भारत और यूरोपियन फ्री ट्रेड एसोसिएशन(ईएफटीए)

भारत और यूरोपियन फ्री ट्रेड एसोसिएशन(ईएफटीए)

GS-2: अंतर्राष्ट्रीय संबंध

 (यूपीएससी/राज्य पीएससी)

प्रीलिम्स के लिए महत्वपूर्ण:

ईएफटीए समूह, व्यापार और आर्थिक समझौता (टीईपीए), रीजनल कांप्रिहेंसिव इकोनामिक पार्टनरशिप(RCEP), इजराइल-फिलिस्तीन युद्ध और रूस-यूक्रेन युद्ध।

मुख्य परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण:

ईएफटीए(EFTA) के बारे में, भारत और ईएफटीए देशों के मध्य एफटीए, महत्त्व, आगे की राह, निष्कर्ष।

सन्दर्भ:

इस समय जब वैश्विक आर्थिक सुस्ती, इजराइल-फिलिस्तीन युद्ध और रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच वैश्विक व्यापार और निर्यात चुनौतीपूर्ण स्थिति में हैं, तब भारत के लिए वैश्विक व्यापार और निर्यात बढ़ाने के लिए मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) की अहमियत बढ़ गई है।

  • इस परिप्रेक्ष्य में हाल ही में भारत और चार यूरोपीय देशों के समूह ‘यूरोपियन फ्री ट्रेड एसोसिएशन’ (ईएफटीए) के बीच निवेश और वस्तु तथा सेवाओं के दोतरफा व्यापार को बढ़ावा देने के लिए किया गया मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है। इसे व्यापार और आर्थिक समझौता (टीईपीए) कहा गया है। इस व्यापार समझौते के बाद पेरू, ओमान, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ (ईयू) सहित कई देश भारत के साथ व्यापार समझौते की बातचीत को आगे बढ़ाते दिख रहे हैं।

मुक्त व्यापार समझौता:

  • मुक्त व्यापार समझौता दो या दो से अधिक देशों के बीच एक ऐसी व्यवस्था है, जहां वे साझेदार देशों से व्यापार की जाने वाली वस्तुओं पर सीमा शुल्क खत्म कर देते हैं या कम करने पर सहमत होते हैं।
  • इन समझौतों के अंतर्गत दस से तीस विषय शामिल होते हैं। दुनिया में साढ़े तीन सौ से अधिक एफटीए वर्तमान में लागू हैं।

भारत और ईएफटीए देशों के मध्य एफटीए:

  • हाल ही में भारत और ईएफटीए देशों के साथ हुआ एफटीए दुनिया में चर्चा का विषय बना हुआ है।
  • भारत और ईएफटीए देश व्यापार और निवेश समझौते पर पंद्रह वर्ष से भी लंबे समय से बातचीत कर रहे थे। करीब तेरह दौर की वार्ता के बाद 2013 के अंत में इस पर बातचीत रुक गई थी। इसके बाद 2016 में फिर से वार्ता शुरू हुई और चार दौर की बातचीत के बाद अब यह समझौता धरातल पर आया है।
  • उल्लेखनीय है कि नए एफटीए के तहत ईएफटीए ने अगले पंद्रह वर्षों में भारत में सौ अरब डालर के निवेश की प्रतिबद्धता जताई है।
  • यह भारत का ऐसे समूह के साथ पहला व्यापार करार है, जिसमें विकसित देश शामिल हैं।
  • 2022-2023 के दौरान ईएफटीए देशों को भारत का निर्यात 1.92 अरब डालर था। वित्तवर्ष 2022-23 के दौरान इन देशों से भारत का कुल आयात 16.74 अरब डालर था। यानी व्यापार घाटा 14.82 अरब डालर हुआ था।

समझौते वाले क्षेत्र:

  • इस समझौते में वस्तुओं के व्यापार, उत्पत्ति के नियम, शोध और नवाचार, बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR), सेवाओं का व्यापार, निवेश प्रोत्साहन और सहयोग, सरकारी खरीद, व्यापार में तकनीकी बाधाएं और व्यापार सुविधा शामिल हैं।
  • इसके बदले भारत भी इन देशों की विभिन्न वस्तुओं के लिए अपने आयात शुल्क कम करेगा। यद्यपि कृषि, डेयरी, सोया और कोयला क्षेत्र को इस व्यापार समझौते से दूर रखा गया है। साथ ही प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना से जुड़े क्षेत्रों के लिए भी भारतीय बाजार को नहीं खोला गया है।

रीजनल कांप्रिहेंसिव इकोनामिक पार्टनरशिप(RCEP):

  • 15 नवंबर, 2020 से अस्तित्व में आया ‘रीजनल कांप्रिहेंसिव इकोनामिक पार्टनरशिप’ (RCEP) दुनिया का सबसे बड़ा व्यापार समझौता है अपने आर्थिक और कारोबारी हितों की सुरक्षा के कारण भारत इस समझौते में शामिल नहीं हुआ था।
  • नई सोच और संभावनाओं के साथ इस समय भारत विदेश व्यापार नीति को नया मोड़ देते हुए दुनिया के प्रमुख देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौते की डगर पर तेजी से आगे बढ़ रहा है।

महत्त्व:

