49वां G7 शिखर सम्मेलन

49वां G7 शिखर सम्मेलन

मुख्य परीक्षा: सामान्य अध्ययन 2

( अंतरराष्ट्रीय संबंध )

चर्चा में :

  • हाल ही में, G7 के 49 वें शिखर सम्मेलन का जापान के हिरोशिमा शहर में समापन हो गया।
  • इसके साथ ही अमेरिका, भारत, आस्ट्रेलिया और जापान देशों का क्वाड समूह सम्मेलन का भी हिरोशिमा में समापन हो गया।
  • क्वाड समूह की बैठक पहले आस्ट्रेलिया में प्रस्तावित थी, लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने घरेलू ऋण संकट के कारण क्वाड बैठक में सम्मिलित होने में असमर्थता प्रकट की थी।

G7 समूह के बारे में:  

  • यह शिखर सम्मेलन फ्रांस, अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, जापान, इटली और कनाडा देशों के राष्ट्राध्यक्षों के लिए प्रतिवर्ष आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय मंच है।
  • यह समूह मुख्य रूप से अतिऔद्योगीकृत देशो के समूह को संदर्भित करता है।
  • इस समूह का गठन वर्ष 1975 में किया गया था। कनाडा वर्ष 1976 में इस समूह में शामिल हुआ था।
  • वर्तमान में जी-7 देशो की सामूहिक अर्थव्यवस्था 300 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक है जो सम्पूर्ण वैश्विक संपत्ति का लगभग 58 % से 60% है।
  • जी7 शिखर सम्मेलन में यूरोपीय संघ भी प्रतिनिधित्व करता है।
  • इस समूह के 3 देश संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् के भी सदस्य हैं।
  • वर्ष 1997 में रूस के इस समूह में शामिल हुआ था तब यह समूह जी-8 के नाम से जाना जाता था, लेकिन वर्ष 2014 में रूस के क्रीमिया विवाद के कारण बाहर होने से यह समूह पुनः जी-7 में बदल गया।
  • इस समूह के सभी देश वैश्विक तथा क्षेत्रीय स्तर पर आर्थिक,तकनीकी तथा सैन्य क्षमता में मजबूत हैं।
  • यह समूह वित्तीय संकट, आतंकवाद, हथियारों पर नियंत्रण और मादक पदार्थों की तस्करी आदि पर वैश्विक स्तर पर कार्य कर रहा है।
  • इस समूह का कोई निर्धारित मुख्यालय नहीं है और इस समूह की अध्यक्षता प्रत्येक सदस्य देश द्वारा क्रम से की जाती है।

 

G7 समूह द्वारा 49 वें शिखर सम्मेलन में पारित संकल्प :

