तथ्य
- स्थान - कोरिया जिला, छत्तीसगढ़ का उत्तरी भाग (मध्य प्रदेश और झारखंड की सीमा)
- छत्तीसगढ़ में चौथा टाइगर रिजर्व बनने जा रहा है
- पर्यावरण-पर्यटन को बढ़ावा देना और बफर क्षेत्रों के ग्रामीणों के लिए रोजगार के अवसर पैदा करना।
- MoFCC इसे SWB (राज्य वन्यजीव बोर्ड) और NTCA (राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण) के तहत 2,830 वर्ग किमी में स्थापित करेगा।
- राज्य में पहले से मौजूद तीन बाघ अभयारण्य हैं - इंद्रावती (बीजापुर); उदंती-सीतानदी (गरियाबंद); अचानकमार (मुंगेली).
गुरु घासीदास क्षेत्र का भूगोल
- ऐसे क्षेत्र में पाई जाने वाली जीव प्रजातियाँ हैं - स्तनपायी प्रजातियाँ, बाघ, तेंदुए, लकड़बग्घे, सियार, भेड़िये, स्लॉथ भालू, भौंकने वाले हिरण, चिंकारा और चीतल।
- यह कई नदियों के उद्गम स्थल के रूप में भी योगदान देता है - नेउर, बनास, रेहंद आदि।
- इसकी सीमा झारखंड और मध्य प्रदेश से लगती है, जो बाघों को आने-जाने के लिए बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से पलामू टाइगर रिजर्व तक एक लंबा गलियारा प्रदान करती है।
- इस स्थल का प्रारंभिक नाम संजय डुबरी राष्ट्रीय उद्यान था।