अंतरिम बजट 2024

अंतरिम बजट 2024

GS-III: भारतीय अर्थव्यवस्था

(यूपीएससी/राज्य पीएससी)

प्रीलिम्स के लिए महत्वपूर्ण:

आम बजट, अंतरिम बजट-2024, अनुच्छेद-112, 116, राजकोषीय घाटा, राजस्व घाटा, सकल घरेलू उत्पाद, मुद्रास्फीति, जनसांख्यिकीय लाभांश, जीवीए (सकल मूल्य वर्धित)।

मेन्स के लिए महत्वपूर्ण:

अंतरिम बजट और आम बजट में अंतर, बजट से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य, आगे की राह, निष्कर्ष।

31 जनवरी, 2024

ख़बरों में क्यों:

  • 1 फरवरी 2024 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण मोदी 2.0 सरकार का आखिरी बजट पेश करेंगी। एक फरवरी को पेश किया जाने वाला बजट एक अंतरिम बजट है क्योंकि इस साल अप्रैल-मई (संभावित) के महीने में लोकसभा चुनाव होने वाले हैं।
  • 2024 का यह अंतरिम बजट सीतारमण का छठा बजट और मोदी प्रशासन का 12वां बजट है।

बजट क्या है:

  • बजट, सरकार के ‘व्यय’, और 'कर' लगाने का एक ब्लूप्रिंट होता है, जो अर्थव्यवस्था और नागरिकों के जीवन को प्रत्यक्ष तौर पर  प्रभावित करता है।
  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 112 में बजट के स्थान पर वार्षिक वित्तीय विवरण (AFS) का उल्लेख किया गया है।
  • वित्त मंत्रालय में आर्थिक मामलों के विभाग के ‘बजट प्रभाग’ द्वारा केंद्रीय बजट तैयार किया जाता है।

बजट के प्रकार:

  • संतुलित बजट, असंतुलित बजट, सरप्लस बजट या डेफिसिट बजट 
  • अंतरिम बजट और पूर्ण बजट

बजट के घटक:

  • केंद्रीय बजट के मुख्यतः तीन प्रमुख घटक होते हैं- व्यय, प्राप्तियाँ और घाटा।
  • परिभाषा के आधार पर व्यय, प्राप्तियों और घाटे को अलग-अलग वर्गीकरण और संकेतक द्वारा दर्शाया जाता है।

अंतरिम बजट के बारे में:

  • अंतरिम बजट को अक्सर 'वोट ऑन अकाउंट' के रूप में जाना जाता है। जिस वर्ष आम चुनाव होने वाले होते हैं, उससे पहले यह पेश किया जाता है और नई सरकार बनने तक के लिए अंतरिम बजट होता है।
  • 'वोट ऑन अकाउंट' (Vote on the account) संविधान के अनुच्छेद 116 के तहत सरकार को अग्रिम आवंटन को दर्शाता है जो विशेष रूप से सरकार के अप्ल्कालिक व्यय आवश्यकताओं को परिभाषित करता है।
  • अंतरिम बजट में नई सरकार के गठन तक राजस्व और व्यय के अनुमान को प्रस्तुत किया जाता है जिससे देश की अर्थव्यवस्था के सुचारू संचालन को लेकर कोई दिक्कत ना हो और इकोनॉमी पर भरोसा बना रहे।
  • प्रावधान के मुताबिक, अंतरिम बजट में सरकार किसी नई योजना या नीति का एलान नहीं कर सकती है। ऐसे में जो पहले से योजनाएं चली आ रही हैं, सरकार उन्हीं को सुचारु रूप से चलाने को लेकर फंड आवंटित करेगी।
  • लोकसभा चुनाव के बाद जब नई सरकार बनेगी, तब वह जून-जुलाई में पूर्ण बजट पेश करेगी।

अंतरिम बजट में क्‍या-क्‍या चीजें शामिल होती हैं

  • आगामी महीनों के लिए सरकार के अनुमानित खर्च का विवरण (Estimates for government spending)
  • राजस्व प्राप्तियों का अनुमान (Revenue projections)।
  • विभिन्न मंत्रालयों को आवंटित की जाने वाली धनराशि।
  • मौजूदा योजनाओं को जारी रखने के लिए वित्तीय प्रावधान।

