ब्रिक्स समूह का विस्तार

ब्रिक्स समूह का विस्तार

मुख्य परीक्षा:सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2

(अंतरराष्ट्रीय संबंध)

25 अगस्त, 2023

चर्चा में क्यों:

  • हाल ही में दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में आयोजित 15वें ब्रिक्स शिखर सम्मलेन के दौरान ब्रिक्स समूह में 6 नए सदस्यों को शामिल किया गया है।

प्रमुख बिंदु:

  • दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा ने 22 से 24 अगस्त तक आयोजित ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में नए सदस्य देशों के नामों की घोषणा की है।
  • इन 6 देशों में शामिल हैं: अर्जेंटीना, ईरान, संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, इथियोपिया और मिस्र
  • इस समूह में शामिल नए देशों की सदस्यता 1 जनवरी, 2024 से प्रभावी होगी।
  • इस शिखर सम्मेलन में ब्रिक्स विस्तार एक प्रमुख फोकस क्षेत्र रहा क्योंकि 20 से अधिक देश इसकी पूर्ण सदस्यता के लिए आवेदन कर चुके हैं।

ब्रिक्स समूह के बारे में:

  • यह दुनिया की अग्रणी उभरती अर्थव्यवस्थाओं ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के समूह का संक्षिप्त रूप है।
  • पहला BRIC शिखर सम्मेलन 16 जून 2009 में रूस के येकातरिनबर्ग में हुआ था।
  • इसके बाद दिसंबर 2010 में दक्षिण अफ्रीका को BRIC में शामिल किया गया, जिसके बाद समूह का संक्षिप्त नाम BRICS हो गया।
  • यह समूह दुनिया के 5 सबसे बड़े विकासशील देशों को एक मंच प्रदान करता है।
  • इसके सदस्य देश वैश्विक आबादी के 41%, वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद के 24% और वैश्विक व्यापार के 16% भाग का प्रतिनिधित्व करते हैं।
  • ब्रिक्स देशों का संयुक्त क्षेत्रफल 39,746,220 वर्ग किमी है और अनुमानित कुल जनसंख्या लगभग 3.21 बिलियन है।
  • यह विश्व की कुल भूमि सतह का लगभग 26.7 प्रतिशत और वैश्विक जनसंख्या का 41.5 प्रतिशत है।
  • ब्रिक्स नेताओं का शिखर सम्मेलन प्रतिवर्ष आयोजित किया जाता है और इसके संक्षिप्त नाम के अनुसार, इसकी अध्यक्षता प्रतिवर्ष सदस्यों के बीच बारी-बारी से की जाती है।
  • भारत 2012 और 2016 में दो बार इस समिट की मेज़बानी कर चुका है।

 उद्देश्य

  • अधिक स्थायी, न्यायसंगत और पारस्परिक रूप से लाभकारी विकास के लिए अलग-अलग देशों के बीच सहयोग को व्यापक स्तर पर आगे बढ़ाना।
  • प्रत्येक सदस्य देश की आर्थिक स्थिति और विकास को ध्यान में रखते हुए सभी देशों की आर्थिक ताकत को बढ़ाना।

ब्रिक्स समूह का महत्त्व:

  • ब्रिक्स समूह के महत्त्व को जानने के लिए इसके सदस्य देशों के महत्त्व को समझना ज़रूरी है।
  • चीन, इंडिया, और रूस की बात की जाए तो ये देश दुनिया की तीन बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देश हैं।
  • जहाँ ब्राजील लेटिन अमेरिका का आर्थिक रूप से सक्षम देश है तो वहीं साऊथ अफ्रीका, अफ्रीका महाद्वीप का एक बड़ा देश है।
  • दूसरे शब्दों में कहें तो BRICS देशों की सीमाएं दुनिया के एक छोर से दूसरे छोर तक फैली हुई हैं।
  • इन देशों की कुल अर्थव्यवस्था लगभग 16 खरब डॉलर है।
  • दुनिया की कुल GDP का 30 परसेंट हिस्सा इन्हीं देशों का है दुनिया में जितना भी व्यापार होता है उसका 18 प्रतिशत व्यापार भी यही देश करते हैं और सबसे बड़ी बात दुनिया की लगभग 50 प्रतिशत आबादी इन्हीं 5 देशों में निवास करती है।
  • इन देशों का विदेशी मुद्रा भंडार 4 खरब डॉलर का है।
  • इसलिए ये देश रीजनल और ग्लोबल मामलों पर ज्यादा प्रभाव डालते हैं।
  • आर्थिक विश्लेषकों के अनुसार, अर्जेंटीना, ईरान, संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, इथियोपिया और मिस्र के BRICS समूह में शामिल होने से इस समूह की आर्थिक ताकत बढ़ेगी।

