भारत का नया 'हिट-एंड-रन कानून'

 

भारत का नया 'हिट-एंड-रन कानून'

(India’s New ‘Hit-and-Run Law’)

GS-II: शासन (Governance)

(यूपीएससी/राज्य पीएससी)

10 जनवरी, 2024

चर्चा में क्यों:

  • महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल और पंजाब जैसे राज्यों के ट्रांसपोर्टरों और वाणिज्यिक ड्राइवरों (Transporters and commercial drivers) ने हिट-एंड-रन घटनाओं (hit-and-run incidents) से संबंधित हालिया कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया है।
  • ट्रांसपोर्टर और वाणिज्यिक चालक भारतीय न्याय संहिता (Bharatiya Nyaya Sanhita), 2023 की धारा 106 (2) को वापस लेने या संशोधन करने की मांग कर रहे हैं।
  • उनका तर्क है कि जहां हिट-एंड-रन मामलों में सख्त कार्रवाई जरूरी है, वहीं नए कानून में कई खामियां हैं जिन पर पुनर्विचार की जरूरत है।
  • व्यापक रूप से प्रसारित यह विचार कि बीएनएस(BNS) की धारा 106 (2) दुर्घटना स्थल से भागने और पुलिस अधिकारी/मजिस्ट्रेट को घटना की रिपोर्ट करने में विफल रहने पर 10 साल तक की कैद और ₹7 लाख के जुर्माने का प्रावधान (Imprisonment of up to 10 years and a fine of ₹7 lakh) करती है, पूरी तरह से गलत है।

भारत में नये कानून लागू होने के कारण (Causes of implementation of new law in India):

  • 2022 में, भारत में सड़क दुर्घटनाओं में सबसे अधिक मौतें दर्ज की गईं, 1.68 लाख से अधिक मौतें हुईं।
  • यह परेशान करने वाला आँकड़ा प्रतिदिन औसतन 462 मौतों का है।
  • सड़क दुर्घटना में होने वाली मौतों में वैश्विक स्तर पर 5% की कमी के बावजूद, भारत में उसी वर्ष सड़क दुर्घटनाओं में 12% और मृत्यु दर में 9.4% की साल-दर-साल वृद्धि देखी गई।
  • देश में हर घंटे सड़क दुर्घटनाओं के कारण औसतन 19 मौतें होती हैं, जो हर साढ़े तीन मिनट में लगभग एक मौत होती है।
  • आधे से अधिक सड़क मौतें राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों पर हुईं, जो कुल सड़क नेटवर्क का 5% से भी कम है।
  • दुनिया के केवल 1% वाहनों के साथ, भारत में दुर्घटना से संबंधित मौतों का लगभग 10% हिस्सा होता है और सड़क दुर्घटनाओं के कारण सालाना सकल घरेलू उत्पाद का 5-7% आर्थिक नुकसान होता है।

इस कानून के विरोध के कारण (Causes of the opposition to this law):

  • कठोर दंडात्मक कार्यवाही (Strict penal action): भारत भर में ट्रक चालक नए हिट एंड रन कानून के सख्त दंड के कारण इसका विरोध कर रहे हैं। उनके लिए जुर्माना बहुत अधिक है, जिससे वित्तीय कठिनाई होती है।
  • हतोत्साहित करने वाली कार्रवाई (Discouraging action): इस तरह की कार्रवाई वर्तमान ड्राइवरों को हतोत्साहित करेगी और नए ड्राइवरों को इस पेशे में आने से रोकेगी।
  • झूठे आरोप और उसके सख्त प्रभाव का भय (Fear of false accusation and its harsh consequences): झूठे आरोप और उनके नियंत्रण से परे दुर्घटनाओं के कारण अनुचित 10 साल की सजा अनुचित हो सकती है।

नया कानून भारत में लागू करने का कारण (Reason for implementing the new law in India):

  • 2022 में, भारत में सड़क दुर्घटनाओं में सबसे अधिक मौतें दर्ज की गईं, यानी 1.68 लाख से अधिक मौतें हुईं।
  • यह परेशान करने वाला आँकड़ा प्रतिदिन औसतन 462 मौतों का अनुवाद करता है।
  • सड़क दुर्घटना में होने वाली मौतों में वैश्विक स्तर पर 5% की कमी के बावजूद, भारत में उसी वर्ष सड़क दुर्घटनाओं में 12% और मृत्यु दर में 9.4% की साल-दर-साल वृद्धि देखी गई।
  • देश में हर घंटे सड़क दुर्घटनाओं में औसतन 19 मौतें होती हैं, जो हर साढ़े तीन मिनट में लगभग एक मौत के बराबर है।
  • सभी सड़क मौतों में से आधे से अधिक राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों पर हुईं, जो कुल सड़क नेटवर्क का 5% से भी कम है।
  • दुनिया के केवल 1% वाहनों के साथ, भारत में दुर्घटना-संबंधी मौतों का लगभग 10% हिस्सा होता है और सड़क दुर्घटनाओं के कारण सालाना सकल घरेलू उत्पाद का 5-7% आर्थिक नुकसान होता है।

