भारतीय कपड़ा उद्योग

भारतीय कपड़ा उद्योग

मुख्य परीक्षा: सामान्य अध्ययन 3

( भारतीय अर्थव्यवस्था )

संदर्भ:

  • भारत में कपड़ा उद्योग का सदियों पुराना समृद्ध इतिहास है। यह देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा है। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में सरकारद्वारा उठाए गए सुधारात्मक कदमों के बावजूद भी भारतीय कपड़ा उद्योग के सामने अनेक चुनौतियां विद्यमानहैं।

वर्तमान में कपड़ा उद्योग की स्थिति :

  • भारत कपड़ा उत्पादन के मामले में दूसरे स्थान पर और दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कपड़ा निर्यातक देश है। देश में कपड़ा उद्योग कृषि के बाद रोजगार देने वाला दूसरा सबसे बड़ा क्षेत्र है।
  • यह भारत कीजीडीपीमें 2.3%, औद्योगिक उत्पादन का 7%, भारत की निर्यात आय में 12% और कुल रोज़गार में 21% से अधिक का योगदान देता है।
  • भारत 6% वैश्विक हिस्सेदारी के साथ तकनीकी वस्त्रों के उत्पादन में दुनियाभर में छठे स्थान पर है।
  • भारतविश्व में कपास और जूट का सबसे बड़ा उत्पादक देश है।
  • तकनीकी वस्त्र कार्यात्मक कपड़े होते हैं जो ऑटोमोबाइल, सिविल इंजीनियरिंग और निर्माण, कृषि, स्वास्थ्य देखभाल, औद्योगिक सुरक्षा, व्यक्तिगत सुरक्षा आदि सहित विभिन्न उद्योगों में अनुप्रयोग होते हैं।
  • भारत विश्व में रेशम का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है जिसकी विश्व में हाथ से बुने हुए कपड़ों में 95% हिस्सेदारी है।
  • इस समय कपड़ा उद्योग में लगभग4.5 करोड़ लोगों को प्रत्यक्ष रूप से और लगभग6 करोड़ लोगों को परोक्ष रूप से रोजगार प्राप्त है।
  • भारतवैश्विक ‘रेडीमेड गारमेंट’ बाजार में अपना एकाधिपत्य जमाने को तैयार है। भारत से होने वाले कुल कपड़ा और परिधान निर्यात सबसे अधिक लगभग27 प्रतिशत अमेरिका को किया जाता है। इसके बाद लगभग18 प्रतिशत यूरोपीय संघ को, लगभग12 प्रतिशतबांग्लादेश और लगभग6 प्रतिशत संयुक्त अरब अमीरात को निर्यात किया जाता है।

देश के कपड़ा उद्योग के समक्ष चुनौतियां :

  • इसमें प्रौद्योगिकी उन्नयन, शोध नवाचार तथा नवीनतम तकनीकों की कमी उत्पादकता को प्रभावित कर रही है।
  • कपड़ा उद्योग के आधे से अधिक श्रमिकों के पास नई तकनीक का कौशल नहीं है।
  • कई कपड़ा इकाइयां बुनियादी ढांचागत बाधाओं के कारणपूरे एशिया में अपने कई समकक्ष देशों से काफीपीछे हैं।
  • देश में मौजूद कपड़ाइकाइयों में नईप्रौद्योगिकीअपनानेकीदरबहुतहीधीमीहै।
  • इनके अलावा कपड़े पर अधिक जीएसटी, निर्यात बाजार में वैश्विक मानकों संबंधी चुनौतियां तथा कपड़ा उत्पादन में बाल श्रम जैसे मुद्दे तेजी से बढ़ते कपड़ा उद्योग में बाधा के रूप में दिखाई दे रहे हैं।
  • भारत में कपड़ाइकाइयों का औसत आकार 100 मशीनों का है जो बांग्लादेश की तुलना में बहुत कम है, जहाँ प्रति कारखाना औसतन कम-से-कम 500 मशीनें हैं।
  • भारतीयवस्त्र उद्योग में विदेशीनिवेश का अभाव रहताहै जो कि एक चिंता का विषय है।
  • बांग्लादेश और विएतनाम जैसे देशों के लिए तरजीही अनुदान देने के कारण भारत से कपड़ा क्षेत्र के निर्यात को नुकसान हुआ है।
  • बांग्लादेश चीनी धागों का आयात करता है, अपने सस्ते श्रम का इस्तेमाल करके कपड़े बनाता और बिना किसी आयात शुल्क के इस तरह के कपड़े भारत को निर्यात करता है। ऐसे में बांग्लादेश को दी गई शुल्क मुक्त बाजार की पहुंच भारत में चीनी वस्त्रों के परोक्ष प्रवेश की सुविधा प्रदान कर रही है।
  • देश में चीन और कुछ अन्य देशों से वस्त्रों के सस्ते आयात कुछ क्षेत्रों में घरेलू कपड़ा उद्योग को नुकसान पहुंचा रहे हैं। भारत एक उभरता हुआ बाजार होने के नाते कपड़ा आयात करने वाले देशों द्वारा लगाए जा रहे शुल्कों के नुकसान का सामना भी कर रहा है। दुनिया के विभिन्न बाजारों में श्रीलंका और कई अफ्रीकी तथा अन्य देशों को शुल्क-मुक्त पहुंच प्राप्त होती है, उससे भी भारत का कपड़ा विदेशी बाजारों में तुलनात्मक रूप से कम प्रतिस्पर्धी दिखाई देते हैं।

