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भारतीय मसाला बोर्ड और SPICED योजना

23.05.2025

 

भारतीय मसाला बोर्ड और SPICED योजना

 

प्रसंग
 भारत मसालों के उत्पादन और निर्यात में विश्व का प्रमुख देश है। इस स्थिति को मजबूत करने के लिए, भारतीय मसाला बोर्ड और हाल ही में शुरू की गई SPICED योजना का उद्देश्य मसाला क्षेत्र में स्थिरता, नवाचार और निर्यात प्रतिस्पर्धा बढ़ाना है, विशेष रूप से इलायची जैसे उच्च-मूल्य वाले मसालों में।

भारतीय मसाला बोर्ड: मूल जानकारी

  • विधायी निकाय: मसाला बोर्ड अधिनियम, 1986 के तहत।
  • स्थापना: 26 फरवरी 1987।
  • गठन:
     
    • इलायची बोर्ड (1968)
    • मसाला निर्यात संवर्धन परिषद (1960) का विलय।
       
  • मुख्यालय: कोच्चि, केरल।
  • nodal मंत्रालय: वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय।
  • कार्य: मसाला निर्यात का विकास, विनियमन और संवर्धन, अनुसंधान, गुणवत्ता नियंत्रण, और बाजार विकास।
  • कवरेज: मसाला बोर्ड अधिनियम में आधिकारिक तौर पर 52 मसालों को शामिल किया गया है।
     

SPICED योजना: मूल जानकारी

  • पूर्ण नाम: Sustainability in Spice Sector Through Progressive Innovative and Collaborative Interventions for Export Development।
  • उद्देश्य: मसाला मूल्य श्रृंखला में नवाचार और सहयोगी मॉडल लागू करना, स्थिरता, गुणवत्ता, उत्पादकता और निर्यात क्षमता बढ़ाना।
     

इलायची पर SPICED का फोकस

  • कारण: उच्च निर्यात मूल्य, रोग प्रवणता, जलवायु संवेदनशीलता।
  • प्रकार:
    • छोटी इलायची (हरी): मिठाइयों में उपयोग, "सच्ची इलायची" के नाम से जानी जाती है।
    • बड़ी इलायची (काली): नमकीन व्यंजनों में उपयोग, "नेपाल इलायची" के नाम से प्रसिद्ध।

भारत में उत्पादन

  • छोटी इलायची: केरल (70% हिस्सा), कर्नाटक, तमिलनाडु।
  • बड़ी इलायची: सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड।
     

वैश्विक तुलना

  • शीर्ष उत्पादक: ग्वाटेमाला (50–60% वैश्विक उत्पादन)।
  • अन्य उत्पादक: श्रीलंका, भारत।
     

निर्यात अवलोकन

  • भारत प्रमुख इलायची निर्यातक।
  • शीर्ष गंतव्य: यूएई, सऊदी अरब, यूरोपीय संघ, अमेरिका, जापान।
  • राजस्व: ₹500–₹600 करोड़ वार्षिक, कम निर्यात मात्रा के बावजूद।
     

मुख्य चुनौतियाँ

  • रोग: इलायची मोज़ेक वायरस जैसे रोग।
  • अवसंरचना की कमी: सुखाने, प्रसंस्करण, भंडारण में।
  • जलवायु संवेदनशीलता: उत्पादन चक्र और गुणवत्ता प्रभावित।
     

SPICED योजना – लक्षित समाधान

चुनौती

SPICED हस्तक्षेप

कम उत्पादकता

उच्च उपज वाले किस्मों में अनुसंधान एवं विकास।

फसल रोग

रोग निगरानी और रोग प्रतिरोधी किस्मों का विकास।

निर्यात प्रतिस्पर्धा

ब्रांडिंग, गुणवत्ता नियंत्रण, भू-उत्पत्ति सूचक (GI) टैग।

अवसंरचना कमी

आधुनिक प्रसंस्करण इकाइयाँ, शीत भंडारण।

बाजार पहुंच

किसान समूह और निर्यात प्रशिक्षण।

आगे का रास्ता

  • सतत खेती को प्रोत्साहन देना: जैविक और जलवायु-प्रतिरोधी खेती।
  • निर्यात पारिस्थितिकी तंत्र: GI टैगिंग, ट्रेसबिलिटी, ब्रांडिंग का विस्तार।
  • प्रौद्योगिकी पर जोर: मसाला प्रसंस्करण और ट्रेसबिलिटी तकनीक में स्टार्टअप्स का समर्थन।
  • समावेशी विकास: छोटे मसाला किसानों को FPOs और सहकारिताओं के माध्यम से वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में जोड़ना।
     

निष्कर्ष
 भारतीय मसाला बोर्ड और SPICED योजना वैश्विक मसाला व्यापार में भारत की नेतृत्व स्थिति सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण हैं। नवाचार, अवसंरचना और समावेशन पर ध्यान देते हुए यह क्षेत्र आर्थिक विकास और लाखों मसाला किसानों की आजीविका सुरक्षा का स्रोत बन सकता है।

 

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