बांध सुरक्षा

 

बांध सुरक्षा

प्रिलिम्स परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण:

चुंगचांग बांध, टिहरी बांध, भाखड़ा, सरदार सरोवर, हीराकुंड, नागार्जुन, बगलीहार, नाथपा झाकरी, कदाना चंडील, अलामट्टी, वालयार, गांधी सागर बांध एवं जल विदुयुत परियोजनाएं, जल शक्ति मंत्रालय, सुरक्षा अधिनियम, 2021, बांध सुरक्षा संगठन, राष्ट्रीय बांध सुरक्षा प्राधिकरण

मेन्स परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण:

GS-3 भारत में बांध असुरक्षा परिदृश्य, बांधों के लाभ तथा नुकसान, बांध टूटने के प्रमुख कारण   

06 नवंबर, 2023

सन्दर्भ:

  • सिक्किम में चुंगचांग बांध हाल ही में ध्वस्त हो गया। इस हादसे में तीस से अधिक लोगों की मौत हो गई। इस तरह देश में बांधों की मजबूती और टिकाऊपन को लेकर फिर सवाल उठने लगे हैं। देश के ऐसे कई बांध जर्जर हाल में हैं, जिनके टूटने की आशंका हमेशा बनी रहती है। भारत में बड़े बांधों की हालत छोटे बांधों की अपेक्षा ज्यादा दयनीय है। आधुनिक विकास की धारा में जिन बांधों से सिंचाई, पेयजल, औद्योगिकी उपयोग, बिजली बनाने, बागवानी आदि के लिए पानी की आपूर्ति की जाती है, उनमें से कई बांध जर्जर हो चुके हैं। इसलिए देश के सभी महत्वपूर्ण बाधों की बेहतर निगरानी एवं सुरक्षा पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।

भारत में बांध असुरक्षा परिदृश्य:

  • जल शक्ति मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार भारत में 5,745 बड़े बांध हैं (जिसमें निर्माणाधीन बांध भी शामिल हैं)। इनमें से 75 फीसदी से अधिक बांध 20 साल से अधिक पुराने हैं और लगभग 220 बांध 100 साल से अधिक पुराने हैं।
  • इनमें 447 बांध संकट की स्थिति में हैं:
  • ये सभी बांध महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, गुजरात, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, बिहार और उत्तराखंड राज्यों में स्थिति हैं।
  • आंकड़े के मुताबिक सौ साल पुराने बांधों में मध्यप्रदेश में 63, महाराष्ट्र में 44, गुजरात में 30, राजस्थान में 25 और तेलंगाना में 21 बांध हैं।
  • भारत के अनेक बांध भूकम्प की दृष्टि से अत्यंत खतरनाक परिक्षेत्र में हैं। जिन क्षेत्रों में छोटे पैमाने के भूकम्प आए दिन आते हैं वहां बांध टूटने या उनमें दरार पड़ने की आशंका अधिक है।
  • उत्तराखंड स्थित टिहरी बांध बड़े आकार के कारण भूकम्प और अतिवृष्टि के प्रति अतिसंवेदनशील है।
  • टिहरी बांध, भाखड़ा, सरदार सरोवर, हीराकुंड, नागार्जुन, बगलीहार, नाथपा झाकरी, कदाना चंडील, अलामट्टी, वालयार, गांधी सागर जैसे बड़े बांधों के अलावा ओडिशा, तमिलनाडु और तेलंगाना स्थित बांध पूरी तरह असुरक्षा की स्थिति में हैं।
  • राजघाट बांध (चंदेरी), नवादा स्थित फुलवरिया बांध और राजस्थान के करौली स्थित पांचणा बांध अत्यंत जर्जर दशा में है। सोनभद्र जिले के पिपरी बांध का पानी जहरीला ही नहीं है, बल्कि इसकी दशा भी अच्छी नहीं है।

वैश्विक परिदृश्य:

  • वर्तमान में चीन में चौरानबे हजार बांध हैं, जिनमें से अनेक बांध जर्जर हो चुके हैं। इनमें कुछ ऐसे हैं जिसके टूटने पर भारत, पाकिस्तान पर भी असर पड़ेगा।
  • ‘त्रि गार्जियस’ बांध, जो यांग्सी नदी पर बना है, चार सौ दस मील वायर लंबाई का यह बांध चीन के लिए बहुत उपयोगी है, लेकिन इस बांध से भारत के कई प्रदेशों को बाढ़ का खतरा है।
  • एशिया का सबसे बड़ा बांध हीराकुंड, जो ओडीशा में स्थित है, जिसका निर्माण 1957 में हुआ था, यह ऐसे क्षेत्र में है जहां अतिवृष्टि, भूकम्प और बाढ़ की समस्याएं आए दिन देखी जाती हैं। लगभग पांच किमी क्षेत्रफल में बनाया गया, यह बांध कई दृष्टि से उपयोगी रहा है, लेकिन इसकी उम्र ज्यादा होने की वजह से इसकी खास देखरेख की जरूरत है।

