भारत में बढ़ती आय असमानता

भारत में बढ़ती आय असमानता

प्रिलिम्स के लिए महत्वपूर्ण:

यूनाइटेड नेशन डेवलपमेंट प्रोग्राम(UNDP), गिनी गुणांक, प्रतिव्यक्ति आय, सामुदायिक रसोई, वन नेशन, वन राशन कार्ड, उज्ज्वला योजना, आयुष्मान भारत पोषण अभियान, समग्र शिक्षा, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना, प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी), प्रधानमंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई), भारत में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए)।

मेन्स के लिए महत्वपूर्ण:

GS-3: आय समानता, भारत में आय असमानता संबंधी परिदृश्य, आय असमानता के मुख्य कारण, आय असमानता को दूर करने हेतु भारत सरकार के प्रयास, समाधान।

22 नवंबर, 2023

संदर्भ:

  • वर्तमान में भारत भारत उच्च आय वाले देशों की लिस्ट में शामिल है। यूनाइटेड नेशन डेवलपमेंट प्रोग्राम(UNDP) की रिपोर्ट के अनुसार, भारत वर्ष 2022 में दुनिया की शीर्ष-10 अर्थव्यवस्थाओं में पांचवे नंबर पर पहुंचा था। साल 2027 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी (Indian Economy) बनने की ओर बढ़ रहा है। भारत में आर्थिक असमानता लगातार बढ़ती जा रही है। चिंता की बात है कि बीते 20 साल में लोगों की इनकम और संपत्ति में असमानता का दायरा तेजी से बढ़ा है।

आय असमानता के बारे में:

  • आय असमानता का तात्पर्य संपूर्ण जनसंख्या में आय के असमान या असमान वितरण से है। समान वितरण जितना कम होगा, आय असमानता उतनी ही अधिक होगी। आय असमानता धन असमानता से जुड़ी है, जो धन का असमान वितरण है।

गिनी गुणांक:

  • दुनियाभर में राष्ट्रीय आय असमानता गिनी गुणांक द्वारा मापी जाता है।
  • गिनी गुणांक में 0 से 1 के बीच का स्थान होता है, जहां 0 सभी की समान आय और 1 पूर्ण असमानता को दर्शाता है।

भारत में आय असमानता संबंधी परिदृश्य:

गरीबी:

  • संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में गरीबी 2015-2016 के मुकाबले 2019-2021 के दौरान 25 फीसदी से घटकर 15 फीसदी पर आ गई है। यानी पिछले पांच वर्षों में 13 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले है।
  • रिपोर्ट के अनुसार, यद्यपि गरीबी निवारण अभियान से भारत में गरीबी घटी है, लेकिन भारत में आय की असमानता बढ़ी हुई है।

प्रतिव्यक्ति आय:

  • एशिया पेसिफिक ह्यूमन डेवलेपमेंट रिपोर्ट 2024 के अनुसार, भारत में प्रतिव्यक्ति आय वर्ष 2000 में लगभग 37 हजार रुपये की तुलना में वर्ष 2022 में बढ़कर लगभग 2 लाख रुपये हो गई है।

भारत में आय असमानता के मुख्य कारण:

  • गरीबी, सामाजिक भेदभाव और संसाधनों का अभाव आदि भारत में असमानता के प्रमुख कारण हैं।

आय असमानता को दूर करने हेतु भारत सरकार के प्रयास:

प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से गरीबी के स्तर में कमी और स्वास्थ्य व भुखमरी की चुनौती को कम करने में निम्नलिखित योजनाएं सहायक रही हैं:

प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PM Gareeb Kalyan Ann Yojana)

  • मार्च 2020 में शुरू, इस योजना से न केवल गरीबों के सशक्तिकरण के लिए, वरन आय असमानता घटाने में लाभ मिला है।
  • केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में 80 करोड़ से अधिक पात्र लोगों को नि:शुल्क खाद्यान्न वितरण की योजना आगामी पांच वर्षों यानी दिसंबर 2028 तक के लिए बढ़ा दिया है।

नि:शुल्क खाद्यान्न वितरण योजना

  • इसका उद्देश्य नागरिकों की गरिमापूर्ण जीवन जीने के लिए वहनीय मूल्यों पर गुणवत्तापूर्ण खाद्यान्न की 5 किलोग्राम मात्रा उपलब्ध कराना है। इस अधिनियम के तहत राशन कार्डधारकों को चावल 3 रुपये, गेहूं 2 रुपये और मोटे अनाज 1 रुपये प्रति किलोग्राम खाद्यान्न वितरण की शुरुआत की गई।
  • यह योजना 10 सितंबर 2013 को अधिसूचित भारत में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के तहत लागू है।
  • विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष संहित दुनिया के विभिन्न सामाजिक सुरक्षा के वैश्विक संगठनों के द्वारा भारत की खाद्य सुरक्षा की जोरदार सराहना की गई है।

प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी):

  • 1 जनवरी, 2013 से शुरू, इस पहल से लीकेज को कम करते हुए लाभार्थियों को भुगतान करने में न केवल प्रत्यक्ष लाभ मिला है बल्कि गरीबों का सशक्तिकरण भी हुआ है।
  • सरकार ने वर्ष 2014 से लेकर अब तक डीबीटी के माध्यम से लगभग 29 लाख करोड़ रुपये से अधिक राशि सीधे लाभान्वितों के बैंक खातों तक पहुंचाई है।

प्रधानमंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई):