अंतरिम बजट और आम बजट में अंतर

अंतरिम बजट

आम बजट

यह केवल वित्तीय वर्ष के पहले कुछ महीनों के लिए होता है।

आम बजट पूरे वित्तीय वर्ष के लिए होता है।

अंतरिम बजट में नई योजनाओं या नीतियों की घोषणा नहीं जाती है।

आम बजट में नई योजनाओं, कर की दरों में बदलाव और नीतियों को लेकर एलान किया जाता है।

इसमें सरकार के पिछले खर्चों का ब्‍योरा और आगामी कुछ महीनों के लिए अनुमानित खर्च का विवरण दिया होता है।

इसमें पूरे साल अलग-अलग क्षेत्र की योजनाओं, खर्च और आय का लेखा-जोखा होता है।

इस पर संसद में बहुत कम चर्चा होती है।

इस पर संसद में विस्तृत चर्चा होती है।

किसने कितनी बार पेश किया बजट:

 वित्त मंत्री       

बजट पेश किए

मोरारजी देसाई             

10 बार

पी चिदंबरम                  

09 बार

प्रणब मुखर्जी                

09 बार

यशवंत राव चव्हाण        

07 बार

सीडी देशमुख              

07 बार

यशवन्त सिन्हा               

07 बार

मनमोहन सिंह             

06 बार

टीटी कृष्णमाचारी

06 बार

निर्मला सीतारमण

6वीं बार पेश करेंगी।

देश का बजट कैसे बनता है

  • बजट बनाने का काम लगभग छह महीने पहले ही यानी सितंबर से ही शुरू हो जाता है।
  • सितंबर में मंत्रालयों-विभागों, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सर्कुलर जारी किया जाता है, जिसमें आने वाले साल के लिए जरूरी फंड से जुड़ा डेटा देने को कहा जाता है। इस डेटा के आधार पर ही बाद में अलग-अलग मंत्रालयों को फंड दिया जाता है।
  • वित्त मंत्रालय दूसरे मंत्रालयों व विभागों के अधिकारियों के साथ बैठक करके अक्टूबर-नवंबर तक यह तय कर लेता है कि किस मंत्रालय या विभाग को कितना फंड दिया जाए।
  • जब बजट बनाने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है, उसके बाद वित्त मंत्री, वित्त सचिव, राजस्व सचिव और व्यय सचिव की हर दिन बैठक होती है।
  • बजट बनाने वाली टीम में अलग-अलग सेक्‍टर्स के एक्‍सपर्ट शामिल होते हैं। बजट बनाने वाली टीम को पूरी प्रक्रिया के दौरान प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री और नीति आयोग के इनपुट लगातार मिलते रहते हैं।
  • वित्त मंत्री बजट बनाने और इसे पेश करने से पहले कई इंडस्ट्री, ऑर्गनाइजेशन और इंडस्ट्री के जानकारों से भी चर्चा करती हैं।
  • बजट से जुड़ी सारी चीजें फाइनल होने के बाद एक ब्लू प्रिंट तैयार किया जाता है। बजट को लेकर सब कुछ तय होने के बाद बजट दस्तावेज प्रिंट होता है।

भारत का पहला बजट:

इतिहास:

  • भारत का पहला बजट वर्ष 1860 में स्कॉटिश अर्थशास्त्री जेम्स विल्सन ने पेश किया था। जबकि स्वतंत्र भारत का पहला बजट वित्त मंत्री आरके षणमुगम चेट्टी ने 26 नवंबर 1947 को पेश किया था। इस बजट में नए टैक्स लागू नहीं किए गए थे। यह सिर्फ भारतीय अर्थव्यवस्था का एक लेखा-जोखा था। 
  • इस बजट को बनाने में आजाद भारत के पहले योजना आयोग के सदस्य व सांख्यिकीविद् प्रोफेसर पी सी महालनोबिस अहम भूमिका निभाई थी।
  • इसके ठीक 95 दिन बाद 1948-49 का पूर्ण बजट पेश किया गया। उस वक्‍त बजट को पेश करते हुए आरके षणमुगम ने कहा था कि इससे पहले जो बजट पेश किया गया था, वो अंतरिम बजट था।
  • इसके बाद से ही चुनावी साल के बजट को 'अंतरिम बजट' कहा जाता है। यानी कम समय के लिए पेश किए गए बजट को अंतरिम बजट कहा जाने लगा। हालांकि, भारत के संविधान में इसका अलग से कोई उल्लेख नहीं है।

