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ग्लोबल फ़ॉरेस्ट वॉच रिपोर्ट

15.04.2024

 

ग्लोबल फ़ॉरेस्ट वॉच रिपोर्ट

                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                               

 प्रारंभिक परीक्षा के लिए: ग्लोबल फ़ॉरेस्ट वॉच के आकड़ो का निष्कर्ष ,महत्वपूर्ण बिन्दु ,ग्लोबल फ़ॉरेस्ट वॉच (GFW) के बारे में

                        

खबरों में क्यो ?                                                    

            हाल ही के ग्लोबल फॉरेस्ट वॉच मॉनिटरिंग प्रोजेक्ट के नवीनतम आंकड़ों से पता चलता है कि भारत ने 2001 और 2023 के बीच 2.3 मिलियन हेक्टेयर वृक्ष क्षेत्र खो दिया है।

 

महत्वपूर्ण बिन्दु :

  • ग्लोबल फ़ॉरेस्ट वॉच के अनुसार भारत ने 2002 से 2023 तक 414,000 हेक्टेयर आर्द्र प्राथमिक वन (4.1%) खो दिया। यह इसके कुल का 18% है। इसी अवधि में वृक्ष आवरण का नुकसान हैं।

 

ग्लोबल फ़ॉरेस्ट वॉच के आकड़ो का निष्कर्ष :

  • नवीनतम आंकड़ों से पता चलता है कि इस अवधि के दौरान असम, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड और मणिपुर में कुल वृक्ष आवरण हानि का 60% हिस्सा था।
  • असम में सबसे अधिक 324,000 हेक्टेयर वृक्षों का नुकसान हुआ, जबकि औसत 66,600 हेक्टेयर था।
  • मिजोरम में 312,000 हेक्टेयर, अरुणाचल प्रदेश में 262,000 हेक्टेयर, नागालैंड में 259,000 हेक्टेयर और मणिपुर में 240,000 हेक्टेयर वृक्ष क्षेत्र नष्ट हो गया।
  • वर्ष 2000 के बाद से भारत में 2.33 मिलियन हेक्टेयर वृक्ष आवरण नष्ट हो गया है, जो इस अवधि के दौरान वृक्ष आवरण में छह प्रतिशत की कमी के बराबर है।
  • 2002 से 2023 तक देश में 4,14,000 हेक्टेयर आर्द्र प्राथमिक वन (4.1 प्रतिशत) नष्ट हो गया, जो इसी अवधि में कुल वृक्ष आवरण हानि का 18 प्रतिशत है।
  • 2001 और 2022 के बीच , भारत के जंगलों ने एक वर्ष में 51 मिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड के बराबर उत्सर्जन किया और 141 मिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड को हटा दिया।
  • यह प्रति वर्ष 89.9 मिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड के बराबर शुद्ध कार्बन सिंक का प्रतिनिधित्व करता है।
  • भारत में वृक्षों के नुकसान के परिणामस्वरूप प्रति वर्ष औसतन 51.0 मिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड वायुमंडल में छोड़ा गया।
  • आंकड़ों से पता चला है कि 2013 से 2023 तक भारत में पेड़ों के आवरण का 95 प्रतिशत नुकसान प्राकृतिक वनों के भीतर हुआ हैं।
  • उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में 2022 की तुलना में पिछले वर्ष 9% की गिरावट आई है।
  • पिछले साल दुनिया ने लगभग 37,000 वर्ग किलोमीटर (14,000 वर्ग मील) उष्णकटिबंधीय प्राथमिक वन खो दिया , जो लगभग स्विट्जरलैंड जितना बड़ा क्षेत्र है।
  • ब्राज़ील, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य और बोलीविया सबसे अधिक प्राथमिक वन हानि वाले उष्णकटिबंधीय देशों की रैंकिंग में शीर्ष पर हैं।
  • 2023 में वैश्विक स्तर पर वनों की कटाई में 3.2% की वृद्धि हुई।

 

ग्लोबल फ़ॉरेस्ट वॉच (GFW) के बारे में:

  • यह उपग्रह डेटा और अन्य स्रोतों का उपयोग करके वास्तविक समय में वैश्विक वनों की निगरानी करने के लिए एक ओपन-सोर्स वेब एप्लिकेशन है।
  •  यह वाशिंगटन स्थित गैर-लाभकारी अनुसंधान संगठन, वर्ल्ड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट (डब्ल्यूआरआई ) की एक परियोजना है।
  • यह मुफ़्त और उपयोग में आसान है, जो किसी को भी कस्टम मानचित्र बनाने, वन रुझानों का विश्लेषण करने, अलर्ट की सदस्यता लेने या अपने स्थानीय क्षेत्र या पूरी दुनिया के लिए डेटा डाउनलोड करने में सक्षम बनाता है।
  • जब वन के विस्तार, हानि और लाभ के बारे में बात की जाती है तो इसका तात्पर्य वृक्ष आवरण से है।
  • वन परिवर्तन की निगरानी के लिए वृक्ष आवरण एक सुविधाजनक मीट्रिक है क्योंकि इसे स्वतंत्र रूप से उपलब्ध, मध्यम-रिज़ॉल्यूशन उपग्रह इमेजरी का उपयोग करके अंतरिक्ष से आसानी से मापा जा सकता है।

 

                                 स्रोत:इंडियन एक्सप्रेस

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