  • 28 अगस्त, 2014 से लांच, इस योजना के माध्यम से लगभग 47 करोड़ गरीबों को जनधन खातों के द्वारा आर्थिक तौर पर सशक्त बनाया गया।

खाद्य सुरक्षा:

  • लगातार बढ़ता रिकॉर्ड खाद्यान्न उत्पादन भारत की खाद्य सुरक्षा को मजबूत कर रहा है। चालू कृषि वर्ष 2022-23 में 3305.34 लाख टन खाद्यान्न उत्पादन का अनुमान है, लेकिन वर्ष 2023-24 में गेहूं और दलहन उत्पादन में कमी के संकेत सामने आ रहे हैं।
  • संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल 2023 में भारत 142.86 करोड़ लोगों की आबादी के साथ चीन को पीछे छोड़ते हुए दुनिया की सबसे अधिक आबादी वाला देश बन गया है। चूंकि खाद्यान्न के केंद्रीय पूल में सालाना 780 से 800 लाख टन गेहूं और चावल की खरीद होती है।
  • पीडीएस के तहत अनाज देने के लिए 500 से 590 लाख टन अनाज की जरूरत होती है। वर्ष 2023-24 में केंद्र ने एनएफएसए में 600 लाख टन गेहूं और चावल का आवंटन किया है।
  • भारत दुनिया का प्रमुख खाद्यान्न उत्पादक देश है, लेकिन खाद्यान्न भंडारण में बहुत पीछे है। अनाज के अन्य बड़े उत्पादक देशों चीन, अमेरिका, ब्राजील, यूक्रेन, रूस और अर्जेन्टीना के पास खाद्यान्न भंडारण क्षमता वार्षिक उत्पादन की मात्रा से कहीं अधिक है। ऐसे में देश में खाद्यान्न भंडारण की जो क्षमता फिलहाल 1450 लाख टन की है, उसे अगले 5 साल में सहकारी क्षेत्र में 700 लाख टन अनाज भंडारण की नई क्षमता विकसित करके कुल खाद्यान्न भंडारण क्षमता 2150 लाख टन किए जाने का लक्ष्य रखा गया है।

अन्य कल्याणकारी योजनाएं:

सामुदायिक रसोई, वन नेशन, वन राशन कार्ड, उज्ज्वला योजना, आयुष्मान भारत पोषण अभियान, समग्र शिक्षा जैसी योजनाएं

समाधान:

निम्नलिखित उपायों को अपनाकर गरीबी घटाने और आय में असमानता को कम करने में सफलता मिल सकती है:

  • वर्तमान भारत के आर्थिक माडल में सुधार करने की आवश्यकता है क्योंकि इस माडल से आने वाले वर्षों में अरबपतियों तथा करोड़पतियों की संख्या तथा संपत्ति दोनों में तेजी से वृद्धि होगी और आर्थिक असमानता बढ़ेगी।
  • देश के नीति निर्माताओं और योजनाकारों को सर्व समावेशी विकास के लक्ष्य को हासिल करने पर बल दिया जाना चाहिए  ताकि हाशिये पर छूटे हुए वंचितों, पिछड़ों तथा शोषितों को विकास की मुख्यधारा में लाया जा सके।
  • वर्तमान में आर्थिक असमानता से उबरने के लिए वंचित वर्ग को अच्छी शिक्षा, अच्छा रोजगार उपलब्ध कराया जाना चाहिए। इसके लिए सरकार को कल्याणकारी योजनाओं में बढ़ोत्तरी करनी होगी।
  • देश की अर्थव्यवस्था का ढांचा मजबूत करने और विश्व की शीर्ष तीन अर्थव्यवस्थाओं में स्थान बनाने के लिए देश में असमानता को कम करने की दिशा में प्राथमिकता के आधार पर काम किया जाना चाहिए।
  • देश में डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा देने की आवश्यकता है क्योंकि गरीब एवं कमजोर वर्ग के युवाओं के लिए रोजगार देने में डिजिटल शिक्षा का महत्त्व बढ़ा है।
  • युवाओं को  कौशल प्रशिक्षण के नए स्किल्स सिखाने की आवश्यकता है।
  • 80 करोड़ लोगों को मुफ्त अनाज के साथ उनके जीवन की गुणवत्ता बढ़ाने और उनके लिए रोजगार के अधिक अवसरों के लिए भी अधिक प्रयास करने होंगे।
  • एक ऐसा परिवेश तैयार करने की आवश्यकता है, जिसमें बेहतर स्वास्थ्य और शिक्षा, यथोचित रोजगार, न्याय और उन्नत व उत्कृष्ट तकनीक तक देश के सभी लोगों की पहुंच बनाई जा सके।

निष्कर्ष:

आय असमानता एक कल्याणकारी राज्य की सबसे बड़ी विडंबना है। यह जब गंभीर रूप से उच्चतम स्तर पर पहुंच जाती है तो उदार आर्थिक सुधारों के लिए सार्वजनिक समर्थन कम हो जाता है।  भारत में नव उदारवादी नीतियों से आर्थिक वृद्धि दर तो बढ़ी है, लेकिन इससे अमीरों की जितनी अमीरी बढ़ी है, उस दर से गरीबों की गरीबी दूर नहीं हुई है। परिणामस्वरूप आर्थिक असमानता की खाई साल दर साल चौड़ी होती जा रही है। इसके लिए नीति निर्माताओं तथा योजनाकारों को सुधारात्ध्यामक उपाय अपनाने चाहिए।

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मुख्य परीक्षा प्रश्न

देश में आर्थिक असमानता दूर करने के लिए गंभीर प्रयास की आवश्यकता है। विवेचना कीजिए।