  • ईएफटीए देशों से किया गया एफटीए भारत के निर्यात को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाएगा।
  • इसके जरिए भारत और ईएफटीए देश आर्थिक रूप से एक-दूसरे के पूरक बन जाएंगे।
  • हरित और पवन ऊर्जा, फार्मा, खाद्य प्रसंस्करण, केमिकल्स के साथ उच्च गुणवत्ता वाली मशीनरी के क्षेत्र में ईएफटीए देश भारत में निवेश करेंगे, जिससे इन क्षेत्रों में हमारा आयात भी कम होगा और भारतीय उत्पादों की गुणवत्ता बढ़ाने में मदद मिलेगी।
  • इससे यूरोप के बड़े बाजार में भारतीय निर्यातकों की पहुंच आसान हो जाएगी। इसी के साथ ईएफटीए देशों को भी भारत के बड़े बाजार तक पहुंच मिलेगी।
  • भारतीय कंपनियां अपनी आपूर्ति शृंखलाओं को अधिक जुझारू बनाते हुए उनमें विविधता लाने का प्रयास करेंगी। दूसरी तरफ, भारत को ईएफटीए से अधिक विदेशी निवेश मिलेगा और उसे अपनी आर्थिक क्षमता का बेहतर इस्तेमाल करने और रोजगार के अतिरिक्त अवसर पैदा करने में मदद मिलेगी।
  • इससे भारत में दस लाख प्रत्यक्ष नौकरियां सृजित होंगी। इसमें व्यापार से ज्यादा निवेश पर जोर दिया गया है।
  • इन चार यूरोपीय देशों से होने वाले भारत के कुल व्यापार में स्विट्जरलैंड की हिस्सेदारी नब्बे फीसद से अधिक है तथा बाकी में अन्य तीनों देश शामिल हैं।
  • इस समझौते से डिजिटल व्यापार, बैंकिंग, वित्तीय सेवा, फार्मा, टेक्सटाइल जैसे क्षेत्रों में इन चार देशों के बाजार में भारत की पहुंच आसान होगी।

ईएफटीए के बारे में:

  • यह मुक्त व्यापार को बढ़ावा देने और तेज करने के लिए एक अंतर-सरकारी संगठन है। इसकी स्थापना उन देशों के लिए एक विकल्प के रूप में की गई थी, जो यूरोपीय समुदाय में शामिल नहीं होना चाहते थे। गौरतलब है कि ईएफटीए देश यूरोपीय संघ (ईयू) का हिस्सा नहीं हैं।
  • सदस्य देश: ईएफटीए के सदस्य देशों में आइसलैंड, स्विट्जरलैंड, नार्वे और लिकटेंस्टाइन शामिल हैं।
  • ये सभी देश खुली, प्रतिस्पर्धी अर्थव्यवस्थाएं हैं जो बहुराष्ट्रीय क्षेत्र के साथ-साथ मुक्त व्यापार समझौतों में व्यापार के प्रगतिशील उदारीकरण के लिए प्रतिबद्ध हैं।

आगे की राह:

  • ऐसे में दुनिया के कई विकसित और विकासशील देश भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौते करने के लिए उत्सुक हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था को आर्थिक पंख लगे हुए दिखाई दे रहे हैं। घरेलू संरचनात्मक सुधार, विनिर्माण, वैश्विक आर्थिक शृंखला, बुनियादी ढांचे में निवेश और हरित ऊर्जा पर निर्भरता बढ़ने से भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है।
  • भारत में दुनिया की सबसे बड़ी युवा आबादी, सबसे अधिक कौशल प्रशिक्षण के अभियान, बढ़ता सेवा क्षेत्र, बढ़ते निर्यात और अर्थव्यवस्था के बाहरी झटकों से उबरने की क्षमता नए भारत के निर्माण की बुनियाद बन सकती है। प्रवासी भारतीयों द्वारा लगातार प्रति वर्ष अधिक धन भारत को भेजने के साथ भारत को तकनीकी विकास के लिए मदद बढ़ी है।
  • उम्मीद की जानी चाहिए कि भारत के लिए निर्यात बढ़ाने के मद्देनजर जिस तरह से आस्ट्रेलिया और यूएई के साथ किए गए एफटीए लाभप्रद सिद्ध हो रहे हैं, उसी तरह ईएफटीए देशों के साथ किया गया नया समझौता भी निर्यात और वैश्विक व्यापार बढ़ाने में मील का पत्थर साबित होगा।
  • उम्मीद है कि ईएफटीए के बाद अब ओमान, ब्रिटेन, कनाडा, दक्षिण अफ्रीका, अमेरिका, इजरायल, खाड़ी देश परिषद और यूरोपीय संघ के साथ भी एफटीए को शीघ्रतापूर्वक अंतिम रूप दिया जा सकेगा।

निष्कर्ष:

भारत-ईएफटीए, व्यापार समझौता एक मुक्त, निष्पक्ष और समानता वाले व्यापार की प्रतिबद्धता का प्रतीक है। इससे दुनिया में यह संदेश जा रहा है कि भारत के दरवाजे वैश्विक व्यापार और कारोबार के लिए तेजी से खुल रहे हैं।

इस समय जब वैश्विक अर्थव्यवस्था मंदी और विकास दर की चुनौतियों से घिरी हुई है, तब दुनिया में सबसे अधिक विकास दर का तमगा हासिल करके भारत मुक्त व्यापार समझौतों के जरिए आगामी वर्षों में निवेश, निर्यात, रोजगार और विकास की तेज रफ्तार की रणनीति के साथ आगे बढ़ रहा है।

स्रोत: जनसत्ता

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मुख्य परीक्षा प्रश्न:

भारत  और ईएफटीए(EFTA) के समझौते के महत्त्व पर चर्चा कीजिए।