भारत की नवीकरणीय ऊर्जा दक्षता

भारत की नवीकरणीय ऊर्जा दक्षता

प्रिलिम्स के लिए महत्वपूर्ण:

अक्षय ऊर्जा, इंटरनेशनल रिन्यूएबल एनर्जी एजेंसी (आईआरईएनए), ऊर्जा संरक्षण भवन संहिता (ईसीबीसी)।

मेन्स के लिए महत्वपूर्ण:

GS-3: अक्षय ऊर्जा उत्पादन परिदृश्य, ऊर्जा संरक्षण हेतु भारत में प्रभावी कदम, नवीकरणीय ऊर्जा से संबंधित भारत की पहलें।

18 नवंबर, 2023

संदर्भ:

हाल ही में, इंटरनेशनल रिन्यूएबल एनर्जी एजेंसी (आईआरईएनए) द्वारा "रिन्यूएबल कैपेसिटी स्टैटिस्टिक्स 2023"  रिपोर्ट जारी की गयी है।

अक्षय ऊर्जा के बारे में

  • ऊर्जा के वो प्राकृतिक स्रोत जिनका क्षय नहीं होता या जिनका नवीकरण होता रहता है और जो प्रदूषणकारी नहीं हैं, उन्हे अक्षय ऊर्जा के स्रोत कहा जाता है। जैसे सूर्य, जल, पवन, ज्वार-भाटा, भूताप आदि।

अक्षय ऊर्जा उत्पादन परिदृश्य:

वैश्विक स्तर पर

  • वर्तमान में अमेरिका बारह फीसद, चीन, जापान और ब्राजील दस फीसद और तुर्किए तेरह फीसद बिजली का उत्पादन हवा और धूप से कर रहे हैं।
  • यूरोपीय संघ 21 फीसद और यूनाइटेड किंगडम 33 फीसद पवन और सौर ऊर्जा उत्पादित कर रहे हैं, जबकि रूस अपनी सिर्फ 0.2 फीसद सौर और पवन ऊर्जा उत्पादित कर रहा है।

थिंक टैंक एजंसी’ ‘एंबर’ की रिपोर्ट के अनुसार,

  • थर्मल पावर प्लांट दुनिया के लिए 33 फीसद ऊर्जा का उत्पादन कर रहे हैं।
  • यह रिपोर्ट 48 देशों के ऊर्जा संबंधी आंकड़ों पर आधारित है, जिसमें भारत भी शामिल है।
  • ये 48 देश विश्व की कुल बिजली का करीब 83 फीसद उत्पादन करते हैं।
  • वहीं ऊर्जा उत्पादन में पवन और सौर की हिस्सेदारी लगातार बढ़ रही है।

इंटरनेशनल रिन्यूएबल एनर्जी एजंसी’ द्वारा जारी ‘रिन्यूएबल कैपेसिटी स्टैटिस्टिक्स’ रिपोर्ट के अनुसार,

  • 2022 में वैश्विक स्तर पर अक्षय ऊर्जा क्षमता में 9.6 फीसद की वृद्धि हुई है।
  • हालांकि इसके बावजूद यह बढ़ोतरी वैश्विक तापमान में होती वृद्धि को सीमित करने के लिए पर्याप्त नहीं है।
  • इसके लिए अक्षय ऊर्जा में वर्तमान दर से तीन गुना वृद्धि की जरूरत है।
  • रिपोर्ट के मुताबिक 2022 के अंत में वैश्विक स्तर पर कुल अक्षय ऊर्जा क्षमता रिकार्ड 295 गीगावाट की वृद्धि के साथ 3,372 गीगावाट पर पहुंच गई थी। वहीं पिछले वर्ष नई बिजली क्षमता में करीब 83 फीसद की हिस्सेदारी अक्षय ऊर्जा की थी। रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद नवीकरणीय ऊर्जा में रिकार्ड स्तर पर विकास जारी है, जो जीवाश्म ईंधन से हो रहे बिजली उत्पादन में गिरावट की पुष्टि करता है। निरंतर रिकार्ड वृद्धि ऊर्जा संकट के बीच अक्षय ऊर्जा के लचीलेपन को दर्शाती है।

भारत

उत्पादन क्षमता

  • अक्षय ऊर्जा की उत्पादन क्षमता की दृष्टि से भारत वर्तमान में अक्षय ऊर्जा उत्पादक देशों में तीसरे स्थान पर है।
  • भारत कुल ऊर्जा में से दस फीसद ऊर्जा का उत्पादन हवा और धूप की मदद से कर रहा है
  • भारत में कोयले से बन रही बिजली में करीब 8.3 फीसद की गिरावट आई है।