भारत सरकार की प्रमुख पहलें :

पीएम मित्र मेगा टेक्सटाइल पार्क योजना 2023

  • अगले पांच सालों में कपड़ा उद्योग के लक्ष्योंकोपूरा करने के उद्देश्यसे 4,445 करोड़ रुपए आबंटन के साथ पीएम मित्र मेगा टेक्सटाइल पार्क योजना 2023, कोदेश के सात राज्यों- तमिलनाडु, तेलंगाना, कर्नाटक, महाराष्ट्र, गुजरात, मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश में लागू किया गया है।
  • पीएम मित्र मेगा टेक्सटाइल पार्क एक ही स्थल पर कताई, बुनाई, प्रसंस्करण, रंगाई और छपाई से लेकर कपड़ा निर्माण तक एक एकीकृत वस्त्र मूल्य शृंखला का अवसर प्रदान करेगा।
  • हर मेगा टेक्सटाइल पार्क से लगभगएक लाख प्रत्यक्ष और दो लाख परोक्ष रोजगार के अवसर पैदा होंगे। ऐसे में कुल इक्कीस लाख रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। इससे घरेलू निर्माताओं को अंतरराष्ट्रीय कपड़ा बाजार में समान मौके मिलेंगे।
  • इसके साथ-साथ एक अप्रैल 2023 से लागू नई एफटीपी के तहत कपड़ा उद्योग के विशेष प्रोत्साहनों को देखें तो पीएम मित्र मेगा टेक्सटाइल पार्क योजना को निर्यात संवर्द्धन पूंजीगत सामान (ईपीसीजी) के तहत लाभ का दावा करने के लिए अतिरिक्त योजना के रूप में जोड़ा गया है।
  • निर्यात आदेशों के त्वरित निष्पादन की सुविधा के लिए स्वघोषणा के आधार पर परिधान और वस्त्र निर्यात के लिए विशेष अग्रिम प्राधिकरण योजना का विस्तार किया गया है।

उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना

  • भारत के कपड़ा उद्योग को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने, गुणवत्तापूर्ण उत्पादन और निर्यात बढ़ाने के लिए सरकार ने आत्मनिर्भर भारत बनाने की दिशा में अहम कदम उठाते हुए 10,683 करोड़ रुपए के स्वीकृत परिव्यय के साथ उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना शुरू की है।
  • भारत सरकार ने कपड़ा उद्योग के लिए सौ प्रतिशत स्वचालन की अनुमति दी है।
  • वैश्विक स्तर पर कपड़ा उद्योग को प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए संशोधित प्रौद्योगिकी उन्नयन निधि योजना, एकीकृत वस्त्र पार्कों के लिए योजना, कपड़ा क्षेत्र में क्षमता निर्माण की जो योजनाएं लागू की हैं, उनके अनुकूल परिणाम आ रहे हैं।
  • सरकार द्वारा शुल्क वापसी योजनाके अंतर्गत 23 मार्च, 2023 से किए जा रहे निर्यात पर विभिन्न लाभ दिए जा रहे हैं। साड़ी और लुंगी समेत कपड़ा क्षेत्र की अठारह वस्तुओं के व्यापार को बढ़ाने के उद्देश्य से इनको भी निर्यात उत्पादों पर शुल्क और करों की छूट के अंतर्गत लाभ दिए जा रहे हैं।
  • इतना ही नहीं, 11 अप्रैल, 2023 को कपड़ा मंत्रालय ने इकतीस जियो टेक्सटाइल और बारह ‘प्रोटेक्टिव टेक्सटाइल’उत्पादों को वैश्विक मानकों के अनुरूप उत्पादन करने हेतु गुणवत्ता नियंत्रण आदेश जारी किए हैं।
  •  वर्ष 2015 में सरकार ने कपड़ा उद्योग को उन्नतिशील बनाने हेतु संशोधित प्रौद्योगिकी उन्नयन कोष योजना (ATUFS)को शुरू किया था।
  • कपड़ा इकाइयों मेंविश्व स्तरीय बुनियादी सुविधाओं के निर्माण हेतु एकीकृत वस्त्र पार्क योजना को लांच किया गया।
  • कुशल श्रमिकों की कमी को दूर करने के लिये वस्त्र क्षेत्र में क्षमता निर्माण हेतु समर्थ योजना को शुरू किया गया।
  •  कपड़ा उद्योग के सभी क्षेत्रों में बुनियादी ढांचा, क्षमता निर्माण और विपणन को बढ़ावा देने के लिए पूर्वोत्तर क्षेत्र वस्त्र संवर्द्धन योजना को लांच किया गयाहै।
  • पावरलूम टेक्सटाइल में नए अनुसंधान और विकास, नए बाज़ार, ब्रांडिंग, सब्सिडी और श्रमिकों के लिए कल्याणकारी योजनाएंशुरू करने के उद्देश्य से पावर-टेक्स इंडिया कोलांच किया गया।
  • रेशम समग्र योजना: यह योजना घरेलू रेशम की गुणवत्ता और उत्पादकता में सुधार लाने पर ध्यान केंद्रित करती है ताकि आयातित रेशम पर देश की निर्भरता कम हो सके।
  • जूट आईकेयर: वर्ष 2015 में शुरू की गई इस पायलट परियोजना का उद्देश्य जूट की खेती करने वालों को रियायती दरों पर प्रमाणित बीज प्रदान करना और पानी सीमित परिस्थितियों में कई नई विकसित रेटिंग प्रौद्योगिकियों को लोकप्रिय बनाने के मार्ग में आने वाली कठिनाइयों को दूर करना है।
  • राष्ट्रीय तकनीकी वस्त्र मिशन: इसका उद्देश्य देश को तकनीकी वस्त्रों में वैश्विक नेता के रूप में स्थान देना और घरेलू बाज़ार में तकनीकी वस्त्रों के उपयोग को बढ़ाना है। इसका लक्ष्य वर्ष 2024तक घरेलू बाज़ार का आकार 40 बिलियन अमेरिकी  डॉलर से 50 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक ले जाना है।