भारत के लिए ब्रिक्स समूह का महत्त्व:

  • भारत अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन, खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा, अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों में सुधार आदि के माध्यम से ब्रिक्स की सामूहिक ताकत से लाभ प्राप्त कर सकता है।
  • ब्रिक्स समूह का न्यू डिवलपमेंट बैंक भारत को बुनियादी ढाँचे और सतत् विकास परियोजनाओं के लिए  संसाधन जुटाने और आर्थिक लाभ अर्जित करने में मदद करेगा।
  • वर्तमान भू-राजनीति में ब्रिक्स समूह अमेरिका, रूस और चीन के बीच अपने रणनीतिक हितों को संतुलित करने का अवसर प्रदान करता है।
  • ब्रिक्स भारत को आतंकवाद के खिलाफ अपने प्रयासों को तेज़ करने के लिये एक मंच भी प्रदान करता है।
  • ब्रिक्स भारत को चीन के साथ सक्रिय रूप से जुड़ने और आपसी विवादों को सुलझाने का अवसर प्रदान करता है।
  • यह अन्य भागीदार देशों का समर्थन हासिल करने में भी मदद करता है।

ब्रिक्स समूह की प्रासंगिकता:

  • ब्रिक्स समूह की प्रासंगिकता निम्नलिखित कारणों से महत्वपूर्ण है:
  • आर्थिक महत्व: इन पांच देशों की आर्थिक शक्ति आर्थिक विकास  की दृष्टि से महत्वपूर्ण है और इनमें से कुछ देश विश्व की सबसे बड़ी आर्थिक अर्थव्यवस्थाओं में शामिल हैं।
  • आर्थिक सहयोग: ब्रिक्स देश सहयोग और आर्थिक विकास में मिलकर काम करते हैं, जैसे कि वित्तीय संस्थाओं की सहायता के माध्यम से आर्थिक परिस्थितियों को सुधारना और आर्थिक सहायता प्रदान करना।
  • विश्व नियामक संरचनाओं में भागीदारी: ये देश विश्व नियामक संरचनाओं में भी अपनी प्रतिष्ठा बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं, जैसे कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) और विश्व व्यापार संगठन (WTO) में।
  • विकास परियोजनाएँ: ब्रिक्स देश समूह विकास से संबंधित परियोजनाओं में सहयोग करते हैं, जैसे कि ब्रिक्स विकास बैंक की स्थापना करना जो विकास परियोजनाओं को वित्तीय सहायता प्रदान करने का उद्देश्य रखता है।
  • गणराज्यों की आवश्यकताओं का समाधान: ब्रिक्स समूह देशों को उनकी आवश्यकताओं के साथ मिलकर काम करने का मौका देता है और उन्हें विश्व मामलों में अपनी आवाज़ को सुनाने का प्लेटफ़ॉर्म प्रदान करता है।

निष्कर्ष:

  • इस प्रकार, ब्रिक्स समूह विभिन्न देशों के बीच सहयोग, सहमति, और सामाजिक-आर्थिक विकास के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

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मुख्य परीक्षा प्रश्न

ब्रिक्स समूह के महत्त्व को स्पष्ट करते हुए इस समूह की प्रासंगिता को रेखांकित कीजिए।