  • इस शिखर सम्मेलन में जी-7 ने दुनिया की हर प्रमुख समस्या को अपनी भावी कार्ययोजना का हिस्सा बनाया है।
  • रूस द्वारा यूक्रेन पर थोपे गए अवैध युद्ध का विरोध करना,
  • हर संभव तरीक से यूक्रेन का समर्थन करना,
  • सार्वभौम सुरक्षा हेतु नाभिकीय शस्त्रों से मुक्त एक विश्व का अंतिम लक्ष्य प्राप्त करने के लिये निरस्त्रीकरण और परमाणु अप्रसार का प्रयास करना,
  • आर्थिक उदारता और सुरक्षा के लिए समूह के विचारगत प्रस्ताव का समन्वय करना,
  • समूह के सदस्य और बाहरी देशों के सहयोग द्वारा भविष्य की स्वच्छ ऊर्जा अर्थव्यवस्थाओं के मध्य सहयोग को बढ़ावा देना,
  • अनुकूल वैश्विक खाद्य सुरक्षा हेतु भागीदार देशों के साथ मिलकर कार्य योजना शुरू करना,
  • वैश्विक अवसंरचनात्मक निवेश के लिए साझीदारी से गुणवत्तापूर्ण अवसंरचना के वित्तपोषण के लिए छह सौ अरब डालर एकत्र करने का लक्ष्य प्राप्त करना,
  • एक सशक्त और अनुकूल वैश्विक आर्थिक सुधार को बढ़ावा देना,
  • वित्तीय स्थिरता बनाए रखने और जीविकाओं तथा सतत विकास का संवर्द्धन करने के लिए एक साथ कार्य करना,
  • गरीबी कम करने तथा जलवायु और प्रकृतिगत संकट का समाधान निकालना,
  • सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति में तेजी लाना,
  • बहुपक्षीय विकास बैंकों (एमडीबी) को विकसित करना,
  • अफ्रीकी देशों के साथ अपनी साझीदारी बढ़ाने तथा बहुपक्षीय मंचों पर अधिक से अधिक अफ्रीकी प्रतिनिधित्व का समर्थन करना,
  • ऊर्जा क्षेत्र के अकार्बनीकरण में तेजी लाने और नवीकरणीय ऊर्जा अपनाने पर बल देना,
  • प्लास्टिक जनित प्रदूषण को समाप्त करने तथा महासागरों की रक्षा करते हुए पृथ्वी को सुरक्षित बनाने, वन, प्रकृति और जलवायु हेतु ‘न्यू कंट्री पैकेजेज’ के माध्यम से सहयोग को अधिक करने पर जोर दिया गया।
  • विश्वभर में टीका निर्माण क्षमता के माध्यम से वैश्विक स्वास्थ्य क्षेत्र में निवेश करने, एक महामारी कोष बनाने, महामारी रोकथाम के लिए भावी अंतरराष्ट्रीय अनुबंध करने, सार्वभौमिक स्वास्थ्य सुरक्षा (यूएचसी) का लक्ष्य प्राप्त करने की तैयारी करने, अंतरराष्ट्रीय प्रवासन पर सहयोग बढ़ाने का संकल्प लिया गया है।
  • इसके अलावा मानव तस्करी के विरुद्ध प्रयासों को सुदृढ़ करने, समावेशी कृत्रिम मेधा (एआइ) शासन स्थापित करने, परिचित लोकतांत्रिक मूल्यों के अनुसार एआइ की विश्वसनीयता के संबंध में अपने सामान्य दृष्टिकोण और लक्ष्य की प्राप्ति करने, इस संबंध में पारस्परिक परिचालन के संदर्भ में उन्नत अंतरराष्ट्रीय संवाद स्थापित करने पर जोर देना है।
  • इसमें दुनिया में कहीं भी बल या शक्तिपूर्वक क्षेत्रों की स्थिति बदलने और उस पर एकपक्षीय अधिकार के प्रयास करने तथा क्षेत्र पर अधिग्रहण करने का निषेध करने, सार्वभौमिक मानवाधिकारों, लैंगिक समानता और मानव गरिमा को बढ़ावा देने, शांति, स्थिरता और समृद्धि को बढ़ावा देने में संयुक्त राष्ट्र की भूमिका और अंतरराष्ट्रीय सहयोग सहित बहुपक्षवाद के महत्व को दोहराने, नियम आधारित बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली को मजबूत करने और डिजिटल प्रौद्योगिकियों के विकास के साथ तालमेल रखने जैसे संकल्प भी लिए गए हैं।

G7 और भारत :

इस सम्मेलन में भारत के प्रधानमंत्री ने दस सूत्रीय कार्य योजना को रखा:

  • एक समावेशी खाद्य प्रणाली तैयार कर दुनिया के सर्वाधिक अधिकारहीन लोगों पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता पर बल दिया गया।
  • इस दस सूत्रीय कार्ययोजना में खाद्यान्न की बर्बादी कम करने, वैश्विक उर्वरक आपूर्ति शृंखला का अराजनीतिकरण, मोटे अनाज, समग्र स्वास्थ्य सुविधा का संवर्द्धन करने, डिजिटल स्वास्थ्य सुविधा को सुदृढ़ करने तथा विकासशील देशों की जरूरतों के अनुरूप अंतरराष्ट्रीय विकास माडल तैयार करने जैसे बिंदु शामिल हैं।
  • इससे भारत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी बड़ी भूमिका सिद्ध कर सकता है। गौरतलब है कि भारत विश्व की चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है। फरवरी 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध प्रारंभ होने से लेकर अब तक सऊदी अरब को पीछे छोड़ कर बड़े परिष्कृत पेट्रोलियम तेल का निर्यातक बन चुका है। भारत का घरेलू अर्थव्यवस्था को स्थिर रखने, राजकीय भ्रष्टाचार का अंत करने और विश्व में मानवता के आधार पर एक स्थिर, पारदर्शी, वैध और बहुसमावेशी अर्थव्यवस्था बनने का प्रभाव दुनिया के सभी देशों पर पड़ रहा है।

