भारत में आध्यात्मिक पर्यटन की संभावनाएँ

17.02.2024

भारत में आध्यात्मिक पर्यटन की संभावनाएँ

 GS -3: भारत में पर्यटन (भारतीय अर्थव्यवस्था)

 (यूपीएससी/राज्य पीएससी)

प्रारंभिक परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण:

आध्यात्मिक पर्यटन, वैश्विक पर्यटन सूचकांक, विश्व आर्थिक मंच, तीर्थयात्रा सर्किट, ‘स्वदेश दर्शन योजना’, ‘हृदय’ योजना तथा ‘प्रसाद’योजना, वाइब्रेंट विलेज योजना।

मुख्य परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण:

आध्यात्मिक पर्यटन के बारे में, भारत में पर्यटन क्षेत्र की मौजूदा स्थिति, आध्यात्मिक पर्यटन का महत्त्व, आध्यात्मिक पर्यटन में चुनौतियाँ, भारत में आध्यात्मिक पर्यटन की संभावनाएँ, आध्यत्मिक पर्यटन के उत्थान हेतु सरकारी पहलें, आगे की राह।

17 फ़रवरी 2024

खबरों में क्यों:

केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि आध्यात्मिक पर्यटन में भारत में पर्यटकों की संख्या और भविष्य में निवेश की काफी संभावनाएं हैं।

  • केंद्रीय मंत्री के अनुसार, पूरे भारत में काशी कॉरिडोर, महाकाल कॉरिडोर और अयोध्या में राम मंदिर जैसी आध्यात्मिक परियोजनाएं बड़ी संख्या में पर्यटकों को आकर्षित कर रही हैं और स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में मदद कर रही हैं।

आध्यात्मिक पर्यटन के बारे में:

  • आध्यात्मिक पर्यटन किसी विशेष धर्म से संबंधित ना होकर समस्त धर्मों का समन्वय हैं। यह एक ऐसा पर्यटन है जहाँ व्यक्ति आत्मशोधन व आत्म परिष्कार के लिए यात्रा करता है। यह स्थान विशेष के वातावरण तथा वहाँ चल रहे क्रियाओं द्वारा परिवर्तित व्यक्तित्व से संबंधित है।

भारत में पर्यटन क्षेत्र की मौजूदा स्थिति:

  • वैश्विक पर्यटन सूचकांक, 2022 में भारत का स्थान 54 वां था। दुनियाभर के कुल पर्यटकों में से लगभग 1.64 फीसद विदेशी पर्यटक भारत आते हैं, जो अन्य देशों की तुलना में बहुत कम हैं।
  • गौरतलब है कि विश्व आर्थिक मंच ने इस सूचकांक में सुरक्षा के मामले में भारत को 114वें स्थान पर रखा है।
  • वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर के नवीनीकरण के बाद पिछले साल पर्यटकों की संख्या सात करोड़ से अधिक दर्ज हुई।
  • केदारनाथ घाटी में पुनर्निर्माण से पहले यहां आने वाले 4-5 लाख तीर्थयात्रियों की तुलना में पिछले साल 15 लाख श्रद्धालु आए हैं।
  • ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ का निर्माण पूरा होने के एक साल के भीतर 27 लाख पर्यटकों ने यहां भ्रमण किया है।
  • जनवरी,2022 में आए दो लाख पर्यटकों की तुलना में जनवरी, 2023 में आठ लाख विदेशी पर्यटक भारत आए।
  • भारत आने वाले विदेशी पर्यटक औसतन सत्रह सौ डालर खर्च करते हैं, जबकि अंतरराष्ट्रीय यात्री अमेरिका में औसतन ढाई हजार डालर और आस्ट्रेलिया में लगभग पांच हजार डालर खर्च करते हैं।

आध्यात्मिक पर्यटन का महत्त्व:

  • धार्मिक/आध्यात्मिक पर्यटन, सांस्कृतिक पर्यटन का एक उपसमूह, दुनिया भर के गंतव्यों के लिए विशाल अवास्तविक क्षमता रखता है।
  • आध्यात्मिकता, इतिहास और संस्कृति के बीच एक जटिल परस्पर क्रिया के रूप में, यह सार्थक अनुभव चाहने वाले विविध प्रकार के यात्रियों को आकर्षित करने का एक अनूठा अवसर प्रदान करता है।
  • विविध धार्मिक विरासत: भारत अनेक धर्मों का घर है, जिनमें से प्रत्येक के अपने पवित्र स्थल, अनुष्ठान और परंपराएँ हैं। यह विविधता दुनिया भर के पर्यटकों को आकर्षित करती है।
  • कल्याणकारी पर्यटन में वृद्धि : भारत की आध्यात्मिक परंपराएँ, जैसे योग और आयुर्वेद चिकित्सा  लोगों को स्वस्थ बनाने के लिए पड़ोसी देशों के लोगों को आकर्षित करने में मदद कर सकती है।
  • ऐतिहासिक महत्व: भारत के कई धार्मिक स्थलों का गहरा ऐतिहासिक महत्व है, जो सदियों पुराना है। ये स्थल आगंतुकों को देश के समृद्ध अतीत की झलक दिखाते हैं।
  • तीर्थयात्रा सर्किट: भारत कई तीर्थयात्रा सर्किटों का घर है जो एक क्षेत्र के भीतर कई धार्मिक स्थलों को जोड़ते हैं। उदाहरणों में हिमालय में चार धाम यात्रा, पंजाब में स्वर्ण मंदिर सर्किट और बिहार और उत्तर प्रदेश में बौद्ध सर्किट शामिल हैं।