सौर ऊर्जा

  • भारत में सौर ऊर्जा उत्पादन क्षमता जो 2021 में 49,684 मेगावाट थी वो 2022 में बढ़कर 63,146 मेगावाट पर पहुंच गई थी।

पवन ऊर्जा

  • पवन ऊर्जा क्षमता 40,067 मेगावाट से बढ़कर 2022 में 41,930 मेगावाट पर पहुंच गई थी।

हिस्सेदारी

  • वर्तमान में, भारत की कुल ऊर्जा उत्पादन क्षमता में 36 फीसद अक्षय ऊर्जा की हिस्सेदारी है। बीते कुछ सालों में यह ढाई गुना बढ़ी है। इसमें सौर ऊर्जा की हिस्सेदारी तेरह गुना तक बढ़ी है।

ऊर्जा की मांग

  • एक अनुमान के अनुसार, 2035 तक भारत में ऊर्जा की मांग 4.2 फीसद वार्षिक की दर से बढ़ेगी, जो पूरी दुनिया में सबसे तेज होगी।
  • विश्व के ऊर्जा बाजार में 2016 में भारत की मांग पांच फीसद थी, जो 2040 में ग्यारह फीसद होने का अनुमान है।
  • 2014 के बाद से, भारत में नवीकरणीय यानी अक्षय ऊर्जा को जीवाश्म ऊर्जा स्रोतों का विकल्प बनाने पर उच्च प्राथमिकता से काम हो रहा है।
  • एक अनुमान के अनुसार, मध्यप्रदेश के रीवा अल्ट्रा मेगा सोलर परियोजना से 15.7 लाख टन कार्बन डाई आक्साइड का उत्सर्जन रोका गया है। यह धरती पर 2.60 करोड़ पेड़ लगाने के बराबर है।
  • उद्योग जगत सबसे ज्यादा 42 फीसद बिजली खर्च करता है। दूसरे स्थान पर घरेलू खपत 24 फीसद है। व्यावसायिक भवनों में बिजली की खपत आठ फीसद है। भवनों की कुल खपत 32 फीसद है, लेकिन उनमें ऊर्जा दक्षता के मानकों का क्रियान्वयन सबसे कम हुआ है।
  • इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी के अध्ययन के अनुसार, देश में उद्योग क्षेत्र में 38 फीसद बिजली खपत पर ऊर्जा दक्षता के मानक लागू हुए हैं, जबकि घरेलू बिजली सिर्फ सात फीसद ऊर्जा दक्ष हो पाई है। व्यावसायिक भवनों में यह 19 फीसद के करीब है। परिवहन में महज दो फीसद। कुल 23 फीसद बिजली का उपयोग ही ऊर्जा दक्षता के उपायों के साथ हो रहा है, जबकि 77 फीसद बिजली के खर्च में ऊर्जा दक्षता नहीं अपनाई जा रही है।

लक्ष्य

  • उपर्युक्त विवरण से स्पष्ट है कि 2035 से पहले भारत नवीकरणीय ऊर्जा के सभी लक्ष्य हासिल कर लेगा।

ऊर्जा संरक्षण हेतु भारत में प्रभावी कदम:

ऊर्जा संरक्षण भवन संहिता (ईसीबीसी)

  • यह वाणिज्यिक इमारतों को कम बिजली खपत वाला और ऊर्जा दक्ष बनाने की योजना है जिसे देश के कई राज्य तथा केंद्र शासित प्रदेश में लागू करना अनिवार्य किया जा चुका है।
  • ईसीबीसी के तहत इमारतों की डिजाइन बनाने के लिए तीन विकल्प होते हैं। पहले में जहां 15 से 20 फीसद की बिजली की बचत होती है, वहीं दूसरे और तीसरे विकल्प में क्रमश: 30 से 35 फीसद और 40 से 45 फीसद बिजली की बचत होती है। वहीं इस योजना में लागत 5 से 8 फीसद बढ़ती है।
  • ईसीबीसी से 2030 तक 125 अरब यूनिट बिजली बचत का अनुमान है, जो दस करोड़ टन कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने के बराबर है।

एलईडी बल्ब के उपयोग को बढ़ावा

  • एक अध्ययन के अनुसार, भारत में एलईडी बल्ब और ट्यूबलाइट के उपयोग से उजाले के लिए खर्च होने वाली बिजली में लगभग 75 फीसद की कमी आई है।