यह शिखर सम्मेलन कहाँ तक सफल रहा :

  • पूर्व में आयोजित शिखर सम्मेलनों की तरह जी 7 का यह सम्मेलन केवल एक औपचारिकता को पूरा करने वाला ही था।
  • वास्तव में, इस तरह के सम्मेलन अपने सामूहिक उद्देश्यों को धरातल पर क्रियान्वित करने में सदा विफल रहे हैं। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण यही है कि समूह सात के सदस्य देश एकत्र तो सामूहिक संकल्पों को पूरा करने के लिए होते हैं, पर सम्मेलन में सदस्य देशों के प्रमुखों की व्यक्तिगत रुचि अपने-अपने हित साधने में ही होती है।
  • फिर सार्वदेशिक, सार्वभौमिक समस्याओं के लिए जो भी देश दोषी हैं, उनसे समूह के सदस्य देशों के द्विपक्षीय व्यावसायिक, आर्थिक, सामरिक और कूटनीतिक संबंध भी होते हैं। इसलिए कभी भी समूह के देश सामूहिक रूप में समस्याओं के लिए दोषी देशों के विरुद्ध कठोर अंतरराष्ट्रीय कार्रवाई नहीं कर पाते हैं। यों ही समय व्यतीत होता रहता है और राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय समस्याएं विसंगत से विसंगततर होती जाती हैं।
  • जी-7 के देश किसी न किसी रूप में चीन और रूस से दुष्प्रभावित हैं और इसीलिए इनके जी-7 के सामूहिक प्रस्तावों में हर वर्ष चीन और रूस के विरुद्ध प्रत्यक्ष-परोक्ष रूप में कोई न कोई अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव भी होता ही है। इनके विपरीत विकासशील देश तटस्थ होते हैं, जो दुनिया के उसी देश के समर्थन में खड़े होते हैं, जिनसे उन्हें आर्थिक या अन्य प्रकार की सहायता मिलती है।
  • ऐसे ही सहायकों के रूप में चीन और रूस भी सामने आते हैं। इन परिस्थितियों में भारत और आस्ट्रेलिया जैसे देश, जो विकसित होने से कुछ कदम दूर हैं, वे कई गुटों और समूहों में विभाजित देशों के लिए बड़े समर्थक या विरोधी सिद्ध हो सकते हैं। इसीलिए जी-7 हो, क्वाड या जी-20, पिछले साढ़े नौ वर्षों से भारत की भूमिका हर जगह महत्त्वपूर्ण हो चुकी है।
  • जी-7 और क्वाड में चीन और रूस सम्मिलित नहीं थे, पर जी-20 में तो ये उपस्थित होंगे। इसीलिए जी-20 में दूसरा ही परिदृश्य देखने को मिलेगा। जो देश जी-7 में चीन का नाम लिए बिना हिंद-प्रशांत क्षेत्र में उसकी एकाधिकारवादिता का विरोध कर रहे हैं, वही देश उसके साथ जी-20 के इतर द्विपक्षीय वार्ता करते दिखाई देंगे।

निष्कर्ष :

  • जी-7 भविष्य में, अंतरराष्ट्रीय भागीदारों के साथ एक ऐसी दुनिया बनाने के लिए प्रयासरत है, जो मानव-केंद्रित, समावेशी और अनुकूल हो, जिसमें कोई भी पीछे न छूटे।

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मुख्य परीक्षा प्रश्न

49वें जी-7 शिखर सम्मेलन में निर्धारित मुख्य संकल्पों की विवेचना कीजिए। जी-7, भारत के लिए कितना उपयोगी है, स्पष्ट कीजिए।