
भारत का पहला सौर मिशन आदित्य-L1
भारत का पहला सौर मिशन आदित्य-L1
सफलतापूर्वक हुआ लांच
यह टॉपिक आईएएस/पीसीएस की प्रारंभिक परीक्षा के करेंट अफेयर और मुख्य परीक्षा के सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी से संबंधित है
02 सितंबर, 2023
चर्चा में:
- चंद्रयान-3 की चांद पर सफल लैंडिंग के बाद इसरो ने आज (02 सितंबर) को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से भारत के पहले सौर मिशन आदित्य एल1 को सफलता पूर्वक लॉन्च कर दिया है
प्रमुख बिंदु:
- सूर्य का विस्तृत अध्ययन करने के लिए आदित्य एल1 सात अलग-अलग पेलोड ले जा रहा है।
- ये देश का पहला ऐसा अंतरिक्ष मिशन है जो सूर्य की रिसर्च से जुड़ा हुआ है।
- यह मिशन सूर्य के ऊपरी वायुमंडल का अध्ययन करेगा जिससे महत्वपूर्ण जानकारियां जुटाई जा सकेंगी।
- आदित्य L1 एक सैटेलाइट को 15 लाख किलोमीटर दूर भेजा गया है।
- यह मिशन सैटेलाइट को L1 यानि लैग्रेंज प्वाइंट 1 में स्थापित करेगा।
- इसी L1 प्वाइंट पर आदित्य L1 सूर्य के चक्कर लगाएगा क्योंकि L1 प्वाइंट से सैटेलाइट पर सूर्य ग्रहण का भी प्रभाव नहीं पड़ेगा।
- जहां इस उपग्रह को स्थापित किया जाएगा वह गुरुत्वाकर्षण से बाहर का क्षेत्र होगा वहां उसे न सूरज अपनी तरफ खींचेंगा न पृथ्वी।
लॉन्चिंग से लेकर ऑर्बिट इंस्टॉलेशन की प्रक्रिया में तीन चरण होंगे:
- पहले फेज में, आदित्य L 1 सैटेलाइट को PSLV-C 57 रॉकेट से लॉन्च करके इसे पृथ्वी की निचली कक्षा में पहुंचाया जाएगा।
- दूसरा फेज में, पृथ्वी के चारों ओर आदित्य L-1 की ऑर्बिट को सिलसिलेवार बढ़ाना और सैटेलाइट को पृथ्वी की कक्षा से बाहर निकालना शामिल है।
- तीसरा फेज में इस सैटेलाइट को पृथ्वी के ग्रैविटी से बाहर निकाला जाएगा।
- इसके बाद आखिरी पड़ाव में यह सैटेलाइट L1 पॉइंट के चारों ओर एक बड़ी हेलो कक्षा में स्थापित किया जाएगा।
- आदित्य L1 का काम पृथ्वी से निकलकर लैग्रैंज प्वाइंट तक पहुंचना है और इस प्रक्रिया में 125 दिन यानी करीब 4 महीने का वक्त लगेगा।
आदित्य-L1 के बारे में:
- आदित्य-L1 अंतरिक्ष यान बेंगलुरु के यूआर राव सैटेलाइट सेंटर (URSC) में असेंबल और एकीकृत किया गया है।
- इस सौर मिशन का उद्देश्य सूर्य के कोरोना, सूर्य के प्रकाश मंडल, क्रोमोस्फीयर, सौर उत्सर्जन, सौर हवाएं और कोरोनल मास इंजेक्शन का अध्ययन करना।
- इसके अतिरिक्त सूर्य की 24 घंटे इमेजिंग करना।
- यह सैटेलाइट स्वदेशी रूप से विकसित 7 पेलोड के साथ ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV-C 57) का उपयोग करके लॉन्च किया किया गया है।
- इन 7 पेलोड में शामिल हैं:
विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ (वीईएलसी)
- विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ (वीईएलसी) सूर्य के वायुमंडल के सबसे बाहरी भाग यानी सौर कोरोना और सूरज में होने वाले सबसे शक्तिशाली विस्फोटों यानी कोरोनल मास इजेक्शन की गतिशीलता का अध्ययन करेगा।
सौर पराबैंगनी इमेजिंग टेलीस्कोप (SUIT)
- सोलर अल्ट्रा-वायलेट इमेजिंग टेलीस्कोप (एसयूआईटी) नामक पेलोड अल्ट्रा-वायलेट (यूवी) के निकट सौर प्रकाशमंडल और क्रोमोस्फीयर की तस्वीरें लेगा। इसके साथ ही SUIT यूवी के नजदीक सौर विकिरण में होने वाले बदलावों को भी मापेगा।
आदित्य सौर पवन कण प्रयोग (ASPEX)
- आदित्य सोलर विंड पार्टिकल एक्सपेरिमेंट (एएसपीईएक्स) और प्लाज्मा एनालाइजर पैकेज फॉर आदित्य (पीएपीए) पेलोड सौर पवन और शक्तिशाली आयनों के साथ-साथ उनके ऊर्जा वितरण का अध्ययन करेंगे।
सौर निम्न ऊर्जा एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (SOLEXS) और उच्च ऊर्जा L-1 ऑर्बिटिंग एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (HEL-1OS)
- सोलर लो एनर्जी एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (SoLEXS) और हाई एनर्जी L1 ऑर्बिटिंग एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (HEL1OS) विस्तृत एक्स-रे ऊर्जा रेंज में सूर्य से आने वाली एक्स-रे किरणों का अध्ययन करेंगे।
- वहीं, मैग्नेटोमीटर पेलोड को L1 बिंदु पर दो ग्रहों के बीच के चुंबकीय क्षेत्र को मापने के लिए बनाया गया है।
L1 क्या है?
- L1, लैग्रेंज पॉइंट 1 को व्यक्त करता है। लैग्रेंज पॉइंट 1 का आशय अंतरिक्ष में स्थित उन बिंदुओं से होता है, जहां दो अंतरिक्ष निकायों (जैसे सूर्य और पृथ्वी) के गुरुत्वाकर्षण बल के कारण आकर्षण और प्रतिकर्षण का क्षेत्र उत्पन्न होता है।
- बिना ग्रैविटी वाले क्षेत्र को 'लैग्रेंज प्वाइंट' कहा जाता है।
- इसका नामकरण इतालवी-फ्रांसीसी गणितज्ञ जोसेफ-लुइस लैग्रेंज के नाम पर किया गया है।
- इसरो के अनुसार एल-1 पॉइंट के आसपास ‘हेलो’ कक्षा में रखे गए उपग्रह से सूर्य को बिना किसी छाया/ग्रहण के लगातार देखा जा सकता।
ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV) के बारे में :
- ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान या पी.एस.एल.वी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन द्वारा संचालित एक प्रक्षेपण प्रणाली है। भारत ने इसे अपने सुदूर संवेदी उपग्रह को सूर्य समकालिक कक्षा में प्रक्षेपित करने के लिये विकसित किया है।
महत्त्व:
- आदित्य L-1 पेलोड से कोरोना की उष्मा, कोरोना से विशाल पैमाने पर निकलने वाली ऊर्जा, उसकी रोशनी की गतिविधियों और विशेषताओं, अंतरिक्ष मौसम की गतिशीलता, कण और क्षेत्रों के प्रसार आदि की समस्या को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
मुख्य परीक्षा प्रश्न
भारत के पहले सौर मिशन आदित्य-L1 के ऊद्देश्य एवं महत्त्व के बारे में लिखिए।