27.06.2025
स्मॉल फाइनेंस बैंकों के लिए प्राथमिकता क्षेत्र ऋण (PSL) मानदंडों में RBI की हालिया छूट
प्रसंग:
जून 2025 में, भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने स्मॉल फाइनेंस बैंकों (SFBs) के लिए प्राथमिकता क्षेत्र ऋण (PSL) की आवश्यकताओं में ढील दी है। इस कदम का उद्देश्य अति-सेवित क्षेत्रों को समावेशी ऋण प्रदान करने के लक्ष्य को बनाए रखते हुए SFBs को अधिक परिचालन लचीलापन देना है।
समाचार के बारे में:
- RBI ने SFBs के लिए PSL लक्ष्य को 75% से घटाकर 60% कर दिया है।
- इससे SFBs पर अनिवार्य ऋण देने का बोझ कम होगा।
- यह बदलाव वित्त वर्ष 2025–26 से प्रभावी होगा।
- यह सभी वर्तमान और भविष्य के SFBs पर लागू होगा।
- अतिरिक्त 20% आवंटन लचीला रहेगा।
- बैंक अपने विशेषज्ञता वाले क्षेत्रों में ऋण दे सकेंगे।
- उद्देश्य है कि नियमन और व्यावसायिक व्यवहार्यता के बीच संतुलन बना रहे।
- इससे SFBs को जोखिम प्रबंधन में मदद मिलेगी, साथ ही प्राथमिकता क्षेत्रों की सेवा जारी रखी जा सकेगी।
सुधार की प्रमुख विशेषताएँ:
- PSL में उन क्षेत्रों को शामिल किया गया है जो कम सेवा प्राप्त हैं,
जैसे: कृषि, MSMEs, शिक्षा, नवीकरणीय ऊर्जा, कमजोर वर्ग आदि।
- नया लक्ष्य है: 60% ANBC (एडजस्टेड नेट बैंक क्रेडिट) या CEOBE (ऑफ-बैलेंस शीट एक्सपोजर का क्रेडिट समतुल्य), जो अधिक हो वही मान्य होगा।
- 40% ऋण को सामान्य PSL नियमों का पालन करना अनिवार्य है।
यह ऋण कृषि, आवास, MSME जैसे उप-क्षेत्रों में वितरित होना चाहिए।
- शेष 20% लचीला रहेगा।
SFBs इसे उन क्षेत्रों में आवंटित कर सकते हैं जहाँ उन्हें विशेषज्ञता है।
- यह मार्च 2025 के PSL सुधारों के अनुरूप है।
उस समय सहकारी बैंकों और ऋण श्रेणियों जैसे आवास और शिक्षा में भी बदलाव किए गए थे।
- क्रेडिट वितरण में नवाचार को प्रोत्साहन मिलेगा।
विशेषकर टेक्नोलॉजी आधारित और कम लागत वाले बैंकिंग मॉडल के माध्यम से।
SFB (स्मॉल फाइनेंस बैंक) के बारे में
- वित्तीय समावेशन पर फोकस
SFBs छोटे व्यवसायों, किसानों और निम्न-आय वर्गों जैसे कम सेवा प्राप्त समूहों को बैंकिंग और ऋण सेवाएं प्रदान करते हैं।
- RBI द्वारा नियमन
SFBs को RBI द्वारा विनियमित किया जाता है और इन्हें CRR, SLR जैसे सभी प्रूडेंशियल मानदंडों का पालन करना होता है।
- पात्रता मापदंड
भारतीय निवासी व्यक्ति, NBFCs, MFIs और सहकारी बैंक, जिनकी वित्तीय स्थिति मजबूत हो, RBI की ऑन-टैप योजना के तहत आवेदन कर सकते हैं।
- ऋण देने का अनिवार्य लक्ष्य
SFBs को 75% ऋण प्राथमिकता क्षेत्रों को देना होता है; 50% ऋण ₹25 लाख से कम के होने चाहिए।
- शाखा और पूंजी मानदंड
न्यूनतम पूंजी ₹200 करोड़ होनी चाहिए; 25% शाखाएं अनबैंक्ड ग्रामीण क्षेत्रों में अनिवार्य हैं।
