भारत के लिए भविष्य का ईंधन “ई-20”

भारत के लिए भविष्य का ईंधन

“ई-20

मुख्य परीक्षा सामान्य अध्ययन:3

(पर्यावरणसे संबंधित मुद्दे एवं चुनौतियां)

संदर्भ:

  • दुनियाभर में कच्चे तेल के लिए संघर्ष बढ़ रहा है। कच्चे तेल की कमी कईदेशों के लिए चुनौती बन रहीहै। रोचक यह है कि तेल को लेकर अमेरिका जैसे कई देश दूसरे देशों को प्रभावित कर रहे हैं। गौरतलब है कि अमेरिका भारत का रणनीतिक मित्र है और वर्षों से दोनों के संबंध कहीं अधिक सकारात्मक रहे हैं, लेकिनअमेरिका के ईरान से अच्छे संबंध न होने के कारण भारत को मई 2019 में ईरान से कच्चा तेल आयात करने पर रोक लगानी पड़ी थी।
  • वर्तमान में सऊदी अरब मेंतेल की उंची कीमतें, रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते रूस से तेल की आपूर्ति न होना आदि कारणों से भारत ने कच्चे तेल के विकल्प के तौर पर जैव ईंधन (हरितईंधन)के उत्पादन की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।

हरित ईंधन के बारे में:

  • हरित ईंधन को जैव ईंधन के रूप में भी जाना जाता है जो पौधों और जानवरों के द्रव्य से प्राप्त एक प्रकार का स्वच्छ (Distilled) ईंधन है। यह व्यापक रूप से उपयोग किये जाने वाले जीवाश्म ईंधन की तुलना में पर्यावरण अनुकूल है।

हरित ईंधन के प्रकार

बायो-एथेनॉल:

  • यहकिण्वन प्रक्रिया का उपयोग करके मक्के और गन्ने से बनाया जाता है।
  • एक लीटर पेट्रोल की तुलना में एक लीटर इथेनॉल में लगभग दो तिहाई ऊर्जा होती है।  यह पेट्रोल के साथ कार्बन मोनोऑक्साइड और सल्फर ऑक्साइड के उत्सर्जन को कम करता है।

बायो-डीज़ल

  • इसको वनस्पति तेलों जैसे- सोयाबीन, ताड़ या वनस्पति अपशिष्ट तेल और पशु वसा से प्राप्त किया जाता है, इसे "ट्रान्सएस्टरीफिकेशन" कहा जाता है।
  • यह डीज़ल की तुलना में बहुत कम हानिकारक गैसों का उत्सर्जन करता है।

बायो-गैस

  • इसका निर्माण कार्बनिक पदार्थों के अवायवीय अपघटन जैसे- जानवरों और मनुष्यों के वाहित मल द्वारा होता है।
  • बायोगैस में मुख्यतः मीथेन और कार्बन डाइऑक्साइड गैस होती है, हालाँकि इसमें बहुत कम अनुपात में हाइड्रोजन सल्फाइड, हाइड्रोजन, कार्बन मोनोऑक्साइड और साइलोक्सैन गैस भी होती है।
  • इसे आमतौर पर हीटिंग, बिजली और ऑटोमोबाइल के काम में उपयोग किया जाता है।

बायो-ब्यूटेनॉल

  • इसको भी बायोएथेनॉल की तरह स्टार्च के किण्वन से तैयार किया जाता है।
  • अन्यगैसोलीनविकल्पोंमेंसेबुटेनॉल से ऊर्जा की प्राप्ति सबसे अधिक होती है। उत्सर्जन कम करने के लिये इसको डीजल के साथ मिलाया जा सकता है।
  • इसको कपड़ा उद्योग में विलायक और इत्र उद्योग में आधार के रूप में उपयोग किया जाता है।

बायोहाइड्रोजन

  • जैव हाइड्रोजन, बायोगैस की तरह होता है। इसका उत्पादन विभिन्न प्रक्रियाओं जैसे- पायरोलिसिस, गैसीकरण या जैविक किण्वन का उपयोग कर किया जा सकता है।
  • यह जीवाश्म ईंधन के लिये सही विकल्प हो सकता है।

E-20 ईंधनके बारे में:

  • यह वाहनों में इस्तेमाल होने वाला ईंधन है।
  • इसका सबसे बड़ा लाभ यह है कि इससे वाहनों से होने वाले जहरीली गैसो के उत्सर्जन में कमी आएगी और इससे प्रदूषण कम होगा।
  • E20 ईंधन, गैसोलीन और इथेनॉल (20%) का मिश्रण होता है।
  • यह आर्थिक रूप से भी भारत के लिए लाभदायक है।
  • इससे भारत के तेल आयात में कमी आएगी और जिससे विदेशी मुद्रा की बचत और ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित होगी।
  • वर्तमान में इथेनॉल सम्मिश्रण का मान्य स्तर 10% है, यद्यपि भारत वर्ष केवल 5.6% सम्मिश्रण स्तर तक ही पहुँच पाया है।
  • इससे कार्बन डाइऑक्साइड, हाइड्रोकार्बन आदि के उत्सर्जन को कम करने में मदद मिलेगी।
  • यह एक हरित ईंधन का उदाहरण है।

इथेनॉल

  • इथेनॉल एक तरह का अल्कोहल है जिसे पेट्रोल में मिलाकर गाड़ियों में फ्यूल की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • यह बायो-फ्यूल और बायोमास का एक बाई-प्रोडक्ट है, इसे मक्की, गन्ना और आलू इत्यादि से प्राप्त किया जा सकता है।  
  • इथेनॉल कार्बन मोनोऑक्साइड उत्सर्जन और सल्फर डाइऑक्साइड को भी कम करता है.
  • एथेनॉल हाइड्रोकार्बन के उत्सर्जन को भी कम करता है
  • एथेनॉल में 35 फीसदी ऑक्सीजन होता है
  • एथेनॉल फ्यूल को इस्तेमाल करने से नाइट्रोजन ऑक्साइड उत्सर्जन में कमी आती है.
  • इथेनॉल को अलग-अलग प्रकार के मिश्रण उत्पाद बनाने के लिये गैसोलीन के साथ मिश्रित किया जाता है।
  • इथेनॉल एक अस्थिर, ज्वलनशील और एक रंगहीन तरल पदार्थ है।
  • इथेनॉल का उपयोग मादक पेय के एक सक्रिय घटक के रूप में भी किया जाता है।
  • इथेनॉल का उपयोग एंटीसेप्टिक और कीटाणुनाशक के रूप में भी किया जाता है।

गैसोलीन

  • गैसोलीन एक तरल ईंधन है जिसका उपयोग हम मुख्य रूप से स्पार्क-प्रज्वलित आंतरिक दहन इंजन में करते हैं।
  • इसे आम भाषा में पेट्रोल भी कहा जाता है, यह एक स्पष्ट पेट्रोलियम-व्युत्पन्न ज्वलनशील तरल है। 
  • गैसोलीन एक हल्का हाइड्रोकार्बन मिश्रण है जो प्रति अणु में C4 से C12 परमाणुओं तक होता है।
  • इसका उपयोग आमतौर पर ईंधन के रूप में किया जाता है।

वर्तमान स्थिति:

  • भारत कच्चे तेल के मामले में आत्मनिर्भर नहीं है। वह अपनी जरूरत का महज सत्रह फीसद तेल उत्पादन कर पाता है, बाकी के लिए आयात पर निर्भर है।
  •  ऐसे में ई-20 ईंधन का स्वरूप इस निर्भरता को कम करने में मदद करेगा, मगर जिस गति से कच्चे तेल की आवश्यकता देश को है, उसे देखते हुए इसे अंतिम उपाय नहीं कहा जा सकता।
  • वर्तमान में, भारत में एथेनाल की उत्पादन क्षमता लगभग एक हजार सैंतीस करोड़ लीटर है, जिसमें सात सौ करोड़ लीटर गन्ना आधारित और बाकी अनाज आधारित है।
  • 2022-23 में पेट्रोल और एथेनाल वाले ईंधन की आवश्यकता पांच सौ बयालीस करोड़ लीटर थी, जबकि 2023-24 में यह बढ़ कर छह सौ अट्ठानबे करोड़ लीटर है।
  • 2013-14 की तुलना में आज एथेनाल का उत्पादन छह गुना तक बढ़ा है, जिससे लगभग चौवन हजार करोड़ रुपए की विदेशी मुद्रा बची है।
  • फिलहाल ई-20 ईंधन को ग्यारह राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के चौरासी पेट्रोल पंपों पर उपलब्ध कराया जाएगा। गौरतलब है कि भारत सरकार ने ‘इंडिया एनर्जी वीक 2023’ में बीस प्रतिशत एथेनाल मिश्रित पेट्रोल को फरवरी,2023में शुरू किया था और उम्मीद जताई गई थी कि इस पहल से पेट्रोल पर निर्भरता को कम किया जा सकेगा।

