भारत की अंतरिक्ष और साइबर सुरक्षा

भारत की अंतरिक्ष और साइबर सुरक्षा

मुख्य परीक्षा: सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-3

(साइबर सुरक्षा, साइबर अपराध, चुनौतियाँ)

12 सितंबर, 2023

भूमिका:

  • दुनिया तेजी से डिजिटल होती जा रही है। हर प्रकार का कार्य, डेटा एवं पैसे का आदान-प्रदान मोबाइल, कंप्यूटर एवं इंटरनेट के माध्यम से आए दिन आनलाइन ठगी, हैकिंग, वायरस हमला, डेटा चोरी आदि से जुड़ी खबरें सोशल मीडिया पर पढ़ने-सुनने-देखने को मिलती रहती हैं।

साइबर हमले से जुड़े मामले:

  • राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के अनुसार, 2022 में भारत ने साइबर अपराध के कुल 52,974 मामले दर्ज हुए हैं जिनमे से 60 फिसद से अधिक मामले धोखाधड़ी, 8.6 फिसद मामले यौन शोषण और 5.4 फिसद मामले जबरन वसूली के हैं।
  • आंकड़े बताते हैं कि पिछले 3 वर्षों में 47 फीसद उपभोक्ता धोखाधड़ी, 45 फीसद साइबर अपराध और 34 फीसद केवाईसी से संबंधित धोखाधड़ी के शिकार हुए हैं।
  • एक सर्वे के अनुसार, कोविड के बाद 50 फीसद से अधिक कंपनियां नए-नए तरीकों से वित्तीय धोखाधड़ी का शिकार हुई थीं।
  • पुलिस, ई-वालेट कंपनियों, मोबाईल कंपनियों, बैंक, आईटी सेल आदि होने के बावजूद साबर ठगी का शिकार  व्यक्ति बैंक, कस्टमर केयर, साइबर अपराध, पुलिस आदि के चक्कर लगाता रहता है।

सुरक्षा की आवश्यकता क्यों:

  • राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति की दृष्टि से भारत का पंच युद्ध क्षेत्र के साथ एकीकृत करने का काम लंबे समय से रुका हुआ है।
  • पारंपरिक युद्ध के क्षेत्रों- भूमि, वायु, समुद्र से लेकर अंतरिक्ष तक में साइबर सुरक्षा को लेकर भारत समेत दुनिया के कई देश असुरक्षा का सामना कर रहे हैं।
  • अंतरिक्ष प्रणालियों में कोई भी घुसपैठ, आकस्मिक हमला उसे अस्थायी या स्थायी रूप से पंगु बना सकता है।
  • इन प्रणालियों पर भोजन, पानी, संचार, बांध, रक्षा, ऊर्जा, वित्तीय, स्वास्थ्य देखभाल, परमाणु, परिवहन और अन्य महत्त्वपूर्ण संरचनाएं निर्भर हैं।
  • घुसपैठ या हमले की स्थिति में इन संरचनाओं को नुकसान की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। हमलावर अब ‘एअर-गैप्ड सिस्टम’ को आसानी से ‘बाइपास’ अर्थात उसमें घुसपैठ करने लगे हैं।
  • ‘एअर-गैप्ड सिस्टम’ अर्थात ऐसी सुरक्षा प्रणाली, जिसमें किसी कंप्यूटर अथवा नेटवर्क को बाहरी नेटवर्क/हमले से सुरक्षित रखने के लिए की गई सुरक्षा व्यवस्था होती है।
  • अब आपूर्ति शृंखलाओं से जुड़े साफ्टवेयर/हार्डवेयर या अंतरिक्ष प्रणालियों में घुसपैठ आसान हो सकता है।

अंतरिक्ष और साइबर सुरक्षा हेतु भारत सरकार के प्रयास:

