भारत का क्वांटम मिशन

भारत का क्वांटम मिशन

मुख्य परीक्षा:सामान्य अध्ययन 3

( विज्ञान और प्रौद्योगिकी )

चर्चा में क्यों :

  • भारत का राष्ट्रीय क्वांटम मिशन रक्षा, ऊर्जा और पर्यावरण से लेकर स्वास्थ्य सेवा और नागरिक अनुप्रयोगों तक कई क्षेत्रों में महत्वपूर्ण सिद्ध हो सकता है।

राष्ट्रीय क्वांटम मिशन :

  • केन्द्र सरकार ने पहली बार वर्ष 2020 के बजट में लगभग 8,000 करोड़ रुपये की प्रतिबद्धता के साथ इस मिशन की घोषणा की थी।
  • केंद्र सरकार ने 19 अप्रैल 2023 को बहुप्रतीक्षित राष्ट्रीय क्वांटम मिशन को क्वांटम प्रौद्योगिकी में वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान और विकास को पोषित करने और बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय क्वांटम मिशन को मंजूरी दी है।
  • इस मिशन के माध्यम से भारत उन छह देशों की लीग में शामिल हो जाएगा जो क्वांटम कंप्यूटिंग में अनुसंधान एवं विकास क्षमताओं का विकास कर रहे हैं - संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन, फिनलैंड, ऑस्ट्रिया, फ्रांस और कनाडा।
  • इस मंजूरी के बाद, भारत एक मिशन के रूप में क्वांटम तकनीक के विकास का कार्यक्रम घोषित करने वाला सातवां देश बन गया है।
  • मिशन को अन्य विभागों के साथ साझेदारी में विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा कार्यान्वित किया जाएगा।
  • इस मिशन के तहत सुपरकंडक्टिंग और फोटोनिक तकनीक जैसे विभिन्न प्लेटफार्म में आठ वर्षों में 50-1000 भौतिक क्यूबिट की क्षमता वाला मध्यवर्ती स्तर का क्वांटम कंप्यूटर विकसित करने की परिकल्पना की गई है।

मिशन के उद्देश्य :

  • मिशन का उद्देश्य क्वांटम प्रौद्योगिकी में वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान एवं विकास का पोषण और विस्तार करना।
  • आठ वर्षों में 50-1,000 भौतिक qubits के साथ इंटरमीडिएट-स्केल क्वांटम कंप्यूटर विकसित करना।
  • शीर्ष शैक्षणिक और अनुसंधान एवं विकास संस्थानों में चार विषयगत हब स्थापित करना
  • क्वांटम प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक गतिशील और अभिनव पारिस्थितिकी तंत्र बनाना।
  • क्वांटम तकनीक को विकसित कर देश के विभिन्न क्षेत्रों में नवाचार को बढ़ावा देकर प्रगतिशील बनाना।
  • क्वांटम तकनीक के विकास से कंप्यूटिंग, संचार, साइबर सुरक्षा क्षेत्र में नए आयाम सृजित करना।

राष्ट्रीय क्वांटम मिशन का महत्व:

  • राष्ट्रीय क्वांटम मिशन का संचार, स्वास्थ्य, वित्त, ऊर्जा, दवा डिजाइन और अंतरिक्ष अनुप्रयोगों सहित कई उद्योगों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
  • यह मिशन सटीक समय, संचार और नौवहन के लिए परमाणु प्रणालियों और परमाणु घड़ियों में उच्च संवेदनशीलता से लैस मैग्नेटोमीटर विकसित करने में मदद करेगा।
  • मिशन क्वांटम प्रौद्योगिकी के नेतृत्व वाले आर्थिक विकास को गति देगा और देश में पारिस्थितिकी तंत्र का पोषण करेगा।
  • मिशन डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया, स्किल इंडिया, स्टैंड-अप इंडिया, स्टार्ट-अप इंडिया, आत्मनिर्भर भारत और सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) जैसी राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के अनुरूप है।
  • मिशन क्वांटम प्रौद्योगिकी में वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देना चाहता है।
  • क्वांटम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, प्रौद्योगिकी विकास और उच्च शिक्षा विज्ञान तथा इंजीनियरिंग विषयों में उन्नत अनुसंधान को बढ़ावा देकर भारत को अन्य उन्नत देशों के समकक्ष लाया जा सकता है और कई प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष लाभों को प्राप्त किया जा सकता है।
  • मिशन भारत में क्वांटम प्रौद्योगिकी के विकास और विस्तार की सुविधा प्रदान करेगा।
  • यह मिशन क्वांटम कंप्यूटिंग में आरएंडडी करने वाली भारतीय फर्मों के लिए एक प्रोत्साहन प्रदान कर सकता है, जैसे कि टीसीएस, आईबीएम और टेक महिंद्रा, अन्य।

