भूटान-चीन संबंधों से उपजी भारत की चिंताएं

भूटान-चीन संबंधों से उपजी भारत की चिंताएं

प्रारंभिक परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण:

सिलीगुड़ी कॉरिडोर और डोकलाम पठार, जकारलुंग घाटी, पासमलुमग घाटी, चुम्बी घाटी, हा घाटी, दार्जिलिंग और कलिम्पोंग क्षेत्र, नाथु ला दर्रा,

मुख्य परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण:

जीएस2: भूटान-चीन राजनयिक संबंधों का भारत पर प्रभाव, भूटान-चीन सीमा विवाद, भूटान-चीन सीमा विवाद से निपटने हेतु भारत की रणनीति

चर्चा में क्यों:

  • हाल ही में चीन और भूटान ने 25वें दौर की सीमा वार्ता आयोजित की और भूटान-चीन सीमा के सीमांकन से संबंधित एक सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते के लिए, पहली बार  भूटान के विदेश मंत्री टांडी दोरजी ने चीन का दौरा किया है। इस समझौते से भारत की सुरक्षा चिंताएँ बढ़ गई हैं ।

इस समझौते का उद्देश्य:

  • वर्ष 2021 में शुरू किए गए 'थ्री-स्टेप रोडमैप' के अनुसार, भूटानी और चीनी क्षेत्रों को स्पष्ट रूप से चित्रित करना है, जिसमें टेबल पर चर्चा, साइट पर दौरे और औपचारिक सीमांकन शामिल है।
  • भूटान-चीन सीमा विवाद मुख्य रूप से डोकलाम पठार और भारत-चीन-भूटान ट्राइजंक्शन के साथ-साथ जकारलुंग और पासमलुमग घाटियों से संबंधित है।

चीन-भूटान की 25वें दौर की सीमा वार्ता का महत्व:

भूटान के विदेश मंत्री की चीन यात्रा कई स्तरों पर अभूतपूर्व एवं महत्वपूर्ण है:

  • इस वार्ता से चीन और भूटान के मध्य राजनयिक संबंध पहले से अधिक स्थायित्वपूर्ण होने की संभावना है क्योंकि 2016 से भूटान-चीन सीमा विवाद के कारण दोनों देशों के मध्य राजनयिक संबंध पिछले कुछ दशकों से ख़राब रहे हैं।
  • इस वार्ता से दोनों देशों के बीच चल रहे सीमा विवाद को सुलझाने में तेजी आएगी

भूटान-चीन सीमा विवाद

  • चीन और भूटान के बीच लगभग 477 किलोमीटर लंबी सीमा को लेकर 80 के दशक से विवाद चल रहा है दोनों देशों के मध्य सबसे ज्यादा विवाद 269 वर्ग किलोमीटर के डोकलाम और भूटान के उत्तर में 495 वर्ग किलोमीटर के जकारलुंग और पासमलुंग घाटी के क्षेत्र पर है।

डॉकलाम क्षेत्र:

भौगोलिक स्थिति:

  • डोकलाम (Doklam), एक उच्च पठार वाला क्षेत्र है। इस क्षेत्र के उत्तर में चीन की चुम्बी घाटी, पूर्व में भूटान की हा घाटी, दक्षिण पश्चिम में दार्जिलिंग और कलिम्पोंग क्षेत्र है। इसके पश्चिम में भारत का  सिक्किम राज्य स्थित है।
  • यह स्थल सिलीगुड़ी से महज़ 30 किलोमीटर की दूरी पर है।

राजनीतिक एवं सामरिक स्थिति:  

  • वर्तमान में डॉकलाम एक विवादित क्षेत्र है। इस क्षेत्र पर चीन का अधिकार है। चीन इसे 1961 से भूटान के नक्शे में अपने अधिकार के तौर पर दर्शाता रहा है। जबकि भूटान इसे अपना भू-भाग मानता है।
  • इस क्षेत्र को लेकर भूटान का चीन के साथ एक लिखित समझौता है, जिसके अनुसार इस क्षेत्र में शांति बनाए रखने की बात की गई है।
  • भूटान और चीन के बीच कई दौर की सीमा वार्ताओं के बावजूद विवाद का समाधान नहीं हुआ है।

भारत की चिंताएं:

  • भारत, भूटान के साथ अपने विशेष संबंधों को देखते हुए, राजनयिक संबंधों की स्थापना और सीमा समझौते पर हस्ताक्षर करने की संभावना को लेकर बहुत सतर्क रहा है।

डोकलाम बदलने की धमकी:

  • भारत में चिंताएं हैं कि भूटान और चीन के बीच समझौते में उत्तर में विवादित क्षेत्रों के लिए भारत, भूटान और चीन के बीच त्रिकोणीय जंक्शन के करीब स्थित डोकलाम की अदला-बदली शामिल हो सकती है।

डोकलाम भारत के लिए बेहद सुरक्षा महत्व रखता है:

  • इस क्षेत्र पर चीन के नियंत्रण से सिलीगुड़ी कॉरिडोर को खतरा हो सकता है, जो भारतीय मुख्य भूमि को पूर्वोत्तर से जोड़ने वाला 22 किमी लंबा हिस्सा है।
  • चिकन नेक के रूप में भी जाना जाने वाला सिलीगुड़ी कॉरिडोर भारत को तिब्बत, नेपाल, भूटान और बांग्लादेश से जोड़ता है।

भारत की पूर्वी सीमा पर सीधा खतरा:

