30.06.2025
नेशनल टरमरिक बोर्ड का उद्घाटन
प्रसंग:
हल्दी किसानों की चार दशक पुरानी मांग को पूरा करते हुए, केंद्रीय गृह मंत्री ने तेलंगाना के निजामाबाद में नेशनल टरमरिक बोर्ड के मुख्यालय का उद्घाटन किया।
नेशनल टरमरिक बोर्ड के बारे में
नेशनल टरमरिक बोर्ड भारत सरकार द्वारा गठित एक नवगठित वैधानिक निकाय है, जिसका उद्देश्य हल्दी की पूरी वैल्यू चेन—कृषि से लेकर अंतरराष्ट्रीय व्यापार तक—का प्रचार और विनियमन करना है।
- मुख्यालय:
निजामाबाद, तेलंगाना, जिसे ऐतिहासिक रूप से "भारत की हल्दी राजधानी" कहा जाता है।
- प्रशासनिक अधिकार क्षेत्र:
यह बोर्ड वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत कार्य करता है, और आयुष, कृषि, फार्मास्यूटिकल्स एवं सहकारिता मंत्रालयों के साथ समन्वय में संचालित होता है।
- शासी निकाय की संरचना:
- केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त अध्यक्ष
- वाणिज्य विभाग के अधिकारी
- संबंधित मंत्रालयों के प्रतिनिधि
- प्रमुख हल्दी उत्पादक राज्यों जैसे तेलंगाना, महाराष्ट्र, और मेघालय के सदस्य
- हल्दी किसान, निर्यातक और अनुसंधान संस्थानों के विशेषज्ञ
बोर्ड के उद्देश्य
- मूल्य संवर्धन और ब्रांडिंग को बढ़ावा देना:
हल्दी उत्पादों की ब्रांडिंग और प्रसंस्करण को घरेलू और वैश्विक बाजार में बढ़ावा देना।
- किसानों की आय में वृद्धि:
बिचौलियों को हटाकर उत्पादकों को बेहतर मूल्य सुनिश्चित करना।
- औषधीय उपयोग का वैश्विक प्रचार:
हल्दी के स्वास्थ्य लाभों के बारे में जागरूकता फैलाना, विशेषकर आयुर्वेद और न्यूट्रास्यूटिकल क्षेत्र में।
- लॉजिस्टिक्स और गुणवत्ता सुधारना:
हल्दी उत्पादन को अंतरराष्ट्रीय गुणवत्ता और खाद्य सुरक्षा मानकों के अनुसार बनाना।
- क्षमता निर्माण:
प्रशिक्षण, कौशल विकास और अनुसंधान के माध्यम से बेहतर हल्दी खेती को बढ़ावा देना।
बोर्ड के प्रमुख कार्य
- निर्यात अवसंरचना का विकास:
हल्दी निर्यात की आपूर्ति श्रृंखला को सुव्यवस्थित करने के लिए सुविधाएं विकसित करना।
- GI-टैग और जैविक हल्दी का प्रचार:
भौगोलिक संकेत (GI) प्राप्त एवं जैविक हल्दी किस्मों को प्रोत्साहन देना।
- मानक अनुपालन सुनिश्चित करना:
अंतरराष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा और फाइटोसैनिटरी मानकों के अनुपालन की निगरानी करना।
- निर्यात एजेंसियों से समन्वय:
स्पाइस बोर्ड ऑफ इंडिया और नेशनल कोऑपरेटिव एक्सपोर्ट लिमिटेड जैसी संस्थाओं के साथ सहयोग करना।
भारत में हल्दी का परिदृश्य
- वनस्पति प्रोफ़ाइल:
हल्दी (Curcuma longa) एक उष्णकटिबंधीय पौधा है, जिसका उपयोग औषधीय, पाक और रंगाई में होता है। इसे आमतौर पर "गोल्डन स्पाइस" कहा जाता है।
- खेती के क्षेत्र:
हल्दी 20+ राज्यों में उगाई जाती है। मुख्य उत्पादक राज्य हैं:
- महाराष्ट्र
- तेलंगाना
- कर्नाटक
- तमिलनाडु
- आंध्र प्रदेश
- मेघालय
- जलवायु आवश्यकताएँ:
- 20–30°C तापमान की आवश्यकता
- अधिक वर्षा, और अच्छी जलनिकासी वाली दोमट मिट्टी
- सिंचित और वर्षा-आधारित दोनों क्षेत्रों में होती है खेती
हल्दी उत्पादन एवं निर्यात – प्रमुख आँकड़े (2022–23)
भारत में हल्दी की खेती 3.24 लाख हेक्टेयर में होती है, जिससे सालाना 11.61 लाख टन उत्पादन होता है। भारत का वैश्विक योगदान 75% से अधिक है।
भारत ने 1.53 लाख टन हल्दी निर्यात की, जिसकी कुल कीमत USD 207.45 मिलियन रही।
सरकार का लक्ष्य 2030 तक USD 1 बिलियन निर्यात प्राप्त करना है।
निष्कर्ष
नेशनल टरमरिक बोर्ड की स्थापना भारत के हल्दी किसानों के लिए संस्थागत समर्थन की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। यह बोर्ड मूल्य संवर्धन, गुणवत्ता नियंत्रण, बाजार संपर्क, और वैश्विक ब्रांडिंग पर केंद्रित रहकर हल्दी को एक पारंपरिक फसल से अंतरराष्ट्रीय कृषि संपदा में बदलने की क्षमता रखता है।