आध्यात्मिक पर्यटन में चुनौतियाँ:

  • बुनियादी ढांचे की कमी: कई धार्मिक स्थलों में परिवहन, आवास और स्वच्छता सुविधाओं जैसे पर्याप्त बुनियादी ढांचे का अभाव है, जिससे देश में पर्यटकों की संख्या में अपेक्षाकृत कमी रहती है।
  • रखरखाव और संरक्षण व्यवस्था का अभाव: ऐतिहासिक धार्मिक स्थलों को उनके महत्व के कारण व्यापक रखरखाव और संरक्षण प्रयासों की आवश्यकता होती है, जिससे स्थानीय संसाधनों पर दबाव पड़ता है और उनके संरक्षण के लिए चुनौतियाँ पैदा होती हैं।
  • धार्मिक पर्यटन के बारे में गलत धारणाएँ: बहुत से लोग धार्मिक पर्यटन को केवल विश्वासियों के लिए मानते हैं, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक अन्वेषण में रुचि रखने वालों के लिए इसकी अपील को नजरअंदाज कर देते हैं।
  • अपशिष्ट प्रबंधन का अभाव: धार्मिक स्थलों पर बढ़ती पर्यटक गतिविधि से पर्यावरणीय गिरावट और अपशिष्ट प्रबंधन चुनौतियाँ पैदा हो सकती हैं। इन स्थलों की पवित्रता बनाए रखने और आसपास के पर्यावरण की सुरक्षा के लिए उचित अपशिष्ट प्रबंधन प्रणालियों को लागू करने की आवश्यकता है।
  • वहन क्षमता की समस्या: कुछ धार्मिक केंद्रों में छोटे लेकिन तीव्र पर्यटन मौसम का अनुभव होता है, जिससे अत्यधिक भीड़ होती है और स्थानीय बुनियादी ढांचे पर दबाव पड़ता है।
  • उत्तराखंड में चार धाम यात्रा के कारण परिवहन बुनियादी ढांचे पर दबाव पड़ता है और मानसून के मौसम के दौरान भूस्खलन जैसे सुरक्षा खतरे पैदा होते हैं।

भारत में आध्यात्मिक पर्यटन की संभावनाएँ:

  • आर्थिक विकास: बेहतर बुनियादी ढांचे के साथ एक नए धार्मिक पर्यटन देश में एक बड़ा आर्थिक प्रभाव पैदा कर सकता है। भारत में लोकप्रिय धार्मिक केंद्र 10-30 मिलियन वार्षिक पर्यटक यातायात को आकर्षित करते हैं।
  • रोजगार सृजन: धार्मिक पर्यटन में वृद्धि से आतिथ्य, परिवहन, टूर गाइडिंग और हस्तशिल्प सहित विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा होते हैं।
  • सांस्कृतिक आदान-प्रदान: धार्मिक पर्यटन आगंतुकों और स्थानीय समुदायों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान और समझ को बढ़ावा देता है।
  • बेहतर कनेक्टिविटी: अयोध्या जैसे बेहतर कनेक्टिविटी और बुनियादी ढांचे के साथ नए धार्मिक पर्यटन केंद्रों के विकास से महत्वपूर्ण आर्थिक प्रभाव पड़ सकता है।
  • भारतीय विरासत का संरक्षण: धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देना धार्मिक स्थलों पर सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत के संरक्षण में योगदान देता है।

आध्यत्मिक पर्यटन के उत्थान हेतु सरकारी पहलें:

  • काशी कॉरिडोर, महाकाल कॉरिडोर और अयोध्या में राम मंदिर जैसी आध्यात्मिक परियोजनाओं को शुरू करना।
  • देश में पर्यटन सर्किट के विकास हेतु ‘स्वदेश दर्शन योजना’, विरासत स्थलों के विकास हेतु ‘हृदय’ योजना तथा धार्मिक पर्यटन स्थलों के विकास हेतु ‘प्रसाद’ योजना शुरू की गई है।
  • स्वदेश दर्शन योजना: इस योजना का उद्देश्य पर्यटन और गंतव्य-केंद्रित दृष्टिकोण का पालन करते हुए टिकाऊ और जिम्मेदार स्थलों का विकास करना है।
  • इस योजना के तहत बौद्ध सर्किट, कृष्ण सर्किट, रामायण सर्किट, आध्यात्मिक सर्किट, सूफी सर्किट, तीर्थंकर सर्किट सहित विषयगत सर्किट की पहचान की गई है।
  • तीर्थयात्रा कायाकल्प और आध्यात्मिक विरासत संवर्धन अभियान पर राष्ट्रीय मिशन (प्रसाद): इसे धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए देश भर में तीर्थ स्थलों की पहचान करने और विकसित करने के लिए 2015 में शुरू किया गया था।
  • इस योजना के तहत विभिन्न राज्यों में धार्मिक शहरों/स्थलों की पहचान की गई है जैसे केदारनाथ (उत्तराखंड), द्वारका (गुजरात), अमृतसर (पंजाब), कामाख्या (असम), वाराणसी और मथुरा (उत्तर प्रदेश) आदि।
  • पर्यटन क्षेत्र के बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 2023-24 के केंद्रीय बजट में 1742 करोड़ रुपए का आबंटन किया गया है।
  • केंद्र सरकार ने सीमा के पास स्थित गांवों के लिए ‘वाइब्रेंट विलेज योजना’ शुरू की है और गांवों के अनुकूल छोटे होटल और रेस्तरां जैसे व्यवसायों को सहायता प्रदान करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया है।
  • भारत ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ दर्शन के माध्यम से संपूर्ण विश्व को एक परिवार के रूप में देखता है। यह दर्शन बहुपक्षवाद में भारत के अटूट विश्वास को परिलक्षित करता है।
  • भारत की समृद्ध विरासत और संस्कृति को ध्यान में रखते हुए व्यंजन पर्यटन (Cuisine Tourism) की एक बेजोड़ विविधता भारत के ‘सॉफ्ट पावर’ को बढ़ाने और विदेशी राजस्व को आकर्षित करने का एक माध्यम बनती है।
  • टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए 50 डेस्टिनेशन को चुना गया है, जहां सरकारी मदद दी जाएगी। इसके अलावा स्वदेश दर्शन स्कीम को बॉर्डर और गांव के टूरिज्म के लिए सेटअप किया जाएगा।
  • विदेशी पर्यटकों के आगमन को सरल बनाने पर बल देते हुए सरकार ने 166 देशों के लिए ई-वीजा व्यवस्था की शुरूआत की है।
  • पर्यटन मंत्रालय, विदेशियों को आकर्षित करने के लिए पूर्वोत्तर जैसे क्षेत्रों का भी इस प्रकार से विकास कर रहा है कि वे सुगम, सुरक्षित और आकर्षक स्थल बन सकें।
  • वहीं ‘धरोहर गोद लो’ योजना के द्वारा किसी विरासत को कॉर्पोरेट जगत आदि को गोद दिया गया है। इसका उद्देश्य लोगों में अपनी विरासत के प्रति उत्तरदायित्व की भावना को विकसित करके उन्हें इनसे जोड़ना है।
  • साथ ही सरकार द्वारा इस दिशा में अतुल्य भारत पर्यटक सुविधा प्रदाता प्रमाणपत्र (Incredible India Tourist Facilitator Certification & IITFC) पोर्टल लॉन्च किया गया है।

आगे की राह:

  • पर्यटकों की संख्या में वृद्धि हेतु प्रत्येक राज्य को अपनी पर्यटन नीति में परिवर्तन करने की जरूरत है।
  • वर्तमान में भारत में पर्यटन को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए निर्धारित तरीके से हट कर सोचने और आगे की योजना बनाने की आवश्यकता है।
  • ताजा बजट के अनुसार, पचास ऐसे पर्यटन स्थलों को विकसित करना होगा, जहां दुनिया का हर पर्यटक भारत आने को आकर्षित हो।
  • संयुक्त राष्ट्र में सूचीबद्ध सभी भाषाओं में भारतीय पर्यटन स्थलों के लिए ऐप भी विकसित करना होगा, ताकि पर्यटक ऐप के माध्यम से सटीक जानकारी प्राप्त करके पर्यटन स्थलों तक पहुँच सके।

स्रोत: AIR, PIB

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मुख्य परीक्षा प्रश्न:

भारतीय पर्यटन क्षेत्र के समक्ष विभिन्न चुनौतियों की विवेचना कीजिए।

पर्यटन क्षेत्र के विकास हेतु भारत सरकार की प्रमुख पहलों का भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभावों को स्पष्ट कीजिए।