  • भारत में परमाणु संयंत्रों और अंतरिक्ष एजंसियों सहित भारत के महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढांचा क्षेत्रों को लेकर सरकार ने अहम कदम उठाए हैं।
  • दुनिया भर में केवल चार ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (जीएनएसएस) है : अमेरिका का जीपीएस (ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम), रूस का जीएलओएनएएसएस, चीन का बीईआइडीओयू अर्थात बीडौ नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम और यूरोप का गैलीलियो नेविगेशन सिस्टम इसमें शामिल है।
  • इस वक्त भारत भी समय तुल्याकलन को सुव्यवस्थित करने, विदेशी जीएनएसएस पर अपनी निर्भरता को घटाने और राष्ट्रीय सुरक्षा में इजाफा करने की दृष्टि से भारतीय क्षेत्रीय नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम के तहत नैवआइसी (एनएवीआइसी) (भारतीय नक्षत्र के साथ नेविगेशन) को विकसित कर रहा है।
  • यह भारतीय भूभाग पर 10 मीटर से कम और हिंद महासागर पर 20 मीटर से कम की संपूर्ण सटीकता के साथ सही स्थिति महज नैनो सेकंड में मुहैया करवाने में सक्षम है।
  • रूस, अमेरिका (यूएस), चीन, ईरान, उत्तर कोरिया और इजराइल ने अपनी सैन्य अंतरिक्ष साइबर सुरक्षा क्षमताओं को लचीला बनाया है।
  • जापान, फ्रांस, दक्षिण कोरिया और इंग्लैंड ने साइबर और अंतरिक्ष सुरक्षा को मजबूत बनाने में तेजी दिखाई है।
  • चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी का सामरिक समर्थन बल अपनी अंतरिक्ष, साइबर, इलेक्ट्रॉनिक और मनोवैज्ञानिक युद्ध क्षमताओं को केंद्रीकृत कर चुका है।
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 सितंबर 2018 को डिफेंस साइबर एजंसी (डीसीए) और डिफेंस स्पेस एजंसी अर्थात रक्षा अंतरिक्ष एजंसी (डीएसए) के गठन को स्वीकृति प्रदान कर दी है।
  • डीसीए पूर्णत: क्रियाशील है। दूसरी ओर डीएसए का भूमि, वायु, समुद्र और साइबर थिएटर अर्थात युद्ध क्षेत्र के साथ एकीकरण का कार्य प्रगति पथ पर है।
  • राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति को पंच युद्ध क्षेत्र के साथ एकीकृत करने का काम लंबे समय से अटका पड़ा है।
  • इस एकीकरण के चलते एकीकृत युद्ध सिद्धांत स्पष्ट हो सकेगा।
  • इस एकीकृत युद्ध सिद्धांत की वजह से भारत में एक पर्पल क्षमता (जो आक्रमण (लाल) और रक्षा (नीला) को जोड़ती है) का निर्माण होगा।

राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा रणनीति

  • राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय (एनएससीएस) और राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा समन्वयक दोनों मिलकर भारतीय साइबर सुरक्षा संरचना और नीतियों को एकीकृत करने का प्रयास कर रहे है।
  • इसी दिशा में आगे बढ़ने के लिए एक राष्ट्रीय मसविदा साइबर सुरक्षा रणनीति भी तैयार की गई है, जो प्रधानमंत्री कार्यालय के पास विचाराधीन है, लेकिन इसमें स्पेस अर्थात अंतरिक्ष से जुड़े तत्वों का अभाव दिखाई देता है।
  • दिलचस्प बात यह है कि डेटा सिक्योरिटी काउंसिल आफ इंडिया ने 2020 में राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा रणनीति का मसविदा तैयार किया था।
  • इसमें परमाणु संयंत्रों और अंतरिक्ष एजंसियों सहित भारत के महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढांचा क्षेत्रों को लक्षित किए जाने की अर्थात उन पर हमले किए जाने का उल्लेख तो किया था, लेकिन अंतरिक्ष साइबर सुरक्षा को लेकर इसमें कुछ नहीं कहा गया था।
  • इस स्थिति को बदलना जरूरी बताया जा रहा है। राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा रणनीति के एक अभिन्न अंग के रूप में, युद्ध के पांच क्षेत्रों एल-ए -एस-एस-सीवाई को महत्त्वपूर्ण राष्ट्रीय बुनियादी ढांचे के साथ एकीकृत करना जरूरी हो गया है। सुरक्षा और सैन्य कार्य के साथ ही संचार व्यवस्था भी अहम अंतरिक्ष अवसंरचना पर निर्भर है।

माया साफ्टवेयर

  • देश के सुरक्षा प्रतिष्ठानों पर बढ़ते साइबर हमलों के मद्देनजर रक्षा मंत्रालय ने एक हालिया आदेश में अपने सभी कर्मियों के लिए ‘हार्डेंड लिनेक्स परिचालन तंत्र’ पर रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा स्वदेशी आधार पर विकसित किए गए ‘माया साफ्टवेयर’ के माध्यम से इंटरनेट की व्यवस्था लागू कर दी है। जो कि उसके कंप्यूटरों को साइबर हमलों से संपूर्ण सुरक्षा कवच प्रदान करेगी।
  • यह कंप्यूटर परिचालन तंत्र भारत ही नहीं पूरी दुनिया में मौजूद सुरक्षा क्षेत्र की एजंसियों, संवेदनशील कंपनियों, पेटेंट और वैज्ञानिक सूत्र बनाने वाले कार्यालयों द्वारा बड़े पैमाने पर प्रयोग किया जाता है।
  • ये एक ऐसा चक्रव्यूह है जिसे साइबर हमले के दौरान कोई भी हैकर भेद नहीं सकेगा।