  • डोकलाम को अपने नियंत्रण में लेने से चीन भारत पर अधिक दबाव डाल सकता है; चीनी सेनाएं अपनी विवादित सीमा के पूर्वी हिस्से से भारत का संपर्क आसानी से तोड़ सकती हैं।

भारत-चीन डोकलाम विवाद

  • यह भारत, तिब्बत और भूटान के त्रिकोणीय जंक्शन पर स्थित है भारत के लिए डॉकलाम सामरिक महत्त्व का क्षेत्र है।
  • यह नाथु ला दर्रे के नजदीक है। नाथुला दर्रे से गुजरने वाली भारत की कैलाश मानसरोवर तीर्थयात्रा को चीन द्वारा रोका जा चुका है।
  • जून 2017 में चीन ने डोकलाम पठार पर दक्षिण की ओर डोका ला दर्रे के पास जम्फेरी रिज लाइन की ओर एक सड़क निर्माण के प्रयास से चीन और भारत के बीच एक सैन्य गतिरोध हुआ था, जो दो महीने तक चला था।
  • भारत डोकलाम पठार को भूटान का निर्विवाद क्षेत्र मानता है, जबकि बीजिंग इसे अपनी चुम्बी घाटी का विस्तार मानता है, जो सिक्किम और भूटान के बीच स्थित है।

भारत पर दबाव बनाने के लिए भूटान के क्षेत्रों पर दावा करना:

  • जून 2020 में, बीजिंग ने सकतेंग वन्यजीव अभयारण्य पर अपना दावा जताया, जो पूर्वी भूटान में स्थित है और अरुणाचल प्रदेश की सीमा में है।
  • चीन ने कथित तौर पर भूटानी क्षेत्र के अंदर भी कई गांव बनाए हैं।
  • भारत का मानना है कि साकतेंग वन्यजीव अभयारण्य पर चीन का दावा डोकलाम को सौंपने के लिए भूटान पर दबाव डालने का उसका तरीका है।

सीमा विवादों से निपटने हेतु भारत की रणनीति

  • निर्माण गतिविधियाँ: सीमाओं को सुरक्षित करने और देश के सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढाँचा बनाने की रणनीति के हिस्से के रूप में, सीमा प्रबंधन प्रभाग द्वारा कई पहल की गई हैं। इसमे शामिल है: बाड़, फ्लडलाइटिंग, सड़कों, सीमा चौकियों (बीओपी), कंपनी संचालन अड्डों (सीओबी) का निर्माण और भारत-पाकिस्तान, भारत-बांग्लादेश, भारत-चीन, भारत-नेपाल, भारत-भूटान और भारत-म्यांमार सीमाओं पर तकनीकी समाधानों की तैनाती।
  • अन्य विकास परियोजनाएं: ट्रांस-अरुणाचल राजमार्ग जैसी परियोजनाएं चीन की आक्रामकता के खिलाफ प्रभावी और त्वरित प्रतिक्रिया बढ़ाने में मदद करेंगी।
  • सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने सीमावर्ती क्षेत्रों में 100 से अधिक परियोजनाएं पूरी कीं, जिनमें से अधिकांश चीन के साथ सीमा के करीब थीं।
  • भारत निमू-पदम-दारचा अक्ष पर काम तेज कर रहा है जिससे देश के अन्य हिस्सों से सैनिकों को लद्दाख जाने में मदद मिलेगी।
  • हालाँकि, इसमें समय लगेगा; तब तक हमें 'सशस्त्र सह-अस्तित्व' परिदृश्य में एलएसी पर इसकी आक्रामकता से निपटने के लिए तैयार रहना होगा।
  • सैनिकों की तैनाती और निगरानी: घुसपैठ रोधी ग्रिड बनाने के लिए भारतीय सेना और बीएसएफ को कई परतों में तैनात किया गया है।
  • सीमा पर बाड़ लगाने और अन्य निगरानी उपकरणों की तैनाती से घुसपैठ को कम करने में मदद मिली है।
  • बांग्लादेश, नेपाल, भूटान और म्यांमार सीमाओं पर: इन देशों के साथ हमारी सीमाओं की सुरक्षा मुख्य रूप से अर्धसैनिक बलों द्वारा की जाती है, और उन्हें मानव तस्करी, नशीली दवाओं, हथियारों, अवैध प्रवास और संदिग्ध विद्रोहियों की आवाजाही से निपटना पड़ता है।
  • बांग्लादेश और म्यांमार के साथ खुली सीमाएँ और नेपाल के साथ खुली सीमाएँ इन नापाक गतिविधियों से निपटने में चुनौतियाँ पेश करती हैं।

निष्कर्ष:

  • चीन की सीमा विस्तार नीति के प्रति भारत को कूटनीतिक तौर पर भूटान-चीन की इस सीमा वार्ता के प्रति सजग रहने की आवश्यकता है।
  • क्योंकि डोकलाम पर विवाद का समाधान चीन और भारत की साझा सीमा पर संघर्ष और विशेष रूप से अरुणाचल प्रदेश की स्थिति से जुड़ा हुआ है, जिसे चीन दक्षिण तिब्बत के विस्तार के रूप में दावा करता है।

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मुख्य परीक्षा प्रश्न

भूटान-चीन सीमा वार्ता से उपजी भारत की चिंताओं पर चर्चा कीजिए। पूर्वी क्षेत्र में, भारत द्वारा अपनी सीमा विवादों के समाधान हेतु कौन सी रणनीति अपनाई जानी चाहिए? विवेचना कीजिए।