क्वांटम प्रौद्योगिकी के बारे में :

  • क्वांटम प्रौद्योगिकी क्वांटम सिद्धांत पर आधारित है, जो परमाणु और उप-परमाणु स्तर पर ऊर्जा और पदार्थ की प्रकृति की व्याख्या करती है। इस तकनीक की सहायता से डेटा और इन्फॉर्मेशन को कम-से-कम समय में प्रोसेस किया जा सकता है। क्वांटम कंप्यूटर की मदद से कंप्यूटिंग से जुड़े टास्क कम से कम समय में किए जा सकते हैं। क्वांटम कंप्यूटर्स क्वांटम टू लेवल सिस्टम (क्वांटम बिट्स या क्यूबिट्स) का उपयोग करके जानकारी संग्रहीत करते हैं। ये क्लासिकल बिट्स के विपरीत सुपर स्पेशल स्टेटस में तैयार किए जा सकते हैं। यह महत्त्वपूर्ण क्षमता क्वांटम कंप्यूटरों को पारंपरिक कंप्यूटरों की तुलना में बेहद शक्तिशाली बनाती है।
  • क्वांटम कंप्यूटर क्वांटम बिट्स, या क्यूबिट्स का उपयोग करते हैं, और नियमित और सुपर कंप्यूटरों की तुलना में तेज़ होते हैं, जो पारंपरिक बिट्स का उपयोग करते हैं। उदाहरण के लिए, रिपोर्टों के अनुसार, Google के क्वांटम प्रोसेसर, साइकैमोर ने 2019 में एक कार्य को 200 सेकंड में पूरा किया, जिसके बारे में Google ने दावा किया, एक नेचर पेपर में, एक अत्याधुनिक सुपर कंप्यूटर को पूरा करने में 10,000 साल लगेंगे।

इस प्रौद्योगिकी के समक्ष चुनौतियां :

  • उच्च लागत
  • क्वांटम कंप्यूटर में क्युबिट्स(qubits) को बनाने और इसकी त्रुटियों से निपटने अत्यधिक लागत आती है
  • क्वांटम कंप्यूटर हेतु क्विबिट्स को प्रोसेस करने के लिए चिप बनाना भी एक बड़ी बाधा है।
  • असम्बद्धता
  • एक क्वांटम कंप्यूटर बनाने के लिए यह जरुरी है कि आवश्यक प्रक्रियाओं की संख्या को आगे बढ़ाने के लिए किसी वस्तु को अतिव्यापी अवस्था में लंबे समय तक रखा जाए।
  • यह हमेशा संभव नहीं होता क्योंकि ये लगातार सुपरपोजिशन की इस स्थिति को खोता रहता है, जिसे डिकॉहेरेन्स कहा जाता है।
  • डिकॉहेरेन्स क्वांटम उपकरणों में कंपन, तापमान में उतार-चढ़ाव, विद्युत चुम्बकीय तरंगों और बाहरी वातावरण में परिवर्तन आदि प्रभावों के कारण उत्पन्न हो जाता है। डिकॉहेरेन्स के इस प्रभाव से क्वांटम कंप्यूटर के विशेष गुणों को नष्ट हो जाते हैं।