चुनौतियाँ:

  • संभावित साइबर हमला करने की क्षमता रखने वालों में गुप्त सरकारी संस्थाओं के अलावा आतंकवादी संगठन, अराजक अथवा विध्वंसक तत्व, राजनीतिक अपराधी, कंप्यूटर सेंध लगाने वाले (हैकर), वाणिज्य प्रतियोगी, किसी संस्थान में मौजूद धूर्त अथवा बेईमान अंदरूनी सूत्र, असंतुष्ट कर्मचारी, विश्वसनीय लेकिन लापरवाही व्यापार भागीदार अथवा शरारती अंतरिक्ष यात्री शामिल हो सकते हैं।
  • इनमें से अधिकांश के पास एसमेट्रिक अर्थात विषम हमले करने की क्षमता होती है और ये सभी ‘क्रेडिबल डिटरेंस’ अर्थात ‘विश्वसनीय प्रतिरोध‘ की प्राकृतिक गतिशीलता से इम्यून अर्थात प्रतिरक्षित रहते हैं।
  • एअरोस्पेस कारपोरेशन का एसपीएआरटीए अर्थात स्पार्टा (स्पेस अटैक रिसर्च एंड टैक्टिक एनालिसिस), जो एमआइटीआरई एटीटीएंडसीके प्रतिकूल रणनीति और तकनीकों का विस्तार है।
  • इस वक्त दुनिया में तेल और गैस, दूरसंचार, बिजली, आपदा प्रबंधन, विनिर्माण, लाजिस्टिक्स्, डिलीवरी सर्विसेस अर्थात वितरण सेवाएं, सार्वजनिक परिवहन, ई-कामर्स, बीमा, कानून प्रवर्तन, रक्षा कार्यक्षेत्र और उनकी आपूर्ति शृंखला जैसे क्षेत्र, वैश्विक स्थिति, नेविगेशन अर्थात दिक्चालन पर निर्भर करते है।
  • साइबर सुरक्षा के मामले में भारत की क्षमता इसके डिजिटाइजेशन के पैमाने और गति का मुकाबला करने में पिछड़ती रही है। इसमें खतरों की जटिलता की भी अपनी भूमिका है। यह साझा कार्रवाई करने, रणनीतियां बनाने और उन्हें प्रभावी तरीके से लागू करने की हमारी क्षमता के लिए चुनौती है।
  • व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा: साइबर हमलों से व्यक्तिगत और व्यवसायिक जानकारी की सुरक्षा निश्चित करना महत्वपूर्ण है।
  • व्यक्तिगत डेटा का अवैध उपयोग: व्यक्तिगत जानकारी का अवैध उपयोग जैसे कि उपयोगकर्ताओं की आईडी और पासवर्ड का दुरुपयोग करने का प्रयास।
  • फिशिंग: धोखाधड़ी, ईमेल, सोशल मीडिया या अन्य जालसंरचनाओं का उपयोग करके उपयोगकर्ताओं को धोखा देने का प्रयास।

आगे की राह:

  • भारत को अंतरिक्ष क्षमताओं को विकसित करने पर अपना ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है।
  • प्रतिद्वंद्वी ने अंतरिक्ष क्षेत्र में तेजी से प्रगति की है, जिसका मुकाबला करने के लिए भारत को अंतरिक्ष क्षमताओं को विकसित करना होगा।
  • यह जरूरी है कि भारत अपना खुद का साइबर-सुरक्षा, अंतरिक्ष-आधारित और उच्च गति वाला लचीला संचार तैयार करे।
  • साइबर सुरक्षा से जुड़ी चुनौतियों से निपटने के लिए, साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों को नवाचारी तकनीकों का अद्यतन करने, उपयोगकर्ताओं को जागरूक बनाने और सुरक्षित तकनीकी प्रैक्टिस को प्रोत्साहित करने के लिए सतर्क रहने की आवश्यकता है।
  • सरकार, उद्योग और व्यक्तिगत उपयोगकर्ताओं को साइबर सुरक्षा को एक प्राथमिकता मानकर उचित सुरक्षा उपायों को अपनाने की आवश्यकता है।

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मुख्य परीक्षा प्रश्न

भारत में अंतरिक्ष और साइबर सुरक्षा से संबंधित प्रमुख चुनौतियों के समाधान हेतु उपायों पर चर्चा कीजिए।