महत्व:

  • इससे कार्बन डाइऑक्साइड, हाइड्रोकार्बन आदि के उत्सर्जन को कम करने में मदद मिलेगी।
  • यह तेल आयात बिल को भी कम करने में मदद करेगा, जिससे विदेशी मुद्रा की बचत और ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित होगी।
  • वाहनों की अनुकूलता: वाहन की अनुकूलता हेतु इस मिश्रण में इथेनॉल के प्रतिशत को वाहन निर्माता द्वारा परिभाषित किया जाएगा तथा वाहन पर स्टिकर लगाकर स्पष्ट रूप से प्रदर्शित भी किया जाएगा।
  • ई-20 ईंधन से वाहनों को चलाना तो आसान रहेगा ही साथ ही बड़ा लाभ यह होगा कि जहरीली गैसों से शहर मुक्त भी होंगे। कच्चा तेल खरीदने में तुलनात्मक कमी आएगी, इससे विदेशी मुद्रा के खर्च में कमी आएगी।

जैवईंधनको बढ़ावा देने हेतु सरकार की पहलें

राष्ट्रीयहरितहाइड्रोजनमिशन:

  • केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जनवरी 2023 में राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन को मंजूरी दी थी, जिसका उद्देश्य भारत को स्वच्छ ऊर्जा का केंद्र बनाना है।

इथेनॉलमिश्रितपेट्रोलकार्यक्रम: 

  • इस कार्यक्रम को खाद्यान्न जैसे- मक्का, ज्वार, बाजरा, फल, सब्जियों के कचरे आदि से ईंधन निकालने के लिये शुरू किया गया है।

प्रधानमंत्रीजी-वनयोजना, 2019:

  • इस योजना का उद्देश्य वाणिज्यिक परियोजनाओं की स्थापना के लिये एक पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना और 2G इथेनॉल क्षेत्र में अनुसंधान तथा विकास को बढ़ावा देना है।

गोबरधनयोजना, 2018: 

  • यह खेतों में उपयोग हेतु ठोस कचरा और मवेशियों के गोबर को खाद, बायोगैस तथा बायो-CNG में परिवर्तित करने पर केंद्रित है। इस प्रकार गाँवों को साफ-सुथरा रखने और ग्रामीण परिवारों की आय में वृद्धि करने में मदद मिलती है।
  • इसे स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के तहत लॉन्च किया गया था।
  • खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) द्वारा लॉन्च RUCO (Response Used Cooking Oil) पहल प्रयुक्त कुकिंग आयल को बायो-डीज़ल में संग्रहण और रूपांतरण करने में सक्षम होगी।

 

जैव ईंधन पर राष्ट्रीय नीति, 2018

  • इस नीति द्वारा गन्ने का रस, चीनी युक्त सामग्री, स्टार्च युक्त सामग्री तथा क्षतिग्रस्त अनाज, जैसे- गेहूँ, टूटे चावल और सड़े हुए आलू का उपयोग करके एथेनॉल उत्पादन हेतु कच्चे माल के दायरे का विस्तार किया गया है।

निष्कर्ष:

  • भारत कृषि अर्थव्यवस्था वाला देश है, यहां व्यापक पैमाने पर कृषि अवशेष उपलब्ध हैं। ऐसे में जैव र्इंधन के उत्पादन की संभावना अधिक रहती है।
  • भारत का किसान अन्न उत्पादन करके जैव ईंधन के मामले में देश को आत्मनिर्भर बना सकताहै। मगर क्या उसकी आय दोगुनी करना सरकार के लिए संभव है।
  • साल 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य सरकार ने रखा था, मगर इस पर कुछ खास पता नहीं चला।
  • इस स्थिति को देखते हुए सरकार ने 2025 तक देश में पूरी तरह ई-20 ईंधन की बिक्री का लक्ष्य रखा है।
  •  इसमें कोई दो राय नहीं कि एथेनाल इक्कीसवीं सदी के भारत की एक प्रमुख प्राथमिकता बन चुका है, क्योंकि यह पर्यावरण और किसानों के जीवन पर बेहतर प्रभाव डाल सकता है।

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मुख्य परीक्षा प्रश्न:

“ई-20” भारत के लिए भविष्य का ईंधन है।इस संदर्भ में भारत सरकार की प्रमुख पहलों का उल्लेख कीजिए।