आगे की राह :

  • इस समय देश में कपड़ा क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण उत्पादन, निर्यात और रोजगार वृद्धि सुनिश्चित करने के लिए कपड़ा उद्योग के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करने की आवश्यकता है।
  • जरूरी है कि कपड़ा उद्योग के तहत प्रौद्योगिकी उन्नयन पर ध्यान केंद्रित किया जाए और उत्पादकता बढ़ाने के लिए बुनाई क्षमता में वृद्धि की जाए।
  • राज्य सरकारों को कपड़ा क्षेत्र के बाजार को बढ़ाने के लिए पूंजी सब्सिडी देनी चाहिए।
  • कपड़ाउद्योग की समस्याओं को हल करने के लिए एक खिड़की समाधान प्रदान करने की आवश्यकता है।
  • वार्षिक आधार पर धागे पर एक निश्चित मूल्य को सक्षम करने हेतु प्रत्येक वर्ष के लिए धागे की कीमतें तय की जानी चाहिए।
  • कपड़ा उद्योग में अनुसंधान और विकास बढ़ाने, कपड़ा उत्पादन की नई तकनीकी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए कार्यबल को नए दौर के कौशल के साथ प्रशिक्षित करने की आवश्यकता है
  • युवा उद्यमियों को कपड़ा क्षेत्र की ओर आकर्षित करने के लिए अधिक ऋण और सबसिडी प्रदान करनी चाहिए।
  • भारत के बाजार में अंतरराष्ट्रीय ब्रांडों के उत्पादों से प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए भारतीय कपड़ा ब्रांडों का अधिक समर्थन किया जाना चाहिए।
  • भारतीय निर्यातकों के लिए विदेशी बाजार में मजबूत ग्राहक प्रबंधन प्रणालियों को विकसित करने और कपड़े के वैश्विक व्यापारियों का विश्वास जीतने के लिए कपड़ा निर्यातकों को प्रशिक्षित किए जाने पर अधिक ध्यान देना होगा।
  • निस्संदेह इस समय भारतीय कपड़ा उद्योग के लिए वैश्विक बाजार में आगे बढ़ने तथा प्रमुखआपूर्तिकर्ता बनने के शानदार अवसर दिखाई दे रहे हैं। ऐसे में कपड़ा उद्योग के विकास से संबंधित विभिन्न योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन के साथ-साथ मशीनरी और उपकरणों के स्वदेशी विकास की विविध आवश्यकताओं की पूर्ति तथा डिजाइन, इंजीनियरिंग में स्थानीय कौशल का दोहन करना होगा।
  • कपड़ा उद्योग से संबंधित प्रमुख इंजीनियरिंग संस्थानों में चयनित छात्रों को प्रशिक्षण और अनुदान देकर उन्हें कपड़ा उद्योग के कुशल श्रमिक के रूप में तैयार करना होगा।
  • कपड़ा उद्योग से जुड़े विशेषज्ञों का मानना है कि भारत की नई विदेश व्यापार नीति (एफटीपी)2023और पीएम मित्र मेगा टेक्सटाइल पार्क योजना 2023से कपड़ा उत्पादन और निर्यात वृद्धि की जो संभावनाएं बनी हैं, उन्हें प्राप्त करने के लिए जरूरी है कि इस क्षेत्र के समक्ष दिखाई दे रही चुनौतियों का उचिततरीके से समाधान किया जाए।

स्रोत:जनसत्ता

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मुख्य परीक्षा प्रश्न

भारतीय कपड़ा उद्योग की वर्तमान स्थिति को स्पष्ट करते हुए इसके समक्ष मौजूद चुनौतियों के समाधान हेतु उपाय सुझाइए।