बांधों से लाभ:

  • पेयजल और सिंचाई के लिए ये बांध जीवनरेखा जैसे होते हैं, पानी के प्रवाह को नियंत्रित किया जाता है, जिसका उपयोग घरेलू, कृषि और उद्योगों को पूरा करने के लिए किया जाता है।
  • जलविद्युत संयंत्र का उपयोग बांधों के माध्यम से विद्युत उत्पन्न करता है।
  • वर्तमान में भूटान, नेपाल और बांग्लादेश में संचालित बिजली परियोजनाओं से भारत को आर्थिक लाभ हो रहा है।        
  • बांध के पीछे बने फोरम का उपयोग जल क्रीड़ा, सींच या अन्य आनंददायक रिकवरी के लिए किया जा सकता है।
  • बाँधों के माध्यम से विद्युत उत्पन्न होने से प्रदूषण नहीं होता है क्योंकि इस प्रक्रिया में कोई भी सौर गैसें नहीं निकलती हैं।

बाधों से नुकसान:

  • जिस बांध में प्रस्तावित है वहां से बड़े पैमाने पर लोगों का पलायन हो रहा है।
  • विशाल बाँधों के निर्माण से पृथ्वी की सतह का विशाल भूगर्भिक क्षति होती है।
  • बांधों के निर्माण में कई साल लग जाते हैं, जिससे आसपास के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों का जीवन स्तर खराब हो जाता है।
  • दिल्ली के आसपास (हथिनीकुंड बैराज) हरियाणा, गाजियाबाद, एनसीआर में बने बांधों से पैदा समस्याओं से लोगों को प्रतिवर्ष अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
  • बांधों के निर्माण के लिए आसपास वनों की कटाई की वजह से जैव विविधता में कमी आती है, पारिस्थितिकी तंत्र बिगड़ जाता है।
  • बड़े पैमाने पर पलायन होता और उपजाऊ कृषि योग्य भूमि बांध में जाने की वजह से उस क्षेत्र का कृषि विकास प्रभावित होता है।
  • बिहार, असम, पंजाब, ओड़ीशा, झारखंड, मध्यप्रदेश सहित तमाम राज्यों में बांधों से हर साल आने वाली बाढ़ से अरबों रुपए का नुकसान होता है।
  • जहां बांधों में दरारें आती हैं, वहां जन-धन और मवेशियों का भारी नुकसान होता है।
  • बांधों से शहरी लोगों की अपेक्षा गांवों के ज्यादा प्रभावित होते हैं।
  • किसान, आदिवासी और ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को बांधों से जुड़ी अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जिनमें आर्थिक नुकसान, सांस्कृतिक अपघटन और मनोवैज्ञानिक रूप से बांधों के टूटने का खतरा प्रमुख हैं।

बांध टूटने के प्रमुख कारण:

  • प्राकृतिक आपदा: बाढ़ और बादल फटने से बांधों को नुकसान होने का खतरा अधिक होता है।
  • जिन क्षेत्रों में छोटे पैमाने के भूकम्प आए दिन आते हैं वहां बांध टूटने या उनमें दरार पड़ने की आशंका अधिक है।
  • चुगचांग बांध के टूटने का प्रमुख कारण ग्लेश्यिर झील में बादल का फटना था।
  • बांध की ख़राब गुणवत्ता: बांध की उम्र, उसके निर्माण की गुणवत्ता और बड़ी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की जलवायु अनुकूलता पर निर्भर भी करती है। यदि बांध निर्माण के दौरान बांध की गुणवत्ता से समझौता किया जाता है, तो नया बांध भी कभी भरभरा कर टूट सकता है।
  • चुगचांग बांध लगभग बीस साल पुराना था।
  • जलवायु परिवर्तन: जलवायु परिवर्तन से ग्लेशियर पिघलने की घटनाओं से देश में कई बांध टूटे हैं।
  • जून, 2013 में उत्तराखंड त्रासदी जलवायु परिवर्तन का एक बड़ा उदाहरण है

समाधान:

