Harit Hydrogen Mishran Pariyojana

भारत में पहली हरित हाइड्रोजन मिश्रण परियोजना की शुरुआत

संदर्भ:

  • हाल ही के दिनों में, भारत में पहली हरित हाइड्रोजन मिश्रण परियोजना की शुरुआत की गयी है।
  • यह परियोजना एनटीपीसी और गुजरात गैस लिमिटेड का संयुक्त प्रयास है।
  • इस परियोजना की आधारशिला 30 जुलाई 2022 को भारत के प्रधानमंत्री द्वारा रखी गयी थी।
  • नियामक निकाय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस विनियामक बोर्ड ने पीएनजी के साथ ग्रीन हाइड्रोजन के 5 प्रतिशत वॉल्यूम मिश्रण के लिए मंजूरी दे दी है।
  • आगे इस मिश्रण को चरणबद्ध तरीके से 20 प्रतिशत तक पहुंचाया जाएगा।
  • भारत की पहली हरित हाइड्रोजन मिश्रण परियोजना की शुरुआत गुजरात के कवास टाउनशिप में शुरू की गयी है।
  • यह पूरी तरह से एच 2-एनजी( प्राकृतिक गैस) की आपूर्ति करने के लिए तैयार है।

परियोजना का महत्व:

  • हरित हाइड्रोजन मिश्रण परियोजना का महत्व वैश्विक स्तर पर जलवायु परिवर्तन से निपटने के प्रयासों में हरित और नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग काफी महत्वपूर्ण है।
  • हरित हाइड्रोजन मिश्रण परियोजना का उपयोग ऊर्जा के क्षेत्र में नवीन और उभरते हुए विकल्पों की खोज करने की दिशा में मददगार साबित होगा।
  • हरित हाइड्रोजन को प्राकृतिक गैस के साथ मिलाए जाने पर ग्रीन हाइड्रोजन शुद्ध हीटिंग सामग्री को समान रखते हुए कार्बन उत्सर्जन को कम करेगा।
  • इसके अलावा यह स्वच्छ ऊर्जा का स्रोत है क्योंकि इसे सौर व पवन ऊर्जा जैसी अक्षय ऊर्जा का इस्तेमाल करके बनाया जाता है।
  • इससे देश में ऊर्जा का यह टिकाऊ संसाधन जीवाश्म ईंधन का विकल्प बनेगा।
  • हरित हाइड्रोजन ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में मददगार भारत दुनिया का तीसरा सबसे अधिक ऊर्जा खपत करने वाला देश, जहां लगातार ऊर्जा की मांग बढ़ रही है।
  • यह उपलब्धि भारत के अलावा केवल ब्रिटेन, जर्मनी और ऑस्ट्रेलिया जैसे कुछ देशों के पास है।
  • भविष्य में, भारत वैश्विक हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था के केंद्र में आएगा जिसके कारण भारत न केवल अपने हाइड्रोकार्बन आयात बिल को कम करेगा, बल्कि विश्व में हरित हाइड्रोजन तथा हरित रसायन निर्यातक बनकर विदेशी मुद्रा भी अर्जित करेगा।
  • हरित हाइड्रोजन को स्वच्छ ऊर्जा के संभावित स्रोत के रूप के रूप में देखा जा रहा है और इसे भविष्य का ईंधन भी कहा जा रहा है।

राष्ट्रीय हाइड्रोजन ऊर्जा मिशन:

  • 2021-22 के बजट में राष्ट्रीय हाइड्रोजन ऊर्जा मिशन को लांच किया गया था।
  • उद्देश्य: नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में व्यापक वृद्धि करना और और सरकार की हाइड्रोजन ऊर्जा से संबंधित रणनीति को दिशा प्रदान करना।
  • यह मिशन हरित ऊर्जा संसाधनों से हाइड्रोजन उत्पादन पर बल देता है।
  • इस मिशन के तहत नवीकरणीय ऊर्जा के रूप में वर्ष 2030 तक, 10 लाख टन हाइड्रोजन उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है।
  • वर्ष 2050 तक, हाइड्रोजन ऊर्जा का बाजार 2.5 खरब डॉलर का होगा।
  • भारत ने इस दशक के अंत तक, 50 लाख टन ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन का लक्ष्य रखा है।
  • पेरिस जलवायु समझौता के अंतर्गत भारत सरकार ने वर्ष 2005 के स्तर से वर्ष 2030 तक, कार्बन उत्सर्जन तीव्रता को 33-35% तक कम करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की है।

ग्रीन हाइड्रोजन:

  • नवीकरणीय उर्जा (जैसे- पवन, पानी या सौर उर्जा) का उपयोग करके पानी को हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में विखंडित करके जिस हाइड्रोजन का उत्पादन किया जाता है, उसे ही ग्रीन हाइड्रोजन कहा जाता है।
  • उत्पादन की प्रक्रिया के आधार पर हाइड्रोजन ग्रे, नीला, हरा और कुछ अन्य प्रकार का हो सकता है।
  • ग्रीन हाइड्रोजन में ग्रे हाइड्रोजन की तुलना में काफी कम कार्बन उत्सर्जन होता है।

नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन से संबंधित भारत सरकार के कार्यक्रम:

  • जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय सौर मिशन ( 11 जनवरी, 2010)
  • अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (30 नवंबर, 2015)
  • राष्ट्रीय पवन सौर हाइब्रिड नीति (2018)
  • पीएम कुसुम योजना (फरवरी, 2019)
  • रूफटाप सौर योजना (1 फरवरी, 2020)   

 

उपयोग:

  • ग्रीन हाइड्रोजन का उपयोग उन क्षेत्रों को डीकार्बोनाइज करने के लिए किया जा सकता है जो विद्युतीकरण के लिए कठिन हैं, जैसे स्टील और सीमेंट उत्पादन
  • यह जलवायु परिवर्तन को सीमित करने में मदद करता है।

चुनौतियां:

  • उच्च लागत और सहायक बुनियादी एवं आधारभूत ढांचे की कमी का होना।
  • ग्रीन हाइड्रोजन का अन्य पारंपरिक ईंधनों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन करना।

 

आगे की राह:

  • भारत में हाइड्रोजन उत्पादन हेतु अन्य राज्यों में चरणबद्ध तरीके से हाइड्रोजन प्लांटों की स्थापना की जानी चाहिए।
  • ग्रीन हाइड्रोजन फिलिंग हेतु देश में सुविधाजनक बुनियादी ढांचा स्थापित किया जाना चाहिए।
  •  हाइड्रोजन उत्पादन हेतु अक्षय ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
  • देश में ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन से संबंधित प्रौद्योगिकी में अनुसंधान तथा विकास हेतु बाह्य निवेश को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।

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