बजट से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य:

  • साल 1950 में वित्त मंत्री जॉन मथाई को बजट लीक होने के चलते इस्‍तीफा देना पड़ा था।
  • 1950 के बाद से फिर बजट से जुड़ी जानकारी लीक न हो पाए, इसलिए 'लॉक इन पीरियड' शुरू हुआ। पेपरलेस होने पर 'लॉक इन पीरियड' कम हो गया।
  • साल 1955 तक बजट केवल अंग्रेजी भाषा में पेश किया जाता था। इसके बाद से इसे हिंदी और अंग्रेजी दोनों में छापने का फैसला लिया गया।
  • 1977 में उस वक्त के वित्त मंत्री हीरूभाई मुलजीभाई पटेल ने सबसे छोटा सिर्फ 800 शब्दों का बजट भाषण दिया था।
  • 1991 में नरसिम्हा राव की सरकार में तब के वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने सबसे ज्यादा 18,650 शब्दों का बजट भाषण पढ़ा था।
  • 1 फरवरी, 2020 को 2 घंटा 42 मिनट का सबसे लंबा बजट भाषण देने का रिकॉर्ड निर्मला सीतारमण के नाम है।

आगे की राह:

  • इस वर्ष का बजट निरंतर आर्थिक विकास के लिहाज से अति महत्वपूर्ण है इसलिए प्राथमिकता के तौर पर निम्नलिखित 5 पांच क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है:
  • पहला, राजकोषीय सुदृढ़ीकरण की ओर बढ़ना।
  • 2022-23 में भारत का सामान्य सरकारी ऋण सकल घरेलू उत्पाद का 82 प्रतिशत था, जिसमें ब्याज भुगतान कुल व्यय का लगभग 17 प्रतिशत था। इससे अधिक उत्पादक सरकारी खर्च के लिए सीमित गुंजाइश बचती है। इसलिए, यह बहुत महत्वपूर्ण है कि सरकार राजकोषीय समेकन पर ध्यान केंद्रित करती रहे और एक स्थायी ऋण प्रक्षेप पथ की ओर आगे बढ़े।
  • सरकार 2023-24 के लिए निर्धारित राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में काम करे। सरकार द्वारा राजकोषीय घाटे का लक्ष्य 2024-25 के लिए 5.3 प्रतिशत और 2025-26 के लिए 4.5 प्रतिशत निर्धारित किया है
  • दूसरा, पूंजीगत व्यय पर ध्यान जारी रखना। महामारी के बाद सरकार ने विकास को गति देने के साधन के रूप में पूंजीगत व्यय का तेजी से उपयोग किया है। 2023-24 में सरकारी पूंजीगत व्यय और जीडीपी अनुपात को बढ़ाकर 3.4 प्रतिशत करने का बजट है। सरकार ने पिछले दो वर्षों में पूंजीगत व्यय के लिए राज्य सरकारों को 2.3 ट्रिलियन रुपये के ब्याज मुक्त ऋण का भी बजट रखा है।
  • तीसरा, खपत को बढ़ावा देने की जरूरत। उपभोग में पुनरुद्धार अपेक्षाकृत कमजोर रहा है और ऊपरी आय वर्ग की ओर झुका हुआ प्रतीत होता है। जबकि इस वर्ष सकल घरेलू उत्पाद (अग्रिम अनुमान के अनुसार) 7.3 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि का अनुमान है, उपभोग वृद्धि केवल 4.4 प्रतिशत अनुमानित है। सरकार पूंजीगत व्यय आधारित वृद्धि पर ध्यान केंद्रित कर रही है, लेकिन खपत में तेजी लाना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। खराब बाहरी मांग परिदृश्य को देखते हुए घरेलू मांग में पुनरुद्धार और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। राजकोषीय सीमाओं से अवगत होते हुए भी, उपभोग मांग को बढ़ाने के उपाय करने की आवश्यकता है। उदाहरण के लिए, पेट्रोल/डीजल पर उत्पाद शुल्क में 2-3 रुपये प्रति लीटर की छोटी कटौती से खपत को कुछ बढ़ावा मिलेगा और राजकोषीय गणित को प्रभावित किए बिना मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी।