इस तकनीकी के अनुप्रयोग :

  • अनुकूलन, योजना और लॉजिस्टिक्स
  • पूर्वानुमान
  • वित्तीय मानक स्थापित करना
  • दवा डिजाइन और खोज
  • जीनोमिक्स के क्षेत्र में
  • साइबर सुरक्षा और क्रिप्टोग्राफी के क्षेत्र में
  • आणविक मॉडलिंग के क्षेत्र में
  • रसायन विज्ञान मॉडलिंग, कम्प्यूटेशनल रसायन विज्ञान के क्षेत्र में
  • सामग्री डिजाइन और मॉडलिंग हेतु
  • एयरोस्पेस भौतिकी हेतु
  • क्वांटम सिमुलेशन - क्वांटम मैकेनिकल स्तर पर भौतिक प्रणालियों का अनुकरण
  • बिना क्रम के (Random) सख्याओं तैयार करने हेतु

भारत के लिए इसका महत्व

  • भारत के लिए, क्वांटम सामग्री और उपकरणों में निवेश अत्यधिक कुशल कार्यबल का एक संवर्ग उत्पन्न कर सकता है।
  • जैसा कि भारत 2027 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के लिए तैयार है, देश में एक मजबूत नेटवर्क सामग्री बुनियादी ढांचा महत्वपूर्ण होगा।
  • यह न केवल क्वांटम प्रौद्योगिकियों बल्कि सेमीकंडक्टर मिशन से लेकर न्यूट्रिनो वेधशाला और गुरुत्वाकर्षण तरंग पहचान तक की अन्य प्रमुख वैज्ञानिक मेगाप्रोजेक्ट्स को भी पूरा करेगा।
  • इससे संचार, स्वास्थ्य, वित्तीय और ऊर्जा क्षेत्रों के साथ-साथ दवा डिजाइन और अंतरिक्ष अनुप्रयोगों को बहुत लाभ होगा।
  • यह डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया, स्किल इंडिया और स्टैंड-अप इंडिया, स्टार्ट-अप इंडिया, आत्मनिर्भर भारत और सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) जैसी राष्ट्रीय प्राथमिकताओं को भारी बढ़ावा देगा।

                                       

आगे की राह :

  • भारतीय संस्थानों ने पहले ही क्वांटम कंप्यूटिंग पर अनुसंधान एवं विकास पर काम करना शुरू कर दिया है। पिछले साल, IIT मद्रास IBM के क्वांटम नेटवर्क में शामिल होने वाला भारत का पहला संस्थान बन गया। इसे आईबीएम के सबसे उन्नत क्वांटम कंप्यूटिंग सिस्टम और विशेषज्ञता तक क्लाउड-आधारित पहुंच प्राप्त होगी।
  • विशेषज्ञों का कहना है कि भारत जैसे देश में, जहां सरकार बड़े पैमाने पर समस्याओं को हल करने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करती है, क्वांटम कंप्यूटिंग एक बड़ा बढ़ावा हो सकता है, क्योंकि यह बड़े पैमाने पर सिमुलेशन की अनुमति देता है।
  • सरकार और उद्योग दोनों के लिये यह अनिवार्य हो गया है कि वे इन उभरती और विघटनकारी तकनीकों को विकसित करने के लिये तत्पर रहें जिससे कि संचार, वित्तीय लेन-देन, प्रतिस्पर्द्धी सामाजिक प्रगति, रोज़गार, आर्थिक विकास और जीवन की समग्र गुणवत्ता में सुधार किया जा सके।
  • सरकार द्वारा उठाया गया यह कदम अत्यंत प्रगतिशील है किंतु अब सरकार को इस मिशन की सफलता की दिशा में व्यापक कदम उठाने की आवश्यकता है।

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मुख्य परीक्षा प्रश्न

भारत का राष्ट्रीय क्वांटम मिशन कई क्षेत्रों में महत्वपूर्ण सिद्ध हो सकता है। भारत के लिए क्वांटम प्रौद्योगिकी के महत्व को रेखांकित कीजिए।