2028 तक भारत तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था

2028 तक भारत तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था

मुख्य परीक्षा:सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3

(भारतीय अर्थव्यवस्था)

11 जुलाई, 2023

चर्चा में:

  • अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2028 तक भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है।
  • बीते दिनों प्रधानमंत्री ने अमेरिकी संसद के संयुक्त अधिवेशन को संबोधित करते हुए कहा कि 2028 तक भारत विश्व की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा।

क्या कहती आईएमएफ रिपोर्ट?

  • इस रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2028 तक भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार 5.58 खरब अमेरिकी डालर के बराबर होगा तथा उस समय भारत विश्व में तीसरे पायदान पर होगा। जापान 5.34 खरब अमेरिकी डालर के साथ चौथे नंबर पर तथा जर्मनी 5.04 खरब अमेरिकी डालर के साथ पांचवें नंबर पर होगा।
  • मगर इस संदर्भ में यह भी गौरतलब है कि उस दौरान चीन की अर्थव्यवस्था का आकार 27.49 खरब डालर तथा अमेरिका की अर्थव्यवस्था का आकार 32.35 खरब डालर के बराबर होगा। यानी चीन, भारत से पांच गुना से अधिक बड़ा होगा, तो अमेरिका छह गुना से अधिक।

वर्तमान में वैश्विक आर्थिक स्थिति:

  • अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की 31 दिसंबर, 2022 की रिपोर्ट के मुताबिक, वर्तमान में विश्व की सभी अर्थव्यवस्थाओं के जीडीपी का आकार सौ खरब अमेरिकन डालर से अधिक हो चुका, जो कि वर्ष 2000 में 34 खरब अमेरिकन डालर के बराबर था।
  • पिछले तीन वर्षों में भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार मात्र 0.55 (2.84 से 3.39) खरब अमेरिकी डालर बढ़ा है, जबकि चीन और अमेरिका की अर्थव्यवस्था के जीडीपी का आकार क्रमश 3.76 खरब डालर तथा 4.08 खरब डालर बढ़ा है।
  • पिछले 22 वर्षों में विश्व की सभी अर्थव्यवस्थाओं का जीडीपी का आकार तीन गुना बढ़ गया और इन सबमें अमेरिका ने प्रथम पायदान पर रहते हुए विश्व की सभी अर्थव्यवस्थाओं की जीडीपी में अपने हिस्से को एक तिहाई से अधिक बनाए हुए है। चीन ने भी पिछले 15-20 वर्षों से आर्थिक स्तर पर अप्रत्याशित वृद्धि की है और इसके कारण विश्व की सभी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं का जीडीपी तीन गुना हो गया है।

तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने की राह में बाधाएं:

  • भारत का दुनियाभर में सर्वाधिक आबादी वाला देश होना।
  • घरेलू स्तर पर जीडीपी के आकार के हिसाब से प्रति व्यक्ति आय का काफी कम होना।
  • आयात के मामले में भारत का अमेरिका और चीन पर निर्भर रहना
  • भारत का निर्यात की दृष्टि से अन्य देशों की तुलना में काफी पीछे रहना।
  • चीन के साथ भारत का व्यापारिक घाटा लगभग सौ अरब डालर का है।
  • चीन के साथ भारत का आयात, निर्यात की तुलना में ज्यादा होना।
  • पिछले चार वर्षों में भारतीय रुपया अमेरिकी डालर के मुकाबले काफी कमजोर होना।
  • घरेलू स्तर पर बेरोजगारी तथा महंगाई से निपटने के लिए संसाधनों का अभाव होना।
  • अप्रत्याशित रूप से कोरोना महामारी के चलते लगभग डेढ़ वर्ष तक अर्थव्यवस्था पर पड़े आर्थिक दुष्प्रभावों द्वारा आर्थिक विकास को बाधित किया जाना।

तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने में प्रमुख सहयोगी कारक:

  • बेहतर आर्थिक विकास नीतियाँ: पिछले तीस वर्षों में भारत ने अपनी आर्थिक विकास नीतियों में आमूलचूल परिवर्तन करके लगातार एक अच्छी आर्थिक विकास दर बनाए रखा है।
  • आर्थिक सुधार: वर्ष 1991 में भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार मात्र 0.3 खरब अमेरिकी डालर था, जो वर्ष 2004 तक 0.52 खरब अमेरिकी डालर हुआ।
  • जीडीपी में वृद्धि: वर्ष 2007 की अमेरिकी मंदी, वैश्विक संकट और आर्थिक प्रतिबंधों का सामना करते हुए भारत ने वर्ष 2003-04 से लेकर वर्ष 2013-14 तक अपनी जीडीपी के आकार को 1.86 खरब अमेरिकी डालर तक पहुंचा दिया।
  • वर्ष 2013-14 से लेकर 2022 तक भारतीय अर्थव्यवस्था ने 3.39 खरब अमेरिकी डालर का मुकाम हासिल किया और भारत विश्व में पांचवी बड़ी अर्थव्यवस्था बना।
  • आईएमएफ की रिपोर्ट द्वारा भारत का वर्ष 2028 तक तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की पुष्टि करना
  • आइएमएफ द्वारा चालू वर्ष 2023 तक भारत की अर्थव्यवस्था का आकार 3.75 खरब डालर अनुमानित किया जाना।

आर्थिक दृष्टि से भारत के पिछड़ने के कारण:

  • पिछले कुछ वर्षों में भारतीय अर्थव्यवस्था की गति निम्नलिखित कारणों से तुलनात्मक रूप से कम रही है:
  • पिछले चार वर्षों में भारतीय रुपया अमेरिकी डालर के मुकाबले काफी कमजोर हुआ है। इस दौरान भारतीय रुपया डालर के मुकाबले बीस प्रतिशत गिरा है, जबकि चीन की मुद्रा युवान में अमेरिकी डालर के मुकाबले इतनी गिरावट नहीं देखी गई है। इसी का परिणाम है कि चीन का जीडीपी बड़ी तेजी से पिछले वर्षों में बढ़ा है। यह भी स्पष्ट है कि रुपए के कमजोर होने के कारण ही जहां आयात बिल महंगा हुआ और घरेलू बाजार में महंगाई बढ़ती रही, जिससे आर्थिक विकास प्रभावित हुआ।

निष्कर्ष:

  • पिछले तीन दशकों में भारत का आर्थिक विकास उच्च स्तर का रहा है जिसके कारण आने वाले वर्षों में भारत विश्व की तीसरी बड़ी आर्थिक शक्ति निश्चित रूप से बनेगा।
  • तीसरी बड़ी आर्थिक महाशक्ति बनने की दौड़ में भारत को तेजी से आर्थिक वृद्धि हासिल करते चीन और अमेरिका का भी सामना करने के लिए आर्थिक रूप से सक्षम होने की आवश्यकता है।

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मुख्य परीक्षा प्रश्न

वर्ष 2028 तक भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है। इस संदर्भ में अपना तुलनात्मक दृष्टिकोण प्रस्तुत कीजिए।