  • तकनीकी समिति: केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण ने जलविद्युत परियोजनाओं के संभावित खतरों के मद्देनजर बांध की गुणवत्ता और उनकी वर्तमान दशा को समझने के मामले का अध्ययन करने के लिए तकनीकी समिति का गठन किया गया।
  • यह समिति बांधों से जुड़े अनेक सवालों और समस्याओं के निराकरण के लिए सुझाव देगी।
  • बांध सुरक्षा अधिनियम, 2021: दिसंबर 2021 में संसद द्वारा पारित बांध सुरक्षा अधिनियम 2021 देश भर में कुछ निर्दिष्ट बांधों की निगरानी, निरीक्षण, संचालन और रखरखाव का प्रावधान करता है।
  • अधिनियम में इसके तहत अपराध के लिए दो साल तक की कैद या जुर्माना या दोनों का प्रावधान है।
  • यह अधिनियम उन सभी बांधों पर लागू होता है, जिनकी ऊंचाई 15 मीटर से अधिक है, या जिनकी ऊंचाई कुछ निश्चित डिजाइन और संरचनात्मक स्थितियों के साथ 10 मीटर और 15 मीटर के बीच है और इसमें अंतरराज्यीय और राज्य के भीतर नदियों पर बने बांध शामिल हैं।
  • राष्ट्रीय बांध सुरक्षा प्राधिकरण की स्थापना: जल शक्ति मंत्रालय द्वारा अप्रैल 2022 में राष्ट्रीय बांध सुरक्षा प्राधिकरण (National Dam Safety Authority: NDSA) की स्थापना की गयी।
  • बांध सुरक्षा संगठन: यह संगठन केंद्र सरकार के मार्गदर्शन में बांध सुरक्षा इकाइयों मानसून पूर्व और बाद में महत्त्वपूर्ण निर्देश तथा सुझाव देता है।
  • वर्तमान में उनतीस राज्य बांध सुरक्षा संगठन में शामिल हैं ।
  • राज्यों को बांध सुरक्षा संगठन द्वारा दिए गए सुझावों पर अमल करते हुए बांध सुरक्षा को और मजबूत करना चाहिए। इससे बांधों को लेकर समय-समय पर जो संकट उभरते हैं, उनसे कुछ हद तक निजात मिल सकती है।
  • बांधों की बेहतर सुरक्षा और संरक्षण को लेकर भूकम्प वैज्ञानिकों की चेतावनियों को अमल में लाया जाना चाहिए।
  • बांधों एवं बिजली परियोजनाओं का त्वरित सर्वेक्षण कराया जाना चाहिए है, ताकि इनकी वास्तविक स्थिति का आकलन किया जा सके।
  • एनसीआर भूकम्प की दृष्टि से संवेदनशील परिक्षेत्र में आता है। दिल्ली देश का ऐसा राज्य है, जो पानी के लिए पंजाब, उत्तर प्रदेश और हरियाणा पर निर्भर है। इसलिए जब भी इन राज्यों में अतिवृष्टि होती है, तो इसका असर दिल्ली पर भी पड़ता है। ऐसे में दिल्ली सरकार को इस तरफ गंभीरता से विचार करना चाहिए।
  • देश में बांधों को जलवायु परिवर्तन को ध्यान में रखते हुए बनाया जाना चाहिए ताकि ये बांध पानी के तीव्र बहाव और अचानक उछाल को सहन का सकें।

निष्कर्ष:

पिछले महीनों में बाढ़ और बरसात ने कई राज्यों में तबाही मचाई। कई बांधों में क्षमता से ज्यादा जल भर जाने की वजह से उनमें दरारें पड़ गईं। उनमें जन-धन के अलावा मृदा अपरदन की विकट स्थिति देखी गई। भूस्खलन, भूकम्प, बाढ़ और अतिवृष्टि का सिलसिला बढ़ा है। भारत में बांधों में छोटी-मोटी दरारों की सामान्य मरम्मत कर दी जाती या उन्हें नजरअंदाज कर दिया जाता है। इससे बांध की उम्र घट जाती है। कभी-कभी तो मामूली दिखने वाली दरारें बहुत खतरनाक साबित होती हैं। पिछले सालों में बांधों की दयनीय हालत पर सरकार ने गंभीरता दिखाई है, लेकिन जिस तरह इनसे जुड़ी दुर्घटनाएं सामने आई हैं, उससे लगता है कि ज्यादा बेहतर तरीके से इनकी देखभाल करने की जरूरत है।

स्रोत-जनसत्ता

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मुख्य परीक्षा प्रश्न:

  • भारत में बने बांध प्राकृतिक आपदाओं के प्रति अत्यधिक संवेदनशील हैं? विवेचना कीजिए
  • भारत में निर्मित मेगा जलविद्युत परियोजनाएं कितनी सुरक्षित हैं? समीक्षा कीजिए।