  • चौथा, मानव पूंजी पर खर्च में वृद्धि। भारत ऐसे समय में बड़ी कामकाजी उम्र वाली आबादी का आनंद लेने की एक अनोखी स्थिति में है, जब अधिकांश अर्थव्यवस्थाएं बढ़ती उम्र वाली आबादी से जूझ रही हैं। हालाँकि, अर्थव्यवस्था को जनसांख्यिकीय लाभांश का आनंद लेने के लिए, सरकार को मानव पूंजी में निवेश करना चाहिए। इसके लिए स्वास्थ्य, शिक्षा और कौशल पर काफी अधिक व्यय की आवश्यकता है ताकि कामकाजी उम्र की आबादी सार्थक रूप से नियोजित होने के लिए तैयार हो सके। सामाजिक सेवाओं (मुख्य रूप से स्वास्थ्य और शिक्षा) पर सामान्य सरकारी खर्च को 2017-18 में 6.7 प्रतिशत से बढ़ाकर 2022-23 में सकल घरेलू उत्पाद का 8.3 प्रतिशत करने का बजट रखा गया है। हालाँकि, इसकी तुलना हमारे कुछ वैश्विक साथियों से खराब है। उदाहरण के लिए, कई यूरोपीय देशों में, सामाजिक सेवाओं पर सरकारी खर्च सकल घरेलू उत्पाद के पांचवें हिस्से से अधिक है। यह देखते हुए कि भारत की आबादी का एक बड़ा हिस्सा इन सेवाओं के लिए सरकार पर निर्भर है, इन सेवाओं पर खर्च बढ़ाना महत्वपूर्ण है।
  • पांचवां, कृषि और ग्रामीण क्षेत्र पर ध्यान देने की आवश्यकता । ग्रामीण भारत में देश की 65 प्रतिशत आबादी रहती है और कृषि क्षेत्र पर इसकी बड़ी निर्भरता है। जीवीए (सकल मूल्य वर्धित) के संदर्भ में कृषि उत्पादकता चीन की तुलना में एक तिहाई और अमेरिका की तुलना में लगभग 1 प्रतिशत है।
  • क्षेत्र में उत्पादकता में सुधार के उपायों से ग्रामीण आय में सुधार करने में मदद मिलेगी। यह नवीनतम प्रौद्योगिकी को अपनाने और ग्रामीण बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देकर किया जा सकता है। ग्रामीण कार्यबल को उचित कौशल प्रदान करने और उन्हें विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों में जाने में सक्षम बनाने से कृषि क्षेत्र पर ग्रामीण कार्यबल की बड़ी निर्भरता को कम करने में भी मदद मिलेगी। भारत अपने ग्रामीण क्षेत्रों के संकटग्रस्त रहते हुए अपनी विकास गाथा को कायम नहीं रख सकता। इसलिए, ग्रामीण स्वास्थ्य में सुधार पर ध्यान केंद्रित करना समय की मांग है।

निष्कर्ष:

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तुत अंतरिम बजट 2024, आसन्न चुनावों के बीच अल्पकालिक वित्तीय जरूरतों को संबोधित करता है। ग्रामीण विकास और सामाजिक योजनाओं पर केंद्रित बजट में किसानों और वंचितों को प्राथमिकता दी गई है। आशानुरूप, यह बजट कृषि, बुनियादी ढांचे और स्वास्थ्य सेवा से लेकर शिक्षा, बैंकिंग और उद्योग में सकारात्मक बदलाव एवं नवाचार का समर्थन वाला होना चाहिए।

स्रोतः इंडियन एक्सप्रेस

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मुख्य परीक्षा प्रश्न:

अंतरिम बजट से आप क्या समझते हैं? यह वार्षिक बजट से किस प्रकार भिन्न है? आगामी बजट को सतत एवं समावेशी बनाने के लिए आगे की राह का उलेख कीजिए।