' में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन में बताया गया है कि त्रिपुरा की पारंपरिक किण्वित बांस की किस्म, जिसे लोकप्रिय रूप से 'मेली-एमिली' कहा जाता है, और इसमे मोटापा-रोधी प्रभाव होता है।
मेली-एमिली के बारे में:
- यह त्रिपुरा की एक पारंपरिक किण्वित बांस की किस्म है।
- इसमें मोटापा-रोधी प्रभाव है और यह वजन प्रबंधन और चयापचय स्वास्थ्य के लिए एक समाधान प्रदान करता है।
- यह लिपिड संचयन को कम करता है और फैटी एसिड β-ऑक्सीकरण को बढ़ाता है।
शोध के मुख्य बिंदु:
- इन-विट्रो सेल कल्चर अध्ययनों के आधार पर, टीम ने पाया है कि 'मेली-एमिली' अंतरकोशिकीय लिपिड संचयन को कम कर सकता है।
- इस प्रक्रिया में लिपोलाइटिक (एचएसएल, एलपीएल, और एजीटीएल) और वसा ब्राउनिंग नियामक जीन (यूसीपी1, पीआरडीएम16, और पीजीसी1-अल्फा) की अभिव्यक्ति में वृद्धि शामिल थी।
- इसके अलावा, अध्ययन से पता चलता है कि मेलिए-एमिली के साथ उपचार से एएमपीके सिग्नलिंग मार्ग के माध्यम से थर्मोजेनिक प्रोटीन अभिव्यक्ति का उत्थान होता है।
- यह प्रक्रिया माइटोकॉन्ड्रियल जैवजनन को उत्तेजित करती है और फैटी एसिड β-ऑक्सीकरण को बढ़ाती है, जिससे वजन प्रबंधन और चयापचय स्वास्थ्य के लिए एक बहुमुखी दृष्टिकोण मिलता है।
- इन निष्कर्षों से पता चलता है कि किण्वित बांस की टहनियों का अर्क श्वेत वसाकोशिकाओं में ऊर्जा व्यय को बढ़ाकर मोटापा-रोधी प्रभाव डालता है।
स्रोत: पीआईबी
मेले-एमिली, एक पारंपरिक किण्वित बांस शूट किस्म, निम्नलिखित में से किस राज्य में पाई जाती है?
A.उत्तराखंड
B.त्रिपुरा
C.महाराष्ट्र
D.असम
उत्तर B