भारत-अमेरिका के बढ़ते व्यापारिक संबंध

 

भारत-अमेरिका के बढ़ते व्यापारिक संबंध

मुख्य परीक्षा: सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2

(अंतरराष्ट्रीय संबंध)

06 जुलाई,2023

भूमिका:

  • हाल के वर्षों में भारत-अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार तेजी से बढ़ा है। दुनिया की दो सबसे बड़ी लोकतांत्रिक अर्थव्यवस्थाएं भारत और अमेरिका समृद्ध, स्वतंत्र, निष्पक्ष तथा नियमाधारित वैश्विक आर्थिक व्यवस्था बनाने में भागीदार हैं। भारत-अमेरिका संबंध समय-समय पर सरकार, निजी क्षेत्र तथा समाज द्वारा संचालित होते रहे हैं।

भारत-अमेरिका के मध्य व्यापारिक संबंध:

  • अमेरिका, 2021-22 में चीन को पछाड़ कर भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार बना है। इसके पहले 2013-14 से वर्ष 2017-18 तक और 2020-21 में चीन और उसके पहले संयुक्त अरब अमीरात, भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार था।
  • भारत का कुल निर्यात 2021-22 में रिकार्ड 418 अरब डालर तक पहुंच गया, जो सरकार के लक्ष्य से लगभग पांच फीसद तथा पूर्व वर्ष से 40 फीसद अधिक था। भारत और अमेरिका के मध्य द्विपक्षीय व्यापार वर्ष 2022-23 में 7.7 फीसद बढ़कर 128.6 अरब डालर हो गया है, जो कि वर्ष 2021-22 में 119.5 अरब डालर था।
  • लगभग 18 फीसद हिस्सेदारी के साथ अमेरिका भारत का प्रमुख निर्यात भागीदार है। भारत से अमेरिका को वर्ष 2021-22 में निर्यात 76.2 अरब डालर के मुकाबले वर्ष 2022-23 में 2.8 फीसद बढ़कर 78.3 अरब डालर था, जबकि आयात लगभग 16 फीसद बढ़कर 50.2 अरब डालर था। 2021-22 में, कुल निर्यात 76.2 अरब डालर तथा 43.3 अरब डालर के आयात के साथ भारत को 32.8 अरब डालर का अनुकूल व्यापार संतुलन था।
  • भारत तथा अमेरिका के मध्य द्विपक्षीय व्यापार में 11.5 फीसद संचयी वृद्धि दर के साथ वर्ष 2000 में 20 अरब डालर से बढ़कर वर्ष 2018 में 142 अरब डालर हो गया। इस अवधि में सेवा व्यापार 13.4 फीसद तथा माल व्यापार 10.6 फीसद की संचयी वृद्धि दर हुई। वर्ष 2000 के बाद से सेवाओं का द्विपक्षीय व्यापार बहुत तेज गति से बढ़ा, जो वर्ष 2000 में मात्र 6 अरब डालर में 13.1 फीसद संचयी वृद्धि दर के साथ वर्ष 2018 में बढ़कर 54.6 अरब डालर हो गया। इसमें भारत द्वारा अमेरिका को सेवाओं का निर्यात 28.8 अरब डालर तथा भारत द्वारा अमेरिका से सेवाओं का आयात 25.8 अरब डालर था। वर्ष 2018 के दौरान सेवाओं में व्यापार 54.6 अरब डालर हो गया।
  • भारत सरकार द्वारा जारी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) के आंकड़ों के अनुसार, अमेरिका भारत में एफडीआइ का छठवां सबसे बड़ा स्रोत है। अप्रैल 2000 से जून 2019 के दौरान अमेरिका से संचयी एफडीआइ प्रवाह 27 अरब डालर था, जो भारत में कुल एफडीआइ का 6 फीसद है। भारतीय उद्योग परिसंघ द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2018 तक भारत में अमेरिकी एफडीआइ की राशि 46 अरब डालर, जबकि अमेरिका में भारतीय एफडीआइ 13.7 अरब डालर थी।

भारत-अमेरिका व्यापार संबंध में सुधार के कारण:

  • बढ़ता विश्वास एवं सहयोग: विभिन्न क्षेत्रों में बढ़ते सहयोग से अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार में वृद्धि हुई है।
  • आने वाले वर्षों में व्यापार में वृद्धि के जारी रहने की संभावना है क्योंकि नई दिल्ली तथा वाशिंगटन आर्थिक संबंधों को सुदृढ़ करने हेतु प्रयासरत हैं।
  • चीन का विकल्प: भारत एक विश्वसनीय व्यापारिक भागीदार के रूप में उभर रहा है तथा वैश्विक व्यापारिक कंपनियां अपनी आपूर्ति के लिए चीन पर निर्भरता कम कर रही हैं तथा भारत जैसे अन्य देशों में व्यापार में विविधता ला रही हैं।
  • भारतीय अर्थव्यवस्था की विशाल संभावना: भारत अद्वितीय जनसांख्यिकीय लाभांश के साथ सर्वाधिक तीव्र गति से वृद्धि करता बाजार अर्थव्यवस्था है तथा प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, विनिर्माण, व्यापार एवं निवेश के लिए अमेरिकी तथा भारतीय  व्यापारिक कंपनियों के लिए व्यापक अवसर प्रदान करता है।

महत्व:

