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सतत विमानन ईंधन पर राष्ट्रीय नीति (एसएएफ)

07.11.2025

 

सतत विमानन ईंधन पर राष्ट्रीय नीति (एसएएफ)

 

घोषणा और संदर्भ:
राम मोहन नायडू के नेतृत्व में नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने घोषणा की है कि भारत जल्द ही सतत विमानन ईंधन (SAF) पर एक राष्ट्रीय नीति जारी करेगा । इस नीति का उद्देश्य घरेलू आर्थिक विकास और रोज़गार के अवसरों को बढ़ावा देते हुए विमानन उत्सर्जन को कम करना है।

 

एसएएफ क्या है?

  • परिभाषा: एसएएफ एक जैव ईंधन विकल्प है जो कृषि अवशेष, अपशिष्ट खाना पकाने के तेल, नगरपालिका ठोस अपशिष्ट और शैवाल से प्राप्त होता है
     
  • अनुकूलता: रासायनिक रूप से पारंपरिक जेट ईंधन के समान; बिना किसी संशोधन के मौजूदा विमान इंजनों में प्रयोग योग्य।
     

 

पर्यावरणीय महत्व

  • विमानन वैश्विक CO₂ उत्सर्जन में 2.5-3% का योगदान देता है
     
  • एसएएफ जीवनचक्र कार्बन उत्सर्जन में 70-80% तक की कटौती कर सकता है , जिससे हवाई यात्रा को कार्बन मुक्त करने में सहायता मिलेगी।
     

 

भारत की क्षमता और सम्मिश्रण लक्ष्य

  • बायोमास उपलब्धता: भारत में प्रतिवर्ष लगभग 750 मिलियन टन बायोमास उत्पन्न होता है, जिसमें 213 मिलियन टन कृषि अवशेष शामिल हैं।
     
  • रिफाइनरी क्षमता: आईओसी, बीपीसीएल और एचपीसीएल प्रति वर्ष लगभग 70 मिलियन लीटर एसएएफ का उत्पादन कर सकते हैं।
     
  • सम्मिश्रण लक्ष्य:
     
    • 2027 तक 1%
       
    • 2028 तक 2%
       
    • 2030 तक 5% या उससे अधिक
       
  • अंतर्राष्ट्रीय अनुपालन: आईसीएओ कॉर्सिया के साथ संरेखित लक्ष्य , 2027 से अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों के लिए अनिवार्य।
     

 

आर्थिक लाभ

  • वैश्विक बाजार: 2040 तक एसएएफ की मांग 90 गुना बढ़ने की उम्मीद है।
     
  • निर्यात: भारत द्वारा यूरोपीय संघ और संयुक्त राज्य अमेरिका को एसएएफ की आपूर्ति करने की संभावना।
     
  • ग्रामीण आजीविका: किसान कृषि अपशिष्ट से पैसा कमा सकते हैं।
     
  • आयात में कमी: जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता में कमी; प्रतिवर्ष 5-7 बिलियन अमेरिकी डॉलर की बचत हो सकती है।
     
  • रोजगार: एसएएफ उत्पादन और आपूर्ति श्रृंखलाओं में
    दस लाख से अधिक हरित रोजगार सृजित हो सकते हैं ।

 

चुनौतियां

  • उच्च लागत: पारंपरिक ईंधन की तुलना में 2-4 गुना महंगा; सिंथेटिक एसएएफ अधिक महंगा है।
     
  • फीडस्टॉक लॉजिस्टिक्स: बायोमास का संग्रहण और परिवहन जटिल और मौसमी है।
     
  • बुनियादी ढांचे की जरूरतें: नई जैव-रिफाइनरियों और हवाई अड्डे के निकट सम्मिश्रण सुविधाओं की आवश्यकता।
     
  • नीति समन्वय: नागरिक उड्डयन, पेट्रोलियम, कृषि और पर्यावरण में अंतर-मंत्रालयी सहयोग आवश्यक।
     
  • प्रमाणन: अंतर्राष्ट्रीय विमानन ईंधन मानकों को पूरा करना होगा।
     

 

सरकारी पहल

  • उद्योग, सरकार और शैक्षणिक इनपुट को शामिल करने वाली मसौदा नीति उन्नत चरणों में है।
     
  • आईएसएमए और टेरी द्वारा जीवन चक्र मूल्यांकन और सम्मिश्रण रणनीति अध्ययन ।
     
  • उत्पादन बढ़ाने और आर्थिक व्यवहार्यता में सुधार के लिए
    प्रत्याशित प्रोत्साहन और सुधार

 

निष्कर्ष:
भारत की SAF नीति स्थायी विमानन की दिशा में एक रणनीतिक कदम है। प्रचुर मात्रा में बायोमास का लाभ उठाकर, निजी निवेश को बढ़ावा देकर और कार्बन उत्सर्जन को कम करके, भारत का लक्ष्य ग्रामीण आजीविका को बढ़ाना, तेल आयात में कटौती करना और जलवायु एवं ऊर्जा सुरक्षा को मज़बूत करते हुए वैश्विक SAF नेता के रूप में उभरना है।

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