ऊर्जा संरक्षण हेतु उपाय:

  • भवनों में ऊर्जा दक्ष उपकरणों के इस्तेमाल से करीब 30 फीसद बिजली खपत कम की जा सकती है।
  • यह बिजली बिहार और झारखंड जैसे राज्यों के एक साल की जरूरत के बराबर है।
  • ऊर्जा दक्षता के मानकों को लागू कर घरेलू और आवासीय भवनों में बड़े पैमाने पर बिजली को बचाया जा सकता है।
  • अनुमान के मुताबिक़, यदि भवनों में ऊर्जा दक्षता के मानक लागू हो जाएं, तो अतिरिक्त 30 फीसद बिजली बच सकती है।
  • भवनों में ऊर्जा दक्षता मानकों की अपार संभावनाएं हैं। नए व्यावसायिक भवनों के लिए ‘बिल्डिंग कोड’ लागू किए गए हैं, लेकिन पुराने भवनों और आवासों में ऊर्जा दक्ष उपकरणों के इस्तेमाल से बिजली की खपत को कम किया जा सकता है।
  • ‘ब्यूरो आफ एनर्जी एफिशिएंसी’ ने अब तक घरों में इस्तेमाल होने वाले छब्बीस उपकरणों को ऊर्जा दक्ष बनाया है। इनका इस्तेमाल बढ़ रहा है, लेकिन इनमें से सभी के लिए मानक अनिवार्य नहीं हैं। कई बिजली चालित उपकरणों के दक्षता मानक अभी भी तय नहीं हैं।
  • यह सुनिश्चित करना होगा कि भवनों में इस्तेमाल होने वाले सभी उपकरण दक्षता मानकों के दायरे में हों और उन्हें अनिवार्य रूप से लागू किया जाए।
  • सौर ऊर्जा को आधार बनाकर लोगों में ऊर्जा दक्षता को लेकर चेतना बढ़ी है, लेकिन जिस प्रकार लोगों और सरकार ने एलईडी को लेकर अभियान चलाया, वैसा अन्य उपकरणों के मामले में नहीं हुआ। इसके लिए कठोर कदम उठाने होंगे।

नवीकरणीय ऊर्जा से संबंधित भारत की पहलें :

  • राष्ट्रीय सौर मिशन
  • अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन
  • पीएम किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (पीएम-कुसुम)
  • राष्ट्रीय पवन-सौर हाइब्रिड नीति
  • राष्ट्रीय अपतटीय पवन ऊर्जा नीति
  • राष्ट्रीय जलविद्युत नीति
  • राष्ट्रीय हाइड्रोजन ऊर्जा मिशन
  • राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन

अंतरराष्ट्रीय नवीकरणीय ऊर्जा एजेंसी

(International Renewable Energy Agency- IRENA)

  • IRENA, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहला अंतर-सरकारी संगठन है जो नवीकरणीय ऊर्जा के संदर्भ में परस्पर सहयोग तथा जानकारी बढ़ाने, सतत उपयोग और इसे अपनाने हेतु प्रोत्साहन प्रदान करने का कार्य करता है।
  • यह आधिकारिक रूप से 26 जनवरी, 2009 को जर्मनी के बॉन में स्थापित की गयी थी।
  • इस एजेंसी द्वारा प्रस्तावित प्रावधान 8 जुलाई, 2010 से लागू हैं।
  • इसका मुख्यालय मसदर शहर,अबू धाबी (संयुक्त अरब अमीरात) में है। वर्तमान में इसके 163 सदस्य देश हैं।
  • वर्ल्ड एनर्जी ट्रांजिशन आउटलुक (World Energy Transitions Outlook) रिपोर्ट इस एजेंसी द्वारा जारी की जाती है।

निष्कर्ष:

भारत की ऊर्जा नीति प्रकृति के शोषण के स्थान पर संतुलित दोहन की समर्थक रही है। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण पेरिस समझौते के दौरान भारत द्वारा लांच अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन से मिलता है। भारत में अक्षय ऊर्जा की असीम संभावनाएं हैं। जलवायु परिवर्तन के संकट से निपटने के लिए जो प्रतिबद्धता भारत ने व्यक्त की है, उसके लिए और अधिक महत्वपूर्ण कदम उठाने की आवश्यकता है।

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मुख्य परीक्षा प्रश्न

भारत के अक्षय ऊर्जा परिदृश्य पर विस्तारपूर्वक चर्चा कीजिए।