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सहकारी बैंकों के बारे में
- परिभाषा और वर्गीकरण
सहकारी बैंक ऐसे सदस्य-स्वामित्व वाले संस्थान होते हैं जो राज्य या केंद्रीय सहकारी कानूनों के तहत पंजीकृत होते हैं, और इन्हें शहरी एवं ग्रामीण सहकारी बैंकों में वर्गीकृत किया जाता है।
- स्वामित्व और मतदान अधिकार
इन बैंकों के ग्राहक ही इसके सदस्य होते हैं, जिन्हें "एक व्यक्ति, एक वोट" के सिद्धांत के आधार पर मतदान अधिकार प्राप्त होते हैं।
- उद्देश्य और कार्य
मुख्य उद्देश्य किसानों, लघु व्यवसायों और स्वरोजगार से जुड़े व्यक्तियों को ऋण देना होता है, विशेष रूप से ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में।
- नियामक ढांचा
बैंकिंग कार्यों के लिए RBI और प्रबंधन के लिए राज्य के सहकारी पंजीयक द्वारा संयुक्त रूप से विनियमित किए जाते हैं।
- वित्तीय समावेशन में भूमिका
सहकारी बैंक अनबैंक्ड वर्गों को सेवाएं प्रदान कर समावेशी विकास को बढ़ावा देते हैं और 2008 की वैश्विक मंदी जैसे संकटों के दौरान भी स्थिर बने रहे।
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चुनौतियाँ:
- PSL लक्ष्य में कटौती से सामाजिक उद्देश्य कमजोर हो सकते हैं।
उदाहरण: किसानों और छोटे उधारकर्ताओं को ऋण मिलना कम हो सकता है।
- लाभप्रद क्षेत्रों में ऋण केंद्रित होने का खतरा।
उदाहरण: कृषि की तुलना में आवास को प्राथमिकता दी जा सकती है।
- लचीले 20% आवंटन की निगरानी जटिल हो सकती है।
उदाहरण: गैर-प्राथमिक क्षेत्रीय ऋण PSL के रूप में दिखाया जा सकता है।
- SFBs के ऋण वितरण में शहरी झुकाव बढ़ने का खतरा।
उदाहरण: ग्रामीण इकाइयों की तुलना में शहरी MSMEs को वरीयता दी जा सकती है।
आगे की राह:
- लचीले 20% आवंटन में पारदर्शिता सुनिश्चित करें।
उदाहरण: RBI को क्षेत्रवार ऋण डेटा प्रकाशित करना चाहिए।
- लेखा परीक्षण और अनुपालन प्रणाली को मजबूत करें।
उदाहरण: वार्षिक रिपोर्ट में PSL ऋण का विस्तृत विवरण होना चाहिए।
- उपेक्षित क्षेत्रों को ऋण के लिए प्रोत्साहन दें।
उदाहरण: कृषि ऋण पर ब्याज अनुदान उपलब्ध कराना चाहिए।
- ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंच के लिए डिजिटल मॉडल बढ़ावा दें।
उदाहरण: मोबाइल बैंकिंग के माध्यम से अनबैंक्ड क्षेत्रों में विस्तार करें।
निष्कर्ष:
SFBs के लिए RBI द्वारा PSL मानदंडों में संशोधन नियामक लक्ष्यों और व्यावसायिक व्यवहारिकता के बीच संतुलन साधने का प्रयास है। यह बदलाव लचीलापन और प्रतिस्पर्धात्मकता प्रदान करता है, लेकिन असली परीक्षा समावेशिता बनाए रखने और सबसे कमजोर व अनबैंक्ड वर्गों तक वित्तीय सेवाएं पहुँचाने की है। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए निरंतर निगरानी और नवोन्मेषी ऋण प्रथाएं आवश्यक होंगी।