2022 में भारत में हिट एंड रन मामले:

  • कुल सड़क दुर्घटनाएँ: 1,65,121
  • हिट एंड रन मामले: 24,309 (कुल दुर्घटनाओं का 14.6%)
  • हिट-एंड-रन मामलों में मौतें: 13,056 (कुल सड़क मौतों का 18.1%)
  • सुलझाए गए मामले: 2,408 (हिट-एंड-रन मामलों का 10%)

इस कानून का महत्व:

  • हिट-एंड-रन दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाना (Curbing hit-and-run accidents): चूंकि ये मामले हर साल लगभग 50,000 लोगों की जान ले लेते हैं।
  • जवाबदेही सुनिश्चित करना (Ensuring accountability): सख्त दंड लगाने से, ऐसी दुर्घटनाओं में शामिल ड्राइवरों की जवाबदेही और जिम्मेदारी बढ़ जाएगी।
  • आपराधिक न्याय प्रणाली में आवश्यक सुधार करना (Making necessary reforms in the criminal justice system): नया कानून ब्रिटिश-युग के भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की जगह लेता है और आपराधिक न्याय प्रणाली में व्यापक बदलाव करता है, जिसमें आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और साक्ष्य अधिनियम में बदलाव शामिल हैं।
  • पीड़ितों को और अधिक अधिकार देना (Giving more rights to victims): नया कानून पीड़ितों को त्वरित मुआवजे का अधिकार, मुकदमे के दौरान बोलने का अधिकार देता है, जो हिट-एंड-रन दुर्घटनाओं से प्रभावित व्यक्तियों के लिए एक निष्पक्ष कानूनी प्रक्रिया सुनिश्चित करने में मदद कर सकता है।
  • सड़क सुरक्षा को बढ़ावा देना (Promoting road safety): सख्त दंड लगाने से, सड़क सुरक्षा को बढ़ावा देने और खतरनाक ड्राइविंग व्यवहार को हतोत्साहित करने में मदद मिलेगी।

आगे की राह (Way forward):

  • सभी पक्षों के हित साधना (To serve the interests of all parties): सरकार को सभी संबद्ध हितधारकों के विचारों को शामिल करते हुए और फिर कानून को सख्त और पारदर्शी तरीके से लागू करना चाहिए।
  • वाहन चालकों की जान सुरक्षा (Life safety of drivers): आम जनता के क्रोध और हिंसा से वाहन चालकों की जान सुरक्षा के लिए कड़े क़ानून लागू करने की आवश्यकता है।   
  • अनिवार्य डैशबोर्ड कैमरों का प्रबंध (Management of mandatory dashboard cameras): विदेशों की तरह, भारत को दुर्घटनाओं की स्थिति में सबूत प्रदान करने के लिए डैशबोर्ड कैमरे स्थापित करने की आवश्यकता है, जिन्हें आमतौर पर "डैश कैम" के रूप में जाना जाता है।
  • बुनियादी ढांचे की कमियों को ठीक करें (Fix infrastructure deficiencies): सरकार को बुनियादी ढांचे के विकास और सुधार की दिशा में काम करने की जरूरत है, जो दुर्घटनाओं और मौतों का एक प्रमुख कारण है।
  • जवाबदेही (Accountability): सड़क दुर्घटनाओं और मौतों के मामले में सकारात्मक लाभ पाने के लिए अधिकारियों की जवाबदेही तय करने की जरूरत है।

निष्कर्ष (Conclusion):

तर्कसंगत उपाय के तौर पर भारतीय न्याय संहिता(BNS), 2023 की धारा 106 पर फिर से विचार कर इसमें सामंजस्य बिठाने की आवश्यकता है ताकि देश में 35 लाख से अधिक ट्रक ड्राइवरों के साथ गलत व्यवहार न हो।

स्रोत: द हिंदू

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मुख्य परीक्षा प्रश्न:

सड़क दुर्घटनाओं से जुड़ी चुनौतियों से निपटने और वाहन चालकों को राहत देने के लिए उपयुक्त समाधानों पर चर्चा कीजिए।