  • भारत के दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने में भारत-अमेरिकी द्विपक्षीय आर्थिक संबंधों की महत्त्वपूर्ण भूमिका हो सकती है।
  • भारत चालू खाता घाटे वाली अर्थव्यवस्था से निर्यातोन्मुख अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है, जिसमें भारत-अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार मददगार हो सकता है।
  • भारत तथा अमेरिका व्यापार संबंध के मामले में एक वैश्विक रणनीतिक साझेदार के रूप में उभर रहे हैं। यह साझेदारी लोकतांत्रिक मूल्यों और द्विपक्षीय, क्षेत्रीय तथा वैश्विक मुद्दों पर परस्पर हितों की बुनियाद पर है। वैश्विक संकट के बावजूद रक्षा, सुरक्षा, स्वास्थ्य, व्यापार, आर्थिक, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, ऊर्जा और नागरिक संबंधों सहित व्यापक क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग तथा भागीदारी बढ़ी है।
  • भारत एक विश्वसनीय व्यापारिक भागीदार के रूप में उभरा है और वैश्विक कंपनियां चीन पर निर्भरता कम कर भारत जैसे देशों में व्यापारिक विविधीकरण कर रही हैं। चीन और अमेरिका के बीच व्यापार युद्ध के बाद से भारत-अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार और निवेश संबंधों में ढेरों संभावनाएं हैं।
  • भारत, इंडो-पैसिफिक इकोनामिक फ्रेमवर्क स्थापित करने की अमेरिकी पहल में शामिल है, इससे द्विपक्षीय आर्थिक संबंधों को मजबूत करने में मदद मिलेगी।
  • भारत-अमेरिका द्विपक्षीय साझेदारी में आर्थिक सुधार, जलवायु संकट और सतत विकास, महत्त्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकी, आपूर्ति श्रृंखला, लचीलापन, शिक्षा, प्रवासी, रक्षा और सुरक्षा सहित अनेक मुद्दे शामिल हैं। भारत-अमेरिका, ऋण पुनर्गठन प्रक्रिया में सुधार तथा बहुपक्षीय विकास बैंक विकास एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए एकजुट हैं। दोनों देश खुली और समावेशी डिजिटल अर्थव्यवस्था को सक्षम बनाने में ‘डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर’ की क्षमता पहचानते हैं।
  • दोनों समावेशी विकास, प्रतिस्पर्धी बाजारों को बढ़ावा देने और व्यक्तिगत अधिकारों की रक्षा तथा इक्कीसवीं सदी की साझा वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए बहुपक्षीय विकास बैंकों को मजबूत करने, जलवायु परिवर्तन, महामारी, युद्ध सहित सीमा-पार चुनौतियों से निपटने हेतु व्यापक कोशिशों की जरूरत महसूस करते हैं। दोनों देश उभरती प्रौद्योगिकी, स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकी और दवाओं के लिए लचीली आपूर्ति शृंखला बनाने के लिए अधिक भागीदारी तथा तकनीकी सहयोग से कार्रवाई करने; नवोन्मेषी डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने; व्यापार और निवेश में बाधाएं कम करने को प्रतिबद्ध हैं।
  • अमेरिका ने सामान्यीकृत वरीयता प्रणाली से छूट हटाकर जून 2019 से भारतीय निर्यातकों को शुल्क-मुक्त लाभ वापस लेने के कारण भारत में दवा, कपड़ा और कृषि उत्पाद जैसे निर्यातोन्मुख क्षेत्र प्रभावित हुए हैं।
  • पुनर्गठित भारत-अमेरिका व्यापार नीति फोरम, व्यापार संबंधी चिंताओं को दूर कर तथा संभावनायुक्त क्षेत्रों की पहचान कर द्विपक्षीय व्यापार संबंधों को बढ़ाएगा।
  • व्यापारिक संवाद सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) की भूमिका को पहचानते हुए द्विपक्षीय व्यापार में एमएसएमई की भूमिका को बढ़ावा देगा।

निष्कर्ष:

  • भारत-अमेरिका आर्थिक तथा व्यापारिक साझेदारी वैश्विक विकास का इंजन साबित होगा। 2023 तक द्विपक्षीय व्यापार, वर्ष 2014 से लगभग दोगुना हो जाएगा। भारत और अमेरिका के मध्य विकास के विभिन्न स्तरों तथा अलग-अलग प्राथमिकताओं, पारस्परिक हितों और अपेक्षाओं के कारण मतभेद भी हैं, पर व्यापक हित छोटी-मोटी अड़चनों पर भारी हैं। ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान में अमेरिका को संरक्षणवादी प्रवृत्ति दिखती है।
  • डिजिटल अर्थव्यवस्था, सेवाओं, स्वास्थ्य-संबंधित व्यापार और कृषि व्यापार में अपार संभावनाएं हैं। निवेश बढ़ाने हेतु भारत ने एफडीआइ बाधाओं को कम किया है, रक्षा क्षेत्र में और सहयोग की गुंजाइश है। वैश्विक चुनौतियों के वर्तमान दौर में भारत-अमेरिकी द्विपक्षीय आर्थिक तथा व्यापारिक साझेदारी को भारत और अमेरिका के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय उम्मीदों पर भी खरा उतरना है।

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मुख्य परीक्षा प्रश्न

वर्तमान में, भारत-अमेरिका के मध्य व्यापारिक संबंधों में वृद्धि हुई है, स्पष्ट कीजिए।